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सदी की सबसे बड़ी खोज होगी, ऐसा कोरियन जो किम्छी न खाता हो

एक ऐसी डिश जिसके बिना कोरियन रह ही नहीं सकते, सत्यांशु बता रहे हैं 'कोरिया कागज' में

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लल्लनटॉप
27 नवंबर 2016 (Updated: 27 नवंबर 2016, 05:35 IST)
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साउथ कोरिया. यहां से लगभग पांच हजार किलोमीटर दूर. कोरिया हमारे लिए क्या है? सैमसंग और किम्छी? वो जगह जहां के मर्द भी मेकअप में खूब हाथ आजमाते हैं. लेकिन अब कोरिया को और पास से जानने का मौक़ा है. सत्यांशु दी लल्लनटॉप के दोस्त हैं. JNU के कोरियाई अध्ययन केंद्र में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं.अभी कोरिया फ़ॉउंडेशन रिसर्च फेलो के तौर पर सौउल नेशनल यूनिवर्सिटी, साउथ कोरिया में काम कर रहे हैं. कोरियाई साहित्य और अनुवाद इनकी रिसर्च के सब्जेक्ट्स हैं. घूमने-फिरने, तस्वीरें लेने और क्रिकेट​ में दिलचस्पी रखते हैं. सत्यांशु हमारे लिए कोरिया के हाल लिख भेजते हैं. क्योंकि चिट्ठी साउथ कोरिया से आती है. इसलिए नाम है कोरिया कागज. आज पढ़िए तीसरी किस्त. और आज बात किम्छी की जिसका नाम हमने आपने भी सुन ही रखा है. सत्यांशु आज की किस्त में किम्छी का सारा स्वाद समेट लाए हैं.
Satyanshu

से चीज़ नहीं से 'किम्छी'!

कोरियन लोग जब फ़ोटो खिंचाते हैं तो 'चीज़' नहीं 'किम्छी' बोलते हैं. कोरिया को किम्छी लैंड के नाम से भी जाना जाता हैं. किम्छी और कोरिया को अलग नहीं किया जा सकता.

तो है क्या ये बला? आओ जानें

किम्छी कोरिया के सबसे परंपरागत फूड्स में से एक है. एक तरह से नेशनल फूड ही मान लो. ये एक किण्वित खाद्य पदार्थ यानि फरमेंटेड फूड है. कई तरह की तरकारी भाजी से बनाया जाता है पर मुख्यत: पत्ता गोभी (नापा कैबेज) का बनता है जिसे 'बेछू किम्छी' कहते हैं. पत्ता गोभी के पत्तों में नमक, लाल मिर्च, अदरक, लहसुन का पेस्ट और बारीक कटा हरा प्याज़ और मूली इत्यादि का लेप लगाकर इसे फरमेंट होने के लिए 3 से 5 दिन के लिए छोड़ दिया जाता है. (पूरी रेसिपी के लिए आप समझदार हैं, गूगल कर सकते हैं) किम्छी बनाने की इस क्रिया को 'किमजांग' कहते हैं और इसे UNESCO ने 2013 में Intangible Cultural Heritage of Humanity
यानि मानव सभ्यता की अप्रत्यक्ष सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्वीकार किया.
किमजांग करती हुई कोरियाई महिलाएं
किमजांग करती हुई कोरियाई महिलाएं

वैसे तो साइड डिश की श्रेणी में आती है जैसे हम भारतीयों के लिए अचार होता है पर कोरियन लोगों के लिए एकदम मेन डिश ही है. समझ लो कि किम्छी के बिना खाना अधूरा. कुछ भी त्याग सकते हैं कोरिअन्स पर किम्छी नहीं. बताते हैं कि वियतनाम वॉर के समय कोरियाई राष्ट्रपति पार्क चौंग ही ने अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी जॉनसन से रिक्वेस्ट की थी कि हमारे सैनिकों को खाने में किम्छी ज़रूर उपलब्ध कराई जाए. उनका कहना था कि ये कोरियाई सैनिक बल के मोराल बूस्ट के लिए बहुत ही आवश्यक है.
इतना ही नहीं, 2008 में, कोरिया की पहली महिला एस्ट्रॉनॉट, ई सो-यौन, जब अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा पर जा रहीं थीं तो सवाल था की बिना किम्छी के कैसे रहेंगी स्पेस में? इसके लिए किम्छी पर भारी रिसर्च हुई और बताते हैं कि किम्छी को स्पेस फ़ूड बनाने के लिए कोरिया ने कई मिलियन डॉलर खर्च किए. आपको अगर कोई ऐसा कोरियन मिले जो किम्छी न खाता हो तो तत्काल इसकी सूचना दें, ये इस सदी की सबसे बड़ी खोज हो सकती है. किम्छी कोरियाई संस्कृति का प्रतीक है और लोगों के सामाजिक जीवन में भी बड़ी अहमियत रखता है. किसी को अपने घर आमंत्रित करते हुए "इस बार किम्छी बड़ी स्वादिष्ट बनी है हमारे घर ज़रूर पधारे", मेज़बानी करते हुए "माफ़ कीजिए आपको स्वादिष्ट किम्छी नहीं खिला पाया" जैसी भावाभिव्यक्तियां इसे दर्शाती हैं.
पर अब किम्छी ग्लोबल हो चुकी है और दुनिया भर में लोग इसे खा रहे हैं. अमेरिका की फर्स्टं लेडी मिशेल ओबामा ने तो अपने गार्डन में नापा कैबेज उगाए, उसकी किम्छी बनाई और ट्विटर पे फ़ोटो भी शेयर की. किम्छी पर रिसर्च के लिए और इसे एक ग्लोबल प्रोडक्ट बनाने के लिए कोरियाई सरकार ने बाक़ायदा एक रिसर्च सेंटर की स्थापना भी कर दी. जिसे World Institute of Kimchi के नाम से जाना जाता है.
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मौसम, स्थान और इंग्रीडिएंट्स के आधार पर किम्छी के 180 से अधिक प्रकार मौजूद हैं. बेछू किम्छी (पत्ता गोभी किम्छी), काक्तूगी (मूली किम्छी), ओइसोबागी (खीरा किम्छी) और फा किम्छी (हरा प्याज़ किम्छी) आदि मुख्य रूप से लगभग हर जगह मिलती हैं. उत्तरी कोरिया चूंकि ज़्यादा ठंडा रहता है वहां की किम्छी में नमक और मिर्च की मात्रा कम रहती है वहीं दक्षिणी भाग की किम्छी में नमक, मिर्च और सीफ़ूड (अन्चोवी, श्रिम्प) सीज़निंग अधिक होती है.
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बेछू किम्छी (पत्ता गोभी किम्छी), काक्तूगी (मूली किम्छी), ओइसोबागी (खीरा किम्छी) और फा किम्छी (हरा प्याज़ किम्छी)

किम्छी का इतिहास

कोरिया नार्थ ईस्ट एशिया में है और यहां कड़ाके की ठण्ड पड़ती है. 70 % क्षेत्र पहाड़ी हैं और उपजाऊ ज़मीन बहुत कम. इस वजह से फ़ूड प्रिजर्वेशन यहां की एक अहम ज़रूरत रहा है. इस क्षेत्र के लोग शुरू से ही सब्ज़ियों की सॉल्टिंग वगैरह में माहिर थे. न सिर्फ़ पिकल, सोयाबीन को प्रिज़र्व कर सोयाबीन पेस्ट और सोयाबीन सॉस भी बनाते थे. किम्छी बनाने की तकनीक भी यहीं से पैदा हुई. बताया जाता है कि किम्छी बनाने की शुरुआत 7वीं शताब्दी में हुई. किम्छी के बारे में पहला लिखित रिकॉर्ड 'कोर्यो' कालावधि (918-1392) में मिलता है और माना जाता है कि उसी काल में किम्छी बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की सब्ज़ियों का प्रयोग भी शुरू हुआ. पारंपरिक तौरतरीके से बनाई गयी किम्छी को मिट्टी के घड़ों में डालकर ज़मीन के अंदर दबाकर फ़रमेन्ट किया जाता है. आजकल विज्ञान ने तरक्की कर ली है और मार्किट में स्पेशल 'किम्छी रेफ्रीजिरेटर' उपलब्ध हैं. अब किम्छी बनाने समय नहीं लगता. हर घर में एक अलग किमची रेफ्रीजिरेटर होता है.
किमची रेफ्रीजिरेटर
किमची रेफ्रीजिरेटर

किम्छी के फ़ायदे

फ़ायदे तो इतने हैं की पूछो मत. सुपर फ़ूड है किम्छी.
कोरियाई लोग करीब औसतन 40 पाउंड (18 किलो) किम्छी खाते हैं साल भर में. और कितने फुर्तीले और कमेरू होते हैं ये तो सबको पता ही है. कई लोगों का मानना है कि उनकी एनर्जी का राज़ ही किम्छी है. किम्छी में विटामिन A, B, C भरा पड़ा है कैल्शियम और आयरन भी है. पर इसकी सबसे बड़ी खूबी है इसका हैल्थी बैक्टीरिया, लैक्टोबैसीली. यह वही बैक्टीरिया है जो दही में भी होता है और निहायती फ़ायदेमंद है. पाचन में मदद करता है और यीस्ट इन्फ़ेक्शन से बचाव भी करता है. 2003 में जब SARS फैला था पूरे एशिया में तब यहां के लोगों का मानना था कि किम्छी उन्हें इन्फेक्शन से बचा सकती है, हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं था, लेकिन किम्छी की बिक्री 40% तक बढ़ गई थी. 2014 में जर्नल ऑफ़ मेडिसिनल फ़ूड में छपी एक स्टडी के मुताबिक किम्छी में गुणों का भंडार है और नीचे दी गयी चमत्कारिक प्रॉपर्टीज हैं इसमें.
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जब मैं कोरिया आया था पहली बार, मेरे लिए बहुत मुश्किल था किम्छी खाना. फरमेंटेड फ़ूड होने के कारण इसकी एक टिपिकल महक है जो मेरे लिए काफ़ी अजीब थी. पर धीरे धीरे खाना सीख गया. मैं मानता हूं कि हर जगह की आबोहवा के हिसाब से वहां का खान पान होता है और अगर आप वहां लंबे समय से रह रहें हैं तो आपको उसे अपना लेना चाहिए. ये आपके के लिए ही सेहतमंद सिद्ध होता है. और अब तो किम्छी मेरे फेवरेट फ़ूड्स में से एक है. अब जब इंडिया जाता हूं तो कभी-कभी मेरे दोस्त सब बोलते हैं कि तू कोरियन किम्छी जैसा महक रहा है. शायद कोरियाई कल्चर और ट्रेडिशन में मैं भी थोड़ा फ़रमेन्ट हो गया हूं.

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