The Lallantop
Advertisement

इंडियन एयरफोर्स को और 'पावरफुल' बना देगा Tejas Mk1A, खूबियां जान आप भी यही कहेंगे!

वायुसेना को तेजस मार्क 1A की पहली डिलिवरी इस साल फरवरी में मिलनी थी. मगर सप्लाई चेन के दिक्कत की वजह से 9 महीनों की देरी के बाद HAL इस श्रेणी का पहला Fighter Jet अक्टूबर 2024 में Indian Airforce को सौंपेगा.

Advertisement
Tejas MK1A
वायुसेना को अक्टूबर में तेजस MK1A का पहला विमान मिलेगा (फोटो- आजतक)
pic
दिग्विजय सिंह
25 सितंबर 2024 (Updated: 26 सितंबर 2024, 14:51 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

भारतीय वायुसेना (Indian Air force) को इस साल अक्टूबर में पहला तेजस मार्क 1ए फाइटर जेट सौंप दिया जाएगा. भारत के इस स्वदेशी मल्टीरोल लाइट एडवांस एयरक्राफ्ट के अपग्रेडेड वर्जन का निर्माण हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited) की बेंगलुरु फेसिलिटी में किया गया है. IAF साल 2016 से ही तेजस के बेस मॉडल यानी मार्क 1 का इस्तेमाल कर रही है. तेजस मार्क वन को जहां मिग-21 विमानों के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है तो वहीं तेजस मार्क वन ए को मिग-29 और मिराज 2000 विमानों की जगह इस्तेमाल में लाया जाएगा. फरवरी 2021 में इंडियन एयरफोर्स ने 48000 करोड़ रुपये की लागत से 83 तेजस मार्क 1 ए की खरीद का ऑर्डर HAL को दिया था. यूरो एशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2024 में पहला फाइटर जेट एयरफोर्स को सौंपा जाना था, लेकिन सप्लाई चेन में दिक्कत की वजह से आपूर्ति में थोड़ी सी देर हो गई.

Tejas MK1 Vs Tejas Mk1A:

दोनों ही लड़ाकू विमानों को एडवांस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट प्रोग्राम (LCA) के तहत हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की शाखा 'एयरक्राफ्ट रिसर्च एंड डिजाइन सेंटर' और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी ने विकसित किया है. इनका उत्पादन HAL कर रहा है. दोनों ही मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट हैं. यानी इन्हें हवा से जमीन पर हमला करने (जिसमें बमबारी और मिसाइल अटैक दोनों शामिल हैं) के साथ-साथ दुश्मन के हवाई जहाजों संग हवा से हवा में लड़ाई (डॉग फाइट) के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

तेजस मार्क 1 और मार्क 1A, दोनों की लंबाई 13.2 मीटर, चौड़ाई 8.2 मीटर और ऊंचाई 4.4 मीटर है. यानी कि बाहर से दोनों एक जैसे ही दिखते हैं. लेकिन असली अंतर दोनों की काबिलियत में है. तेजस मार्क 1 की कॉम्बेट रेंज (जितनी दूरी तक जाकर वो हमला कर सकता है) 500 किलोमीटर है, जबकि तेजस मार्क 1A की कॉम्बैट रेंज 739 किलोमीटर है. तेजस मार्क 1 की पेलोड क्षमता (जितने वजन का हथियार लेकर उड़ सकता है) 3500 किलोग्राम है. जबकि तेजस मार्क 1A की पेलोड कैपेसिटी 4000 किलोग्राम है. दोनों ही वर्जन की अधिकतम गति 1.8 मैक (2222.64 किमी प्रति घंटा) है. तेजस मार्क 1 में 8 हार्डपॉइंट (जहां बाहरी बम, मिसाइल और फ्यूलटैंक लगाया जाता है) हैं. जबकि तेजस मार्क 1A में 9 हार्डपॉइंट लगे हैं.

इस्तेमाल होने वाले हथियार:

तेजस मार्क 1 में 23 मिमी की दो बैरल वाली जीएसएच-23 तोप लगी हैं. अगर लंबी दूरी की मिसाइलों की बात करें तो मार्क 1, विम्पेल आर-73, डर्बी बीवीआर-एएएम से लैस है. इसके अलावा इसमें ब्रह्मोस-एनजी और ब्रह्मोस-एनजी एंटी शिप जैसी एयर टू सरफेस और एंटी टैंक मिसाइलें लगी हैं. साथ ही साथ मार्क 1 में लेज़र गाइडेड बम, ग्लाइड बम और क्लस्टर वेपन भी लगाए गए हैं. तेजस मार्क 1 में लगे इस सभी हथियारों के साथ-साथ तेजस मार्क 1A में बियॉन्ड विजुअल रेंज वाली हवाई लड़ाइयों के लिए इंडीजिनियस एयर टू एयर मिसाइल अस्त्रा और नजदीकी डॉग फाइट के लिए Python 5 और ASRAAM मिसाइलें लगी हैं. तेजस मार्क 1A में बेहतर क्वालिटी के सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर लगे हैं जो दुश्मन के रडार सिग्नल को बेहतर ढंग से चकमा देने में सक्षम हैं. जबकि इसके एडवांस इलेक्ट्रॉनिक काउंटर मेजर्स दुश्मन की मिसाइलों को चकमा देने की काबिलियत रखते हैं.

डिफेंस एक्सपी की रिपोर्ट के मुताबिक अगर तेजस मार्क वन से तुलना की जाए तो मार्क 1 ए में करीब 40 अपग्रेड किये गए हैं.

Enhanced Situational Awareness: 

पायलट को कॉकपिट में बैठे बैठे अपने आसपास की माहौल की बेहतर समझ हो सके, इसके लिए एयरोडायनेमिक्स में सुधार के साथ साथ कैनोपी (कॉकपिट की शीशे वाली छत का हिस्सा) को थोड़ा बड़ा किया गया है.

बेहतर  एवियोनिक्स: 

तेजस मार्क 1A में फिलहाल इजरायल के बनाए हुए ईएल/एम-2025 एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार लगाए गए हैं. जल्दी ही इन्हें अपने देश में बने उत्तम AESA रडार से बदल दिया जाएगा. AESA रडार 150 से 200 किमी दूर से ही दुश्मन के 20 से ज्यादा टारगेट को एक साथ पहचान सकता है और उन पर निशाना साध सकता है. इसके बाद जैसे ही टारगेट फाइटर जेट में मौजूद मिसाइलों की रेंज में आता है, उस पर हमला किया जा सकता है.

इन सबके अलावा कॉकपिट के एयर कंडीशन और ऑक्सीजन प्रोडक्शन यूनिट में भी सुधार किया गया है. जिसके बाद पायलट का कंफर्ट लेवल पहले की तुलना में काफी बेहतर होगा और वो अपने टारगेट पर बेहतर ढंग से फोकस कर सकेगा. तेजस मार्क 1A में 65 प्रतिशत कलपूर्जे स्वदेश निर्मित हैं, जबकि तेजस मार्क 1 में यह आंकड़ा 58 फीसदी है. 

वीडियो: रखवाले: तेजस विमानों की खरीद से इंडियन एयरफोर्स को कितना फायदा होगा?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement