23 मार्च को भगत सिंह शहीद हुए थे और इसी तारीख को राम मनोहर लोहिया का जन्म हुआथा. पर उन्होंने कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाया. क्योंकि उनके हिसाब से ये शहीदी दिवसथा. आज यानी 12 अक्टूबर को लोहिया की बरसी होती है. भारत की समाजवादी राजनीति मेंराम मनोहर लोहिया को आखिरी चिंतक माना जा सकता है. उनके विचार हमेशा ही भारतीयराजनीति में अलग रहे थे.वो जेपी की तरह राजनीति से अलग नहीं रहे थे. वो आजादी के बाद कांग्रेस की सरकार कोहराने का 7 वर्षीय प्लान भी बना चुके थे. हालांकि, प्लान सफल नहीं हो पाया.उन्होंने नेहरू की नीतियों के खिलाफ जंग छेड़ी, और इतने कद्दावर नेता के खिलाफउन्हीं की लोकसभा सीट फूलपुर से चुनाव भी लड़ा. इरादा था कि नेहरू की गलतियां सबकेसामने लाई जाएं.लोहिया के समाजवाद पर चढ़कर बहुत सारे नेता निकले थे. चौधरी चरण सिंह, मुलायम सिंहऔर बिहार के लालू यादव, नीतीश कुमार सब लोग इनके ही गुण गाते थे. कहा जाता था किलोहिया जिसके कंधे पर हाथ रख देते, वो नेता बन जाता था.आइए पढ़ते हैं राम मनोहर लोहिया के कुछ बयान :1.2.3.4.5.6.7.8.9.--------------------------------------------------------------------------------ये स्टोरी दी लल्लनटॉप के साथी रहे ऋषभ ने की है.--------------------------------------------------------------------------------ये भी पढ़ें:इस क्रांतिकारी को भगत सिंह के साथ फांसी नहीं हुई तो हमने भुला दियाCM आदित्यनाथ वही कर रहे हैं जो दादरी में राजनाथ ने किया थापुलिस में सुधार चाहते हैं योगी, तो मुल्ला की बात मान लें