देश सकते में है. राष्ट्रपति की अचानक बीमारी के चलते मौत हो गई है. मगर राष्ट्रपतिभवन में अलग ही खेल चल रहा है. कार्यवाहक राष्ट्रपति के परिवार वाले भाग भागकर अपनेकमरे पर कब्जा कर रहे हैं. जैसे धप्पा बोल रहे हों. जैसे बस पर खिड़की से घुसकररूमाल रख रहे हों. बाद में कार्यवाहक राष्ट्रपति ने इस्तीफा दे दिया. अपनी राजनीतिकआका के कहने पर. चुनाव लड़े और राष्ट्रपति बने. आप कहेंगे इसमें कौन सी निराली बातहै. हर पांच साल में राष्ट्रपति बनते हैं. तो कमाल बात ये है कि इनकी बारी में जोचुनाव हुआ था. वो देश का अब तक का सबसे करीबी मुकाबले वाला चुनाव था. बिल्कुल कांटेकी टक्कर और आखिरी में फैसला. फैसले ने न सिर्फ राष्ट्रपति चुना, बल्कि देश की सबसेपुरानी और ताकतवर पार्टी को भी दो-फाड़ कर दिया. अब बहुत हो गया. पहले नामों सेपहचान कर ली जाए. जाकिर हुसैन. देश के राष्ट्रपति थे. उनकी अचानक मौत हो गई.कार्यकाल के दौरान ही. तब वीवी गिरी उपराष्ट्रपति थे. बाद में इंदिरा गांधी के कहनेपर गिरि ने इस्तीफा दे दिया. और निर्दलीय पर्चा दाखिल किया. कांग्रेस की तरफ सेकैंडिडेट थे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे नीलम संजीव रेड्डी. कामराज,निजलिंगप्पा और अतुल्य घोष जैसे नेता उनके लिए प्रचार में जुटे थे. इंदिरा गांधी भीआधे अधूरे मन से किसी किसी मीटिंग में पहुंच रही थीं. मगर उनके दिमाग में कुछ और हीचल रहा था. वोटिंग के एक दिन पहले इंदिरा ने सभी कांग्रेसी सांसदों और विधायकों सेअपनी अंतरआत्मा की आवाज पर वोट डालने को कह दिया. खेल बदल गया. रेड्डी करीबी अंतरसे चुनाव हार गए. और वीवी गिरी 24 अगस्त 1969 को देश के चौथे राष्ट्रपति बन गए.कांग्रेस के संगठन संभालने वाले नेता इससे बौखला गए और नवंबर 1969 में उन्होंनेइंदिरा गांधी को पार्टी से निकाल दिया. नीलम संजीव रेड्डी की भी बारी आई. जनतापार्टी के दौर में वह भी राष्ट्रपति बने. पर उस पर काफी बात हो चुकी है. आज तो वीवीगिरि का दिन है. ट्रेड यूनियन की पॉलिटिक्स कर यहां तक पहुंचने वाले नेता जी.जिन्हें पढ़ाई के दौरान आंदोलन के चलते आयरलैंड ने अपने मुलुक से निकाल दिया था.साल था 1916. वह लौटे और गांधी बाबा की सदारत में कांग्रेसी हो गए.1वीवी गिरी की पैदाइश हुई 10 अगस्त 1894 को. तेलुगु परिवार में. जो कि उड़ासी केबरहामपुर में सैटल हो गया था. ये जगह कुछ चीन्ही लग रही है क्या. देश के पीएम रहेनरसिम्हा राव यहीं से चुनाव लड़ते थे.2गिरि की शादी हुई सरस्वती बाई से. इन दोनों के 14 बच्चे थे.3लॉ की पढ़ाई करने वाले वह आयरलैंड के डबलिन गए. वहां आजादी के लिए आंदोलन चल रहेथे. उसमें शामिल हुए. निकाल दिए गए.4कांग्रेस की पॉलिटिक्स करने लगे. मद्रास हाई कोर्ट की वकालत छोड़कर. 1923 में ऑलइंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन बनाया. 10 साल से ज्यादा वक्त तक इसके महासचिव रहे.51936 के जनरल इलेक्शन में बूबली रियासत के राजा को हराया. बूबली राजा एक मशहूरफिल्म भी है. इसमें दिव्या भारती वगैरह थीं.6आजाद भारत के पहले लोकसभा चुनाव में जीत गिरि दिल्ली पहुंचे. नेहरू ने उन्हें अपनीकैबिनेट में लेबर मिनिस्टर बनाया. गिरि ने मैनेजमेंट और मजदूरों के बीच के झगड़ोंको सुलह सफाई से खत्म करवाने की कोशिशें कीं.71957 में चुनाव हार गए तो नेहरू ने उन्हें यूपी का गवर्नर बनाकर भेज दिया. 1960 मेंयहां से केरल के राज्यपाल बन गए. इन्हीं महोदय की सिफारिश पर नेहरू ने दुनिया कीपहली चुनी हुई लेफ्ट सरकार को बर्खास्त कर दिया था. तब केरल के मुख्यमंत्री थेकॉमरेड नंबूदिरीपाद. इस कदम से नेहरू की बड़ी छीछालेदर हुई. खुद उनके दामाद फिरोजने इसका विरोध किया. मगर इंदिरा भी अड़ गईं थीं कि केरल में गैर कांग्रेस सरकारनहीं चलने देनी है. नेहरू की मौत के बाद गिरी का यहां से तबादला हुआ, वह कर्नाटकभेज दिए गए.813 मई 1967 को वह उपराष्ट्रपति बन गए. लगभग दो बरस बाद 3 मई 1969 को राष्ट्रपतिजाकिर हुसैन का देहातं हो गया. गिरि कार्यवाहक राष्ट्रपति बन गए. इसी दौरानउन्होंने इंदिरा गांधी को उनका पहला बड़ा और स्वतंत्र राजनीति्क कदम उठाने में मददकी. ये फैसला था बैकों का राष्ट्रीयकरण करने का. इस अध्यादेश पर दस्तखत कर गिरि नेइस्तीफा दे दिया और चुनाव के लिए पर्चा भर दिया.916 अगस्त को वोट गिरे और फिर डब्बा खुला. पहली प्राथमिकता के वोटों में कोई नहींजीत पाया. न गिरी न रेड्डी. फिर दूसरी प्राथमिकता वाले वोटों की गिनती चालू हुई. तबजाकर गिरी की गाड़ी पार लगी. राष्ट्रपति बनने के लिए कम से कम 4 लाख 18 की कीमत केवोट चाहिए थे. उन्हें 4 लाख 20 हजार से ज्यादा मिल गए थे.10भसड़ यहीं नहीं रुकी. चुनाव के बाद कोर्ट में मुकदमा कर दिया गया. कहा गया कि गिरिने चुनाव जीतने के लिए गलत तरीके इस्तेमाल किए हैं. उस वक्त तक वह शपथ ले चुके थे.यानी देश के सबसे ऊंचे पद पर थे. फिर भी मामले में गवाही देने के लिए वह कटघरे मेंआए. कोर्ट ने मामला खारिज कर दिया. आज तक दिन तक वह इकलौते ऐसे आदमी हैं, जोनिर्दलीय चुनाव लड़ राष्ट्रपति बन गए हों.11गिरि बराबर इंदिरा की हां में हां मिलाते रहे. उन्हें लगा कि 1974 में कार्यकालपूरा होने पर उन्हें मैडम फिर मौके देंगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इंदिरा ने अबकी बारफखरुद्दीन अली अहमद को चुना. गिरि को सांत्वना पुरस्कार के तौर पर अगले साल भारतरत्न दे दिया गया. क्योंकि गिरि ने राष्ट्रपति रहते 1972 में इंदिरा गांधी को भारतरत्न दिया था. हालांकि कमाल बात ये है कि इंदिरा को भारत रत्न देने की संस्तुति खुदइंदिरा गांधी सरकार ने की थी. उनसे ये पहले ये कारनामा उनके पापा नेहरू ने भी कियाथा. इंदिरा के बाद गनीमत है कि किसी पीएम ने खुद को भारत रत्न नहीं दिया. अटलबिहारी के वक्त ये मांग उठी थी. कहा गया कि कारगिल विजय के बाद सम्मान दिया जानाचाहिए. मगर वाजपेयी ने मना कर दिया था.1223 जून 1980 को इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी मरे. पूरा देश सकते में. वही तोइंदिरा के वारिस थे. कुछ महीने पहले उन्हीं की देखरेख में कांग्रेस सत्ता में लौटीथी. हर कोई दिल्ली की तरफ लपका. अगले रोज तब के मद्रास में गिरि का निधन हो गया.कागजों पर राष्ट्रीय शोक. मगर ध्यान किसी का उस तरफ नहीं गया. वीडियो में देखिए वी.वी. गिरि का लल्लनटॉप किस्सा: https://www.youtube.com/watch?v=x07QZbw5eY0--------------------------------------------------------------------------------ये भी पढ़ें:महामहिम: वो राष्ट्रपति, जिसके बाथरूम का कार्टून बदनामी की वजह बना राष्ट्रपतिचुनाव में वोट कौन डालता है, हर किसी का वोट बराबर क्यों नहीं होता है? महामहिम: इसराष्ट्रपति चुनाव के बाद कांग्रेस दो टुकड़ों में बंट गई