एक दिन में कितना कमाता था पाब्लो एस्कोबार?
हर हफ़्ते 64 हज़ार रुपए के रबर बैंड क्यों ख़रीदता था पाब्लो एस्कोबार?
नोटों की इतनी गड्डियां कि उन्हें बांधने के लिए ज़रूरी रबरबैंड ख़रीदने में ही हर हफ़्ते 65 हज़ार रुपए खर्च हो जाएं. कैश इतना ही तिजोरियां कम पड़ जाएं और नोट छिपाने के लिए ज़मीन में गड्ढे करवाने पड़ें. एक चिड़िया घर, जो जेल के अंदर बना था, जिसमें रखे थे ऐसे जानवर, जो देश में और कहीं नहीं मिलते थे. एक परिवार जिसे सर्दी से बचाने के जला दिए गए 13 करोड़ रुपए.
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ये सब हिस्से हैं उस शख़्स की कहानी के, जो अपने वक्त में दुनिया का सातवां सबसे अमीर शख़्स था(Colombian drug lord). और ये शोहरत उसे हासिल हुई थी दुनिया के सबसे ताकतवर देश की नाक के नीचे एक सफ़ेद पावडर पहुंचाकर. इस पावडर का नाम था कोकेन(Narcos Netflix). और इसी के चलते उसे शख़्स का नाम पड़ा कोकेन किंग. आज हम आपको सुनाएंगे कहानी डॉन पाब्लो एस्कोबार(Pablo Escobar) की.
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राष्ट्रपति बनना चाहता था बचपन सेकहते हैं एस्कोबार बहुत रईस था. लेकिन ये कहना पूरी तरह सही नहीं है. उसके पास जितनी दौलत थी. उसकी एक दहाई रक़म भी उसके पास होती, तब भी वो रईस की ही कटेगरी में आता. विश्वास न होता हो तो उसकी एक दिन की कमाई सुनिए- 60 मिलियन डॉलर यानी लगभग 400 करोड़ रुपये.ये सब पैसा आता था कोकेन के धंधे से. (Medellín Cartel)
हालांकि उसकी शुरुआत ऐसे नहीं हुई थी. दक्षिणी अमरीकी महाद्वीप के उत्तर-पश्चिम में बसा एक देश है कोलंबिया. कोलंबिया के मेडेलिन शहर के पास एक क़स्बे में साल 1949 में एस्कोबार की पैदाइश हुई. पूरा नाम था पाब्लो एमिलियो एस्कोबार गैविरिया. पाब्लो सात भाई बहनों में तीसरे नम्बर पर आता था. बचपन ग़रीबी में गुजरा. लेकिन पाब्लो का सपना था एक दिन पढ़-लिखकर देश का राष्ट्रपति बनना. राष्ट्रपति बनने का ये सपना उसे देश की संसद तक ले गया. लेकिन उस रास्ते नहीं जैसा उसने सोचा था. उसने वकालत की पढ़ाई की लेकिन पैसों की कमी के चलते बीच में ही कॉलेज छोड़ देना पड़ा.
पैसा ज़रूरत थी. इसलिए उसने कब्र से पत्थर चुराकर उन्हें बेचा, गांजे की सप्लाई की. फ़र्ज़ी लॉटरी टिकट बेचे और कारों की चोरी की. यहां से शुरुआत होती है पाब्लो के क्रिमिनल कैरियर की. 20-21 की उम्र में पाब्लो ने पहला बड़ा कारनामा किया. एक मालदार आदमी को अगवा कर उसने एक लाख डॉलर यानी लगभग 4 करोड़ रुपए की फिरौती हासिल की. ये 1970 का दशक था. और कोलंबिया में कोकेन का धंधा ज़ोर पकड़ने लगा था. पाब्लो ने कोकेन के धंधे में एंट्री की और जल्द ही एक बड़ा गैंग बना लिया. साल 1976 में एक पुलिसवाले ने उसे 39 किलो कोकेन के साथ पकड़ा. लेकिन पाब्लो ने जज को रिश्वत देकर अपनी रिहाई ख़रीद ली. इसके बाद पाब्लो ने एक सिद्धांत अपनाया. -चांदी या सीसा.
इसका मतलब या तो रिश्वत ले लो या मरने के लिए तैयार हो जाओ. इस तरह उसने न सिर्फ़ पुलिस वालों और सरकारी नौकरों को अपने पाले में किया. बल्कि सरकार के कई मंत्रियों और सांसदों को भी चंदा देकर ख़रीद लिया.
कैसे स्मगलिंग करता था कोकेन की?1978 तक उसका एक बड़ा ड्रग कार्टेल तैयार हो चुका था. जिसका नाम था मेडेलेन कार्टेल. इस कार्टेल ने अमेरिका में कोकेन की सप्लाई शुरू की. और जल्द ही अमेरिकी कोकेन कारोबार के 80% हिस्से पर क़ब्ज़ा कर लिया. एस्कोबार कोकेन सप्लाई कैसे करता था? एक तरीक़ा, जिसकी चर्चा बहुत होती है, वो था प्लेन के टायरों में छुपाकर कोकेन की समग्लिंग करना. जिसके लिए एस्कोबार पायलटों को प्रति फ्लाइट 5 लाख डॉलर तक देता था. लेकिन ये सिर्फ़ एक ज़रिया था. और भी कई तरीके थे. मसलन कपड़ों कारोबार से कोकेन की समग्लिंग.
पाब्लो के आदमी कोकेन को पानी में घोलकर उस पानी में जींस डुबा देते. फिर इन जींस को सुखाकर एक बक्से में बंद कर अमेरिका भेज दिया जाता. अमेरिका में एक आदमी इन जींस को एक विशेष लिक्विड में डालता जिससे कोकेन जींस से निकलकर पानी में घुल जाता, और फिर उस कोकेन को उस लिक्विड में से अलग कर लिया जाता. ये तरीक़ा लंबे समय तक चला लेकिन फिर अमेरिकी अधिकारियों को इसकी भनक लग गई. तब पाब्लो के आदमियों ने एक दूसरा तरीक़ा ईजाद किया. जिन डब्बों में जींस भेजी जाती थी, उन्हें कोकेन के पानी में डुबाया जाने लगा. अधिकारी जींस निकालकर उसमें कोकेन ढूंढने की कोशिश करते लेकिन डिब्बे फेंक देते. इसके बाद पाब्लो के आदमी उन डिब्बों को कूड़े से इकट्ठा करते और उनमें से उसी तरह कोकेन निकाल लेते. जैसे जींस से निकालते थे.
कितना पैसा था पाब्लो एस्कोबार के पास?ऐसे तरीक़ों से उसने इतना पैसा बनाया कि पांच साल के अंदर कोलंबिया का सबसे अमीर आदमी बन गया. ये पैसा वो सिर्फ़ अपने लिए नहीं कमाता था. उसके शहर मेडेलिन के लोग उसे रॉबिन हुड मानते थे. इस शहर के विकास में उसने जमकर खर्च किया. रोड बनाई, हॉस्पिटल बनाए, बिजली के खम्बे लगाए और फ़ुटबाल के बड़े बड़े मैदान बनाए. इतने खर्चे के बाद भी उसका कार्टल इतना पैसा कमा रहा था, कि उसे खर्च करना असंभव था. इस पैसे को दूसरे देशों में रखने के लिए भेजा गया. तहख़ानों में छुपाया गया. लेकिन फिर भी कैश ख़त्म ना हुआ. इस समस्या से निजात पाने के लिए पाब्लो ने मेडेलिन के अलग अलग इलाक़ों में घर खरीदे और उनकी दीवारों को तोड़कर उनमें पैसा छुपा दिया. कई बार तो ज़मीन में गड्ढे खोदकर उनमें नोट छिपाए ग़ए. ये इतना सारा पैसा था कि उसकी मौत के 30 साल बाद भी ये पैसा जहां-तहां निकलता रहता है.
साल 2020 में पाब्लो के भतीजे निकोलस को उसके एक पुराने घर से 18 मिलियन डॉलर यानी 148 करोड़ रुपए मिले थे. एक अनुमान के अनुसार एस्कोबार की कुल सम्पत्ति 30 बिलियन डॉलर यानी लगभग ढाई लाख करोड़ रुपए थी. उसके भाई रॉबर्टो के अनुसार उनके पास इतना कैश होता था कि हर साल लगभग 2 बिलियन डॉलर यानी लगभग 16 हज़ार करोड़ रुपए के नोट चूहे कुतर जाते थे.
अपने पैसे के बल पर पाब्लो एस्कोबार ने इतनी ताक़त इकट्ठा कर ली थी कि कोलंबिया में कोई उसे हाथ तक नहीं लगा सकता था. लेकिन फिर 1979 में हुई एक संधि से उसके सर पर ख़तरा मंडराने लगा. ये संधि अमेरिका और कोलंबिया की सरकार के बीच हुई थी. जिसके तहत कोलंबिया के ड्रग माफिया को गिरफ़्तार कर अमेरिका को सौंपा जा सकता था. ये संधि एस्कोबार और बाक़ी ड्रग कार्टेल्स के लिए ख़तरा थी. इसलिए 1979 से 1982 के बीच इस संधि को लागू होने से रोकने के लिए पाब्लो ने पूरा ज़ोर लगा दिया. संधि के समर्थक कई नेताओं की हत्या हुई. किडनैपिंग का दौर चला, आगज़नी हुई. लेकिन ये सब कुछ काम नहीं आया.
सुप्रीम कोर्ट पर हमला1982 में प्रत्यर्पण संधि लागू हो गई. ये देखकर पाब्लो ने एक दूसरा रास्ता चुना. राजनीति का. 1982 में वो कोलंबियन लिबरल पार्टी की तरफ़ से चुनाव में खड़ा हुआ. और चुनाव जीत भी गया. पाब्लो अब देश का राष्ट्रपति बनने के सपने देखने लगा. चुनाव जीतने का एक फ़ायदा ये भी हुआ कि उसे प्रत्यर्पण संधि से विशेष छूट मिल गई. लेकिन साथ साथ एक नई मुसीबत ने भी उसका पीछा शुरू कर दिया.
पाब्लो की विपक्षी कंज़रवेटिव पार्टी ने उसके ख़िलाफ़ मुहीम छेड़ दी. जिस रोज़ पाब्लो सदन में पहली बार दाखिल हुआ, कोलंबिया के जस्टिस मिनिस्टर रॉड्रीगो बोनिला ने अपने भाषण में उसे खूब खरी खोटी सुनाई. पाब्लो का ड्रग्स का धंधा सामने होकर भी सबकी आंखो से ओझल था. ऐसे में रॉड्रीगो ने एक पुराने केस की मिसाल दी. याद कीजिए कुछ देर पहले हमने आपको बताया था कि पाब्लो पहली बार 39 किलो कोकेन के साथ पकड़ा गया था. जिस केस से वो घूस देकर छूट निकला था. रॉड्रीगो बोनिला ने उस केस को दुबारा खोलने की बात कही. कुछ दिनों में इस केस की खबर अख़बारों में भी छपने लगी. एस्कोबार इस अनचाहे अटेंशन से परेशान हो उठा. उसने अपने गुर्गों को आदेश दिया कि मेडेलिन में जितने अख़बार छपते हैं, उनकी सारी प्रतियां उठा ली जाएं.
ऐसा कुछ दिन तक चला लेकिन फिर एक रोज़ अख़बार में ऐसी खबर छपी जिसने पाब्लो की निजी ज़िंदगी में भूचाल खड़ा कर दिया. एक अख़बार ने छापा कि पाब्लो का न्यूज़ चैनल की एक मशहूर एंकर से अफ़ेयर चल रहा है. ये खबर पढ़कर पाब्लो की पत्नी बहुत नाराज़ हुई और उसे तलाक़ देने पर आमादा हो गई. पाब्लो ने किसी तरह उसे मनाया. इसके बाद एक और बुरी खबर आई. कोलंबिया संसद ने बहुमत से एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें पाब्लो को प्रत्यर्पण से मिलने वाली छूट हटा ली गई. इस पूरे हंगामे से पाब्लो इतना खार खाया कि उसने राजनीति को अलविदा कहने का मन बना लिया. हालांकि यहां से पाब्लो का एक नया रूप दिखा, जिसने अगले पांच सालों तक पूरे कोलंबिया में कोहराम मचा दिया.
सबसे पहले पाब्लो ने जस्टिस मिनिस्टर रॉड्रीगो बोनिला को निशाना बनाया. उसके गुर्गों ने बोनिला की गोली मारकर हत्या कर दी. इसके बाद पाब्लो ने कोलंबिया के एक क्रांतिकारी गुरिल्ला समूह M-19 से हाथ मिलाया और उन्हें पैसों से जमकर मदद दी. पाब्लो के इशारे पर नवंबर 1985 में एक रोज़, M-19 के हथियार बंद लड़ाकों ने कोलंबिया के सुप्रीम कोर्ट पर हमला किया और क़रीब दर्जन भर जजों सहित 300 लोगों को बंदी बना लिया. उन्होंने कोलंबिया के राष्ट्र्पति बेलिसारियो बेटानकूर से मांग की कि अमेरिका के साथ संधि को ख़त्म कर दिया जाए. M-19 की मांग तो नहीं मानी गई लेकिन सेना के साथ लड़ाई में 100 निर्दोष लोगों और सुप्रीम कोर्ट के 6 जजों की जान चली गई. इस घटना से पाब्लो एस्कोबार को दो फ़ायदे हुए.
पहला - M -19 ने कोलंबिया ड्रग ट्रेड की जांच से जुड़े सारे दस्तावेज जला डाले. दूसरा फ़ायदा ये हुआ कि 1986 में हुए चुनावों ने पाब्लो के दुश्मन बेलिसारियो बेटानकूर की भी कुर्सी चली गई. 1986 में कोलंबिया के नए राष्ट्रपति बने, वरहिलियो बारको. उन्होंने भी पिछली सरकार की तरफ़ ड्रग ट्रेड के ख़िलाफ़ कड़ा रुख़ रखा. उन्होंने एक स्पेशल फ़ोर्स का गठन किया. जिसमें पाब्लो के शहर मेडेलिन से एक भी आदमी नहीं था. इस फ़ोर्स को अमेरिकी अधिकारियों द्वारा ट्रेनिंग दी गई थी. और इसका इकलौता काम ड्रग माफिया को ख़त्म करना था. इस फ़ोर्स ने पाब्लो के लोगों की गिरफ़्तारी शुरू की. और उसके ठिकानों पर छापा मारना शुरू किया. पाब्लो ने बदले में स्पेशल फ़ोर्स के तीन सौ लोगों को मरवा डाला. इस फ़ोर्स के एक मेम्बर को मारने पर वो करोड़ों रुपए देता था. स्पेशल फ़ोर्स ने दो साल तक पाब्लो का पीछा किया लेकिन उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाई.
एस्कोबार की प्राइवेट जेलइसी समय पर पाब्लो एक और मुसीबत से गुजर रहा था. कोलंबिया में पाब्लो के मेडेलिन कार्टेल के अलवा एक और बड़ा कार्टेल काम कर रहा था. जिसका नाम था कैली कार्टल. कई सालों से इस कार्टल के पाब्लो से अच्छे रिश्ते थे. लेकिन फिर व्यापार में बड़े हिस्से को लेकर दोनों संगठनों में लड़ाई हो गई. और कैली कार्टल पाब्लो की जान का दुश्मन बन गया. पाब्लो के परिवार को निशाना बनाने के लिए एक बार उन्होंने उनके घर के आगे खड़ी गाड़ी में विष्फोट कर दिया था. जिसके बाद बचने के लिए पाब्लो को पहली बार अपने परिवार सहित अंडर ग्राउंड जाना पड़ा. इसी दौरान की एक किंवदंती फ़ेमस है कि एक रोज़ जब पाब्लो की बेटी को ठंड लग रही थी. उसने आग जलाने के लिए करोड़ों डालरों की गड्डियां स्वाहा कर दीं.
बहरहाल अंडरग्राउंड रहते हुए भी पाब्लो अपने मिशन में लगा रहा. साल 1989 की बात है. कोलंबिया का एक जहाज़, फ़्लाइट 203, 107 लोगों को लेकर उड़ान भर रहा रहा. कोलंबिया की राजधानी बोगटा के ऊपर उड़ते हुए प्लेन में धमाका हुआ और सभी 107 लोग मारे गए. बाद में पता चला कि ये धमाका पाब्लो ने करवाया था. इस विमान में सीज़र ट्रुहिलो नाम के नेता ट्रैवल करने वाले थे. ट्रुहिलो की अगले चुनाव में जीतने की उम्मीद लगाई जा रही थी. और वो ड्रग ट्रेड के ख़िलाफ़ कड़ा रुख़ रखते थे. उस रोज़ उन्होंने आख़िरी समय में अपना प्लान चेंज कर दिया, जिसके चलते उनकी जान बच गई. 1990 में हुए चुनावों में ट्रुहिलो राष्ट्रपति बने और उनके राष्ट्रपति बनने के बाद दो बड़ी घटनाएं हुईं.
पहली- 1991 में कोलंबिया का नया संविधान बना. जिसकी ख़ास बात ये थी कि इसमें अमेरिका से प्रत्यर्पण संधि को ख़ारिज कर दिया गया था. ऐसा करने के लिए पाब्लो ने सांसदों में घूस दी थी. दूसरी बड़ी घटना ये थी कि संविधान बदलते ही पाब्लो ने सरकार को प्रस्ताव दिया कि वो सरकार के साथ अपनी लड़ाई रोक देगा. बशर्ते उसके परिवार को सुरक्षा मिले. उसने खुद की गिरफ़्तारी की पेशकश भी की. लेकिन इसमें एक पेंच था. उसकी शर्त थी कि वो अपने लिए जेल खुद बनाएगा.
सरकार ने उसकी मांग मान ली. 19 जून 1991 के रोज़ पाब्लो एस्कोबार की गिरफ़्तारी हुई. उसके लिए मेडेलिन के ठीक बाहर एक पहाड़ी के ऊपर एक भव्य बिल्डिंग बनाई गई, जो बाहर से दिखने में जेल की तरह दिखती थी लेकिन अंदर उसमें तमाम सुविधा के साधन थे. अंदर बार था, पूल टेबल थी. आलीशान कमरे थे. नहाने का पूल था. खेलने के लिए एक फ़ुटबाल ग्राउंड था. यहां तक कि अपना प्राइवेट जू था, जिसमें रखे जानवर बाक़ी कोलम्बिया में कहीं नहीं मिलते थे. इस तथाकथित जेल से एक साल तक पाब्लो एस्कोबार ने अपना ड्रग्स का साम्राज्य चलाया.
कैसे मारा गया पाब्लो एस्कोबार?कोलंबिया में होने वाली मौतों का सिलसिला रुक नहीं रहा था. सरकार परेशान थी. एस्कोबार की हिमाक़त यहां तक बढ़ चुकी थी कि एक बार अपनी ही जेल में पुलिस वालों के सामने उसने दो लोगों की हत्या कर दी. उसे मसखरी में मज़ा आता था. उसके भाई रोबर्तो एस्कोबार के अनुसार एक रोज़ उसने अपने गैंग एक एक मेम्बर से दवा की एक गोली ली और मुंह में डाल ली. इसके बाद वो मुंह से झाग निकलने का नाटक करने लगा. उसने गोली देने वाले के कनपट्टी पर बंदूक़ तान दी, ये कहते हुए कि वो उसे मारना चाहता है. 10 मिनट तक वो शख़्स जान की भीख के लिए गिड़गिड़ाता रहा, तब पाब्लो ज़ोर से हंसा और अपनी बंदूक़ उसकी कनपट्टी से हटा दी.
उधर पाब्लो पर कोई रोक न लगती देख, कोलंबिया की सरकार ने अंततः अमेरिकी सरकार से मदद मांगी. अमेरिकी की एक स्पेशल फ़ोर्स पाब्लो को पकड़ने कोलंबिया आई. पुलिस पाब्लो को पकड़ने के लिए उसकी जेल में दाखिल हुई लेकिन एक सीक्रेट सुरंग के रास्ते पाब्लो भाग निकला. और अगले डेढ़ साल तक यहां वहां छिपता रहा. अब तक पाब्लो के क़ई दुश्मन तैयार हो चुके थे. कोलंबिया की सरकार, अमेरिका की सरकार और लॉस पेपेस नाम का एक संगठन,. लॉस पेपेस उन लोगों का संगठन बना था, जो पाब्लो द्वारा मारे गए आम लोगों का बदला लेना चाहते थे. इस संगठन ने पाब्लो के छुपने के तमाम ठिकाने बंद कर दिए. बचने के लिए पाब्लो अपनी एक दूर की आंटी के घर में छुप गया.
फिर आई 1 दिसंबर 1993 की तारीख़. उस रोज़ पाब्लो का जन्मदिन था. लेकिन जन्मदिन मनाने के लिए उसके साथ कोई नहीं था. लम्बे समय से वो अपने परिवार से नहीं मिला था. उसे डर था विरोधी गैंग के लोग उसके परिवार को मार देंगे. इसलिए उसने उनकी जर्मनी जाने की व्यवस्था की. लेकिन जर्मन सरकार ने उसकी पत्नी और बच्चों को वापस लौटा दिया. इस घटना से मायूस होकर उस रोज़ पाब्लो ने अपने बेटे को फ़ोन किया ताकि उनकी ख़ैर खबर ले सके. सालों बाद उसके बेटे ने एक टीवी इंटरव्यू में बताया कि उसके पिता ने उस रोज़ 7 बार कॉल किया था. पहले तो उन्होंने पुलिस के डर से फ़ोन नहीं उठाया. लेकिन फिर ज़रूरी बात होगी सोचकर फ़ोन उठा लिया. पुलिस उनका फ़ोन टैप कर रही थी. इस कॉल से उन्होंने पाब्लो की लोकेशन का पता लगा लिया और उसके ठिकाने तक पहुंच गई. पाब्लो ने कमरे से निकालकर छत के रास्ते भागने की कोशिश की. उसने पुलिस पर गोली भी चलाई लेकिन वापसी फ़ायरिंग में वो मारा गया.
पाब्लो एक्सोबार की कहानी का अंत हो गया. कोलंबिया के लिए वो एक ड्रग माफिया था लेकिन उसके शहर मेडेलिन के लोग उसे भगवान मानते थे. उसकी आख़िरी यात्रा में हज़ारों लोग शामिल हुए. उसके घर और रहने के बाक़ी ठिकाने आगे जाकर टूरिस्ट स्पॉट्स में तब्दील हो गए. जहां आज भी लोग ये सोचकर जाते हैं कि शायद उन्हें एस्कोबार के ख़ज़ाने का कोई हिस्सा कहीं गड़ा मिल जाए.
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