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जब आय से अधिक संपत्ति मामले में मुलायम सिंह और उनका पूरा परिवार घिर गया!

CBI ने कहा था कि मुलायम परिवार की 2.63 करोड़ रुपये की आय का स्रोत पता नहीं चल पाया. बाद में एजेंसी ने यूटर्न मार लिया था.

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Mulayam Singh Yadav Akhilesh Yadav
मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)
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साकेत आनंद
10 अक्तूबर 2022 (Updated: 10 अक्तूबर 2022, 17:55 IST)
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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का 82 साल की उम्र में निधन हो गया. यूपी की राजनीति में करीब 5 दशकों तक मुलायम सिंह एक प्रमुख नाम रहे. तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री बने. केंद्र में रक्षा मंत्री का पद भी संभाला. जाहिर सी बात है, इतने लंबे समय तक सार्वजनिक जीवन में रहने पर उतार-चढ़ाव जरूर आते हैं. आरोप लगते हैं. भले ही वो साबित हों या ना हों, एक वक्त पर छवि दागदार जरूर होती है.

मुलायम पर आय से अधिक संपत्ति का केस

समाजवादी विचारधारा को अपनी राजनीति बताने वाले मुलायम सिंह यादव भी ऐसे दागों से अलग नहीं रहे. उनके खिलाफ भी आरोप लगे. कांग्रेस नेता और वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने 2005 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार पर आरोप लगा कि उन्होंने साल 1999 से 2005 के बीच 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की अवैध संपत्ति बनाई. दिलचस्प ये है कि मुलायम सिंह यादव 2003 से 2007 के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी थे.

याचिका में मांग की गई कि मुलायम सिंह और उनके बेटों अखिलेश यादव-प्रतीक यादव और अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच हो. याचिका में कहा गया था कि इन लोगों ने अपने पदों का दुरुपयोग कर आय के ज्ञात स्रोतों से ज्यादा संपत्ति अर्जित की है. इसलिए इनके खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत मुकदमा चलाया जाए. एक मार्च 2007 को सुप्रीम कोर्ट ने मुलायम सिंह और उनके परिवार के खिलाफ CBI जांच के आदेश दिए. मुलायम परिवार ने इस आदेश के खिलाफ कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी.

CBI ने कही सबूत मिलने की बात 

मई 2007 में समाजवादी पार्टी यूपी की सत्ता से बाहर हो गई. इसके बाद CBI ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि मुलायम परिवार के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू करने के शुरुआती सबूत मिले हैं. CBI ने 1993 से लेकर 2005 के दौरान मुलायम और उनके परिवार की संपत्तियों की जांच की. शुरुआती जांच के बाद एजेंसी ने स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि 2.63 करोड़ रुपये की आय का स्रोत पता नहीं चल पाया. रिपोर्ट में CBI ने मुलायम सिंह यादव और अखिलेश पर भ्रष्टाचार का केस दर्ज करने की मांग की. मामला लंबित रहा.

मुलायम सिंह यादव (फोटो- इंडिया टुडे)

साल 2008 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार संकट में आ गई. अमेरिका से न्यूक्लियर डील के मुद्दे पर लेफ्ट (59 सांसद) ने समर्थन वापस ले लिया. उस दौरान मुलायम 39 सांसदों के साथ UPA सरकार को समर्थन देने की घोषणा करते हैं. मनमोहन सिंह की सरकार बच जाती है. जुलाई 2008 में डिंपल यादव अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताते हुए पीएम को पत्र लिखती हैं. मनमोहन सिंह ने उस पत्र को कानूनी सलाह के लिए भी भेज दिया.

अगस्त 2013 में इंडिया टुडे मैगजीन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2008 में तत्कालीन सॉलीसिटर जनरल जीई वाहनवती सलाह देते हैं कि उनके खिलाफ मामले को वापस लिया जाना चाहिए. इसके बाद CBI ने दिसंबर 2008 में सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दिया. मुलायम सिंह और उनके परिवार के खिलाफ विस्तृत जांच को वापस लेने की मांग की गई. CBI ने कहा कि वो ऐसा केंद्र सरकार की सलाह पर कर रही है.

मुलायम परिवार पर CBI का यू-टर्न

सुप्रीम कोर्ट तमतमा गया. फरवरी 2009 में कोर्ट ने CBI से कहा कि वो "केंद्र के इशारे पर" काम ना करे. कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब मामले में एक दिलचस्प मोड़ आता है. 30 मार्च 2009 को CBI, सुप्रीम कोर्ट से मुलायम सिंह यादव पर केस दर्ज करने की मंजूरी मांगती है. जांच एजेंसी का ये यू-टर्न उसी वक्त होता है, जब 2009 लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत फेल हो जाती है.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. दिसंबर 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी की याचिका पर फैसला सुनाया. CBI से मुलायम सिंह यादव और उनके बेटों के खिलाफ जांच जारी रखने को कहा गया. डिंपल यादव को राहत दी गई. फिर सितंबर 2013 में CBI ने आधिकारिक रूप से केस को बंद कर दिया. एजेंसी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव के खिलाफ 'पर्याप्त सबूत' नहीं मिले.

मुलायम सिंह यादव (फोटो- इंडिया टुडे)

CBI ने तब कहा था कि उसने मुलायम सिंह की संपत्तियों की गणना फिर से की. एजेंसी के मुताबिक, उनकी आय को गलत तरीके से जोड़ा गया. इसमें उनके कई लोन को शामिल कर लिया गया था. एजेंसी ने कहा कि दिसंबर 2012 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फिर से जांच की. कोर्ट ने कहा था कि जांच में डिंपल यादव को शामिल नहीं करना चाहिए क्योंकि केस दर्ज होने के दौरान वो किसी सार्वजनिक पद पर नहीं थी.

अखिलेश ने कांग्रेस पर लगाए आरोप

हालांकि, सीबीआई ने कई सालों तक सुप्रीम कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट फाइल नहीं की. वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने नई याचिका भी दाखिल की. मई 2019 में CBI ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. सीबीआई ने कहा है कि मुलायम सिंह और उनके दोनों बेटों पर रेगुलर केस दर्ज करने के लिए उसके पास कोई सबूत नहीं है.

बाद में अखिलेश यादव ने कहा था कि उनके परिवार के खिलाफ याचिका दायर करने वाला बीजेपी और कांग्रेस के इशारे पर काम कर रहा है. लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस के नेताओं ने उसे अपने घर में रखकर और पैसे खिलाकर उनके खिलाफ PIL दायर की. उस समय अखिलेश ने कहा था कि कांग्रेस ही भाजपा है और भाजपा ही कांग्रेस है.

वीडियो: मुलायम सिंह यादव का चरखा दांव, कुश्ती में माहिर समाजवादी पार्टी संस्थापक का पुराना वीडियो

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