एक कविता रोज: कुंवर नारायण की कविता, "एक मां की बेबसी"
आपके पास वक्त हो तो पढ़िए, न हो तो निकालकर पढ़िए, उनकी कविता, “एक मां की बेबसी.” इस बात का बिल्कुल लोड न लीजिएगा कि आपको ये पूरी कविता या इसके कुछ शब्द समझ में नहीं आ रहे हैं, अगर इसे पढ़ते हुए महज एक तस्वीर भी आपके ज़ेहन पर जाहिर हो रही है, तो ये कविता कामयाब है.
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वीडियो: एक कविता रोज़ में सुनिए कुंवर नारायण की कविता - एक वृक्ष की हत्या