ये आर्टिकल 'दी लल्लनटॉप' के लिए ताबिश सिद्दीकी ने लिखा है. 'इस्लाम का इतिहास'नाम की इस सीरीज में ताबिश इस्लाम के उदय और उसके आसपास की घटनाओं के बारे मेंजानकारी दे रहे हैं. ये एक जानकारीपरक सीरीज होगी जिससे इस्लाम की उत्पत्ति के वक़्तकी घटनाओं का लेखाजोखा पाठकों को पढ़ने मिलेगा. ये सीरीज ताबिश सिद्दीकी कीव्यक्तिगत रिसर्च पर आधारित है. आप ताबिश से सीधे अपनी बात कहने के लिए इस पते परचिट्ठी भेज सकते हैं - writertabish@gmail.com--------------------------------------------------------------------------------इस्लाम के पहले का अरब: भाग 5अल्लाह के नाम को लेकर लोग बहुत संशय में होते हैं. अक्सर ये पूछते हैं कि अल्लाहआख़िर कहा किसको जाता था इस्लाम के पहले के अरबों के द्वारा? इस बात को हर कोई जानताहै कि अल्लाह शब्द इस्लाम के आने से बहुत पहले से अरबों द्वारा इस्तेमाल किया जाताथा. जैसा कि ज्ञात है कि अरब मूर्तिपूजक थे और विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा करतेथे. इसलिए ये सवाल आता है कि अल्लाह नाम से वो किस देवता को पुकारते थे?पैगम्बर मुहम्मद के पिता का नाम था अब्दुल्लाह. जिसका अर्थ होता है अल्लाह का सेवक.ये नाम इस्लाम के आने से पहले का है और ये दर्शाता है कि इस्लाम के पहले भी अल्लाहउसी तरह से पूज्य था, जैसे इस्लाम आने के बाद हुआ.कैसे बना 'अल्लाह'?अल्लाह शब्द अरबी भाषा के दो शब्दों अल-इलाह से मिलकर बना है. अल शब्द को वैसे हीइस्तेमाल करते हैं जैसे अंग्रेज़ी का शब्द 'The'. इलाह का मतलब होता हैGod/ख़ुदा/ईष्ट/भगवान/प्रभु. अल्लाह नाम किसी एक देवता के लिए संबोधित नहीं था.बल्कि अल्लाह शब्द एक सृजनकर्ता या पालनहार के लिए इस्तेमाल होता था. इसे हमहिंदुओं द्वारा प्रचलित शब्द भगवान के उदाहरण से समझ सकते हैं.भगवान शब्द किसी एक देवता के लिए इस्तेमाल नहीं होता है. भगवान शब्द इस्तेमाल कियाजाता है सृष्टि रचयिता के लिए. यहां राम भी भगवान हैं और कृष्ण भी. इन्हें भगवान काही रूप, अंश, अवतार समझा जाता है. ठीक उसी तरह अरबी शब्द अल्लाह है. अरब इसे सृष्टिरचयिता को संबोधित करने के लिए इस्तेमाल करते थे.काबा के भीतर भी था 'अल्लाह'काबा के भीतर रखे सबसे बड़े देवता हबल/हुबल की स्तुति में हुबल को अल्लाह कह करसंबोधित किया गया है. जिसका सीधा सा अर्थ है भगवान/ख़ुदा/ देवता. इलाह मतलब देवता.काबा के आसपास रखे सैकड़ों देवता इलाह कहलाते थे. वो उस अल-इलाह, सबसे बड़े देवता,यानि अल्लाह का अंश थे. जो रचयिता है इस सृष्टि का.इसलिए ये नहीं कहा जा सकता है कि अल्लाह किसी एक देवता या ख़ुदा को समर्पित नाम था.अल्लाह शब्द भगवान शब्द की तरह इस्तेमाल किया जाता था. अरब एक रचयिता को तो मानतेथे मगर उनका वो रचयिता निराकार नहीं था. और न ही वो अकेला था. उसके बहुत सारे साथीथे. कई अवतार थे. ढेर सारे इलाह उस अल-इलाह से ही निकले थे. और उन सब में विभिन्नशक्तियां थीं.अरबी में लिखा अल्लाह.जैसे इलाह पुरुष देवता होता था, ठीक वैसे ही देवी के लिए इलात शब्द का इस्तेमालकिया जाता था. अल-इलात मतलब सबसे बड़ी देवी. अल-इलात से अल्लात शब्द बना. अल-लातकाबा के भीतर रखी सबसे बड़ी देवी को कहा जाता था.ईसाईयों का भी है 'अल्लाह'एक और उदाहरण द्वारा हम अल्लाह शब्द को और ठीक से समझ सकते हैं. अरब के ईसाई,जिन्होंने इस्लाम नहीं कुबूल किया, जो इस समय सीरिया, लेबनान, जॉर्डन, इराक़ जैसेअन्य देशों में बसे हुए हैं, ख़ुदा के लिए अल्लाह शब्द का ही इस्तेमाल करते हैं. वोअल्लाह अल-अब शब्द का इस्तेमाल करते हैं परम-पिता के लिए. अल्लाह-अल-इब्न शब्द यीशुके लिए इस्तेमाल करते हैं. यानि अल्लाह का बेटा. वो अल्लाह अल-रूह अल-क़ुद्सइस्तेमाल करते हैं पवित्र आत्माओं (Holy Spirit or Holy Ghost ) के लिए.पैगंबर मुहम्मद साहब के वक़्त काबे को फिर से तामीर किया गया. (सोर्स: यूट्यूब)अल्लाह के बहुत सारे रूप हैं इसाई अरबों के लिए. जैसे हिंदुओं के लिए भगवान. ठीकइसी तरह इस्लाम के पहले अरबों के लिए अल्लाह था. वो एक परम शक्ति था, जिसके बहुतसारे रूप थे. वो उनको जिन्न में भी दिखता था और सांपों में भी. वो चौकोर पत्थरों कीमूर्तियों में भी होता था और विभिन्न देवियों में भी उसी का रूप होता था.अल्लाह के 99 नाम उसके नाम नहीं गुण हैंसारे सबूतों के आधार पर एक बात तो तय है कि मूर्तिपूजक अरबों का अल्लाह एक मर्ददेवता था. उसका भरा पूरा परिवार था. उसकी बेटियां थीं. और उसके सलाहकार थे. बेटियोंको भी असीम शक्तियां प्राप्त थीं. काबा के भीतर रखे हुए देवता हुबल, जिनको कि काबाका मंदिर समर्पित था, सारे देवताओं में श्रेष्ठ माना जाता था. यानि वो अल-इलाह थे.उनकी स्तुति में भी उन्हें अल-इलाह (अल्लाह) कह कर संबोधित किया जाता था. इसलिएअरबी में अल्लाह सिर्फ़ एक शब्द था जिसे भगवान/ख़ुदा कहने के लिए इस्तेमाल किया जाताथा. ये किसी एक का नाम नहीं था. इस्लाम में इसी शब्द को उस परमेश्वर/भगवान के लिएइस्तेमाल किया जाने लगा. आज के दौर में हर मुसलमान आपको अल्लाह के 99 नाम बताएगा,जिसे इस्लाम के बाद प्रचलन में लाया गया. अगर आप उन नामों को देखें तो पता चलेगा किजिसे आम मुसलमान नाम कहते हैं, वो दरअसल नाम नहीं बल्कि अल्लाह के गुण हैं. जैसेअर-रहमान (बहुत दयालु), अर-रहीम (बहुत कृपालु), अस-सलाम (शांति) इत्यादि. अल्लाहशब्द भी इस तरह एक गुण के लिए ही इस्तेमाल होता था, जिसे हम ख़ुदा या भगवान कहतेहैं.क्रमशः...--------------------------------------------------------------------------------'इस्लाम का इतिहास' की पिछली किस्तें:Part 1: कहानी आब-ए-ज़मज़म और काबे के अंदर रखी 360 मूर्तियों कीPart 2: कहानी उस शख्स की, जिसने काबा पर कब्ज़ा किया थाPart 3: जब काबे की हिफ़ाज़त के लिए एक सांप तैनात करना पड़ापार्ट 4: अल्लाह को इकलौता नहीं, सबसे बड़ा देवता माना जाता थाताबिश सिद्दीकी के और आर्टिकल्स यहां पढ़ें:हलाला के हिमायतियों, कुरआन की ये आयत पढ़ लो, आंखें खुल जाएंगीइस्लाम की नाक बचाने के लिए डॉक्टर कफ़ील को हीरो बनाने की मजबूरी क्यों है?मुसलमानों और हिंदुओं के बीच के इस फर्क ने ही मुसलमानों की छवि इतनी खराब की हैइस्लाम में नेलपॉलिश लगाने और टीवी देखने को हराम क्यों बताया गया?औरंगज़ेब, जो पाबंदी से नमाज़ पढ़ता था और भाइयों का गला काट देता थाहज में ऐसा क्या होता है, जो वहां खंभों को शैतान बताकर उन्हें पत्थर मारे जातेहैं, जानिए इस वीडियो में: