The Lallantop
Advertisement

आसान भाषा में: क्या 'लिव-इन रिलेशनशिप' वाकई में वेस्टर्न विचार है?

ज्यादातर जनजातीय परिवार इतनी महंगी दावत का खर्च नहीं उठा सकते, तो वे "ढुकू" का रास्ता चुनते हैं. "ढुकू" माने घुसना, और जो लड़किया इस प्रथा का पालन करती हैं उन्हें ढुकनी बोलते हैं.

7 नवंबर 2024 (Published: 09:04 IST)
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
Advertisement

एक अंकल रहे थे कि लिवइन रिलेशनशिप पाश्चात्य विचार है. पर संस्कृतियों का अध्ययन इतने मज़े की चीज़ है कि अमेज़ करता रहता है. अपने झारखंड की पहाड़ियों में बसी कई जनजातियों में लिव इन रिलेशनशिप जैसी प्रथा सदियों से है? इस परंपरा को वहाँ "ढुकू" कहा जाता है. बहुत लोगों के लिए ये मॉडर्न विचार होगा लेकिन इन जनजातियों के लिए ये एक मजबूरी बन चुका है. क्योंकि इन समुदायों में शादी का मतलब होता है पूरे कबीले को दावत देना. और ये दावत हल्की-फुल्की नहीं होती! इसमें मीट, चावल और हड़िया जैसे खाने-पीने की चीजें होती हैं. अब, ज्यादातर जनजातीय परिवार इतनी महंगी दावत का खर्च नहीं उठा सकते, तो वे "ढुकू" का रास्ता चुनते हैं. "ढुकू" माने घुसना, और जो लड़किया इस प्रथा का पालन करती हैं उन्हें ढुकनी बोलते हैं, माने घर में घुसने वाली. लेकिन असल खबर ये नहीं है. खबर तो जुडी है यूनिफार्म सिविल कोड यानी UCC से. देश के गृह मंत्री अमित शाह ने झारखण्ड में एक बयान दिया. उन्होंने कहा कि जब उत्तराखंड में UCC लागू हुआ तो आदिवासी समाज को उसमें शामिल नहीं किया गया और झारखण्ड में UCC आदिवासी लोगों पर लागू नहीं होगा. तो इस वीडियो में समझेंगे कि देश के अलग-अलग हिस्सों में जनजातियां अपने किन परंपरागत रीति-रिवाजों से बंधी हैं ?और क्यों सरकार UCC जैसे सेल्फ प्रोक्लेम्ड, प्रो-वीमेन रिफॉर्म्स, आदिवासियों पर लागू करते समय बैकफुट पर दिखाई देती है? जानने के लिए देखें पूरा वीडियो.

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement