आपकी किसी फ़्लाइट एक्सिडेंट में मरने की संभावना उससे कहीं कम है जितनी घर सेएयरपोर्ट पहुंचने के दौरान किसी सड़क हादसे में. ये कोई नया फ़ैक्ट नहीं है लेकिनये भी एक तथ्य है कि अगर, ख़ुदा न ख़ास्ता, कहीं कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है,तो शायद ही कोई सवार सर्वाइव करता है.आज से ठीक 12 साल पहले 15 जनवरी, 2009 को US एयरवेज़ की फ़्लाइट 1549, एयरबस 320न्यूयॉर्क से शार्ले के लिए उड़ी. दिन के 3 बजकर 24 मिनट पर. विमान में कुल 155लोग. तीन मिनट से भी कम समय में उसकी क्रैश लैंडिंग होती है. दुनिया के सबसे व्यस्तशहरों में से एक न्यूयॉर्क के ठीक बीच में.टेक ऑफ़ करने के साथ ही हंसों के झुंड सामने आ गयाइस फ़्लाइट के कैप्टन का नाम चेल्सी सलनबर्गर था. 40 साल के अनुभव के साथ चेल्सी,अतीत में ग्लाइडर पायलट रह चुके थे. 1980 में सिविल एविएशन जॉइन करने से पहले वो एक‘फाइटर पाइलट’ थे. उन्हें US एयरवेज में 30 सालों का अनुभव हो चुका था. फ़र्स्टऑफ़िसर (मतलब चेल्सी के सहयोगी) थे जेफ़्री स्काइल्स.एयरबस 320 न्यूयॉर्क से शार्ले के लिए उड़ी थी. (तस्वीर: एपी)दिन के लगभग 3:27 यानी विमान के टेक ऑफ़ करने के 2 मिनट बाद चेल्सी ने सामने सेहंसों के झुंड को उड़ते हुए देखा. विमान अभी 96 मीटर प्रति सेकेंड के हिसाब से ऊपरकी ओर बढ़ रहा था. इस दौरान उसे झुंड से बचाकर ले जाना संभव नहीं था. ख़ास तौर परतब जब वो समुद्रतल से अभी सिर्फ़ 800 मीटर की ऊंचाई पर हो. तो इस झुंड के साथ टक्करहोना अपरिहार्य था. और हुई. विमान बेतरह हिलने लगा. कुछ यात्रियों ने अपनीखिड़कियों से देखा कि इंजन से पहले आग की लपटें निकलीं उसके बाद धुआँ. विमान केदोनों इंजन फेल हो गए थे.एक यात्री बेरी लियोनार्ड ने बाद में बताया- बड़ा डरावना सन्नाटा था. जिसे एकखटर-खटर की आवाज़ तोड़ती थी. आवाज़ गोया किसी ने धोने के लिए वॉशिंग मशीन मेंस्पोर्ट्स शूज़ डाल दिए हों. ये दुर्घटना कुछ अच्छी घटनाओं का कोलाज़ भी थीसबसे पहली अच्छी बात हुई कि इतनी बुरी टक्कर और दोनों इंजन फेल हो जाने के बावज़ूदविमान ने ऊपर की ओर चढ़ना ज़ारी रखा. दरअसल, जब चेल्सी इंजन रिस्टार्ट करने कीकोशिश कर रहे थे तब जेफ़्री APU (ऑक्सीलरी पावर सिस्टम) ऑन करने में सफल हो गए थे.आसान भाषा में कहें तो अगर ये ऑन नहीं होता तो विमान पायलट के कंट्रोल से बाहर होजाता. सीधे नीचे गिरता. 30 सेकेंड के भीतर. साथ ही APU के ऑन होने के चलते पायलटइसे काफ़ी हद तक कंट्रोल कर पा रहे थे. यूं हादसा कुछ समय के लिए टल गया था. परसिर्फ़ पोसपॉन हुआ केन्सल नहीं.क्यूंकि इंजन बंद होने के बाद सिर्फ़ पहले से जुटाए एक्सलरेशन से ही विमान कुछ औरहाइट ले सकता था. और इसी के चलते इंजन बंद होने के बाद भी विमान 54 सेकेंड्स तकहाइट गेन करता रहा और 800 से 930 मीटर की ऊंचाई तक पहुंच गया था. पर अब उसका नीचेआना शुरू हो चुका था. 3:28 तक विमान 400 मीटर नीचे पहुंच गया. मतलब समुद्रतल सेक़रीब 500-550 मीटर. विमान के एक यात्री ने बाद में एक इंटरव्यू में बताया भी किन्यूयॉर्क के स्काई स्क्रैपर्स के बग़ल से विमान उड़ रहा था, ऊपर से नहीं.इस सबके दौरान पहले तो चेल्सी ने एयरपोर्ट कंट्रोल को बताया कि हम वापस ल’गवाड़ियालौट रहे हैं. लेकिन फिर थोड़ी देर बाद बताया कि वापस पहुँचने तक बहुत देर हो जाएगी.‘अनेबल’ कैप्टन ने सिर्फ़ एक शब्द कहा. नज़दीकी तितरबोरो एयरपोर्ट पर लैंड करने केलिए भी समय पर्याप्त नहीं था. हम हडसन पर लैंड करेंगे. कैप्टन ने तय किया. इसकेउत्तर में एयरपोर्ट कंट्रोल की तरफ़ से कॉल में रहे पैट्रिक का कई सेकेंड तक कोईजवाब नहीं आया. वो शॉक्ड हो गया था. क्यूंकि हडसन, कोई एयरपोर्ट, हवाई पट्टी याटर्मिनल नहीं, न्यूयॉर्क के बीच में से बहने वाली एक नदी थी. कुछ सेकेंड शांत रहनेके बाद पैट्रिक बोला - मुझे माफ़ करना. आपने क्या कहा कैप्टन? ‘मिरेकल ऑफ़ दी हडसन’नाम की एक डॉक्यूमेंट्री के अनुसार 1996 में ऐसे ही एक हादसे में 125 यात्रियों कीजान चली गई थी. जब इथोपियन एयरलाइंस के एक अपहृत विमान, बोईंग 767, को हिंद महासागरमें लैंड कराने की कोशिश की गई. विमान में 175 लोग सवार थे.चेल्सी पर जांच बिठाई गई थीयूं आपको पायलट का ये कदम आश्चर्यचकित कर सकता है. अमेरिका की कई अथॉरिटीज़ को भीकिया. इसलिए ही चेल्सी पर जांच बिठा दी गई. कि उन्होंने विमान वापस ल’गवाड़िया लानेकी कोशिश क्यूं नहीं की? पायलट ने बाद में बताया कि- एयरलाइनर को लैंड करने के लिएएकमात्र व्यवहारिक विकल्प, एकमात्र सपाट चिकनी जगह, जो पर्याप्त रूप से बड़ी हो,हडसन नदी ही थी. तो यूं हडसन में विमान को ‘क्रैश लैंड’ कराने का निर्णय इस विमानके साथ हुई दूसरी अच्छी बात थी. लेकिन ये दिक्कत तो बाद की थी कि किसी प्लेन कोपानी में लैंड कराने का क्या परिणाम हो सकता है. अभी तो दिक्कत थी बीच में पड़नेवाला ‘जॉर्ज वशिंगटन ब्रिज’. जिसकी ऊँचाई 182 मीटर के क़रीब थी.विमान के साथ तीसरी अच्छी बात थी उसके पायलट का अनुभवी होना, उसने बहुत सावधानी सेमनूवर करने प्लेन को इस पुल से टकराने से बचा लिया था.जॉर्ज वशिंगटन ब्रिज.यात्रियों वाले केबिन में मौत का सन्नाटा पसरा थाउन्हें बिलकुल भी अंदाज़ा नहीं था कि आगे क्या होने वाल है या फिर पायलट और उसकेसाथी ने क्या निर्णय लिए हैं, वो क्या कर रहे हैं, क्या करने जा रहे हैं. दिक्कत येथी कि दोनों पायलट इस आकस्मिक परिस्थिति में इतने ‘इन-टू’ हो चुके थे कि कोईइन-फ़्लाइट अनाउंसमेंट करना भूल ही गए. फिर अचानक एक अनाउंसमेंट हुआ. ये आने वालीमौत का अनाउंसमेंट था. ‘दिस इज़ कैप्टन. ब्रेस यॉरसेल्फ़, फ़ॉर इम्पैक्ट.’ (मैं इसफ़्लाइट का कैप्टन बोल रहा हूँ. टक्कर के लिए तैयार रहिए.)3:31 पर यानी टेकऑफ़ करने के सिर्फ़ 7 मिनट के भीतर, विमान तेज़ी से हडसन नदी सेटकराया. विमान ठीक इस कोण और गति से टकराया कि अगर थोड़ी भी चीज़ें इधर-उधर होतींतो, जैसा बाद में की गई जाँच से पता चला, विमान के कम से कम दो या तीन टुकड़े होजाते. या उसमें आग लग जाती. तो चौथी अच्छी बात ये हुई कि विमान इस पानी में हुईलेंडिंग के दौरान न दो-तीन हिस्सों में टूटा, न उसमें आग लगी और न ही वो तुरंत डूबगया.हादसा अभी टला नहीं थाजहाज़ धीरे-धीरे डूबने लगा था. अफ़रातफ़री का माहौल था. किसी ने पीछे का एग्ज़िटगेट खोल दिया था, वो नहीं खोला होता तो जहाज़ में इतनी तेज़ी से पानी न भरता. एक औरदिक्कत थी. जब कोई जहाज़ किसी आपात स्थिति में होता है तो पायलट को एक चेकलिस्टवाली किताब निकाल कर उसके सारे स्टेप्स फ़ॉलो करने पड़ते हैं. पायलट औंस उसकेसहयोगी ने यही किया. चेक लिस्ट काफ़ी लंबी, कई पन्नों की और सैकड़ों स्टेप्स लिएहुई होती है.ये वाली भी थी. क्यूंकि जो 3 पन्नों की चेक लिस्ट बनाई गई थी वो 10700 मीटर कीऊँचाई के लिए थी, 800-900 मीटर की ऊँचाई के लिए नहीं. यूं पायलट तो सबसे लास्टस्टेप्स में से एक को चेक करना भूल गए थे. वो था ‘डिच’ लीवर को खींचना. ये पानी मेंलेंडिंग के दौरान विमान में पानी भरने से रोकता. पर चूंकि ये स्टेप नहीं लिया गयाइसलिए पानी का भराव तेज़ होने लगा.हाइपोथर्मिया से बचने के लिए कुछ लोग विमान के ऊपर चढ़ गए थे.कोस्ट गार्ड 4 मिनट में पहुंच गएहादसे के साथ पांचवी सबसे अच्छी बात ये थी कि कोस्ट गार्ड और नाव काफ़ी नज़दीक थीं.और उन्हें घटनास्थल तक पहुँचने में सिर्फ़ 4 मिनट का समय लगा. कुछ लोग विमान से कूदगए थे. उन्हें कूदने के बाद पता चला कि पानी का तापमान 4-5 डिग्री है. मतलब इतना किकुछ ही मिनटों में हाइपोथर्मिया से उनकी मृत्यु हो जाएगी. कुछ लोग विमान के ऊपर चढ़गए थे. बहुत से लोग विमान के पंख पर चढ़े हुए थे. पंख तेल और पानी के मेल से फिसलनभरे हो गए थे. समय तेज़ी से निकल रहा था. इस वक्त कई लोगों की मौत और ज़िंदगी केबीच के अंतर को एक-एक सेकेंड निर्धारित कर रहा था.हादसे की छठी अच्छी बात थी इसका अमेरिका जैसे विकसित देश के सबसे एडवांस शहरों मेंसे एक, न्यूयॉर्क में होना. हेलीकॉप्टर से मदद पहुँचने में भी ज़्यादा समय नहींलगा. बल्कि एक हेलीकॉप्टर जो टूरिस्ट्स को शहर का विहंगम दृश्य दिखा रहा था, हादसेसे कुछ मिनट पहले से ही विमान को फ़ॉलो करने लगा था. और पल-पल की जानकारी सम्बंधितअधिकारियों को दे रहा रहा था. 911 पर शहर भर से कॉल आने लगे थे. लोगों को अपनीखिड़कियों से ये नज़ारा दिख रहा था. एक ऐसे ही विडियो में साफ़ सुनाई देता है- इसेरिकॉर्ड कर लो. न्यूज़ वालों को बेचकर पैसे कमाएँगे. ख़ैर विमान क्रैश लैंडिंग केचंद मिनटों में पूरी तरह डूब गया था. सली रेस्क्यू होने वालों में सबसे अंतिमव्यक्ति थे. उससे पहले उन्होंने सारे विमान को चेक कर लिया था. कोई भी यात्री विमानने नहीं था.कैप्टन चेल्सी सलनबर्गर.अंत में सिर्फ 5 लोगों को गंभीर चोटें आईसली जब रेस्क्यू होकर फ़ैरी पर चढ़े तो सबसे पहले उन्होंने यूएस एयरवेज को सारीस्थिति बताने के लिए कॉल किया. एयरलाइन ऑपरेशन मैनेजर ने सली को झिड़कते हुए कहा-अभी हमारे पास इस कॉल से ज़्यादा ज़रूरी काम है. हडसन नदी में एक जहाज़ क्रैश होगया है. सली ने जवाब दिया- मैं जानता हूं .मैं ही उस जहाज़ का पायलट हूँ. विमान कीसातवीं और सबसे अच्छी बात इस दुर्घटना में होने वाली मौतों को संख्या थी. जब अंतमें काउटिंग की गई और चीज़ें ट्रेस की गईं तो पता चला कि 5 लोगों को गंभीर चोटें आईथीं. 70 के क़रीब लोगों को हल्की-फुलकी चोटें आईं थीं. ज़्यादातर लोग विमान कीटक्कर के चलते नहीं ठंडे पानी के चलते गंभीर हालत में पहुंचे थे. और इस हादसे मेंमरने वालों की संख्या थी शून्य. ज़ीरो.पायलट के ऊपर जो जांच बिठाई गई थी उस जांच का निष्कर्ष निकला कि विमान को वापस किसभी एयरपोर्ट पर लैंड कराना संभव नहीं था. और इस बात के लिए पायलट के पास रिएक्शनटाइम भी बहुत कम था. इस पूरी जाँच से जुड़ी टॉम हेंक्स की एक हॉलीवुड मूवी आपकोज़रूर देखनी चाहिए. पायलट चेल्सी सलनबर्गर को सब सली नाम से पुकारते थे. उसी केचलते इस मूवी और इस मूवी में टॉम हेंक्स के किरदार का नाम ‘सली’ था. सली को बाद मेंसभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया. साथ ही उनको, उनके सहयोगी पायलट को और केबिन क्रूके तीन सदस्यों को उनकी ‘बहादुरी और अद्वितीय विमानन उपलब्धि’ के लिए ‘गिल्ड ऑफ एयरपायलट एंड एयर नेविगेटर्स’ के मास्टर मेडल से भी सम्मानित किया गया.