The Lallantop
Advertisement

इजरायल की खुफिया यूनिट 8200 की कहानी, जिसका नाम 'हिजबुल्लाह पेजर अटैक' में आ रहा है

Mossad Pager Attack: Lebanon and Syria में 17 सिंतबर को पेजर कम्युनिकेशन डिवाइस फटने शुरू हो गए. इस हमले के पीछे इजरायल की खुफिया वॉरफेयर 'Unit 8200' का हाथ बताया जा रहा है.

Advertisement
israel unit 8200 hezbollah pager attacks technological attacks mossad
Israel की खुफिया Unit 8200 की कहानी क्या है. (सांकेतिक फोटो)
pic
रविराज भारद्वाज
19 सितंबर 2024 (Updated: 19 सितंबर 2024, 17:37 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

तारीख 17 सितंबर 2024. लेबनान और सीरिया में एक साथ हजारों धमाके (Lebanon and Syria) हुए. बम विस्फोट नहीं, बल्कि पेजर कम्युनिकेशन डिवाइस (Hezbollah Pager Attack) फटने शुरू हो गए. किसी की जेब में तो किसी के हाथ में. धमाके के कुछ वीडियो भी सामने आए. कोई मार्केट में सब्जी खरीद रहा था, तो कोई इसके पास खड़ा था. इन धमाकों में कम से कम 12 लोगों की मौत हुई, जबकि 3 हजार लोग घायल हुए. मरने वालों में चार स्वास्थ्यकर्मी और दो बच्चे भी शामिल हैं. इसके अलावा, हिज़बुल्लाह के दो लड़ाकों और एक सांसद के बेटे की मौत की भी ख़बर है. 

इसके बाद 18 सितंबर को फिर से ऐसी ही घटना हुई. हिजबुल्लाह के सदस्य जो वॉकी-टॉकी यूज कर रहे थे, उनमें विस्फोट हो गया. कुछ दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में भी विस्फोट की खबरें आईं. इन हमलों में फिर से हिजबुल्लाह को खासा नुकसान हुआ. समूह के 14 लोग मारे गए और 450 से ज्यादा लोग घायल हो गए. 

इन हमलों को कैसे अंजाम दिया जा रहा? इसे लेकर कई थ्योरीज चल रही है. ऐसे कयास लगाए गए कि जब हिजबुल्लाह को पेजर सप्लाई किए गए थे, उसी दौरान इनमें किसी तरह की सेंध लगाई गई होगी. हिजबुल्लाह ने महीनों पहले विदेश से 5 हजार पेजर मंगाए थे. ये भी कहा जा रहा कि हिजबुल्लाह ने इन पेजर्स को विदेशी चैनलों के जरिए खरीदा था. इसी दौरान एजेंट्स ने पेजर्स में विस्फोटक सामग्री या उपकरण फिट किए होंगे. 

ये भी पढ़ें: लेबनान में हुए पेजर ब्लास्ट की पूरी कहानी!

लेबनान के सुरक्षा सूत्रों ने इन धमाकों में इजरायल का हाथ बताया है. लेबनान के सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि इजरायल की इंटेलिजेंस एजेंसी मोसाद ने हिजबुल्लाह के मंगाए पेजर्स के अंदर विस्फोटक प्लांट किए. यही बात दूसरे डिवाइसेज को लेकर भी चल रही है. लेकिन क्या वाकई में इसके पीछे मोसाद का हाथ है? रॉयटर्स की रिपोर्ट की मानें तो हां, लेकिन पूरी तरह से नहीं. इसके पीछे सबसे बड़ा हाथ है, इजरायल की खुफिया वॉरफेयर 'यूनिट 8200' (Unit 8200) का. हालांकि, आधिकारिक तौर पर इजरायल ने इन हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है.

कितनी खतरनाक है Unit 8200?

अब ये  Unit 8200 है क्या और ये कितनी खतरनाक है, इसके बारे में भी जानते हैं. Unit 8200 इजरायली डिफेंस फोर्स की जासूसी एजेंसी है. इसकी स्थापना साल 1948 में हुई थी. यूनिट का पूरा काम टेक्नॉलजी वॉरफेयर, खुफिया बैठकों और साइबर सिक्योरिटी से जुड़ा हुआ है. ये इजरायली सेना में सबसे बड़ी यूनिट है. इस यूनिट के सदस्य कई स्पेशल ऑपरेशन पर काम करते हैं. इसे इजरायल का वॉर्निंग सिस्टम भी कहा जाता है, जो खतरे का पहले से पता कर लेती है. ये यूनिट इतनी खतरनाक मानी जाती है कि इसकी तुलना US नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी (NSA) और ब्रिटेन की इंटेलिजेंस एजेंसी GCHQ  से भी की जाती है. 

रिपोर्ट में बताया गया है कि यूनिट 8200 डायरेक्ट PMO को रिपोर्ट करती है. ये तो थी यूनिट के बारे में बेसिक जानकारी. अब ये काम कैसे करती है, ये भी जानते हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि 'यूनिट 8200' इस पूरे ऑपरेशन के डेवलपमेंट स्टेज का हिस्सा थी और करीब एक साल से इस पर काम कर रही थी. रिपोर्ट में हालांकि ये बताया गया है कि पेजर में विस्फोटक लगाने का काम मोसाद ने किया था, जबकि टेक्नॉलजी से जुड़ा सारा काम संभाला था 'यूनिट 8200' ने. 

ये यूनिट किसी भी ऑपरेशन में 'आउट ऑफ द बॉक्स' सोच पर जोर देती है. इसी वजह से इसकी खासियत बढ़ जाती है. ऐसा ही पेजर अटैक में हुआ. जब हिजबुल्लाह लोकेशन की जानकारी छुपाने की जगह पेजर का इस्तेमाल करने लगा, यूनिट 8200 पहले ही उसे टारगेट कर चुकी थी. रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिट में अधिकतर युवा लोग ही शामिल हैं, जो 20 के आसपास की उम्र के होते हैं. ये टेक एक्सपर्ट भी हैं. सभी युवा AI और साइबर सिक्योरिटी को लेकर भी स्पेशल काम कर रहे हैं. ये टीम टेक्नॉलजी के जरिए ज्यादा डेटा इकट्ठा करती है, जिसमें हैकिंग भी शामिल है. इसके साथ ही टीम इस बात पर खास जोर देती है कि आखिर किस तरह से टेक्नॉलजी के सहारे नए ऑपरेशंस को अंजाम दिया जाए. 

बड़े ऑपरेशंस को दे चुके हैं अंजाम

इस एजेंसी की बात करें तो ये कई बड़े मिशंस को अंजाम दे चुकी है. ये यूनिट जिन बड़े हमलों में शामिल है, उनमें 2005-10 का स्टक्सनेट वायरस हमला शामिल है. इसने ईरानी परमाणु सेंट्रीफ्यूज को निष्क्रिय कर दिया था. जबकि लेबनान की सरकारी टेलीकॉम कंपनी ओगेरो पर 2017 में हुए साइबर हमले में भी इसी यूनिट का हाथ था. वहीं, यूनिट ने साल 2018 में ऑस्ट्रेलिया से UAE जा रहे एक विमान को हाईजैक होने से बचाया था. वहीं कंपनी के कमांडिंग ऑफिसर ने पिछले साल दावा किया था कि यूनिट ने AI का इस्तेमाल कर हमास के ठिकानों को निशाना बनाया था.

वीडियो: क्या टेलीग्राम हेड की गिरफ्तारी के पीछे मोसाद का हाथ है?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement