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पद्मनाभस्वामी मंदिर में कितना खजाना है?

ऐसे भगवान और उनके अनंत खजाने की कहानी जो नारियल के खोल से खाते थे.

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केरल में स्थित भगवान विष्णु का भव्य मंदिर.
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आस्था राठौर
22 जुलाई 2022 (Updated: 22 जुलाई 2022, 23:29 IST)
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ऐसे भगवान और उनके अनंत खजाने की कहानी जानते हैं, जो नारियल के खोल से खाते थे? मान्यता है कि वे खुद इस मंदिर के रचयिता के सपने में आए थे और उन्हें मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य सौंपा था. बात हो रही है श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की, जो अनेक रहस्यों, मान्यताओं, विश्वास और बेहिसाब खजाने का गढ़ माना जाता है. 
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मंदिर के ऑडिट की तारीख फिर से आगे बढ़ा दी. मंदिर का ऑडिट? दरअसल इसमें रखे खजाने का ऑडिट.  

मंदिर की कहानी

श्री पद्मनाभास्वामी मंदिर. केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर है. भारत में वैष्णववाद से जुड़े 108 मंदिरों में से एक. इसे सबसे पहले किसने बनाया, कोई नहीं जानता. मान्यता है कि इस स्थान पर सबसे पहले भगवान विष्णु की मूर्ति प्राप्त हुई थी, जिसके बाद उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया. मंदिर के समीप ही एक सरोवर है, जिसे ‘पद्मतीर्थ कुलम’ कहा जाता है. 

ये मंदिर चेरा और द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक खूबसूरत मिश्रण है और केरल साहित्य और संस्कृति का एक अनूठा संगम भी. यहांं ऊंची दीवारें हैं और 16वीं शताब्दी का गोपुरम भी. मार्तंड वर्मा ने 1733 में इसका पुनर्निर्माण करवाया था. मंदिर की सरंचना में सुधार कार्य किए जाते रहे हैं. 

शेषनाग पर विश्राम करते भगवान विष्णु, उनका केरला स्थित मंदिर और ट्रावन्कोर शाही परिवार (सोर्से: pinterest, flickr, Vogue)

यहां गर्भगृह में भगवान विष्णु की एक विशाल मूर्ति, शेषनाग पर शयन मुद्रा में मौजूद है. भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को ही ‘पद्मनाभ’ कहा जाता है. और यहां विराजमान भगवान पद्मनाभ स्वामी के नाम से जाने जाते हैं. केवल हिन्दुओं को ही इस मंदिर में प्रवेश मिलता है. इसके लिए पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी पहनना अनिवार्य है.  

हालांकि केरल के कासरगोड में स्थित अनंतपुर मंदिर को देवता का मूलस्थान माना जाता है. लेकिन कुछ हद तक पद्मनाभस्वामी मंदिर, तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में स्थित आदिकेशव पेरूमल मंदिर की वास्तुकला से इंस्पायर्ड नज़र आता है. 

पद्मनाभस्वामी त्रावणकोर शाही परिवार के संरक्षक देवता हैं. वर्तमान में इस परिवार के महाराज (नाममात्र) मुलम थिरुनल राम वर्मा मंदिर के ट्रस्टी हैं. 

एक पूजा स्थल कोर्ट कैसे पहुंचा?

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर कथित तौर पर देश के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है. साल 2011 में ख़बरों में आया कि 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कीमत का खजाना इस मंदिर में मिला था. मंदिर के गर्भगृह के पास 6 भूमिगत चैम्बर्स या कक्ष हैं, जिन्हें एक्सपर्ट्स ने A-F नाम दिए हैं.

केरल हाई कोर्ट ने 2011 में फैसला सुनाया कि राज्य सरकार मंदिर और उसकी संपत्ति का नियंत्रण ले. पर त्रावणकोर शाही परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की. उसके बाद एक इंडिपेंडेंट रिपोर्ट कमिशन की गई और नवम्बर 2012 में इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि शाही परिवार मंदिर के खजाने पर कब्जा कर रहा था. 

बाद में सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट का 2011 का फैसला पलट दिया. साथ ही ये भी कहा कि शाही परिवार के सदस्यों के पास शेबैत अधिकार हैं, भले ही उनके अंतिम शासक की मृत्यु हो चुकी हो. शेबैत अधिकारों कर अर्थ होता है – देवता के आर्थिक मामलों को संचालित करने का अधिकार.

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर (सोर्स: onmanorama)

वर्षों तक चले कानूनी संघर्ष के बाद जुलाई 2020 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से त्रावणकोर रॉयल फैमिली को मंदिर में अपना अधिकार वापस मिला. साथ ही, शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को मंदिर के प्रबंधन (management) और संपत्ति पर नियंत्रण रखने के लिए एक ट्रस्ट स्थापित करने का निर्देश दिया. 

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर और उसके ट्रस्ट्स के 25 साल के खातों के विशेष ऑडिट को पूरा करने की तारीख बढ़ा कर 31 अगस्त, 2022 कर दी. इससे पहले भी 10 फरवरी को कोर्ट ने समय बढ़ा कर 30 जून किया था. इस तथ्य को भी शीर्ष अदालत ने सोमवार 18 जुलाई को संज्ञान में लिया था. 

जस्टिस यू यू ललित द्वारा हेड की गई बेंच ने कहा कि ‘न्याय के हित में’ ऑडिटिंग की कवायद ख़त्म करने का समय बढ़ाया गया है. और ऐसा मंदिर की प्रशासनिक और सलाहकार समितियों के अनुरोध पर किया गया है. साथ ही, अदालत ने ऑडिट समाप्त होने के बाद, उसके सामने अनुपालन रिपोर्ट (compliance report) दाखिल करना का आदेश भी दिया है. 

क्या वाकई मायावी नाग करते हैं खजाने की रक्षा?

A से लेकर F तक मंदिर में 6 वॉल्ट्स है. इसके बाद दो और भूमिगत वॉल्ट्स की खोज की गई और उन्हें नाम दिया गया G और H. कथित रूप से हीरे, जवाहरात, मोती, बेहिसाब सोना और कई बहुमूल्य वस्तुएं इनमें मौजूद हैं – इतना कि अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल है. 

खुद सोचिए, ये मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है. इसकी संपत्ति से जुड़ा जो भी अंदाज़ा लगाया गया है वो चुनिन्दा तहखानों के खुलने पर लगाया गया है. कुछ मेन वॉल्ट्स तो अब तक खुल भी नहीं पाई हैं. अंग्रेजी वर्णमाला के हिसाब से इन सभी वॉल्ट्स की बात करते हैं.

वॉल्ट A. 2011 में ये वॉल्ट खोला गया. एक लोहे की ग्रिल, भारी लकड़ी का दरवाज़ा और ग्रेनाइट का स्लैब हटाया गया. इसमें नीचे एक अंधेरा कमरा मिला, जिसमें से अनेक मूल्यवान वस्तुएं मिली थीं – मिट्टी और ताम्बे के बर्तन, टोकरियां वगैरह.

वॉल्ट C, D, E, F मंदिर के पुजारियों के अंडर हैं. बीते कुछ वर्षों में उन्हें हर साल कम से कम 8 बार खोला गया है. इनमें मिली कुछ सामग्री को नियमित रूप से मंदिर के त्योहारों आदि में उपयोग के लिए बाहर लाया जाता है. पर उपयोग के बाद वापस जमा भी कर दिया जाता है. 

वॉल्ट G और H बंद हैं और सदियों से ऐसा ही है. ये काफी लम्बे समय से भूले हुए तहखाने हैं जो साल 2014 में एमिकस क्यूरी (amicus curiae) द्वारा पाए गए थे. एमिकस क्यूरी एक व्यक्ति या संगठन को कहते हैं जो किसी कानूनी मामले में पक्षकार नहीं है पर जिसे अदालत की सहायता करने की अनुमति होती है. 

वॉल्ट बी (सोर्स: पीटीआई)

वॉल्ट B भूले नहीं थे. पर इसी वॉल्ट से जुड़े हैं रहस्य और कथाएं. मान्यता है कि इसकी रक्षा नाग करते हैं. यही वॉल्ट अब तक खोली नहीं गई है. कथित तौर पर ये 1880 में एक भीषण सूखे के दौरान आर्थिक सहायता के लिए खोली गई थी. मान्यता है की इस तिजोरी में वॉल्ट A से ज्यादा धन है. 

बाकी तिजोरियों को खोलने पर भी विवाद रहा है. साथ ही शाही परिवार ने बी वॉल्ट को खोलने का विरोध करते हुए कहा कि ‘ये भगवान की इच्छा के विरुद्ध है.’ इसी परिवार के भूतपूर्व सदस्य, आदित्य वर्मा ने कहा था ‘ये भगवान की दौलत है. इसे उन्हीं के पास रहने दें.’

फिर आया जुलाई 2020 का महीना. सुप्रीम कोर्ट ने वॉल्ट बी को खोलने की अनुमति देने से ही इनकार कर दिया. क्योंकि ये धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मामला था. 

कयास लगते रहते हैं, लगते रहेंगे. पर असल में कितना धन ये भव्य मंदिर अपने में संजोए है, ये तो सभी तिजोरियां खुलने के बाद ही पता चलेगा. मायावी नाग हैं या नहीं ये भी तभी पता चलेगा. पर एक बात सत्य है, ये खूबसूरत मंदिर, उसकी आकर्षक वास्तुकला, खुली तिजोरियों की बहुमूल्य वस्तुएं, सत्य हैं मिथ्या नहीं.

 

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