Canada-India संबंधों का इतिहास, क्या 'खालिस्तान' के मुद्दे ने सब ख़राब कर दिया है?
Canada PM Justin Trudeau ने निज्जर की हत्या का भारत से लिंक बताया, ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत रोकी, खालिस्तान पर भारत की बात क्यों नहीं मानी? इसके पीछे की पूरी कहानी...
‘खालिस्तानी आतंकी’ (Khalistani Terrorist) हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) की हत्या में भारत की संलिप्तता है. ऐसा आरोप लगा कनाडा (Canada) ने भारत (India) के एक टॉप डिप्लोमैट को कनाडा से निष्कासित किया था. कनाडा के इस आरोप को भारत सरकार ने सिरे से खारिज किया है. कहा है कि कनाडा में हिंसा के किसी भी कृत्य में भारत सरकार की संलिप्तता के आरोप बेतुके और प्रेरित हैं. 19 सितंबर को भारत सरकार की ओर से कनाडा के उच्चायुक्त को भी तलब किया गया. साथ ही कनाडा के एक सीनियर डिप्लोमेट को निष्कासित करने की जानकारी दी गई. निष्कासित डिप्लोमेट को अगले पांच दिन के भीतर भारत छोड़ने के लिए कहा गया है.
हरदीप सिंह निज्जर को भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने भगोड़ा और आतंकवादी घोषित कर रखा था. इसके अलावा राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से निज्जर पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था. जून 2023 में कनाडा के सर्रे शहर में निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
इन्हीं घटनाओं के बीच कनाडा और भारत के रिश्ते काफी वक़्त से तनावपूर्ण हैं. महीने की शुरुआत में ही कनाडा ने भारत के साथ ट्रेड डील को लेकर बातचीत रोक दी थी. कनाडा की व्यापार मंत्री मैरी एनजी ने अक्टूबर में होने वाले अपने भारत व्यापार मिशन को स्थगित कर दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स में इसे भारत और कनाडा के राजनयिक रिश्तों में बढ़ते तनाव से जोड़ा गया.
सवाल ये है कि भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों की इस कड़वाहट के पीछे ‘खालिस्तान’ कितना बड़ा मुद्दा है. इसे समझते हैं.
भारत और कनाडा के रिश्ते-16 लाख भारतीय मूल और सात लाख NRIs की आबादी के साथ, कनाडा सबसे ज्यादा भारतीय प्रवासियों वाला देश है. जो इसकी कुल आबादी के 3 फीसद से ज्यादा हैं. भारतीय प्रवासी मुख्य रूप से ग्रेटर टोरंटो क्षेत्र, ग्रेटर वैंकूवर क्षेत्र, मॉन्ट्रियल (क्यूबेक), कैलगरी (अल्बर्टा), ओटावा (ओंटारियो) और विन्निपेग (मैनिटोबा) में बसे हैं.
राजनीति के क्षेत्र में, विशेष रूप से, कनाडा के निचले सदन, 'हाउस ऑफ कॉमन्स' में कुल 338 सदस्य होते हैं. इनमें 19 भारतीय मूल के संसद सदस्य हैं. साथ ही सरकार में भारतीय मूल के तीन मंत्री शामिल हैं: राष्ट्रीय रक्षा मंत्री, अनीता आनंद; अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री, हरजीत एस. सज्जन; और वरिष्ठ नागरिक मंत्री, कमल खेड़ा.
इसके अलावा कनाडा और भारत के बीच शिक्षा के क्षेत्र में भी बेहतर समझ है. कई एग्रीमेंट साइन किए गए हैं. हालिया आंकड़ों के अनुसार कनाडा में 2,30,000 भारतीय पढ़ाई कर रहे हैं. इस तरह कनाडा में अलग-अलग देशों से पढ़ने के लिए आने वाले स्टूडेंट्स की संख्या में भारत टॉप पर है.
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अब बात राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर के संबंधों की. भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक रिश्ते 1947 से ही कायम हैं. साल 2009 में कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्टीफेन हार्पर भारत आए थे. अगले साल भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कनाडा गए. 2012 में स्टीफेन फिर भारत आए. इस दौर से पहले और बाद में भी भारत और कनाडा के बीच, कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समझौते हुए. दोनों देश व्यापारिक साझेदार भी हैं. भारत कनाडा का दसवां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. लेकिन खालिस्तानी अलगाववादी मूवमेंट को लेकर कनाडा का भारत के लिए रुख बहुत सहयोगपूर्ण नहीं रहा है.
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'खालिस्तान', भारत और कनाडाकनाडा से खालिस्तानी मुद्दे को लेकर तनाव के तार कुछ 38 बरस पुराने हैं. एक घटनाक्रम से समझिए. एयर इंडिया फ्लाइट 182 ने 23 जून 1985 को कनाडा के टोरंटो से भारत के मुंबई के लिए उड़ान भरी थी. ये एक बोइंग विमान था जिसका नाम कुषाण वंश के प्राचीन भारतीय सम्राट के नाम पर 'सम्राट कनिष्क' रखा गया था.
विमान ने टोरंटो से उड़ान भरी, कनाडा के मॉन्ट्रियल में रुका जहां से उसने लंदन पहुंचने के लिए उड़ान भरी. लेकिन विमान कभी लंदन नहीं पहुंचा. इसमें आयरलैंड के तट के पास हवा में विस्फोट हो गया, जिससे उसमें सवार सभी 329 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मौत हो गई.
यह कनाडा से जुड़ी सबसे भीषण हवाई आपदा थी. कनाडा प्रशासन की जांच में सुराग मिले कि ये गतिविधियां ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में खालिस्तानी समर्थकों ने की थीं. इस केस में कनाडा सरकार ने बहुत स्लो एक्शन लिया, यहां तक कि मुख्य आरोपी 2005 में छूट गया. और सिर्फ एक आदमी को सजा हो पाई.
हालिया घटनाक्रम भी इस बात की पुष्टि करते हैं. साल 2022 में, भारत ने कनाडा द्वारा सिख डायस्पोरा में खालिस्तानी अलगाववादी जनमत संग्रह की अनुमति देने पर आपत्ति जताई थी, और यहां तक कि कनाडा में यात्रा करने के खिलाफ एक एडवायजरी भी जारी की थी. जिसमें हेट क्राइम पर बात हुई थी. कनाडा ने उस वक्त इस पर सफाई देते हुए कहा था कि ये अभिव्यक्ति की आजादी के तहत हो रहा है. हालांकि अभी सितंबर में ही कनाडा ने एक स्कूल में खालिस्तानी रेफरेंडम को लेकर होने वाली एक्टीविटीज पर सरकारी अनुमति वापिस ले ली थी.
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ट्रेड डील वाला मामला भी समझना जरूरी है. साल 2010 में दोनों देशों के बीच ट्रेड डील को लेकर पहली बार बात शुरू हुई थी. साल 2022 में फिर से इस समझौते के लिए नेगोशिएशन शुरू हुआ. इसे Comprehensive Economic Partnership Agreement यानी CEPA कहते हैं. मार्च-2022 में बातचीत में तेजी लाने के लिए दोनों देशों के बीच अंतरिम समझौते- अर्ली प्रोग्रेस ट्रेड एग्रीमेंट (EPTA) के लिए बातचीत फिर से शुरू हुई. ऐसे समझौतों में, दो देश अपने बीच व्यापार पर टैक्स को काफी कम या ख़त्म कर देते हैं. निवेश बढ़े इसलिए व्यापार की शर्तें भी लचीली रखी जाती हैं. नवंबर 2022 में ही कनाडा ने इंडो पैसिफिक पॉलिसी भी लॉन्च की, जिसमें उसने भारत को महत्वपूर्ण पार्टनर और चीन को तेजी से विघटन की ओर बढ़ने वाली ताकत कहा था. लेकिन इधर G20 लीडर्स के समिट के बाद, ट्रूडो कनाडा वापस लौटे. और कनाडाई वाणिज्य मंत्री मैरी एनजी के प्रवक्ता के हवाले से 15 सितंबर को खबर आई कि कनाडा ने भारत से द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत रोक दी है.
कनाडा में चल रही भारत विरोधी खालिस्तानी गतिविधियों, कनाडा में होने वाले खालिस्तानी प्रदर्शनों पर कनाडा का रुख है- ‘हम फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन का सम्मान करते हैं.’
PM मोदी से मुलाकातG20 Summit के दौरान PM मोदी (PM Narendra Modi) और कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) की अलग से भी मुलाकात हुई थी. इस दौरान PM मोदी ने सख्त लहजे में कनाडा में चरमपंथी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों को लेकर चिंता जताई. कहा कि इस तरह के खतरों से निपटने और भारत-कनाडा संबंधों की प्रगति के लिए आपसी सम्मान और विश्वास जरूरी है.
PM मोदी ने ट्रूडो को कनाडा में चरमपंथी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों के बारे में बताया था. कहा कि वो अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं, भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं, राजनयिक परिसरों, पूजा स्थलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और कनाडा में भारतीय समुदाय को धमकी दे रहे हैं. PM मोदी ने जोर दिया कि इन ताकतों का संगठित अपराध, ड्रग सिंडिकेट और मानव तस्करी गिरोहों से मेलजोल, कनाडा के लिए भी चिंता का विषय होना चाहिए.
वहीं, ट्रूडो से जब पूछा गया कि खालिस्तानियों के संबंध में मीटिंग में क्या बात हुई. इस पर ट्रूडो ने पत्रकारों से कहा कि कनाडा अभिव्यक्ति की आजादी, अंतरात्मा की स्वतंत्रता ( freedom of conscience) और शांतिपूर्ण विरोध की स्वतंत्रता की रक्षा करेगा. और ये हमारे लिए सबसे जरूरी है.
ये भी कहा कि ‘हम हिंसा को रोकने और नफरत के खिलाफ कदम उठाने के लिए हमेशा मौजूद हैं. ये भी याद रखना जरूरी है कि कुछ लोगों की हरकतें पूरे समुदाय या कनाडा का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं.’
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