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नेपाल प्लेन क्रैश: आखिर क्यों जोखिम हमेशा बना रहेगा?

जब कभी हादसे की वजहों पर बात होती है, तब-तब जोखिम वाले एयरपोर्ट्स का ज़िक्र ज़रूर आता है. नेपाल के लुकला एयरपोर्ट को तो लैंडिंग के लिए सबसे ख़तरनाक एयरपोर्ट्स में गिना जाता है.

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nepal plane crash types of airport types of runway
नेपाल में दुर्घटनाग्रस्त विमान (फोटो- इंडिया टु़डे)
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आकाश सिंह
26 जुलाई 2024 (Published: 12:10 IST)
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बिहार के एक दार्शनिक पूर्व विधायक हैं. नाम आप गेस करिए. हम प्रसंग सुनाते हैं. एक दफ़ा विधायक जी से पूछा गया, आप सांसद क्यों बनना चाहते हैं? जवाब मिला, 

“पटना हम कार से जाते हैं. दिल्ली हवाई जहाज़ से जाएंगे. जहाज़ में जादे मन लगता है. जीत जाएंगे तो बराबर ना जाते रहेंगे.”

प्रसंग से इतर, हवाई जहाज़ की यात्रा ना सिर्फ़ आरामदायक होती है. इससे समय भी बचता है. और, ये परिवहन के बाकी साधनों की तुलना में ज़्यादा सुरक्षित भी है. दिसंबर 2023 की विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक़, हर साल रोड एक्सीडेंट्स में लगभग 12 लाख लोगों की जान जाती है. इसके बरक्स हवाई हादसों में होने वाली मौतों की संख्या काफ़ी कम है. इंटरनैशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) की रिपोर्ट के हिसाब से, 2023 में कुल 30 विमान हादसे दर्ज किए गए. इनमें सिर्फ़ एक हादसा ऐसा था, जिसमें लोगों की मौत हुई थी. जनवरी 2023 में नेपाल में येती एयरलाइंस का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. उसमें सवार सभी 72 लोग मारे गए थे.

इसकी चर्चा क्यों?

क्योंकि नेपाल एक बार फिर से ख़बरों में है. वजह वही है. विमान हादसा. 24 जुलाई को सौर्य एयरलाइंस का एरोप्लेन काठमांडू से उड़ान भर रहा था. उसको 25 मिनट बाद पोखरा में उतरना था. मगर प्लेन टेक ऑफ के एक मिनट बाद ही नीचे गिर गया. प्लेन में सवार 19 में से 18 लोगों की मौत हो गई. जबकि पायलट को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है. नेपाल में प्लेन क्रैश का लंबा इतिहास रहा है. ब्यूरो ऑफ़ एयरक्राफ़्ट एक्सीडेंट्स आर्काइव्स (B3A) के मुताबिक़, 1946 से अब तक 69 हवाई हादसे हो चुके हैं.

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क्रैश के बाद प्लेन (फोटो-इंडिया टुडे)

जब कभी हादसे की वजहों पर बात होती है, तब-तब जोखिम वाले एयरपोर्ट्स का ज़िक्र ज़रूर आता है. नेपाल के लुकला एयरपोर्ट को तो लैंडिंग के लिए सबसे ख़तरनाक एयरपोर्ट्स में गिना जाता है.

तो समझते हैं-

-नेपाल के एयरपोर्ट्स पर इतना जोखिम होता क्यों है?

-भारत के किन एयरपोर्ट्स का नाम इस लिस्ट में आता है?

-पहाड़ों पर बने एयरपोर्ट्स को रिस्की क्यों कहा जाता है?

साल 1903. अमेरिका के नॉर्थ कोरोलिना राज्य में दो नौजवान एक कोशिश में जुटे थे. आसमान में उड़ने की कोशिश. जो सफल हुई. राइट ब्रदर्स ने पहला पायलट ऑपरेटेड एयरोप्लेन बनाया. यहां से नींव पड़ी अरबों करोड़ों डॉलर की एविएशन इंडस्ट्री की. आज ये इंडस्ट्री उस मुकाम पर है, जहां लगभग हर देश में बड़े-बड़े एयरपोर्ट्स और वर्ल्ड क्लास एयरोप्लेन हैं. इंफ्रास्ट्रचर दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है. जिसका गाजे बाजे के साथ ऐलान होता है. लेकिन एक चीज है, जिसकी याद सिर्फ तब आती है - जब कोई दुर्घटना होती है. सुरक्षा. 

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राइट ब्रदर्स का जहाज़ (फोटो- नासा वेबसाईट)


हवाई यात्रा के दौरान सुरक्षा का ध्यान हर चरण में रखना जरूरी होता है. सुरक्षा के लिहाज से एविएशन में सबसे जरूरी अव्यय होता है - एयर ट्रैफिक कंट्रोलर यानी ATC

क्या करता है ATC?

ऐसे समझिए कि ATC ऐरोप्लेंस का मैनेजर होता है. ATC के निर्देशों और सुझावों के आधार पर ही पायलट फ्लाइट के दौरान निर्णय लेते हैं. मसलन, अगर विमान 10 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा हो और पायलट उसे नीचे लाना चाहता हो, तो इसके लिए ATC से अनुमति जरूरी होती है. फ्लाइट ज़ोन में उड़ रही सभी फ्लाइट्स का डेटा- रूट, मौसम, इत्यादि ATC के पास होता है. इसी डेटा के आधार पर ATC पायलट्स को लैंडिंग और टेक ऑफ का निर्देश देता है. इतना ही नहीं फ्लाइट के दौरान भी पायलट के लिए जरूरी होता है कि वो स्पीड, एल्टीट्यूड, पोजिशन, टाइम आदि जानकारियां लगातार ATC के साथ शेयर करे. सारी जानकारियों के आधार पर ATC विमानों को गाइड करता है. लमसम कहें तो, एक समय में हवा में इतनी फ्लाइट्स होती हैं कि ATC न हो तो फ्लाइट्स आपस में टकराने लगे. ऐसे मामले गिनती के ही होते हैं और इनमें भी देखा गया है कि ATC से कम्युनिकेशन में प्रॉब्लम या किसी कन्फ्यूजन के चलते हादसा हो गया. ATC हवाई यात्रा का तकनीकी पक्ष है. लेकिन दिक्कत इंफ्रास्ट्रक्चर के चलते भी हो सकती है. हम बात कर रहे है रनवे की. टेक ऑफ़ और लैंडिंग के समय रनवे का स्ट्रक्चर बहुत मायने रखता है. 

हवाई यात्रा अब पहाड़ी क्षेत्रों तक भी पहुंच गई है. पहाड़ी क्षेत्रों में रनवे और एयरपोर्ट बनाने समय कुछ और मुश्किलों का ध्यान भी रखना होता है. कैसी मुश्किलें?

पहाड़ों पर एयरपोर्ट बनाने में आने वाली दिक्कतें

पहाड़ों पर बने एयरपोर्ट्स पर मुख्यत: तीन तरह की समस्याएं होती हैं. सबसे पहली समस्या है, छोटा और टेबल टॉप रनवे. दूसरी समस्या है, अचानक से बदलने वाला मौसम और तीसरा है हवा का घनत्व. इन तीनों कारणों को बारी-बारी समझते हैं.

शुरुआत टेबल टॉप रनवे से. ये रनवे किसी मेज़ की सतह जैसे दिखाई देते हैं. इसी कारण इन्हें टेबल टॉप कहा जाता है. समतल जमीन पहाड़ों में मुश्किल से मिलती है. इसलिए रनवे बनाने के लिए पहाड़ को समतल बनाना पड़ता है. ऐसा करने से दो रिस्क पैदा होते है. पहाड़ को समतल बनाना पड़ता है इसलिए लम्बा रनवे बनाने का स्कोप नहीं होता.

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टेबल टॉप रनवे (फोटो- इंडिया टुडे)

रनवे तो समतल बन जाता है लेकिन उसके आसपास गहरी खाई होती है. ऐसी परिस्थितियों में मान लीजिए अगर किसी प्लेन को लैंडिंग या टेक ऑफ के समय दिक्कत आई, रनवे थोड़ा सा भी मिस हुआ तो प्लेन खाई में गिर सकता है. ये संभावना मात्र बात नहीं है. ऐसा पहले भी हो चुका है. 7 अगस्त 2020 में दुबई से kozhikode आ रही एयर इंडिया एक्सप्रेस का बोइंग 737-800 हवाई जहाज kozhikode के रनवे से स्किड कर गया. इस हादसे में 21 लोगों की जान चली गई. और कई लोग घायल हो गए. इस तरह की दुर्घटना के दुनियाभर में कई उदाहरण हैं. लेकिन फिलहाल आपको पहाड़ों पर बनाए जाने वाले रनवे से जुड़े कुछ और चैलेंजेस के बारे में बताते हैं.

समतल इलाके के मुकाबले पहाड़ों पर मौसम काफी तेजी से बदलता है. माने में बारिश और धुंध की फ्रीक्वेंसी काफी ज्यादा होती है. जिसकी वजह से लैंडिंग और टेक ऑफ में विजिबिलिटी का इश्यू क्रिएट हो सकता है. 29 मई 2022, तारा एयर की फ्लाइट 197 ने नेपाल के पोखरा एयरपोर्ट से सुबह 9:55 पर टेक ऑफ किया. मौसम ख़राब होने के कारण टेक ऑफ़ के मात्र 12 मिनट के अंदर प्लेन का ATC से कनेक्शन टूट गया. और ये प्लेन पहाड़ों में क्रैश हो गया. अगली समस्या जो पहाड़ों में अक्सर आती है, वो है वायु घनत्व या एयर डेंसिटी की. पहाड़ों पर समतल इलाकों के मुकाबले एयर डेंसिटी कम होती है. जिसके चलते टेक ऑफ के समय दिक्कत आती है.

अब आपको भारत समेत दुनिया के कुछ सबसे दुर्गम एयरपोर्ट्स के बारे में बताते हैं.

पहले नंबर पर बात कैरेबियन्स में बने सबा एयरपोर्ट की. समुद्र के किनारे एक छोटी सी चोटी पर बने हुए इस एयरपोर्ट का रनवे दुनिया का सबसे छोटा रनवे है. केवल 400 मीटर का. रनवे के दोनों छोर पर खाई है. यानी पायलट के पास गलती करने का कोई भी स्कोप नहीं है. एक गलती और विमान सीधा खाई में.

Juancho E. Yrausquin Airport
साबा एयरपोर्ट (फोटो-विकीपीडिया)

दूसरा है भूटान का पारो एयरपोर्ट. अगर आप पायलट हैं और कोई आपसे कहे कि बिना किसी रडार वाले एयरपोर्ट पर विमान को लैंड कराना है तो इससे खतरनाक क्या हो सकता है? पारो एयरपोर्ट पर विमान की लैंडिंग को गाइड करने के लिए कोई भी रडार उपलब्ध नहीं है. इस एयरपोर्ट के 2265 मीटर के रनवे पर पायलट को मैनुअल मोड में ही ये सब करना होता है. इसी कारण चुनिंदा पायलट्स को ही यहां उड़ान की जिम्मेदारी दी जाती है. इस एयरपोर्ट की एक खास बात ये है कि यहां दिन की रोशनी में ही विमानों की आवाजाही की अनुमति दी जाती है. आसमान में बादल हों तो भी विमानों को डायवर्ट कर दिया जाता है.

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पारो एयरपोर्ट (फोटो- एक्स)


इकनोमिक टाइम्स की अगस्त 2020 में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 5 एयरपोर्ट्स में भी टेबलटॉप रनवे है. इस लिस्ट में आते हैं-

-कर्नाटक का मैंगलोर एयरपोर्ट

-केरल का kozhikode एयरपोर्ट

-मिजोरम का lengpui एयरपोर्ट

-सिक्किम का pakyong एयरपोर्ट

-शिमला और कुल्लू के एयरपोर्ट

वीडियो: नेपाल प्लेन क्रैश: कुल 19 लोग सवार थे, 18 की मौत हो गई, इकलौते बचे पायलट की क्या कहानी है?

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