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फिलीपींस की जेल में बैठकर जापान में गैंग चलाने वाले की कहानी!

जापान में क्राइम रेट बढ़ रहा है

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PHILIPPINE BUREAU OF IMMIGRATION
जापान में क्राइम रेट बढ़ रहा है (Credit - PHILIPPINE BUREAU OF IMMIGRATION)
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अभिषेक
10 फ़रवरी 2023 (Updated: 10 फ़रवरी 2023, 20:56 IST)
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जापान में एक चर्चित कॉमिक्स सीरीज़ छपती है. वन पीस. इसके लीड कैरेक्टर का नाम मंकी डी. लुफ़ी है. लुफ़ी बचपन से समुद्री डाकू बनना चाहता था. उसका ये सपना पूरा भी होता है. वो आगे चलकर वन पीस नामक खजाने की तलाश में निकलता है. खजाना मिलते ही वो डाकुओं का राजा बन जाएगा. इसी को लेकर कहानी आगे बढ़ती रहती है. अब हुआ ऐसा है कि, ये कैरेक्टर रियल लाइफ़ में उतर आया है. लेकिन इसके मिज़ाज में काफ़ी अंतर है. कॉमिक्स वाली दुनिया का लुफ़ी थोड़ा चुलबुला है, थोड़ा बेवकूफ भी है और थोड़ा मस्तमौला भी. वो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता. लेकिन असली दुनिया का लुफ़ी ना सिर्फ आम लोगों से पैसे लूटता है, बल्कि वो गुस्से में आने पर हत्या तक कर देता है.

जैसा कि 19 जनवरी 2023 के रोज़ हुआ. उस दोपहर टोक्यो के कोमाए में पुलिस के पास एक कॉल आई. कॉल करने वाले ने चोरी की टिप दी. पुलिस जब पते पर पहुंची तो उन्हें घंटी बजाने की ज़रूरत नहीं पड़ी. दरवाज़ा पहले से खुला हुआ था. वो घर एक पॉश इलाके में था. पोर्च में दो लग्जरी कारें खड़ीं थी. बाहर से सब कुछ ठीक-ठीक दिख रहा था. मगर घर के अंदर घुसते ही नज़ारा बदल गया था. हर तरफ़ सामान बिखरा पड़ा था. कहीं-कहीं पर ख़ून के धब्बे भी नज़र आ रहे थे. लेकिन कहीं कोई दिख नहीं रहा था. जैसे ही वे बेसमेंट में पहुंचे, उनके मुंह से निकला, ओह माय गॉड!

एक कोने में एक महिला बेहोश पड़ी थी. उसके चेहरे से ख़ून बह रहा था. उसके दोनों हाथ भी पीछे की तरफ़ बंधे हुए थे. एक पुलिसवाले ने आगे बढ़कर धड़कन चेक की. वहां कोई हरकत महसूस नहीं हुई. अगले ही पल वो जगह मर्डर स्पॉट में बदल चुकी थी.

मृत महिला का नाम किनुयो ओशियो था. उनकी उम्र 90 साल थी. वो उस घर में अपने बेटे, बहू और उनके बच्चों के साथ रहती थीं. घटना के समय उनके घरवाले बाहर गए हुए थे. इसी बीच घर में लुटेरों ने हाथ साफ़ कर दिया. ओशियो के पूरे शरीर पर चोट के निशान थे. उनके साथ भयंकर मारपीट की गई थी. साफ पता चल रहा था कि ओशियो ने लुटेरों को रोकने की कोशिश की. गुस्से में आकर लुटेरों ने उनकी हत्या कर दी. जापान उन चुनिंदा देशों में से है, जहां आपराधिक घटनाओं की संख्या दूसरे विकसित देशों की तुलना में काफी कम है. 2021 में जापान में जहां हत्या के 874 मामले दर्ज हुए, उसी समय अमेरिका में लगभग 23 हज़ार हत्याएं हुईं थी. इसी तरह डकैती के मामलों में भी ज़मीन आसमान का अंतर था. अमेरिका में हर साल मास शूटिंग की घटनाओं में सैकड़ों लोग मारे जाते हैं. इसके बरक्स जापान उन देशों में है, जहां बंदूक रखने को लेकर बेहद सख्त कानून है. जब जुलाई 2022 में जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे की गोली मारकर हत्या की गई, तब सबसे ज़्यादा अचरज इसी बात को लेकर था कि हमलावर के पास बंदूक कहां से आई? बाद में पता चला कि हमलावर ने पाइप्स को टेप से जोड़कर बंदूक बनाई थी.

जापान पुलिस (AFP)

खैर, टोक्यो में 90 साल की ओशियो की उनके घर के अंदर हुई हत्या के बाद ख़ूब हंगामा मचा. इस केस में जांच कर रही पुलिस का ध्यान एक पैटर्न पर गया. जिस इलाके में ओशियो की लाश मिली थी, उसके आसपास के इलाकों में पिछले कुछ हफ़्तों से चोरी और डकैती की घटनाएं अचानक से बढ़ गईं थी. हालांकि, इसमें कभी हत्या जैसी घटना नहीं देखी गई थी. इससे पहले तक डिजिटल फ़्रॉड्स आम थे. फ़ेक कॉल या एसएमएस के ज़रिए अकाउंट्स से पैसे उड़ाना तक तक आसान बना रहा, जब तक कि सरकार ने लोगों को सतर्क नहीं कर दिया, उसके बाद से अपराधी सीधे घर में घुसकर पैसे चुराने में जुटने लगे थे. एक पूरा पैटर्न था. 

- गैंग के लोगों को फ़ेक सोशल मीडिया के ज़रिए रिक्रूट किया जाता था.

- इनका काम बंटा हुआ था.

- पहले हिस्से के गैंग मेंबर्स जानकारी जुटाते थे और रेकी करते थे.

- चोरी करने वाले अलग लोग थे.

उसके बाद आते थे, सामान लेकर भागने वाले ड्राइवर्स. वे अपनी गाड़ी लेकर घरों के बाहर तैयार रहते थे. जब चोरी पूरी हो जाती, तब गैंग के दूसरे लोग चोरी के सामान को बेचने का काम करते थे. ये पूरा काम टेलीग्राम ऐप पर मेनेज होता था. उसी पर सारे निर्देश आते थे. कब, कहां, कैसे और क्या करना है? इन सबका मास्टरमाइंड फ़िलिपींस की जेल में बैठा था. ये अलग कहानी है कि, उसके पास जेल में मोबाइल और इंटरनेट कैसे पहुंच रहा था? वो कहानी फिर कभी विस्तार से बताएंगे.

आज हम इन सबकी चर्चा क्यों कर रहे हैं?

जापानी पुलिस ने फ़िलिपींस की जेल में बैठकर फ़्रॉड और डकैती कराने के आरोप में चार लोगों को गिरफ़्तार किया है. आरोप हैं कि उन्होंने बुजुर्गों को धोखा देकर अरबों रुपये का गबन किया. ये चारों आरोपी 2019 से फ़िलिपींस की जेल में बंद थे. फिर भी वे जापान में ऑनलाइन और ऑफ़लाइन, दोनों तरीके से पैसे लूट रहे थे. फ़िलिपींस में उन्हें किसी दूसरे अपराध में गिरफ़्तार किया गया था. जापान की सिर्फ दो देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि है. अमेरिका और साउथ कोरिया. फ़िलिपींस के साथ उसका ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ है. यानी, अगर कोई जापान में क्राइम करके फ़िलिपींस भाग जाए या फ़िलिपींस में रहकर कोई क्राइम करे तो, जापान को अपने यहां लाने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ेगी. जैसा कि इस मामले में हुआ. जापानी पुलिस ने 2019 से 2021 के बीच चार संदिग्धों को प्रत्यर्पित करने की अपील फ़िलिपींस सरकार से की थी. फिर ये केस फ़िलिपींस की लोकल कोर्ट में गया. कोर्ट में ये मामला लंबे समय तक अटका रहा. अब जाकर उन चारों को जापान भेजा गया है. अब उनके ऊपर जापान में मुकदमा चलेगा.

पुलिस को इनकी तलाश 2021 से ही थी. जैसा कि हमने पहले भी बताया, जापान में क्राइम रेट काफ़ी कम है. 2002 के बाद से सरकार ने काफ़ी सख्ती बरती है. अदालतों को फ़ास्ट बनाया गया है. अधिकतर मामलों में जल्द से जल्द सज़ा देने की कोशिश की जाती है. इसके अलावा, सरकार ने याकुज़ा के ख़िलाफ़ भी सख़्त कानून बनाए हैं. याकुज़ा का अर्थ होता है, गैंगस्टर. एक समय तक याकुज़ा लड़ाके पैसे लेकर प्रोटेक्शन देने का काम करते थे. 1960 में अमेरिका के राष्ट्रपति ड्वाइट डी आइज़नहॉवर जब जापान के दौरे पर आने वाले थे, तब सरकार ने याकुज़ा गैंग्स को सुरक्षा देने के लिए बुलाया था. 1990 के दशक के बाद ये रिश्ता बिगड़ने लगा. सरकार को लगा कि याकुज़ा हाथ से निकलते जा रहे हैं. उनके ऊपर हत्या, लूटपाट, डकैती जैसे अपराधों में शामिल होने के आरोप लग रहे थे. तब सरकार ने शिकंजा कसा और फिर उन्हें घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया. इसका असर दूसरे गैंग्स पर भी पड़ा. उन्होंने भी अपना रास्ता बदलना बेहतर समझा.

हालांकि, क्राइम रेट में कमी का एक दूसरा पहलू भी था. 2015 में वॉक्स ने द इकोनॉमिस्ट के हवाले से एक रिपोर्ट छापी थी. इसमें बताया गया था कि,

- जापान में किसी आरोपी को 23 दिनों तक बिना किसी चार्ज के हिरासत में रखा जा सकता है. इस दौरान आरोपी को वकील से भी महरूम रखा जाता है. पुलिस गुनाह कबूल कराने के लिए हर हथकंडा अपनाती है. मेंटली और फ़िजिकली टॉर्चर भी किया जाता है. इसी वजह से अधिकतर मामलों में आरोपी दोष मानना बेहतर समझता है. ऐसे कई मामले हैं, जिनमें बेगुनाह लोगों को दशकों तक जेल में रखा गया. बाद में वे बेगुनाह साबित होकर रिहा हुए. अदालत पुलिस के सामने किए गए कबूलनामे को पक्के सबूत के तौर पर लेती है. इसके कारण अदालत में पेश होने वाले अधिकतर आरोपियों को सज़ा होती ही है.

मानवाधिकार उल्लंघन की बात एक तरफ़. इसका दूसरा पहलू ये भी है कि इससे जापान में अपराध कम हुए. ये सिलसिला 2020 तक चला. फिर 2021 में मामला बिगड़ने लगा. जापान के शहरों में चोरी और लूटपाट की घटनाएं बढ़ने लगीं. इसके साथ-साथ ऑनलाइन स्कैम्स की संख्या में भी बढ़ोत्तरी देखी गई. अधिकतर पीड़ित रिटायर्ड बुजुर्ग थे. जापान की आबादी समय के साथ लगातार बूढ़ी होती जा रही है. उनके पास पैसा बहुत है. लेकिन वे अकेलेपन के शिकार हैं. दूसरी चीज ये है कि जापान में बैंक में जमा पैसों पर बहुत कम ब्याज मिलता है. इस वजह से लोग पैसा बैंक में जमा करने की बजाय घरों में रखना पसंद करते हैं. डिजिटल फ़्रॉड को लेकर सरकार सतर्क करती रहती है. इस वजह से भी लोग कैश में ज़्यादा विश्वास करते हैं.
ये पूरा कॉम्बिनेशन अपराधियों के लिए मुफीद बन जाता है. बुजुर्गों के घरों में ज़्यादा सिक्योरिटी नहीं होती. वे विरोध करने में अक्षम होते हैं. जो विरोध करते हैं, उनका हाल ओशियो जैसा होने का डर बना रहता है. इसी का फायदा उठाकर एक गैंग ने पिछले कुछ महीनों में 50 से ज़्यादा लूटपाट की घटनाओं को अंजाम दिया है.

ओशियो की हत्या के बाद कोर्ट और आम लोगों ने मांग रखी थी कि गैंग लीडर का चेहरा पब्लिक में लाया जाए. मीडिया रपटों में दावा किया जा रहा है कि इस हफ़्ते प्रत्यर्पित होकर जापान पहुंचा एक शख़्स ही लुफ़ी है. उसका असली नाम वातानाबी है. कहा जा रहा है कि वही टेलीग्राम के ज़रिए जापान में सारा ऑपरेशन मेनेज करता था. हालांकि, फ़िलिपींस की तरफ़ से इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. फ़िलिपींस के कानून के मुताबिक, जब तक देश में किसी आरोपी पर कोई केस चल रहा है, वो फ़िलिपींस छोड़कर नहीं जा सकता. इसके बावजूद जेल में बंद चार लोगों को जापान भेजा गया है. दरअसल, फ़िलिपींस के राष्ट्रपति फ़र्डीनेण्ड मार्कोस जूनियर जल्दी ही जापान के दौरे पर जाने वाले हैं. इस दौरान उनकी जापान के पीएम फुमियो किशिदा से भी मुलाक़ात होगी. फ़िलिपींस ने चारों को जापान भेजकर अपने लिए एक बेहतर माहौल तैयार करने की कोशिश की है. क्या इससे दोनों देशों का रिश्ता बेहतर होगा? ये तो आने वाला समय ही बताएगा.

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