The Lallantop
Advertisement

युद्ध के तनाव से महिलाओं के स्तनों में सूख रहा है दूध

महंगाई बहुत है और बच्चे कुपोषित.

Advertisement
Img The Lallantop
pic
शिव
12 जून 2017 (Updated: 12 जून 2017, 13:40 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

इराक में मोसुल के पास वज़ीरा अपने बच्चे को चुप कराने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन वो चुप नहीं हो रहा, क्योंकि वो भूख से तड़प रहा है. लेकिन वज़ीरा उसे दूध नहीं पिला सकतीं क्योंकि उनके स्तनों में दूध सूख चुका है और मोसुल के कैंप में दूध इतना महंगा है कि वो खरीदने की स्थिति में नहीं हैं.

वज़ीरा बताती हैं कि बच्चा जब से पैदा हुआ है, तब से रोता रहता है. वो तभी चुप होता है, जब रोते-रोते थक जाता है. 24 साल की ये इराकी मां अपने बच्चे को धूप से बचाने के लिए सफेद कपड़े से ढककर रखती है. खाज़िर कैम्प में एक क्लीनिक के बाहर वो लाइन में लगी हैं.



अमेरिकन मेडिकल वॉलेंटियर, मोसुल के बाहर मरीजों को देखते हुए

उसी लाइन में कुछ मीटर पीछे मारवा भी अपनी बच्ची को दिखाने के लिए अपनी बारी का इंतज़ार कर रही हैं. 25 साल की मारवा करीब दो हफ्ते पहले अपने परिवार के साथ पश्चिमी मोसुल से भागी थीं. उस समय उनकी बच्ची 5 महीने की थी. वो भी अपनी बच्ची को दूध नहीं पिला पा रही थीं क्योंकि उसके स्तनों में दूध नहीं था.

वो बताती हैं, ''पिछले कई महीनों से मैं काफी परेशान हो चुकी हूं. इस दौरान मैं एक जगह से दूसरी जगह भटकती रही. मैं बीमार थी और इस स्थिति में नहीं थी कि बच्ची को दूध पिला सकूं.''


download
उत्तरी मोसुल में इराकी आर्मी का वाहन

क्लीनिक में डॉक्टर के तौर पर तैनात नेशमील डिलर बताते हैं कि वो एक दिन में लगभग 80 महिलाओं को देखते हैं. इनमें से लगभग 70 फीसदी महिलाएं अपने बच्चों को दूध पिला पाने की स्थिति में नहीं हैं और इनके बच्चे हमेशा भूख से रोते ही रहते हैं.

डिलर ने कहा कि इनके स्तनों में दूध इसलिए सूख गया है क्योंकि तनाव और निराशा के कारण इनके अंदर तमाम तरह के साइकोलॉजिकल और हॉर्मोनल बदलाव हो गए हैं. इन्हें न ही शारीरिक आराम मिलता है और न ही पौष्टिक खाना. इस वजह से इनके स्तनों में दूध नहीं बचा. एक मेडिकल चैरिटी संस्थान "डॉक्टर विदऑउट बॉर्डर" का कहना है कि वो विस्थापित हुए बच्चों पर मां का दूध न मिलने की वजह से पड़ने वाले प्रभावों पर रिसर्च कर रहे हैं.

Khatla Ali Abdullah, 90, is embraced as she flees her home as Iraqi forces battle with Islamic State militants in western Mosul, Iraq. REUTERS/Zohra Bensemra

अक्टूबर में शुरू हुए मोसुल अभियान से लेकर अभी तक लगभग 8 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं. इस एरिया में ISIS का लगभग तीन साल से कब्ज़ा है. इस एरिया से लोग भाग रहे हैं, जिस कारण से उन लोगों का भविष्य काफी अनिश्चित हो गया है.

एमएसएफ मेडिकल कॉर्डिनेटर का कहना है कि महिलाओं में न्यूट्रिशन की कमी ब्रेस्टफीडिंग पर उतना असर नहीं डालती, जितना तनाव.

883ba9bed3d4436bbff4ded1f4b0bff9_18

इन क्षेत्रों में जिन बच्चों की मां दूध नहीं पिला पा रही हैं, उन बच्चों में कुपोषण कहीं ज़्यादा है. क्योंकि मोसुल के इस अशांत क्षेत्र में डिब्बे वाला दूध एक तो बड़ी मुश्किल से आ पाता है और जो आता भी है वो काफी महंगा है.

हाल ही में यूएन चिल्ड्रेन फंड ने नोटिस किया कि जो बच्चे अपने क्षेत्रों से विस्थापित हुए हैं, उनमें कुपोषण का प्रतिशत बढ़ा है. इस वजह से इस संस्था ने कुपोषण को कम करने के लिए मूंगफली से बने सप्लीमेंट्स बच्चों को देने शुरू कर दिए हैं.



ये भी पढ़ेंः

राशिद लतीफ ने गालियां दीं, तो सहवाग और मनोज तिवारी ने क्या किया

गुजरात में शिक्षा और न्याय विभाग की क्या जरूरत, वहां तो सब तांत्रिक संभाल लेंगे!

अगर आप भी सिगरेट और चाय उधार की पीते हैं तो ये पढ़िए!

जिस धुन पर जनता को इमरान हाशमी दिखता था, उसमें पाक महीने का चांद कैसे देख लें?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement