The Lallantop
Advertisement

क्या ईरान के हथियारों से यूक्रेन में तबाही मची? रूस-ईरान साझेदारी की पूरी कहानी!

पिछले कुछ दिनों से अमेरिकी मीडिया में ये लिखा जा रहा है कि ईरान ने रूस को शॉर्ट रेंज़ की मिसाइलें भेजी हैं. अब तक उनके बीच सिर्फ़ ड्रोन्स के लेन-देन की ख़बरें थीं. 09 सितंबर को यूरोपियन यूनियन (EU) ने चिंता जताई. अब इस मामले में अमेरिका ने सख़्ती बरती है.

Advertisement
Putin In Iran
2017 में ईरान के तेहरान में एक बैठक के दौरान ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई (दाएं) रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन(बाएं) की तस्वीर (फ़ोटो-AP)
pic
साजिद खान
10 सितंबर 2024 (Published: 22:08 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

रिपोर्ट्स के मुताबिक़, ईरान कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें रूस को सप्लाई कर रहा है. 06 सितंबर को अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस पर एक डिटेल्ड रिपोर्ट पब्लिश की थी. न्यूज़ एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (AP) ने भी अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से ऐसा ही दावा किया है. 

ईरान और रूस की ये सांठगांठ नई नहीं है. ईरान, यूक्रेन युद्ध के पहले से रूस को ड्रोन्स सप्लाई कर रहा था. हालांकि, जंग शुरू होने के बाद इसमें लगाम लग गई थी. ईरान ने जंग के बीच ड्रोन सप्लाई का आरोप कभी नहीं स्वीकारा है. इसी बीच मिसाइल की सप्लाई पर चर्चा शुरू हो गई है. ईरान ने इस बार भी इनकार किया. कहा, ईरान पर आरोप लगाने वाले वे हैं, जो दूसरे पक्ष को सबसे ज़्यादा हथियार दे रहे हैं.
रूस ने क्या जवाब दिया? वो बोला, हमने ये रिपोर्ट देखी है. ज़रूरी नहीं कि हर बार इस तरह की ख़बर सच हो. 

हालांकि, रास्ता इतना भी सीधा नहीं है. इनकार से आगे की कहानी और भी है.  आइए समझते हैं .  
- क्या ईरान, रूस को मिसाइल दे रहा है?
- पश्चिमी देशों की आपत्ति की वजह क्या है?
- और, रूस-ईरान रिश्तों का इतिहास क्या है?

पहले बेसिक्स क्लियर कर लेते हैं. रूस आकार में दुनिया का सबसे बड़ा देश है. उसकी ज़मीन एशिया से लेकर यूरोप तक फैली हुई है. जबकि ईरान वेस्ट एशिया में बसा है. दोनों देशों के बीच कोई ज़मीनी सीमा नहीं मिलती. फिर भी उनके बीच कई समानताएं हैं. रूस और ईरान, दोनों कच्चे तेल के सबसे बड़े उत्पादकों में से हैं. 

दोनों पर पश्चिमी देशों का प्रतिबंध लगा है. ईरान पर उसके न्यूक्लियर प्रोग्राम की वजह से. जबकि रूस पर 2014 में क्रीमिया पर क़ब्ज़े के कारण प्रतिबंध लगा था. फ़रवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन में जंग शुरू की. इसके बाद प्रतिबंध और बढ़ा दिए गए.

2007 में रूस ने ईरान को CSTO में शामिल होने की दावत दी थी. CSTO माने कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी आर्गनाइज़शन. रूस ने ये संगठन नेटो को काउंटर करने के लिए बनाया है. इसमें सोवियत यूनियन से अलग हुए देश शामिल हैं. अब तक वेस्ट एशिया के किसी और देश को ये पेशकश नहीं की गई है.

रूस ईरान रिश्तों का इतिहास

1917 में रूस में बोल्शेविक क्रांति हुई. 1922 में सोवियत संघ वजूद में आया. उस समय ईरान की ज़मीन, कजार वंश के अधीन थी. 1925 में ईरान में पहलवी वंश की शुरुआत हुई. रेज़ा शाह पहलवी के समय में ईरान ने अमेरिका और पश्चिमी देशों का साथ दिया. इसलिए, सोवियत यूनियन ने ईरान में एंटी-अमेरिका और वामपंथी पार्टियों को समर्थन दिया.

फिर 1979 का साल आया. ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई. अयातुल्लाह रुहुल्लाह ख़ोमैनी ईरान के सुप्रीम लीडर बने. एक साल बाद इराक़ से जंग छिड़ गई. शुरुआत में तो सोवियत यूनियन न्यूट्रल बना रहा. बाद में उसने इराक़ को समर्थन दे दिया. जंग खत्म होने के बाद सोवियत यूनियन ने ईरान से दोस्ती की पहल की. मगर ख़ोमैनी ने इससे इनकार कर दिया.

Ayotollah Khomaini
ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद अयातुल्लाह रुहुल्लाह ख़ोमैनी ईरान के सुप्रीम लीडर बने. (फ़ोटो-AP)

फिर एक घटना घटी. जिसने पूरी दुनिया की राजनीति को बदलकर रख दिया. 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया. उससे अलग-अलग देश बने. सोवियत संघ का उत्तराधिकार रूस के पास आया. बोरिस येल्तसिन रूस के पहले राष्ट्रपति बने. उन्होंने ईरान के साथ रिश्ते सुधारे. येल्तसिन ने 1999 में पुतिन को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. 2000 में पुतिन ने चुनाव जीतकर रूस की सत्ता संभाल ली. तब से वो कुर्सी पर कायम हैं. पुतिन ने ईरान के साथ रिश्ते मज़बूत करने पर ज़ोर दिया है.

2007 में पुतिन पहली बार ईरान गए. तब रूस की ख़ुफ़िया एजेंसियों ने ईरान में पुतिन की हत्या का डर जताया था. मगर पुतिन ने अपना दौरा कैंसिल नहीं किया. बोले, ख़तरे के डर से मैं घर में बैठा तो नहीं रह सकते. पुतिन पहले रूसी नेता बने जिसने ईरान की यात्रा की. इस दौरान दोनों देशों के बीच हथियारों की डील भी हुई. 

Putin in Iran
पुतिन के 2007 दौरे के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन(बाएं) की ईरानी सुप्रीम लीडर अली खामेनेई (दाएं) से मुलाक़ात की एक तस्वीर (फ़ोटो-AP)

पुतिन अब तक पांच बार ईरान जा चुके हैं. आखिरी बार जुलाई 2022 में पहुंचे थे. यूक्रेन जंग के महज़ 5 महीने बाद. इस यात्रा के दौरान पश्चिमी देशों ने ईरान और रूस के बीच हथियारों की डील के आरोप लगाए थे.  

हालिया घटना क्या है?

पिछले कुछ दिनों से अमेरिकी मीडिया में ये लिखा जा रहा है कि ईरान ने रूस को शॉर्ट रेंज़ की मिसाइलें भेजी हैं. अब तक उनके बीच ड्रोन्स के लेन-देन की ख़बरें थीं. अब मामला मिसाइलों तक पहुंच गया है. 09 सितंबर को यूरोपियन यूनियन (EU) ने चिंता जताई. EU यूरोप के 27 देशों का संगठन है. उनके बीच आर्थिक और सैन्य सहयोग का समझौता हो रखा है. 

अब इस मामले में अमेरिका ने सख़्ती बरती है. 10 सितंबर को विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने ईरान पर प्रतिबंध लगाने का एलान किया. बोले, हमने ईरान को पब्लिकली समझाया. प्राइवेट में भी चेतावनी दी कि ऐसा करना ख़तरनाक हो सकता है. मगर वो नहीं माना. ब्लिंकन ने कहा कि रूस अगले कुछ हफ़्तों में इन मिसाइलों का इस्तेमाल कर सकता है.

Shahed Drones
7 सितंबर, 2024 की तस्वीर जब यूक्रेन की राजधानी कीव में रूस के हवाई हमले के दौरान यूक्रेनी एयर डिफ़ेंस ने एक शाहेद ड्रोन को इंटरसेप्ट किया (फ़ोटो- AP)
ये हथियार कौन से हैं?

सबसे ज़्यादा बहस शाहेद ड्रोन्स की है. ये एक तरह का आत्मघाती ड्रोन है. ये फ्लाइंग बम की तरह काम करता है. इसका अगला हिस्सा विस्फोटक से लैस होता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, इसको इस तरह से डिजाइन किया गया है कि जब तक उसे हमले के लिए कमांड न मिले, वो अपने टारगेट पर मंडराता रहता है. टारगेट से टकराते ही धमाका होता है. इस प्रोसेस में ड्रोन ख़ुद भी नष्ट हो जाता है. इसके डैने ढाई मीटर तक लंबे होते हैं. और, रडार के लिए उन्हें पकड़ना काफ़ी मुश्किल होता है. ये ढ़ाई हज़ार किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकता है. इसकी स्पीड 185 किलोमीटर प्रतिघंटा तक होती है. शहीद ड्रोन्स की कीमत डेढ़ लाख से पांच लाख भारतीय रुपए तक होती है.  

वीडियो: दुनियादारी: रूस-यूक्रेन जंग कब तक चलेगी?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement