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Israel Hamas War में जिन शब्दों की सबसे ज्यादा चर्चा है, उनके मायने, इतिहास, भूगोल जानते हैं?

फिलिस्तीन देश नहीं तो फिर क्या है? जेरुसलम किसका है? गाज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक कहां हैं?

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इज़रायल और हमास की लड़ाई अब और तेज हो रही है. (फोटो सोर्स- आज तक, Getty)
10 अक्तूबर 2023 (Updated: 10 अक्तूबर 2023, 17:39 IST)
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इज़रायल-हमास जंग (Israel-Hamas War) के बीच कुछ शब्दों का ज़िक्र बार-बार आ रहा है. हमें लगा कि इनसे आपका भी परिचय कराया जाए. इनका मतलब और विवाद में इनकी प्रासंगिकता क्या है? 

1. इज़रायल

ये वेस्ट एशिया में बसा एक देश है. भूमध्यसागर के पूर्वी किनारे पर. ज़मीनी सीमा ईजिप्ट, जॉर्डन, सीरिया और लेबनान से मिलती है. इज़रायल की स्थापना मई 1948 में हुई थी. उससे पहले तक पूरा इलाका फ़िलिस्तीन के नाम से जाना जाता था. यहूदी और अरब दोनों साथ रहते थे. मगर उनके बीच सामंजस्य नहीं था. फिर नवंबर 1947 में यूनाइटेड नेशंस में फ़िलिस्तीन के बंटवारे का प्रस्ताव लाया गया. इसमें दो देशों का प्रावधान था. यहूदियों के लिए इज़रायल और अरब लोगों के लिए फ़िलिस्तीन. 14 मई 1948 को इज़रायल देश बन गया. मगर फ़िलिस्तीन देश अभी तक साकार नहीं हो सका.

2. फ़िलिस्तीन

एक संप्रभु देश की जो परिभाषा होती है, उस हिसाब से फ़िलिस्तीन आज के वक्त में कोई देश नहीं है. यूएन में इसे ‘नॉन-मेंबर ऑब्ज़र्वर स्टेट’ का दर्जा मिला है. ये जनरल असेंबली की डिबेट में हिस्सा ले सकता है. लेकिन फिलिस्तीन को वोटिंग का अधिकार नहीं है.
ये इज़रायल की पूर्वी सीमा पर बसे वेस्ट बैंक और दक्षिणी सीमा पर बसी गाज़ा पट्टी से मिलकर बना है. इंटरनैशनल कम्युनिटी फ़िलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन (PLO) को आधिकारिक प्रतिनिधि मानती है. PLO को फ़तह मूवमेंट लीड करता है. मगर उनका वेस्ट बैंक के कुछ इलाकों को छोड़कर और कहीं कंट्रोल नहीं है.

3. गाज़ा स्ट्रिप

गाज़ा स्ट्रिप इज़रायल की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर बसा है. इसकी दक्षिणी सीमा ईजिप्ट से लगती है. गाज़ा स्ट्रिप कुल 365 वर्ग किलोमीटर में सीमित है. लगभग 23 लाख लोग रहते हैं. राजधानी का नाम है, गाज़ा सिटी. गाज़ा स्ट्रिप को इज़रायल ने ब्लॉक कर रखा है. ज़मीन, हवा और समंदर, तीनों तरफ़ से. अंदर जाने और बाहर निकलने के लिए भी परमिशन लगती है. गाज़ा स्ट्रिप में हमास का कंट्रोल है. अभी उसने वहीं से इज़रायल पर हमला किया है.

2006 में हमास ने गाज़ा का पूरा कंट्रोल अपने हाथों में ले लिया. फिर इज़रायल के ख़िलाफ़ हिंसा शुरू की. तब इज़रायल ने अपनी गाज़ा बॉर्डर पर ऊंची दीवारें बनवाईं. डिफ़ेंस सिस्टम मज़बूत किया. और, बॉर्डर क्रॉसिंग्स के ज़रिए निगरानी रखने लगा. स्थानीय लोगों को इसका भारी नुकसान हुआ है. अधिकांश आबादी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से मिलने वाली मदद पर निर्भर हो चुकी है.

4. वेस्ट बैंक

वेस्ट बैंक फ़िलिस्तीन का दूसरा प्रांत है. इज़रायल के पूर्वी बॉर्डर पर बसा है. लगभग 30 लाख फ़िलिस्तीनी अरब यहां रहते हैं. इसकी एक सीमा जॉर्डन नदी के पश्चिमी किनारे से लगती है. इसलिए, इसे वेस्ट बैंक कहते हैं. ईस्ट जेरूसलम इसी के अंदर है. 1967 के सिक्स-डे वॉर में इज़रायल ने वेस्ट बैंक और ईस्ट जेरूसलम पर कब्ज़ा कर लिया. उससे पहले यहां जॉर्डन का कंट्रोल था.

1967 युद्ध के बाद से इज़रायल ने वेस्ट बैंक में लाखों इज़रायली नागरिकों को बसाया है. ज़ोर-जबरदस्ती से सेटलमेंट्स या बस्तियां बसाकर. इसके ज़रिए पूरे वेस्ट बैंक पर कब्ज़ा करने की कोशिश चल रही है. इंटरनैशनल कम्युनिटी और यूएन इसको अवैध बताते हैं.

वेस्ट बैंक के लगभग 40 फीसदी हिस्से पर फ़तह मूवमेंट की लीडरशिप वाली फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी का कंट्रोल है. बाकी को इज़रायल अपने हिसाब से चलाता है.

5. जेरुसलम

जेरुसलम, ईसाइयों, यहूदियों और मुस्लिमों, तीनों धर्मों के लिए बेहद पवित्र है. इसलिए, इज़रायल और फ़िलिस्तीन, दोनों ही इस पर अपना दावा पेश करते हैं. वे पूरे शहर को अपनी-अपनी राजधानी बताते हैं. हालांकि, किसी का दावा सर्वमान्य नहीं है.

धार्मिक महत्व क्या है?

ईसाइयों के मुताबिक, ईसा मसीह को इसी शहर में सूली पर चढ़ाया गया.
मुस्लिमों के मुताबिक, पैगंबर मोहम्मद जेरुसलम से ही जन्नत गए.
यहूदियों के मुताबिक, उनका फ़र्स्ट एंड सेकेंड टेम्पल यहीं बना. सेकंड टेम्पल की एक दीवार आज भी बची हुई है.

पॉलिटिकल अहमियत क्या है?

इस शहर के दो हिस्से हैं - वेस्ट और ईस्ट जेरुसलम. 1948 में हुए पहले अरब-इज़रायल युद्ध के बाद वेस्ट जेरुसलम, इज़रायल के पास आया. जबकि ईस्ट जेरुसलम जॉर्डन के पास चला गया. 1967 के युद्ध में इज़रायल ने ईस्ट जेरुसलम भी हथिया लिया. और, पूरे शहर को अपनी राजधानी घोषित कर दिया. बहुत कम देश इज़रायल के ऐलान को मान्यता देते हैं.

टू-स्टेट सॉल्यूशन की राह में सबसे बड़ा रोड़ा भी जेरुसलम ही है. फ़िलिस्तीन की मांग करने वाले इसको अपनी राजधानी बनाना चाहते हैं. मगर इज़रायल पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है.

6. अल-अक़्सा मस्जिद

ईस्ट जेरुसलम के अंदर 35 एकड़ का एक कंपाउंड है. मुस्लिम इसे अल-हरम-अल-शरीफ़, जबकि यहूदी टेम्पल माउंट कहते हैं. इसी में सिल्वर कलर के गुंबद वाली एक मस्जिद भी है. इस मस्जिद का नाम अल-अक़्सा है. इसी नाम पर पूरे कंपाउंड को भी कई दफ़ा अल-अक़्सा कह दिया जाता है. मुस्लिमों की मान्यता है कि पैगंबर मोहम्मद मक्का से यहां आए थे. और, फिर यहीं से जन्नत गए थे. इसलिए, वे मक्का और मदीना के बाद अल-अक़्सा को सबसे पवित्र मानते हैं.

यहूदी कहते हैं कि उनके इतिहास के दो सबसे पवित्र टेम्पल इसी कंपाउंड में थे. पहले को बेबीलोन वालों ने, जबकि दूसरे को रोमनों ने तोड़ दिया. दूसरे मंदिर की एक दीवार बची रह गई. वेस्टर्न वॉल.

1967 तक कंपाउंड के अंदर गैर-मुस्लिमों को जाने की इजाज़त नहीं थी. 1967 युद्ध के बाद यहां इज़रायल का कंट्रोल हुआ. फिर उसने जॉर्डन के साथ डील की. कंपाउंड की कस्टडी एक वक़्फ़ बोर्ड को सौंप दी. बाहर की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी इज़रायल ने अपने हाथों में ली. गैर-मुस्लिमों को अंदर जाने की इज़ाजत मिली. लेकिन वे अंदर प्रार्थना नहीं कर सकते थे.

पिछले कुछ बरसों में स्थिति बदली है. सेकेंड इंतिफ़ादा (इज़रायल के ख़िलाफ़ विद्रोह की श्रृंखला) के बाद इज़रायल ने कंपाउंड के अंदर का ज़िम्मा भी अपने पास रख लिया. उन्होंने फ़िलिस्तीनियों का एक्सेस कम किया. इसके बरक्स यहूदियों की एंट्री आसान बनाई गई. इसको लेकर कई मौकों पर लड़ाई हो चुकी है. अभी चल रहे युद्ध के मूल कारणों में से एक ये भी है.

7. हमास

हमास की परिभाषा इससे तय होती है कि कि आप रहते कहां हैं और मानना क्या चाहते हैं.
इज़रायल, कनाडा, यूरोपियन यूनियन (EU), अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने इसको आतंकी संगठन घोषित कर रखा है. सीरिया, ईरान, क़तर, तुर्किए, नॉर्वे, ब्राज़ील, ईजिप्ट, रूस और चीन जैसे देश इसे आतंकी संगठन नहीं मानते. इसका सरगना इस्माइल हानिएह क़तर में रहता है.

वैसे, हमास एक राजनीतिक संगठन है. 2007 से गाज़ा पट्टी पर उनका शासन है. उनका मिलिटरी विंग है, अल-क़ासिम ब्रिगेड. इसको मोहम्मद दाएफ़ संभालता है. हिंसा में यही ब्रिगेड शामिल रहती है. हालांकि, ये सिर्फ दिखावे की बात है. अल-क़ासिम ब्रिगेड, पॉलिटिकल लीडरशिप के इशारे पर ही काम करती है.

हमास 1987 में बना. शाब्दिक अर्थ होता है, जुनून. पूरा नाम है- हरक़त अल-मुक़ावमा अल-इस्लामिया. मतलब, इस्लामिक रेज़िस्टन्‍स मूवमेंट. हिंदी में- इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन. इमाम शेख़ अहमद यासिन और अब्दुल अज़ीज़ अल-रंतीसी फ़ाउंडर थे. 1988 में उन्होंने एक चार्टर बनाया. मकसद बताया - इज़रायल को मिटाकर फ़िलिस्तीन स्टेट की स्थापना करेंगे. 2006 से गाज़ा में हमास का कंट्रोल है. तब से उसने चार मौकों पर इज़रायल के साथ बड़ी लड़ाइयां की है. 2008, 2012, 2014, और 2021 में.

8. मोसाद

मोसाद इज़रायल की खुफिया एजेंसी है. डायरेक्टर हैं, डेविड बर्निया. मोसाद के डायरेक्टर सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं. ये मुल्क को बाहरी ख़तरों से बचाती है. इंटेलिजेंस इकट्ठा करती है. कभी-कभी कोवर्ट ऑपरेशंस भी करती है. स्थापना 1949 में हुई थी. शुरुआती दौर में इनका फ़ोकस नाज़ी क्रिमिनल्स पर था. सबसे चर्चित मामला एडोल्फ़ आइख़मैन का है. मोसाद उसको अर्जेंटीना से गुपचुप तरीके से उठा लाई थी. 1972 के म्युनिख़ ओलंपिक्स में इज़रायली एथलीट्स की हत्या का बदला भी मोसाद ने ही लिया. इसके अलावा, फ़िलिस्तीनी नेताओं की हत्या में भी मोसाद का नाम आता है.

हमास के हालिया हमले को मोसाद की नाकामी के तौर पर देखा जा रहा है.

9. इज़रायली डिफ़ेंस फ़ोर्सेज़ (IDF)

ये इज़रायल की मिलिटरी का नाम है. इसमें थलसेना, वायुसेना और नौसेना, तीनों आती है. चीफ़ ऑफ़ द जनरल स्टाफ़ इसके मुखिया होते हैं. रक्षामंत्री को रिपोर्ट करते हैं. IDF की स्थापना 26 मई 1948 को हुई थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियन के आदेश पर.

18 साल से ऊपर के इज़रायली नागरिकों को मिलिटरी में सेवा देना अनिवार्य है. हालांकि, धार्मिक और शारीरिक आधार पर कुछ छूट भी है.

अभी चल रहे युद्ध में IDF इज़रायल की तरफ से जवाब दे रही है.

वीडियो: दुनियादारी: इजराइल पर सैकड़ों रॉकेट दागने वाला 'हमास' ताकत कहां से पाता है?

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