The Lallantop
Advertisement

केरल के मंदिरों में RSS पर लगी 'रोक', रात को कौन सी ट्रेनिंग करवाने का लगा आरोप?

केरल हाई कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने ये आदेश दिया है. उधर, RSS का कहना है कि ऐसे आदेश देकर CPI(M) की सरकार मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेना चाहती है.

Advertisement
kerala ban rss activity in temple
TDB, पहले भी मंदिरों में RSS की गतिविधियों पर रोक लगा चुका है. (फोटो सोर्स- इंडिया टुडे)
pic
शिवेंद्र गौरव
24 अक्तूबर 2023 (Published: 16:17 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

केरल सरकार के त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (TDB) ने RSS और दूसरे "अतिवादी विचारधारा" वाले संगठनों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. इन संगठनों को बोर्ड द्वारा चलाए जा रहे मंदिरों में कोई भी काम करने से बैन कर दिया गया है. बोर्ड ने जो सर्कुलर जारी किया है, वो बीते महीने के केरल हाईकोर्ट के आदेश पर आधारित है, जिसमें केरल के वर्कला मंदिर में RSS को हथियारों की ट्रेनिंग करवाने से रोक दिया गया था. RSS का आरोप है कि ये CPI(M) की केरल के मंदिरों में रोजमर्रा के मामलों पर नियंत्रण लेने की कोशिश है.

बोर्ड के सर्कुलर में क्या है?

TDB, सबरीमाला मंदिर सहित केरल के 1,200 मंदिरों को कंट्रोल करता है. बोर्ड ने 20 अक्टूबर को एक सर्कुलर जारी कर अधिकारियों से मंदिरों में औचक निरीक्षण करने को कहा, ताकि ये पता चल सके कि क्या "RSS या दूसरे चरम विचारधारा वाले संगठन मंदिरों में सभा, हथियारों की ट्रेनिंग या प्रशिक्षण या शाखा वगैरह तो नहीं लगा रहे.

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मताबिक, सर्कुलर में कहा गया है कि ऐसी शिकायतें मिली हैं कि RSS और दूसरे संगठनों ने कई मंदिरों के परिसरों पर कब्जा कर लिया है और मंदिरों की “पवित्रता और भक्तों के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं.”

कहा गया कि रात की आड़ में ये संगठन हथियारों की ट्रेनिंग और सामूहिक ड्रिल्स कर रहे हैं.

ये भी कहा गया कि जो अधिकारी, इन संगठनों की फंक्शनिंग के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे, उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. सर्कुलर में अधिकारियों से, मंदिरों में एक रंग के झंडे के अलावा किसी राजनीतिक दल या धार्मिक संगठन से मिलते-जुलते झंडे या किसी भी तरह के प्रतीक चिह्न तत्काल प्रभाव से हटाने को कहा गया है.

ये भी पढ़ें: सबरीमाला में महिलाओं के जाने पर आपत्ति जताने वाली जज खुद मंदिर पहुंचीं

विवाद पुराना है

ये मामला नया नहीं है. पहले भी केरल की CPI(M) सरकार, मंदिर के स्वामित्व वाली जमीन पर RSS की ड्रिल्स के खिलाफ रही है. TDB ने साल 2016 में केरल के वर्कला में श्री सरकारा देवी मंदिर में RSS के हथियारों के प्रशिक्षण पर प्रतिबंध लगा दिया था. तत्कालीन देव्स्वोम मंत्री कडकमपल्ली सुरेंद्रन ने आरोप लगाया था कि RSS केरल में मंदिरों को हथियारों के भंडार में बदलने की कोशिश कर रहा है. इधर बीते महीने केरल हाईकोर्ट ने केरल के श्री सरकारा देवी मंदिर से जुड़े मामले में हथियारों की ट्रेनिंग और ड्रिल पर रोक लगाने का आदेश दिया था. कोर्ट के इसी आदेश के आधार पर अब RSS की ड्रिल्स को लेकर TDB ने नया सर्कुलर जारी किया है.

वर्कला मंदिर के दो भक्तों की याचिका पर कार्रवाई करते हुए, कोर्ट की बेंच ने TDB को मंदिर में प्रॉपर्टी और मंदिर से जुड़े मामलों का प्रबंधन करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने ये भी कहा था,

“मंदिर के परिसर में किसी भी सामूहिक अभ्यास या हथियारों के प्रशिक्षण से संबंधित कोई भी गतिविधि अवैध मानी जाएगी. मंदिर के अंदर शांतिपूर्ण माहौल बनाए जाने की जरूरत है. मंदिर के अनुष्ठानों और आस्था में राजनीति का कोई स्थान नहीं है."

मंदिर में भगवा रंग के झंडे वगैरह के बारे में बेंच ने एक दूसरी याचिका पर पहले के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा था,

"किसी उपासक या भक्त को इस बात पर जोर देने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है कि TDB के मैनेजमेंट के तहत मंदिर में त्योहारों के मौके पर केवल भगवा/नारंगी रंग की सजावटी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है."

RSS का क्या कहना है?

अख़बार के मुताबिक, RSS के प्रांत कार्यवाह पीएन ईश्वरन ने कहा कि मंदिरों में RSS पर बैन लगाने वाला सर्कुलर राजनीति से प्रेरित है.

उन्होंने कहा,

"CPI(M) केरल में मंदिरों पर नियंत्रण चाहती है. पहले भी TDB ने मंदिरों में RSS पर रोक लगाने के लिए सर्कुलर जारी किया था. लेकिन इस बार का आदेश सख्त है. इसमें कई गतिविधियों को शामिल किया गया है. यहां तक कि मंदिर परिसर में एक फोटो तक नहीं लगाई जा सकती. ऐसी स्थिति बन गई है कि भक्तों की भूमिका, मंदिर में प्रार्थना करने और पैसा देने तक ही सीमित रह गई है. RSS की कार्यप्रणाली को लेकर अब किसी भी मंदिर में कोई तनाव नहीं है. इस निर्देश से केरल में RSS की गतिविधियां रुकने वाली नहीं हैं."

ईश्वरन ये भी दवा करते हैं कि कई मंदिरों में सलाहकार बोर्ड को भंग कर दिया गया है. और उनकी जगह CPI(M) के लोगों को नियुक्त किया गया है. ईश्वरन के मुताबिक, वो कानूनी रास्ते पर विचार कर रहे हैं.

उन्होंने कहा है कि मंदिर के अधिकारियों ने अब तक इस सर्कुलर के आधार पर RSS के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है. वे कहते हैं,

"कई मंदिरों में RSS के लोग रोजमर्रा के कामों में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं. कार्यकर्ताओं को मंदिर के मामलों से दूर रखना आसान नहीं है."

ये भी पढ़ें: "RSS ने क्यों नहीं फहराया तिरंगा"- मोहन भागवत से सीधा सवाल, क्या जवाब मिला?

CPI(M) नेता और TDB के अध्यक्ष के अनंतगोपन का कहना है कि इस सर्कुलर में कुछ भी राजनीतिक नहीं है. वो कहते हैं,

"ये निर्देश उन भक्तों के हितों की रक्षा के लिए है जो शांतिपूर्ण मंदिर परिसर चाहते हैं. वे मंदिर में हथियारों के प्रशिक्षण के खिलाफ हैं. पहले भी बोर्ड ने सर्कुलर निकाला था.  लेकिन सरकारा देवी मंदिर की घटना से पता चला कि हथियारों के प्रशिक्षण और ड्रिल्स को रोका नहीं जा सकता. इसलिए हमने कड़ी शर्तों के साथ नया सर्कुलर निकाला है." 

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement