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गिनीज़ बुक में दर्ज हुए गीतकार समीर की कहानी, जिनके लिखे गाने गाकर लड़के हीरो बनते थे

गीतकार समीर के हैप्पी बड्डे पर पढ़िए उनकी जिंदगी के खास किस्से.

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आशुतोष चचा
24 फ़रवरी 2021 (Updated: 24 फ़रवरी 2021, 09:16 IST)
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साल 2004 में मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने थे. उसी साल एक और चीज हुई थी जिसने हिंदुस्तान के इतिहास पर असर डाला. तब मोबाइल इतना आम नहीं हुआ था. तो प्रेमी का ख़त आने पर लड़कियां उसे चूमकर सीने के किसी संवेदनशील कोने में सजा लेती थीं. जिन लड़कों की मूंछों पर पहली बार की हरियाली आनी जस्ट शुरू हुई थी. उन सबके लिए यादगार साल था ये. देश के किसी भी कोने में जाती ट्रेन में बीच में मांग खोले खास हेयर स्टाइल में लड़के नजर आते थे. इस पीढ़ी ने सलमान खान और भूमिका चावला की फोटो फ्रेम कराकर उसकी पूजा शुरू कर दी थी. इसी साल फिल्म आई थी 'तेरे नाम'. जिसके गाने हर प्रेम कहानी को मुकम्मल करते थे. लड़की का पीछा करने से लेकर दुखद अंत तक हर गाना उस पीढ़ी को रटा हुआ है. बस अतीत का बटन दबाकर प्ले करना पड़ेगा और रिकॉर्ड बजने लगेगा "तुमसे मिलना... बातें करना...बड़ा अच्छा लगता है."
प्रेमियों को ये संजीवनी गीतकार समीर अनजान ने सौंपी थी.
Image: Facebook
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समीर के किस्से कम मशहूर हैं लेकिन उनके गानों की तरह ही जानदार हैं. उनकी एक पंचलाइन है. "हर गीत के पीछे एक कहानी है." समीर का पैदा हुए तो नाम था शीतला पांडे. प्यार का नाम घर में मम्मी पापा ने रखा राजन. आगे चलकर समीर हो गए. इनके पापा कौन? उनके नाम भले अनजान (लाल जी पांडे) था लेकिन वो संगीत के शौकीनों के लिए अनजान नहीं हैं. अपने टाइम के टॉप गीतकारों में शुमार होता है उनका. तो समीर बताते हैं कि वो जो कुछ भी हैं अपने पिता की वजह से हैं. उन्होंने ही राह दिखाई. लेकिन इनके करियर के दिनों में पापा का नाम इनके काम के साथ जबरदस्ती चिपकाया जा रहा था. कहीं कहीं तो वह शक इतना बढ़ा कि अपनी क्रिएटिविटी प्रूव करने के लिए ऑन द स्पॉट गाना लिखना पड़ा.
ये दौर लंबा नहीं चला. 1983 में बेखबर फिल्म से करियर का आगाज़ हुआ. जब समीर ने अपने को साबित कर लिया तो आगे गिनीज बुक में सबसे ज्यादा गाने लिखने का रिकॉर्ड दर्ज करवा के भी नहीं रुके. पिछले साल 17 फरवरी को उनको ये सम्मान हासिल हुआ था. बीच में कभी कभी कंट्रोवर्सी का शिकार भी हुए. उन पर लिरिक्स चुराने का आरोप लगा. आदेश श्रीवास्तव ने उन पर इल्जाम लगाया था कि 'हमको दीवाना कर गए' का टाइटल सॉन्ग उनके लिरिक्स से कॉपी किया है. तो समीर ने कहा कि बोलने से क्या होगा, प्रूव करना पड़ेगा. डेमोक्रेसी है. कोई भी किसी के ऊपर कैसा भी आरोप लगा सकता है.
उदित नारायण के साथ, तस्वीर-फेसबुक
उदित नारायण के साथ, तस्वीर-फेसबुक

समीर ने लोगों को बनाया है. अलका यागनिक, उदित नारायण, कुमार शानू, सोनू निगम. इन सब लोगों को समीर के गीतों ने बनाया है. लेकिन समीर खुद क्या बनने चले थे? वही जिसकी तैयारी आज भारत का अधिकांश युवा कर रहा है. बैंकिंग की तैयारी. समीर की नौकरी तो बैंक में लग भी गई थी. इनके दादा बैंक में थे. पापा चाहते थे कि बेटा चार्टर्ड एकाउंटेंट बने. इसलिए कॉमर्स की मास्टर डिग्री भी दिलवाई. लेकिन बैंक में लग जाने के बाद समीर को लगा कि बड़ी पकाऊ जगह है यार. यहां जिंदगी का सबसे ज्यादा एक्टिव हिस्सा कैसे काटा जा सकता है? तो निकल लिए मुंबई.
आनंद मिलिंद की जोड़ी के साथ
आनंद मिलिंद की जोड़ी के साथ
इतने प्यारे गाने इनकी कलम से निकले कैसे? इसका राज समीर को उनके पापा ने बताया था. कहा था कि "तुम गाने नहीं लिखते. ये किसी का प्यार हैं. प्यार जब खयालों की शक्ल में ढलता है तो गानों के रूप में बाहर आता है." समीर की खुद की प्रेम कहानी का बड़ा जोर है उन्हें बनाने में. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि "कोई ऐसा नहीं जिसे प्यार न हुआ हो. सबको होता है, मुझे भी हुआ. लेकिन मुझे अपना करियर बनाने के लिए उसे छोड़कर जाना पड़ा. कामयाब होने के बाद लौटा तो वो नहीं थी. उसकी डेथ हो चुकी थी. मेरी सफलता में उसका बहुत बड़ा हाथ है. उसका नाम बताकर छवि धूमिल नहीं करूंगा."
देश के मक़बूल गीतकार समीर के फेवरेट हमपेशा कौन लोग हैं? समीर बताते हैं कि शैलेंद्र और साहिर लुधियानवी. उनसे काफी कुछ सीखा. और आनंद बख्शी के लिखे एक गाने से जलन जैसी है. चिट्ठी आई है, नाम फिल्म का. कहते हैं काश ऐसा गाना लिखने की सिचुएशन मुझे मिली होती.
अपनी बायोग्राफी पेश करते हुए
अपनी बायोग्राफी पेश करते हुए

सिचुएशन की बात की जाए तो समीर इंडस्ट्री के अंदर का एक भेद खोलते हैं. कान इधर लाओ, बताएं. गाने कैसे और किस सिचुएशन में लिखे जाते हैं? समीर के मुताबिक हर गीतकार के पास 90 परसेंट गानों का ऐसा कलेक्शन होता है जो कभी यूज नहीं होता. हर बार गाने लिखने का तरीका लगभग एक होता है. डायरेक्टर पूरी कहानी सुनाता है. उसमें मार्क करके बता देता है कि यहां यहां ये सीन हैं, ये सिचुएशन है और यहां एक गाना चाहिए. बस उसी पर लिख दिया जाता है. कई बार गाने की कंपोजीशन के समय वहीं बैठे बैठे लिरिक्स चेंज कराई जाती है. ये ऐसा है जैसे शैतान की बेगार. बहुत चैलेंजिंग काम है. लेकिन है तो काम ही, करना पड़ेगा.
संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के साथ
संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के साथ

नदीम श्रवण की जोड़ी समीर की फेवरेट संगीतकार जोड़ी है. उनके साथ काम का एक यादगार किस्सा समीर अक्सर सुनाते हैं. साजन फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी थी. लेकिन उसमें कोई टाइटल सॉन्ग नहीं था. पूरी फिल्म देखकर लग रहा था कि नहीं यार, इसमें टाइटल सॉन्ग तो होना ही चाहिए. लेकिन कहीं जगह नहीं मिल रही थी गाना डालने की. तो एक दिन नदीम श्रवण के साथ घूमते हुए "देखा है पहली बार साजन की आंखों में प्यार" की लिरिक्स दिमाग में आईं. संगीतकार जोड़ी को बताया, उनको पसंद आ गया. प्रड्यूसर को बताया तो उखड़ गए. कहा कि सलमान और माधुरी भला क्यों डेट्स देंगे इसे शूट करने के लिए? लेकिन प्रड्यूसर साब को बुलाया गया गाना सुनने के लिए. सलमान और माधुरी को भी. वो दोनों बड़े खुश हुए. शेड्यूल बना और सात घंटे के लगातार शूट के बाद गाना फिल्म में आ गया.
कायदे से कामयाब करियर की शुरुआत आशिकी से हुई. साल 1990 था. ये फिल्म केवल अपने गानों की वजह से हमेशा याद रखी जाएगी. फिर साजन, दीवाना, बेटा, दिलवाले, बरसात, राजा हिंदुस्तानी, संघर्ष, सिर्फ तुम, मन, कुछ कुछ होता है, धड़कन, कसूर, राज़, हां मैंने भी प्यार किया, तेरे नाम, धूम, भूल भुलैया, सांवरिया के गानों से लेकर हिमेश रेशमिया के तेरा सुरूर तक समीर का सुरूर कामयाब रहा. दीवाना और हम हैं राही प्यार के गानों के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड मिल चुका है. आज जवान हो चुकी पीढ़ी में शायद ही कोई ऐसा हो जिसने उनके गाने न गुनगुनाए हों. छोड़ते हैं आपको उनके एक गाने के साथ.
https://www.youtube.com/watch?v=Fb6kw36Ap-w


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