मोहन भागवत के कड़े शब्द, क्या BJP और RSS के बीच सब ठीक चल रहा है?
RSS चीफ मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने नागपुर में BJP और उसकी सरकार पर कुछ ऐसी बातें बोलीं, जिससे लोग चौंक गए. मोहन भागवत ऐसा बयान क्यों दे रहे हैं? संघ और BJP में सब ठीक तो है? ऐसी चर्चाएं शुरू हो गईं. आखिर संघ और BJP के बीच चल क्या रहा है? जानिए राजनीतिक विश्लेषकों का इसपर क्या कहना है.
BJP की नीतियों का जब जिक्र होता है, तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का जिक्र जरूर होता है. कहा जाता है कि BJP की लगभग हर नीति और हर बड़े फैसले में संघ की भूमिका होती है. दोनों साथ-साथ चलते हैं. लेकिन, सोमवार, 10 जून को RSS चीफ मोहन भागवत ने एक भाषण दिया. नागपुर में संघ के - कार्यकर्ता विकास वर्ग समारोह - के समापन के मौके पर ये भाषण दिया गया. इसमें उन्होंने BJP और उसकी सरकार का नाम लिए बिना कुछ ऐसा बोला जिससे लोग चौंक गए. आखिर मोहन भागवत ऐसा बयान क्यों दे रहे हैं? संघ और BJP में सब ठीक तो है? ऐसी चर्चाएं शुरू हो गईं.
Mohan Bhagwat ने क्या-क्या बोला?मोहन भागवत ने ऐसा क्यों बोला? ये समझने से पहले, उन्होंने क्या बोला है, ये जान लेते हैं. उन्होंने कहा कि जब चुनाव होता है तो मुकाबला जरूरी होता है. इस दौरान दूसरों को पीछे धकेलना भी होता है, लेकिन इसकी एक सीमा होती है. भागवत के मुताबिक इस बार चुनाव ऐसे लड़ा गया, जैसे यह युद्ध हो. जिस तरह से चीजें हुई हैं, जिस तरह से दोनों पक्षों ने कमर कसकर हमला किया है, उससे विभाजन होगा, सामाजिक और मानसिक दरारें बढ़ेंगी.
उनके मुताबिक संसद में दो पक्ष जरूरी हैं. लेकिन हर स्थिति में दोनों पक्षों को मर्यादा का ध्यान रखना होता है. सरकार को नसीहत देते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि विपक्ष को विरोधी पक्ष की जगह प्रतिपक्ष कहना चाहिए. भागवत ने इस दौरान ये भी कहा- ‘जो मर्यादा का पालन करते हुए काम करता है, गर्व करता है, लेकिन अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों में सेवक कहलाने का अधिकारी है.’
मोहन भागवत मणिपुर पर भी बोले. कहा- ‘मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है. बीते 10 साल से राज्य में शांति थी, लेकिन अचानक से वहां कलह होने लगी या कलह करवाई गयी, उसकी आग में मणिपुर अभी तक जल रहा है, त्राहि-त्राहि कर रहा है, उस पर कौन ध्यान देगा? जरूरी है कि इस समस्या को प्राथमिकता से सुलझाया जाए.’
माना जा रहा है कि भागवत का ये संदेश भी सरकार के लिए ही है.
मोहन भागवत के इतने कड़े शब्द सुनने के बाद कई लोगों का मानना है कि संघ और बीजेपी के बीच कुछ तो सही नहीं चल रहा है. चुनाव के दौरान BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के एक बयान की ओर इशारा करते हुए भी लोग ऐसा कह रहे हैं.
द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में जेपी नड्डा ने कहा था कि पहले भाजपा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की जरूरत थी, लेकिन आज भाजपा सक्षम है. आज पार्टी अपने आप को चला रही है. जब उनसे ये सवाल किया गया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय और अब के बीच RSS की स्थिति कैसे बदली है? इस पर नड्डा बोले- 'शुरू में हम अक्षम होंगे. थोड़ा कम होंगे. तब RSS की जरूरत पड़ती थी. आज हम बढ़ गए हैं और सक्षम हैं तो BJP अपने आप को चलाती है. यही अंतर है.'
क्या वाकई RSS और BJP में कुछ नाराजगी है?इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों से बात की. इंडिया टुडे मैगजीन के सीनियर स्पेशल कॉरेस्पांडेंट हिमांशु शेखर का कहना है कि भागवत के बयान से लोगों को ऐसा लग रहा है कि संघ और बीजेपी हाईकमान के बीच इस समय रिश्ते ज्यादा मधुर नहीं हैं. वो बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के दौरान सुनने में आया था कि इस बार संघ की उतनी नहीं चली जितनी पिछले चुनावों में चलती थी. फिर जेपी नड्डा के बयान से भी संघ के कार्यकर्ताओं के बीच में एक संदेश गया. पार्टी के कुछ उम्मीदवार अनौपचारिक बातचीत में कह रहे थे कि संघ के कार्यकर्ताओं ने लोकसभा चुनाव प्रचार में इस बार उतनी सक्रिय भूमिका नहीं निभाई, जितनी वो निभाते आए हैं.
यूपी चुनावों को कई बार कवर करने वाली वरिष्ठ पत्रकार निधि राजदान भी बीबीसी को कुछ ऐसा ही बताती हैं. वो कहती हैं, "अबकी बार 400 पार और मोदी की गारंटी वाले माहौल में यूपी में आरएसएस कैडर ने अपने को बहुत अलग-थलग महसूस किया."
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हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक अवधेश कुमार ऐसा नहीं मानते. उनके मुताबिक आरएसएस और बीजेपी के संबंधों में कोई तनाव नहीं है. संघ प्रमुख मोहन मोहन भागवत केवल आगे आने वाली चुनौतियों को लेकर सरकार को चेता रहे थे. अवधेश कुमार कहते हैं- ‘संघ का काम सरकार को आगे के लिए चेताते रहना भी है, मणिपुर की जो चुनौती है, उसपर मोहन भागवत ने सरकार का ध्यान खींचने की कोशिश की है. साथ ही पक्ष-विपक्ष सबको, चुनाव में हुई बातें भूलकर देश हित में मिलकर आगे बढ़ना चाहिए, ये बात उन्होंने कही है.’
अवधेश कुमार के मुताबिक जेपी नड्डा के बयान को भी कुछ लोगों ने गलत तरह से लिया, उनका मतलब सिर्फ ये था कि बीजेपी अपना काम करती है और संघ अपना काम.
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