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नेपाल में सत्ता बदली, कौन हैं नए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली?

खड्ग प्रसाद शर्मा ओली ने नेपाल के नए प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है. उन्हें राष्ट्रपति रामचंद्र पौड़ेल ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. ओली चौथी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने हैं.

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पीएम पद की शपथ लेते केपी शर्मा ओली (फोटो-एएफपी)
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साजिद खान
15 जुलाई 2024 (Updated: 15 जुलाई 2024, 21:25 IST)
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खड्ग प्रसाद शर्मा ओली ने नेपाल के नए प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है. उन्हें राष्ट्रपति रामचंद्र पौड़ेल ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. ओली चौथी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने हैं. उन्होंने पुष्प कमल दहल प्रचंड की जगह ली है. दिलचस्प तथ्य ये है कि कुछ दिन पहले तक प्रचंड, ओली के समर्थन से ही सरकार चला रहे थे. मगर 04 जुलाई को उन्होंने समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी. उससे पहले 02 जुलाई को ओली ने प्रचंड से मुलाक़ात की. उन्हें नेपाली कांग्रेस के शेर बहादुर देउबा के साथ हुई डील के बारे में बताया. और, उनसे इस्तीफ़ा देने की अपील भी की. मगर प्रचंड ने मना कर दिया. उन्होंने ओली पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप भी लगाया. प्रचंड ने कहा कि वो संसद जाना पसंद करेंगे. 12 जुलाई को विश्वासमत प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. इसमें प्रचंड बहुमत हासिल नहीं कर पाए. उनकी सरकार गिर गई. इसके बाद राष्ट्रपति ने ओली को सरकार बनाने का न्यौता दिया. ओली ने 166 सांसदों के समर्थन वाली चिट्ठी दिखाई. बहुमत का आंकड़ा 138 का है. नेपाली मीडिया में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक़, मौजूदा सरकार का लगभग 30 महीने का कार्यकाल बचा है. शुरुआती 18 महीने ओली और बाकी टाइम देउबा पीएम की कुर्सी संभालेंगे. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केपी ओली को बधाई दी है. एक्स पर लिखा कि हम साथ मिलकर दोस्ती का रिश्ता मज़बूत बनाएंगे. भारत के अलावा पाकिस्तान, अमरीका और ब्रिटेन ने भी बधाई संदेश भेजे हैं.

केपी ओली की कहानी 

साल था 1964, नेपाल के तत्कालीन राजा महेंद्र देश में नए भूमि सुधार कार्यक्रम लेकर आते हैं. नए नियमों के तहत ज़मींदार लोगों के लिए संपत्ति रखने की एक लिमिट तय की गई. इन ज़मींदारों के खेत में जो किसान मज़दूर काम कर रहे थे, ये कानून उनके अधिकारों की भी बात करता था. सरकारी अधिकारी गांव-गांव जाकर इन नियमों के बारे में जागरूकता फैला रहे थे. ज़ाहिर है, नेपाल के ज़मींदार इस कानून से खुश नहीं थे. 

फिर आया साल 1969. नेपाल के झापा ज़िले में ज़मींदारों ने इस कार्यक्रम का बॉयकाट करने का फैसला किया. उन्होंने सरकारी पेपर्स में भी साइन करने से मना कर दिया. इससे झापा का किसान-मज़दूर वर्ग नाराज़ हुआ. बात इतनी बढ़ी कि एक तबके ने ज़मींदारों के ख़िलाफ़ विद्रोह का ऐलान किया. कुछ ज़मींदारों के सर कलम कर दिए गए. फिर गिरफ्तारियों का दौर शुरू हुआ. नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) के कई लीडर्स गिरफ्तार हुए. पर पुलिस को तालाश थी एक 17 साल के लड़के की. जिसने इस विद्रोह का नेतृत्व किया था. 

1970 में वो लड़का पकड़ में आया. करीब 14 साल जेल में रहा. बाहर आया तो गरीबों ने उसे मसीहा समझा. उसने चुनाव लड़ने का फैसला किया. चुनाव जीतकर वो संसद पहुंचा. 2015 में पहली बार देश का प्रधानमंत्री बना. कई बार गठबंधन वाली सरकार चलाई. 2022 के चुनाव में उसकी पार्टी दूसरी नंबर पर रही. उसने गठबंधन पार्टी के नेता को प्रधानमंत्री बनाया. 2 साल बाद ये गठबंधन टूट गया. अब उसकी सत्ता में वापसी हुई है. हम बात कर रहे हैं नेपाल के नए प्रधानमंत्री खड्ग प्रसाद शर्मा ओली. जिन्हें हम केपी ओली के नाम से जानते हैं.

मोहन प्रसाद ओली और मधुमाया के घर 22 फरवरी 1952 को बच्चे का जन्म हुआ. बच्चे का नाम रखा गया खड्ग प्रसाद शर्मा ओली. ओली जब 4 साल के हुए तो उनकी मां मधुमाया की चेचक की वजह से मृत्यु हो गई. मां की मृत्यु के बाद ओली की दादी राममाया ने उनका पालन-पोषण किया. 

ओली स्कूल में फुटबॉल और शतरंज के शौक़ीन थे. बचपन के दोस्त कहते हैं. ओली सबको शतरंज खिलाया करते थे. कहते थे कि इससे दिमाग़ तेज़ होता है. स्कूल में ही कविताओं से जुड़ाव हुआ. ज़्यादातर राष्ट्रवादी कविता दोस्तों को सुनाते. छोटी ही उम्र में उनकी दोस्ती कम्युनिस्ट नेता रामनाथ दहल से हुई. 1963 में उनकी मदद से वो झापा ज़िले चले गए. उस समय ओली की उम्र महज़ 12 साल थी. इसी दौरान ओली का परिचय मार्क्स और लेनिन से हुआ. मार्क्स की लेखनी ने ओली को पूरी तरह बदल दिया. वो नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के प्रोग्राम्स में हिस्सा लेने लगे. साल 1970 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ले ली. ये झापा विद्रोह के समय की ही बात है. फिर गिरफ़्तारी हुई जेल गए.

रिहाई के बाद नेपाल की CPM-ML पार्टी की सेंट्रल कमिटी के मेंबर बने. 1990 में नेपाल को लोकतांत्रिक देश बनाने की जद्दोजहद शुरू हुई. इस आंदोलन ने केपी ओली को नेपाल में लोकप्रिय कर दिया. 
1991 में ओली, झापा से पहली बाद सांसद बने. 1994 में वो फिर से संसद के लिए चुने गए. इस बार उन्हें मनमोहन अधिकारी की सरकार में गृह मंत्री की ज़िम्मेदारी मिली.  ओली को 2006 में गिरिजा प्रसाद कोइराला की सरकार में उप प्रधान मंत्री बनाया गया. बाद में वो विदेश मंत्री भी बने. अक्टूबर 2015 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री बनाए गए. 

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जब 2015 में केपी ओली प्रधानमंत्री बने थे (AFP)

उनके पीएम बनने से पहले भारत और नेपाल के बीच रिश्ते बुरी तरह बिगड़ चुके थे. दरअसल हुआ ये कि सितंबर महीने में नेपाल ने अपने संविधान में बदलाव किए. नेपाल की मधेसू और थारु जाति ने इसका विरोध किया. विरोध इस बात का कि नए संविधान से उनका समाज हाशिए पर आ जाएगा. इसलिए उन्होंने इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू कर दिया. ये प्रदर्शन भारत-नेपाल सीमा में भी हो रहे थे. जब प्रदर्शन हिंसक हुए तो भारत ने चिंता जताई. पीएम मोदी एस जयशंकर को विशेष दूत बनाकर नेपाल भेजा. जयशंकर तब विदेश सचिव हुआ करते थे. उन्होंने सभी पार्टियों से बात की. और, शांति से बैठकर मसला सुलझाने की अपील की. प्रदर्शन की वजह से भारत से नेपाल जाने वाले सामान की सप्लाई पर असर हुआ. सबसे ज़्यादा ईंधन की सप्लाई प्रभावित हुई. रोज़ाना करीब 300 टैंक नेपाल जाते थे. तथाकथित नाकाबंदी के बाद इनकी संख्या 5-10 टैंक हो गई. गैस की सप्लाई भी रुक गई.

नए नए प्रधानमंत्री बने केपी ओली ने आरोप लगाया कि भारत, नेपाल की नाकाबंदी कर रहा है. भारत ने इसका खंडन किया. कहा कि प्रदर्शन की वजह से सप्लाई प्रभावित हो रही है. केपी ओली ने चीन के साथ कई व्यापारिक समझौते किए. ये कदम भारत को काउंटर करने के लिए उठाया गया था. 

कुछ महीने दोनों देश के रिश्ते तल्ख़ रहे. लेकिन बाद में ईंधन की सप्लाई बहाल कर दी गई. फरवरी 2018 में ओली दोबारा प्रधानमंत्री बने. मई 2020 में ओली ने नेपाल का नया नक्शा जारी किया. उन्होंने कालापानी समेत भारत के कुछ और हिस्सों को नेपाल का बताया. इससे भारत नाराज़ हुआ. दोनों देशों के बीच टेंशन बढ़ी. जब ओली की सरकार गई तब उन्होंने कहा भी था कि मुझे कालापानी को नेपाल का बताने के लिए पीएम पद से हटाया गया. 

खैर, उस समय अंदरूनी राजनीति जो भी रही हो. हम फिलहाल वर्तमान की बात कर लेते हैं. 15 जुलाई को केपी ओली ने एक बार फिर नेपाल ले प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली है. दरअसल 2022 में नेपाल में चुनाव हुए थे. उन्होंने प्रचंड को समर्थन दिया और उन्हें पीएम बनाया. अब उन्हें नेपाली कांग्रेस ने समर्थन दिया है. और उनके समर्थन से ही ओली बने हैं नेपाल ने प्रधानमंत्री.

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