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बिना पूरी जांच किए कनाडा ने लगाए थे भारत पर आरोप, निज्जर की हत्या के सीसीटीवी फुटेज से हुआ खुलासा

कनाडा के खिलाफ भारत को श्रीलंका का साथ कैसे मिल गया?

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कनाडा में बैठे खालिस्तान समर्थक नेता बड़े पैमाने पर भारतीय युवाओं को बरगलाकर खालिस्तानी बना रहे हैं.
26 सितंबर 2023 (Updated: 26 सितंबर 2023, 22:12 IST)
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आज कनाडा और मणिपुर पर बात होगी. कनाडा में बैठे खालिस्तान समर्थक नेता कैसे भारतीय युवाओं को बरगलाकर-भड़काकर कनाडा बुला रहे हैं, कैसे वो उनका खालिस्तान के प्रॉपगंडा के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, और कैसे कनाडा ने निज्जर के मर्डर की अधकचरी जांच करके भारत पर दोष मढ़ दिया था? कनाडा के सेक्शन में इन खबरों पर बात करेंगे और बात करेंगे मणिपुर की. मणिपुर जहां इंटरनेट की सुविधा बहाल होते ही दो मैतेई युवाओं की डेडबॉडी की तस्वीरें वायरल हो गईं, उनकी गुमशुदगी के दो महीने बाद. और ये तब और जरूरी हो जाता है, जब पुलिस ने साफ कार्रवाई करने से मना कर दिया हो.

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर का कनाडा में 18 जून को मर्डर हुआ था. अब उसकी मौत का वीडियो आ गया है. 90 सेकंड के इस वीडियो को कनाडा की एजेंसियों ने जांचकरने वालों के साथ शेयर किया. और डीटेल छापी है अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने. निज्जर के मर्डर का ये वीडियो गुरुद्वारे के cctv कैमरे से रिकार्ड किया गया है. वही गुरुद्वारा, जिसमें निज्जर कथित तौर पर काम करता था. इस वीडियो में ये साफ दिख रहा है कि निज्जर अपनी ग्रे कलर की ट्रक में पार्किंग स्पॉट से निकलता है. तभी फ्रेम में एक सफेद रंग की कार सामने आती है. वो कार निज्जर की कार के बराबर चलने लगती है. निज्जर अपने ट्रक की स्पीड बढ़ा देता है. सफेद कार की भी स्पीड बढ़ जाती है. दोनों कारें एक दूसरे से लगभग साइड से सट जाती हैं. जैसे ही ट्रक पार्किंग से निकलने वाला होता है, वैसे ही सफेद कार निज्जर के ट्रक को ओवरटेक करती है. और ट्रक के सामने आकर रुक जाती है. इससे निज्जर को भी अपना ट्रक रोकना पड़ता है.

जैसे ही निज्जर का ट्रक रुकता है, पास में ही छांव में छुपे हुए दो हमलावर सामने आते हैं. दोनों हुड वाली स्वेट्शर्ट पहने हुए हैं. दोनों अपने पिस्टल निज्जर के ऊपर तान देते हैं. और गोलियां चला देते हैं. गोलीबारी के बाद सफेद कार भाग जाती है. हमलावर भी भाग जाते हैं. ये पूरा अटैक झटके में किया गया नहीं, बल्कि प्लान किया गया अटैक दिखाई देता है.

खबर को मानें तो निज्जर पर लगभग 50 से ज्यादा राउंड गोलियां चलाई गई थीं. इनमें से कुल 34 गोलियां निज्जर के शरीर से बरामद हुई थीं. जहां गोलीबारी हुई, वहीं से लगभग 100 मीटर दूर गुरुद्वारे के स्वयंसेवक मलकीत सिंह फुटबॉल खेल रहे थे. उन्होंने अखबार से बातचीत में बताया कि उन्होंने दो हमलावरों को भागते हुए देखा. मलकीत ने उनका पीछा करना शुरु किया. मलकीत उन्हें पहचान नहीं पाए थे लेकिन वो इतना देख सके कि हमलावरों ने सिखों का पारंपरिक हुलिया बना रखा था. पगड़ी बांध रखी थी और चेहरे पर मास्क लगाकर रखा हुआ था. जब मलकीत हमलावरों के पीछे भाग रहे थे, तो उनमें से एक हमलावर ने मलकीत पर बंदूक तान दी. फिर दोनों सामने खड़ी एक सिल्वर कलर की कार में बैठकर फरार हो गए. मलकीत ने बताया कि सिल्वर कार में तीन लोग पहले से बैठे हुए थे.

पोस्ट की खबर में केवल हत्या की डीटेल ही नहीं बताई गई है. इस खबर में ये भी बताया गया है कि निज्जर की मौत के बाद जो जानकारी गवाहों और बाकी लोगों ने पुलिस और जांच एजेंसी को दी थी, उनके आधार पर कनाडा पुलिस ने जांच भी नहीं की. कैसे तथ्य की जांच? सिल्वर कार की जांच, हमलावरों की शिनाख्त. दरअसल जिस सिल्वर रंग की कार से हमलावर भागे थे, उसके बारे में कनाडा की जांच एजेंसियों ने इश्तहार छापकर लोगों से पूछा था कि आप इस कार के बारे में जानते हैं तो हमें बताएं. लेकिन जब पोस्ट की टीम ने उस रास्ते के लगभग 39 घरों का दौरा किया, जिस रास्ते से सिल्वर कार फरार हुई थी, घरों में रह रहे अधिकांश लोगों ने कहा कि उनसे पुलिस ने पूछताछ ही नहीं की.

इसके अलावा स्थानीय लोगों ने कहा है कि निज्जर को लंबे समय से जान का खतरा बना हुआ था. उस पर नज़र रखी जा रही थी. एक बार निज्जर के कार के मकैनिक को निज्जर की कार में ट्रैकिंग डिवाइस भी मिला था. इसकी मदद से ये पता चल जाता था कि निज्जर कहां-कहां जाता था. कुछ अधिकारियों ने निज्जर को पहले भी बताया था कि उसे मारा जा सकता है, लेकिन इससे अधिक कोई भी जानकारी निज्जर को नहीं दी गई थी. निज्जर की मौत के बाद कनाडा के अधिकारियों ने अमरीका की मदद से जांच की. इस जांच में उन भारतीय अधिकारियों की आपसी बातचीत को Intercept किया गया, जो कनाडा की जमीन पर मौजूद थे. इसके बाद कनाडा सरकार ने भारतीय एजेंसियों पर निज्जर के मर्डर का इल्जाम लगाया.

लेकिन इल्जाम लगाकर कोरम पूरा करने के बजाय कनाडा की सरकार अपनी धरती पर हो रही गतिविधियों पर नजर रखती तो शायद स्थितियां अलग होतीं. हम किन गतिविधियों की बात कर रहे हैं? पंजाब से युवाओं की भर्ती कराने की गतिविधि. जी. दरअसल इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से खबर छापी है कि कनाडा में बैठे खालिस्तानी नेता पंजाब में मौजूद सिख युवाओं को बरगलाते हैं, उन्हें भर्ती करने के लिए तमाम तरीके के लालच देते हैं, ताकि ये युवा आगे चलकर इन खालिस्तानी नेताओं के लिए काम करें.

सूत्रों ने तीन नाम प्रमुखता से लिए हैं  - हरदीप सिंह निज्जर, मोनिन्दर सिंह बुआल और भगत सिंह बराड़. ये लोग पंजाब के युवाओं को कनाडा बुलाने के लिए छोटी-मोटी नौकरियों का लालच देते रहे हैं. इन नौकरियों में प्लंबर, ट्रक ड्राइवर और गुरुद्वारों में सेवादार जैसी भूमिकाएं शामिल होती हैं. जब ये युवा कनाडा जाने के लिए रेडी हो जाते हैं, तो ये खालिस्तानी नेता ही इनके वीज़ा और कनाडा आने का खर्च उठाते हैं.

जब नौकरी और बेहतर ज़िंदगी के लालच में ये लोग कनाडा चले जाते हैं, वहां पर बैठे खालिस्तानी इन युवाओं को खालिस्तान समर्थक गतिविधियों की ओर पुश करते हैं. इनसे कहा जाता है कि खालिस्तान समर्थक आंदोलनों में हिस्सा लो. ऐसे आंदोलन-प्रदर्शन अमूमन दूतावासों और उच्चायोग के बाहर होते हैं. यही नहीं. इन खालिस्तानी नेताओं के निशाने पर भारतीय मूल के वो छात्र भी होते हैं, जिन्होंने कनाडा में पढ़ाई पूरी कर ली, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिल सकी है. इन्हें भी छोटी-मोटी नौकरियों का लालच देकर साथ मिला लिया जाता है.

लेकिन यहां पर ये सवाल उठता है कि ये लोग काम करते कैसे हैं? इतना रसूख कैसे बनता है. सूत्रों के मुताबिक, खालिस्तानी नेता कनाडा के सरे, ब्रैम्पटन और एडमंटन के इलाके में लगभग 30 गुरुद्वारे कंट्रोल करते हैं. युवाओं को इंडिया से कनाडा बुलाने वाले नेता अपनी इसी स्थानीय रसूख का इस्तेमाल करते हैं.

इसके अलावा कुछ युवाओं को बुलाने के लिए उन्हें नौकरी का लालच भी नहीं देना पड़ता है. अमृतसर में मौजूद एक खालिस्तान समर्थक पार्टी 1 से 2 लाख रुपये लेकर लोगों को एक लेटर जारी करती है. इस पार्टी का नाम अभी तक सामने नहीं आ सका है. ये लेटर कनाडा सरकार के नाम पर लिखा जाता है और कहा जाता है कि हमें कनाडा में शरण दे दीजिए, क्योंकि भारत में राजनीतिक आधार पर हमें निशाना बनाया जा रहा है. यानी Political persecution. कुछ केसों में ऐसी अर्जियां स्वीकार कर ली जाती हैं. फिर ये लोग भी कनाडा जाते हैं, और खालिस्तान को सपोर्ट करने वाली गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं.

इसके अलावा गिव-एंड-टेक टाइप के काम भी किए जाते हैं. कनाडा में बैठे खालिस्तानी नेता पंजाब में हिट जॉब लेते हैं, यानी ठेके पर हत्या करना, या छिटपुट हमले करवाना. इसके बदले में पंजाब में बैठे हैंडलर युवाओं को कनाडा भेजते हैं. युवाओं को कनाडा में हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दी गई है, इस बात के वीडियो साक्ष्य भारत सरकार ने कनाडा को 2016 और 2018 में ही सौंपे थे, कनाडा ने कोई कार्रवाई नहीं की.

लेकिन खालिस्तान समर्थकों की ये ह्यूमन ट्रैफ़िकिंग की एक्टिविटी ही नहीं है, जिस पर कनाडा को ध्यान देना चाहिए. कनाडा में बीते 24 घंटों में भारत के खिलाफ भयानक प्रोटेस्ट हुए हैं. और भारतीय मूल के लोगों को धमकाया जा रहा है. और कनाडा की पुलिस पर आरोप हैं कि वो कोई एक्शन नहीं ले रही है. पहले प्रोटेस्ट की बात. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 25 सितंबर को टोरंटो में भारतीय दूतावास और वैंकूवर में भारतीय वाणिज्यिक दूतावास के बाहर खालिस्तान समर्थकों के प्रोटेस्ट देखने को मिले. ये प्रदर्शन सिख फॉर जस्टिस नाम के संगठन के कहने पर आयोजित किए गए थे. इन आयोजनों से कैसी खबरें आईं?
- भारत के झंडे जलाए गए
- भारत विरोधी नारे लगाए गए
- पीएम मोदी की तस्वीरों पर जूते मारे गए

प्रोटेस्ट की बात हो गई. अब धमकी की बात. कनाडा के कई इलाकों से इस तरह की भी खबरें आई हैं कि भारतीय मूल के लोगों को खालिस्तान समर्थक धमकी दे रहे हैं. वहां मंदिर के ट्रस्ट अपने-अपने इलाकों और मंदिरों की रक्षा कर रहे हैं. रक्षा इसलिए क्योंकि बीते कुछ महीनों में कई मंदिरों पर हमले किये गए थे. हमला करने में नाम आया था प्रो खालिस्तान एक्सट्रीमिस्ट ग्रुप्स  यानी PKEs का. यानी छोटे-छोटे खालिस्तान समर्थक गुट. इन गुटों ने अपने बढ़ते दबदबे से उत्साहित होकर वहां अल्पसंख्यक हिंदुओं को पहले ही धमाकाना शुरु कर दिया था. मंदिरों को भी नुकसान पहुंचाया. 2023 के अप्रैल और अगस्त में ऐसी घटनाएं आम तौर पर देखी गई थीं. जैसे कि सरे के लक्ष्मीनारायण मंदिर और ओंटेरियो के स्वामी नारायण मंदिर में खालिस्तान समर्थकों ने तोड़फोड़ की और भारत व हिंदू विरोधी नारे लिखकर चले गए थे. हालिया तनाव में ये घटनाक्रम फिर से न शुरु हो, लिहाजा स्थानीय लोगों ने खुद की सुरक्षा शुरु कर दी. उन्होंने साफ आरोप लगाए हैं कि कनाडा की सरकार उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं करवा पा रही है.

इस पूरे प्रकरण में भारत को पड़ोसी देश श्रीलंका का भी साथ मिल गया है. वहां के विदेश मंत्री अली साबरी ने कहा है कि कनाडाई पीएम ने भारत पर जो आरोप लगे हैं, वो बस आरोप ही हैं, उनमें कोई सबूत नहीं है. ANI के मुताबिक, अली साबरी ने कहा है कि ये ज़ाहिर है कि कनाडा में आतंकी पनाह ले रहे हैं. और उन्होंने ठीक ऐसा ही श्रीलंका के साथ किया था, जब उन्होंने कहा था कि श्रीलंका में तमिल लोगों की हत्या की जा रही है. अब आपके मन में जायज सवाल आएगा कि इस झगड़े में श्रीलंका क्यों कूद रहा है? उसे क्या खुन्नस है? छोटी-सी कहानी है, सुना दे रहे हैं. साल 2009 की 18 मई की बात है. इस दिन श्रीलंका की आर्मी ने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम यानी लिट्टे के खिलाफ युद्ध में नागरिक इलाकों में बम गिराए थे. साथ ही कई पकड़े गए लिट्टे फाइटर्स और उनके स्थानीय समर्थकों को- जिनमें से अधिक तमिल थे - उनको मार डाला. हालांकि श्रीलंका सरकार आज भी इस आरोप को नकारती है. अब साल 2023 में कनाडा ने श्रीलंका को इसी घटना को लेकर मिर्च लगाने का काम किया था. कनाडा ने कहा कि

'18 मई को हम तमिल जेनोसाइड स्मृति दिवस की तरह मनाएंगे.'  

बस यहीं पर श्रीलंका की दिक्कत है. लेकिन इस पूरे मामले में श्रीलंका के साथ से कहीं ज्यादा जरूरी है भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान. जो उन्होंने न्यूयॉर्क में आयोजित UN की जनरल असेंबली में दिया. उनके भाषण से पहले ही लोग कयास लगा रहे थे कि भारत वैश्विक मंच पर इसे उठाएगा.

ऐसे में एक जिज्ञासा है कि भारत की इस एक्सरसाइज़ का क्या मतलब हो सकता है? वो भी यूएन जैसे बड़े मंच पर. क्योंकि भारत के खिलाफ तो फाइव आइज़ जैसा जासूसों का एक नेक्सस काम कर रहा है और कनाडा में रह रहे देश के नागरिकों की सुरक्षा चिंताजनक स्थिति है.

कनाडा में रह रहे भारतीयों पर जो अलग-अलग तरीकों के संकट हैं, वो तो हैं ही. भारत में रह रहे कनाडाई नागरिकों को भी दिक्कत न हो, इसके लिए भी कनाडा ने अड्वाइज़री जारी की है. भारत में रह रहे कनाडाई लोगों से कहा है कि सतर्क और सचेत रहें. कारण भी बताया है कि भारत और कनाडा के बीच जो तनाव हुए हैं, उससे भारत में सोशल मीडिया पर एंटी-इंडिया सेंटीमेंट पनप रहा है. यानी बात साफ है, ये मैटर जल्द से जल्द सुलझे, इसकी नेताओं से ज्यादा जरूरत नागरिकों को है.

अब भारत कनाडा विवाद से रूख करते हैं मणिपुर का.  

अब 24 सितंबर को मणिपुर में इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी गईं. और 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि एक बर्बर सच हमारे बीच आ गया. एक मैतेई लड़का अपनी गर्लफ्रेंड के साथ आज से लगभग दो महीने पहले बाइक से घूमने निकला था. घूमने गया लेकिन वापिस नहीं आया. फिर 25 सितंबर की रात को उनकी तस्वीरें आईं. तस्वीरों में ये बच्चे डरे-सहमे बैठे हुए थे. पीछे कुछ दूर हथियारबंद लोग खड़े थे. इसके साथ कुछ और तस्वीरें भी आईं. उनकी डेडबॉडी की तस्वीरें. वही कपड़े पहने, जिस कपड़े में वो घर से घूमने गए थे. मणिपुर की कानून व्यवस्था का दुर्भाग्य है कि इंटरनेट के चालू होते मणिपुर के दूर दराज के युवाओं को ये नहीं पता चला कि नई संसद भवन के मार्शल अब उनके राज्य का पहनावा भी पहनते हैं. उन्हें पता चला कि उनके साथ के दो लोग मार दिए गए. किसने मारा? कुकी ने मारा? मैतेई ने मारा? किसी को कुछ नहीं मालूम. लेकिन इस घटनाके बाद मणिपुर में फिर से आग धधकने लगी है. मणिपुर सरकार ने इस केस को CBI के हवाले कर दिया.  और राज्य में छिटपुट प्रोटेस्ट हो रहे हैं कि फोटो में दिख रहे उन दो हथियारबंद उग्रवादियों को अरेस्ट करो.

मृतक लड़के के पिता को ये आशंका थी कि उनके बेटे को मार दिया गया है, लेकिन वो मान नहीं रहे थे. लेकिन उन्होंने एक रोचक खुलासा भी किया. केस के जांच अधिकारी उन्हें हेमजीत के मोबाइल की लोकेशन दे रहे थे. जांच अधिकारी ने बताया कि कुकी इलाके में मोबाइल चालू हुआ है. फिर जांच अधिकारी ने कह दिया कि हम आगे की कार्रवाई नहीं कर सकते हैं, क्योंकि इससे हिंसा भड़कने के चांस हैं. ध्यान से सुनिए - मैतेई इलाके की मणिपुर पुलिस कुकी इलाके में काम करने का चांस नहीं लेना चाह रही थी. सवाल है कि क्या मणिपुर पुलिस चांस पर काम कर रही थी? और चांस नहीं ही लेना था तो कुकी इलाके में तैनात बलों से कोई कान्टैक्ट नहीं किया गया?
जब दोनों बच्चे घर से गए, तो घर वालों को लगा कि दोनों प्यार में भाग गए हैं. लेकिन मोबाइल की लोकेशन और संदेह ने अलग शंका से घर वालों को भर दिया. और अब उनकी बस आखिरी तस्वीरें हैं.

स्थानीय सूत्रों के मुताबिक मणिपुर पुलिस ने पिछले महीने बताया था कि हिंसा के चलते कई लोग अभी भी लापता हैं. ये संख्या अभी भी अज्ञात है. और अब ऐसे मामले सामने आ रहे हैं. कयास हैं कि अभी दूर दराज के इलाकों से और आवाज़ें सुनाई देंगी.  फिलहाल मणिपुर की सरकार ने लोगों से संयम बरतने की अपील भी की है जिसका कोई खास असर होता नहीं दिख रहा है. इस घटना से उपजा आक्रोश आज इंफाल की सड़कों पर दिखा. छात्रों का हूजूम आज इंसाफ के लिए सड़कों पर उतर आया. जिनको तितर-बितर करने के लिए पुलिस को टियर गैस के गोले दागने पड़े. कुछ ऐसे भी वीडियो सामने आए, जहां कुछ छात्र मणिपुर पुलिस के सामने खड़े होकर खुद को गोली मारने के लिए कह रहे हैं. ऐसे बहुत सारे वायरल कंटेन्ट की पुष्टि होना अभी बाकी है.

मणिपुर में सुरक्षा बल आपस में टकरा रहे हैं. मैतेई समुदाय के लोग चाहते हैं कि केंद्रीय फोर्स और अर्धसैनिक बल मणिपुर से बाहर चले जाएं, और कुकी समुदाय के लोग ऐसा ही कुछ मणिपुर पुलिस के बारे में सोचते हैं. कुछ घटनाओं में उग्रवादी मणिपुर पुलिस के अधीन आने वाले मणिपुर कमांडो की ड्रेस पहनकर सुरक्षाबलों पर हमले कर रहे हैं. भारत का एक पूरा का पूरा राज्य अंधेरगर्दी और हिंसा की जद में जल रहा है, सरकारों को इसकी सुध लेनी ही होगी.

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