महाराष्ट्र का राजनीतिक बवाल. चुनाव हुए. सरकार किसी की बन नहीं रही. अब लग गया हैराष्ट्रपति शासन. गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने राजभवन से प्रेस विज्ञप्ति जारी की.साफ कर दिया कि उन्होंने राष्ट्रपति से कहा है कि कोई भी दल सरकार बनाने के लिएपुख्ता दावा पेश नहीं कर सका है. अब राज्य की कमान आपके हाथ में.लेकिन राष्ट्रपति शासन होता क्या है? कब लगाया जाता है? लगेगा तो कब तक लगा रहेगा?किन स्थितियों में हटाया जा सकता है? सब जानिए, आसान भाषा में.क्या होता है राष्ट्र्पति शासन?पहले तो जान लीजिये कि राष्ट्रपति शासन को "राज्य आपातकाल" या "संवैधानिक आपातकाल"भी कहते हैं. आप जानते ही हैं कि हर राज्य में एक राज्यपाल होता है. केंद्र सरकारद्वारा नियुक्ति होती है. कहा जाता है कि केंद्र में जो काम राष्ट्रपति करता है,वही काम राज्य में राज्यपाल का होता है. वह केंद्र और राज्य सरकार के बीच सीधा पुलहोता है. राज्य में केंद्र का प्रतिनिधि. संविधान के अनुच्छेद 355 में कहा गया हैकि केंद्र सरकार की ये ज़िम्मेदारी है कि वो प्रत्येक राज्य की बाहरी आक्रमण औरअंदरूनी उथलपुथल की स्थिति में रक्षा करे. और इस बात की पुष्टि करे कि राज्य मेंसबकुछ संविधान के अनुरूप चलता रहे. इसके बाद के अनुच्छेद 356 में ज़िक्र आता हैराष्ट्रपति शासन का.महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन से क्या-क्या हो सकता है?संविधान के अनुच्छेद 356 में लिखा गया है, जब राज्य किसी आपातकाल की स्थिति होतीहै, उस समय राज्यपाल राष्ट्रपति शासन लागू करने की अनुशंसा कर सकता है.कैसी स्थिति में राज्य में आपातकाल आ जाता है?अगर राष्ट्रपति को राज्य के राज्यपाल की ओर से ये भरोसा दिला दिया गया कि राज्य मेंकिसी भी स्थिति में संविधान के अधीन सरकार का संचालन नहीं हो सकता है, तोराष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है. मसलन,# अगर राज्य की विधानसभा में किसी दल का बहुमत सिद्ध न हो सका हो, और विधानसभा अपनानेता/ मुख्यमंत्री न चुन सकी हो. # किसी आपदा - जैसे युद्ध, भूकंप, बाढ़ या महामारी- की वजह से अगर राज्य में समय से चुनाव न हो सके तो. # अगर विधानसभा में अविश्वासप्रस्ताव लाया गया हो, और सरकार इस वजह से गिर गयी हो, और दूसरे दल अपना बहुमत नपेश कर सके हों. # और यदि राज्यपाल अथवा राष्ट्रपति को खुद लगे कि राज्य की सरकारया विधानसभा संविधान के अनुरूप बर्ताव नहीं कर रही है.उद्धव ठाकरे ने साफ़ किया कि वे भाजपा को तभी समर्थन देंगे, जब राज्य में उनकामुख्यमंत्री होगा. और यहीं पर मामला बिगड़ गया. (फाइल फोटो)तो संवैधानिक भाषा में राज्य में आपातकाल जैसी स्थिति होती है, ऐसी स्थिति मेंराज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है. महाराष्ट्र के हवाले से देखें तो चुनावपरिणाम आए पंद्रह दिन बीत गए. राजनीतिक पार्टियों को इन पंद्रह दिनों का उपयोगसरकार बनाने के लिए करना था, सरकार नहीं बन सकी. इसलिए राज्य में राष्ट्रपति शासनलगा दिया गया.कितने दिनों के लिए लगाया जा सकता है राष्ट्रपति शासन?अव्वल तो ये जानिये कि राष्ट्रपति शासन राष्ट्रपति के आदेश के बाद लगाया जाता है.एक आदेश ने राष्ट्र्पति शासन लगाया, तो दूसरे आदेश से राष्ट्रपति शासन हटाया भी जासकता है.और समयावधि के हिसाब से बात करें तो राष्ट्रपति शासन छः महीनों के लिए लगाया जासकता है. अगर राज्य में स्थितियां सामान्य नहीं हुईं तो राष्ट्रपति शासन काकार्यकाल बढाया जा सकता है. तीन सालों तक के लिए. इस दौरान लिए जाने वाले सभीनिर्णयों पर संसद के दोनों सदनों की सहमति होनी चाहिए. राष्ट्रपति शासन को बढ़ाने केनिर्णय पर भी. लेकिन वही बात. राष्ट्रपति बीच में कभी भी आदेश जारी कर राष्ट्रपतिशासन हटा सकता है. और ये करने के लिए राष्ट्रपति को संसद के आदेश की ज़रुरत नहींहोती है.राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य में क्या होता है?सीधी भाषा में बात करें तो विधानसभा या कौन-सी पार्टी जीती है, उनकी कोई ज़िम्मेदारीनहीं रह जाती है. राज्य की सारी व्यवस्था आती है राष्ट्रपति के पास. अब राष्ट्रपतिआकर तो किसी राज्य में काम कर नहीं सकता. इसके लिए राष्ट्रपति ने राज्यपाल कीनियुक्ति कर रखी है. अब आप सोच रहे होंगे कि राज्य के लोगों पर इसका क्या असरपड़ेगा? सीधा-सीधा तो कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन अब सरकार है नहीं, तो सरकार का कोईबड़ा निर्णय नहीं लिया का सकेगा. सब्सिडी या दूसरी, सरकार की कोई नीतियाँ नहीं बनसकेंगी.मुंबई में मौजूद महाराष्ट्र के राज्यपाल का घर "राज भवन". 15 हज़ार वर्ग फीट मेंफैला है और 13 कमरे हैं. और तो और, बंकर भी हैं.कोई सरकारी प्रोजेक्ट नहीं बन सकेंगे. मतलब केंद्र सरकार जो नीतियां निर्धारितकरेगी, उनका तो लाभ बज़रिये राज्यपाल लिया जा सकेगा. लेकिन अगली सरकार बनने तक, कोईनया काम या कोई नई स्कीम, कुछ नहीं. कुछ भी नहीं.महाराष्ट्र में क्या हो सकता है?एक तो वही बात. कि कुछ नहीं हुआ तो चुनाव फिर से होंगे. लेकिन एक और बात.राष्ट्रपति शासन के दौरान सभी राजनीतिक दल अपनी मीटिंग करते रहेंगे. अपनी बातचीतजारी रखेंगे. बहुमत तैयार करने की कोशिश करेंगे. अगर बहुमत मिलेगा तो गठबंधन केनेता सभी विधायकों के समर्थन का पत्र लेकर राज्यपाल से मिलेंगे. राज्यपाल को बहुमतका भरोसा होगा. और राज्यपाल राष्ट्रपति शासन हटाने की संस्तुति करेगा, औरराष्ट्रपति शासन हटाए जाने के बाद राज्यपाल शपथग्रहण के लिए सबसे बड़े दल या गठबंधनको न्यौता देगा.शरद पवार भी सरकार के बनने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.अगर ऐसा नहीं हुआ, तो राष्ट्रपति शासन चलता रहेगा. और चूंकि विधायकों के चुने जानेके बावजूद विधानसभा नहीं बन सकी है, तो महाराष्ट्र में फिर से चुनाव किये जाने कीसंस्तुति की जा सकती है. ऐसा राज्यपाल और राष्ट्रपति की संस्तुति के बाद हो सकताहै.क्या पहले कभी इस तरह के राष्ट्रपति शासन देश में लगे हैं?हां. बहुत मौकों पर. महाराष्ट्र के ठीक पहले तो जम्मू और कश्मीर में ही लगा हुआ था.भाजपा ने गठबंधन से हाथ खींच लिया. तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने इस्तीफादे दिया. 19 जून 2018 को लगाया गया राष्ट्रपति शासन, जो 30 अक्टूबर 2019 तक चला. 1साल 147 दिनों तक. ख़त्म हुआ अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी होने के साथ. ये तो सरकारगिरने की स्थिति में लगा राष्ट्रपति शासन था.जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती. जब सरकार गिरी, तब भी लगा थाराष्ट्रपति शासन. (Reuters)"चुनाव हो गए, और सरकार नहीं बनी" वाले उदाहरण क्या हैं? बिहार 2005. फरवरी मेंचुनाव हुए. सरकार नहीं बनी. मार्च में लग गया राष्ट्रपति शासन. जो 24 नवंबर तकचला. अक्टूबर नवम्बर में फिर से चुनाव हुए, और चुनाव होने के बाद राष्ट्रपति शासनहटाया गया.इसके पहले यूपी 2002. विधानसभा चुनाव हुए. किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. 56दिनों का राष्ट्रपति शासन. मायावती सामने आयीं. भाजपा का समर्थन मिला और मायावती बनगयीं मुख्यमंत्री. भाजपा से समर्थन लेने के बाद मायावती पर आरोप लगे कि जिस गुट कीमुखालफ़त करके बसपा की बहुजन राजनीति चमकी, उसका ही समर्थन उन्होंने सरकार बनाने केलिए लिया. इससे बसपा के विधायक बागी होने लगे. कुछ ने पार्टी छोड़ दी. भाजपा ने भीसरकार से समर्थन वापिस ले लिया. अगस्त 2003 में सरकार गिर गयी. सपा ने सरकार बनाई.बागी बसपा विधायकों के समर्थन का साथ.--------------------------------------------------------------------------------लल्लनटॉप वीडियो : शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने राहुल गांधी, सोनिया गांधी को फिरकुछ कहा!