पुरी में श्री जगन्नाथ का मंदिर है. जहां इनकी आम भगवानों की तरह पत्थर की नहींबल्कि लकड़ी की मूर्ति रखी हुई है. ये भगवान कैसे प्रकट हुए इसकी एक कहानी बहुतफेमस है. जहां लिखी है, उसका नाम आप पूरा पढ़ेंगे नहीं. फिर भी मैं बता दूं. येस्कंद पुराण के वैष्णव खंड के ‘पुरुषोत्तम क्षेत्र महात्म्य’ में लिखी हुई है. ओहपूरा पढ़ लिया. शाबाश. ये स्टोरी डमरू वाले शिवजी ने अपने बेटे कार्तिकेय और स्कंदको सुनाई थी. लेकिन ये पड़ोस वाली शर्मा आंटी की तरह चुपके से जैमिनी ऋषि ने सुनली. शर्मा आंटी की तरह ही ऋषि ने ये स्टोरी अपने फ्रेंड्स यानी दूसरे तपस्वियों कोसुनाई. जगन्नाथ बड़े आराम से अकेले अपनी गुफ़ा में रह रहे थे. गुफ़ा भी ऐसी जगह,जैसे कोई टूरिस्ट स्पॉट, घने जंगल और नीली पहाड़ी के बीच. जगन्नाथ को टिपिकल भगवानवाला लुक दिया जाता है. चार हाथ हैं. इनमें भी कुछ-कुछ पकड़ा हुआ है. ये उनकेअस्त्र-शस्त्र हैं.गुफा के पास जगन्नाथ का रोहिनी कुंड नाम का अपना एक पर्सनल स्विमिंग पूल था. और एकएवरग्रीन बरगद का पेड़ भी. स्विमिंग पूल ऐसा जिसमें एक डुबकी, स्वर्ग की सैर करादे. एक बार एक कौआ इस स्विमिंग पूल में गिर गया. बाहर आया उस टिपिकल भगवान वाले लुकके साथ, जिस लुक को हम पहले डिसक्राइब कर चुके हैं.यमराज को माधव से बहुत जलन होती थी. सोचते होंगे, ‘मैं यहा लावे में और वो स्विमिंगपूल में डुबकी लगा रहा है.’ ऐसे में यमराज क्यूट फेस लेकर जगन्नाथ के पास पहुंचे.उनको दोस्ती की दुहाई दी. जगन्नाथ इमोशनल हो गए. यमराज से कहा, ठीक है मैं गायब होरहा हूं, लेकिन ब्रेक के बाद फिर आऊंगा.’ शर्मा आंटी की तितलियों से होती हुई येखबर, अवंति के किंग इंद्रद्युम्न के कानों तक पहुंची. जैसे घर के छोटे बेटे को नएपड़ोसी के यहां तांका-झांकी करने के लिए भेज दिया जाता है. ठीक वैसे ही इस राजा नेअपने पुजारी विद्यापति को भगवान की गुफ़ा में जाने को कहा. छोटा बेटा यानी पुजारीनिकल तो गया घर से लेकिन रास्ते में ही खो गया.एक कूल ट्राइबल लीडर विश्ववासु ने पुजारी को देखा. दोनों के बीच बातें हुईं तो पताचला कि ये ट्राइबल वाला भगवान का सो कॉल्ड फ्रेंड है. उनकी पूजा करके उन्हें खुशरखता है. शेखी झाड़ने के लिए विश्ववासु पुजारी को लेकिन भगवान की गुफ़ा गया.स्विमिंग पूल देखा, साथ ही भगवान का टिपिकल लुक भी. विश्ववासु ने उसे भगवान की एकमाला दी और कहा अपने राजा को दे देना. पुजारी ठीक वैसे ही एक्साइटेड हुआ जैसे छोटाबच्चा नए पड़ोसी के यहां टॉफ़ी पाकर हो जाता है. भगवान को बाद में लगा होगा,’यारबताओ इतनी आसानी से इंसानों को मिल जाऊंगा, तो अहमियत कम हो जाएगी.’ ऐसे मेंउन्होंने गोल्डन स्पार्कल आई मीन स्वर्णिम रेत छिड़ककर पूरी नीली पहाड़ी को ढ़कदिया. आसमान से लाउडस्पीकर पर बुलवा दिया, ‘इस दिन के बाद से माधव कभी नहींदिखेंगे.’ बाकी के भगवान स्वर्ग में बैठे-बैठे सोचने लगे कि ये क्या हो गया.ब्रह्मा जी के पास पहुंचे तो उन्होंने कहा, ‘डोन्ट वरी, माधव अपने टिपिकल लुक सेबोर हो गए हैं, नया लकड़ी की मूर्ति वाला लुक लेकर वापस आएंगे.’पुजारी के आने की खबर राजा को लगी तो वो भागे-भागे उसे लेने पहुंचा. माला देखकर ऐसेखुश हुआ जैसे बेटे के हाथ में टॉफी देख पड़ोसी की अमीरी के बारे में सोचकर, हम होजाते हैं. राजा कई लोगों को साथ लेकर भगवान के दर्शन के लिए निकला. ठीक वैसे हीजैसे पूरे परिवार समेत हम नए पड़ोसी के यहां खाने निकल जाते हैं. ब्रह्मा जी केबेटे नारद प्रकट हुए. कहने लगे, ‘मैं भी चलूंगा.’ राजा ने कहा, ‘चलो’. बीच रास्तेमें ही पता चल गया कि भगवान नहीं मिलेंगे. राजा रोने लगा. नारद ने समझाया, ‘बेटारोते नहीं हैं, टिपिकल भगवान को खुश करने के लिए टिपिकल सहस्र अश्वमेध यज्ञ करो.यानी हज़ारों घोड़ों की बलि चढ़ाओ. बलि का मतलब विद्वानों ने अलग-अलग बताया है.इसका मतलब हर कोई घोड़ों की जान लेना नहीं मानता. इससे भगवान लकड़ी वाले फॉर्म मेंदर्शन देंगे.ये सारे नीली पहाड़ी पर पहुंचे. इन्होंने देखा, वहां आधे शेर और इंसान के लुक वालेनरसिंह, दैत्य हिरण्यकश्यप को मारने में लगे हुए हैं. नरसिंह भी भगवान हैं, तोउन्हें खुश करने के लिए राजा ने पहले उनका मंदिर बनवा दिया. माधव ये सब कहीं से देखरहे थे. खुश हो गए. सोचा, ‘थोड़ा जादू दिखाने का टाइम आ गया है. लेकिन इनसे लकड़ीवाले लुक में ही मिलूंगा.’राजा को पहले समुद्र में एक चटक लाल रंग का पेड़ तैरता दिखा. ये थे सुदर्शन जी.जिन्हें हम जगन्नाथ मंदिर में जगन्नाथ जी के बगल में खड़े देखते हैं. माधव नेअनाउंसमेंट करवा दी, ‘तुम्हारे बीच एक कारपेंटर है, अच्छी आर्ट भी आती है उसे. उससेकहो लकड़ी वाली मूर्ति बनाए.’ अपने आप को प्यारा चेहरा देने के लिए माधव खुदकारपेंटर बनकर सामने आ गए. कहा, ‘मैं एक दम वैसी ही मूर्ति बनाऊंगा, जैसे राजा अपनेसपने में भगवान को इमैजिन करते हैं.’ राजा सोच रहा होगा, ‘कूल, बनाओ-बनाओ.’ 15 दिनमें मूर्तियां तैयार. ये थे जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन. अब पेंट करने केबारे में भगवान ने सोचा होगा, ‘ये भी मैं करूं?’ फिर अनाउंसमेंट करवाई, ‘ जगन्नाथपर डार्क ब्लू पेंट कर दो, बलभद्र को सफ़ेद कर दो, सुभद्रा पर पीला पोत दो औरसुदर्शन पर चटक लाल फ़ेर दो.’स्पाइडरमैन ने कहा है, ‘बड़ी ताकत के साथ, बड़ी ज़िम्मेदारियां भी आती हैं’. ठीकवैसे ही जैसे नए पड़ोसियों के यहां दावत खाने पहुंचो और उनके घर में कुछ सामान नहो, तो आपको उलटा उन्हें खाने पर बुलाना पड़ता है. अब राजा को भगवानों के लिए मंदिरबनवाना था. राजा अच्छा था, उसने अपनी सारी जमा-पूंजी मंदिर बनवाने में लगा दी.नाराद ने कहा, ‘मैं पापा को बुला लाता हूं. राजा ने कहा, ‘रुको तनिक मंदिर बन जानेदो, मैं भी साथ चलूंगा स्वर्ग.’ मंदिर बनने के बाद ये दोनों ब्रह्मा से मिलनेपहुंचे. ब्रह्मा ने वहां राजा को बताया, ‘बॉस तुम स्वर्ग आ गए. यहां के मुकाबलेधरती पर टाइम जल्दी बीतता है. अब तुम पहुंचो वहां, सदियां बीत गई होंगी, वंशज सारेमर गए होंगे.’ राजा पहुंचा वापस धरती. ब्रह्मा जी ने तीन रथ तैयार कर दिए ताकिमूर्तियों को नरसिंह के पास से उठाकर नीली पहाड़ी के मंदिर में बैठा दिया जाए.गाला नाम का एक राजा था. उसके पास अब भी माधव के टिपिकल भगवान वाले लुक की मूर्तिथी. राजा इंद्रद्युम्न को पता चला तो गाला के घर से मूर्ति उठवा दी. इंद्रद्युम्नने सोचा होगा, ‘लकड़ी वाले मिल रहे हैं, ये पत्थर के लेकर बैठा है.’ गाला गुस्से सेलाल हो गया. लेकिन जैसे ही पता चला कि ब्रह्मा जी इस काम में लगे हैं, फिर खुश होगया. रथ से उतारकर मूर्तियों को मंदिर में रखवा दिया गया. इसके बाद ब्रह्मा अपने घरचले गए. इंद्रद्युम्न ने भी सारी ज़िम्मेदारी गाला को सौंपी और ब्रह्मा जी केपीछे-पीछे स्वर्ग चले गए.--------------------------------------------------------------------------------इस स्टोरी के लिए इनपुट 'सुभाष पाणी' की बुक 'रथ यात्रा' से लिया गया है.'रथ यात्रा' बुक का कवर--------------------------------------------------------------------------------विडियो- ओडिशा के गांव की पहली पक्की रोड वाली वायरल फोटो की सच्चाई