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कौन हैं मनीष कुमार वर्मा, जिन्हें नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी बताया जा रहा है?

साल 2021 में VRS लेने के बाद Manish Kumar Verma लगातार किसी न किसी भूमिका में नीतीश कुमार के साथ काम करते रहे हैं. इतने खास कि दो साल पहले उनके लिए एक नया पद सृजित किया गया.

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मनीष कुमार वर्मा (बाएं से पहले) ने जेडीयू की सदस्यता ग्रहण की. (फोटो- इंडिया टुडे)
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आनंद कुमार
9 जुलाई 2024 (Published: 21:00 IST)
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ‘नौकरशाह प्रेम’ जगजाहिर है. सरकार चलाने से लेकर पार्टी को हांकने तक, नीतीश कुमार नेताओं से ज्यादा नौकरशाहों पर भरोसा करते हैं. चाहे बात उनके प्रधान सचिव दीपक कुमार की हो या शिक्षा विभाग में सुर्खियां बटोर चुके केके पाठक की. इस फेहरिस्त में पवन कुमार वर्मा और एक समय नीतीश के बेहद करीबी रहे आरसीपी सिंह भी शामिल हैं. आरसीपी सिंह तो जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे थे. आरसीपी की तरह ही नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा और उनकी जाति से आनेवाले एक और नौकरशाह की जेडीयू में एंट्री हो गई है. नाम है मनीष कुमार वर्मा. 

9 जुलाई को पटना में पूरे दिन मनीष कुमार वर्मा के नाम की गहमा-गहमी रही. मीडिया के भारी जमावड़े के बीच वे जेडीयू में शामिल हो गए. पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने उन्हें सदस्यता दिलाई. खुद नीतीश कुमार इस मौके पर नहीं थे, लेकिन जेडीयू के नेताओं और कार्यकर्ताओं की भीड़ लगी रही.

लोकसभा चुनाव के नतीजों से एक दिन पहले यानी 3 जून को नीतीश कुमार दिल्ली पहुंचे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात हुई. उस दौरान नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद छोड़ने के कयास लगाए जाने लगे. बिहार के सियासी गलियारों और मीडिया में चर्चा होने लगी कि नीतीश कुमार ने अपना उत्तराधिकारी चुन लिया है. और इसके लिए जिस व्यक्ति का नाम चल रहा था वो मनीष कुमार वर्मा ही थे. हालांकि, बाद में इन चर्चाओं पर विराम लग गया. लेकिन तब राजनीति में मनीष वर्मा एक कीवर्ड जरूर बन गए.

इसके बाद एक और महत्वपूर्ण तारीख है. 29 जून 2024. दिल्ली में जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक थी. इस बैठक से पहले फिर मनीष वर्मा सुर्खियों में आ गए. मनीष वर्मा का नाम जेडीयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष के संभावितों में चलने लगा. हालांकि एक बार फिर ये सब कयास भर रह गए. और संजय कुमार झा को जेडीयू का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया.

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क्रेडिट : (CEO BIHAR)

भले ही इन दोनों मौकों पर मनीष कुमार वर्मा के बारे में चली चर्चा अफवाह साबित हुई. लेकिन इससे उनके कद का अंदाजा लगता है. एक व्यक्ति जो अब तक जेडीयू का आधिकारिक सदस्य भी नहीं था. उसे नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी और पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष तक बनाने की बात चलती है. लेकिन, मनीष कुमार वर्मा कौन हैं? और जेडीयू की राजनीति में इतने महत्वपूर्ण कैसे हो गए कि उन्हें नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है.

कौन हैं मनीष कुमार वर्मा?

मनीष कुमार वर्मा बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले हैं. यहीं से नीतीश कुमार भी आते हैं. 50 साल के मनीष वर्मा की स्कूली पढ़ाई बिहारशरीफ के सरकारी स्कूल से हुई. आदर्श हाईस्कूल बिहारशरीफ से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की. इस साल वे पूरे नालंदा जिले में टॉप आए थे. इसके बाद उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से इंटर की परीक्षा पास की. और IIT दिल्ली से सिविल ब्रांच से बी.टेक किया.

पढ़ाई के बाद मनीष ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOCL) में नौकरी की. इस दौरान वो सिविल सर्विस की तैयारी भी करते रहे. और दूसरे अटेम्प्ट में एग्जाम क्रैक कर लिया. 2000 में उन्हें ओडिशा कैडर मिला. उनकी पहली पोस्टिंग कालाहांडी में सब-कलेक्टर के पद पर हुई. इसके बाद गुनपुर और रायगढ़ में SDM के पद पर रहे. 2005 में उन्हें पहली बार मलकानगिरी जिले का DM बनाया गया. साल 2012 तक वे ओडिशा के कई जिलों में DM पद पर रहे. 2012 में इंटरस्टेट डेपुटेशन (अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्ति) पर वे पांच साल के लिए बिहार आए.

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क्रेडिट : (CEO BIHAR)
पटना के DM रहते नीतीश के करीब आए

बिहार आने पर सबसे पहले उन्हें समाज कल्याण विभाग में निदेशक बनाया गया. फिर 2012 में ही इन्हें पूर्णिया में DM पद की जिम्मेदारी मिली. इसके बाद मनीष वर्मा जिलाधिकारी बनकर पटना पहुंचे. पटना के DM रहते 3 अक्तूबर 2014 को गांधी मैदान में रावण दहन के दौरान भगदड़ मची थी. इस हादसे में 42 लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. लेकिन इसके बावजूद नीतीश कुमार ने मनीष वर्मा के खिलाफ कोई सख्त एक्शन नहीं लिया था.

कहा जाता है कि पटना के डीएम रहते ही मनीष वर्मा मुख्यमंत्री के करीब आए. करीबी इतनी बढ़ गई कि उन्हें CMO बुला लिया गया. नीतीश कुमार का सेक्रेटरी बनाया गया. 5 साल का डेपुटेशन पीरियड खत्म होने के बाद उन्हें वापस मूल कैडर (ओडिशा) से बुलावा आया. लेकिन मनीष वहां जाने के लिए इच्छुक नहीं थे. इसलिए उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाकर वॉलेंटरी रिटायरमेंट (VRS) ले लिया. ताकि वे नीतीश कुमार के साथ बने रह सके. साल 2021 में VRS लेने के बाद वे लगातार किसी न किसी भूमिका में नीतीश कुमार के साथ काम करते रहे हैं.

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क्रेडिट : (CEO BIHAR)
नीतीश ने कैबिनेट में नया पद बनवाया

उसी साल नीतीश ने उन्हें बिहार राज्य आपदा प्राधिकरण प्रबंधन का सदस्य बना दिया. दो साल पहले, 2022 में कैबिनेट की बैठक में उनके लिए एक नया पद सृजित किया गया. बिहार विकास मिशन के अंतर्गत मुख्यमंत्री के लिए एक ‘अतिरिक्त परामर्शी’ का पद बनाया गया. इस पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी. इसके बाद से मनीष मुख्यमंत्री के विश्वस्त सहयोगी के तौर पर काम कर रहे हैं.

जेडीयू नेता दुर्गेश कुमार बताते हैं कि मनीष वर्मा ने भले ही आधिकारिक रूप से पार्टी जॉइन नहीं किया था. लेकिन वे पार्टी संगठन के लिए लगातार काम कर रहे थे. पटना स्थित उनके आवास पर हमेशा जेडीयू कार्यकर्ताओं की भीड़ लगी रहती है. दुर्गेश बताते हैं, 

“मनीष बेहद शांत स्वभाव के हैं. लो प्रोफाइल रहकर काम करते हैं. और जेडीयू के किसी भी दूसरे नेता के मुकाबले कार्यकर्ताओं के लिए आसानी से उपलब्ध हैं.”

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क्रेडिट (CEO BIHAR)

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 के लोकसभा चुनाव में मनीष कुमार वर्मा ने पूरे बिहार में घूमकर जेडीयू प्रत्याशियों के लिए कैंपेन किया. CEO BIHAR नाम का एक फेसबुक पेज लगातार उन्हें लगातार प्रोमोट कर रहा है. कहा जाता है कि मनीष नालंदा से चुनाव भी लड़ना चाहते थे. लेकिन नीतीश ने उन्हें कुछ ‘वजहों’ से टिकट नहीं दिया. नीतीश कुमार नालंदा की सुरक्षित सीट से कोई प्रयोग नहीं करना चाहते थे.

मनीष वर्मा के जेडीयू जॉइन करने और नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी बनाए जाने पर हमने बिहार के कुछ पत्रकारों से भी बात की. इंडिया टुडे मैगजीन से जुड़े पुष्यमित्र बताते हैं, 

"अभी तो उन्होंने ऑफिशियली जॉइन किया है. उनको अभी पद भी नहीं मिला है. और बाकी सारी चीजें अभी अनुमान की शक्ल में हैं. ऐसी संभावना है कि उनको उत्तराधिकारी बनाया जा सकता है. दूसरी बात है कि मनीष वर्मा एक IAS अधिकारी थे. उन्होंने नौकरी छोड़ी क्योंकि उनको राजनीति करनी है. और एक IAS जब राजनीति जॉइन करता है तो वो सिर्फ कार्यकर्ता बनने के लिए तो जॉइन करता नहीं है. उसकी महत्वाकांक्षा बड़ी होती है."

पुष्यमित्र आगे कहते हैं कि एक अनौपचारिक बातचीत में नीतीश कुमार के बेहद करीबी और पुराने मित्र ने उनसे बताया कि अगर मनीष उनके उतराधिकारी नहीं होंगे तो कौन होगा. वे उनके जिले के है. उनकी जाति के हैं और उनके विश्वासपात्र भी हैं.

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क्रेडिट (CEO BIHAR)

ये भी पढ़ें - जॉर्ज फर्नांडिस से लेकर शरद यादव और PK से लेकर ललन सिंह - नीतीश के करीबी गुम क्यों हो जाते हैं?

अब पार्टी में शामिल होने के बाद फिर से कयास लग रहे हैं कि आने वाले दिनों में मनीष वर्मा को कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. इंडियन एक्सप्रेस के सीनियर पत्रकार संतोष सिंह बताते हैं कि मनीष वर्मा को राज्य नेतृत्व में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. और 2025 के विधानसभा चुनावों में उनकी अहम भूमिका हो सकती है.

नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी बनने के सवाल पर संतोष सिंह कहते हैं, 

“इसमें जेडीयू एकमात्र स्टेकहोल्डर नहीं है. जरूरी नहीं कि उनकी अलायंस पार्टनर बीजेपी और दूसरे सहयोगी मनीष वर्मा को लीडर के तौर पर स्वीकार करें. इसके मुकाबले इसकी संभावना ज्यादा है कि आने वाले दिनों में उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. या फिर डिप्टी सीएम जैसी कोई बड़ी भूमिका सौंपी जा सकती है.”

नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी का सवाल अभी भविष्य के गर्भ में है. मनीष वर्मा से पहले भी कई नेताओं को उनके उत्तराधिकारी के तौर पर प्रोजेक्ट किया जा चुका है. उनमें अधिकतर के रास्ते अब नीतीश से जुदा हो चुके हैं. लेकिन, अब एक बात तो तय है कि मनीष वर्मा की भूमिका जेडीयू में एक कार्यकर्ता भर की नहीं होगी.

वीडियो: सोशल लिस्ट: लोकसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद लोगों ने नीतीश कुमार से क्या कहा?

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