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हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए माहौल तैयार हो रहा है, आप भी इसे पढ़कर अपनी तैयारी कर लीजिए!

Haryana Assembly Election 2024 के लिए तारीखों का एलान हो गया है. राज्य में 1 अक्टबूर को चुनाव होगा और 4 अक्टूबर को नतीजे आएंगे. हरियाणा में मौजूदा BJP सरकार के सामने दस साल की एंटी इंकम्बेंसी से निपटने की चुनौती है. वहीं Congress के पास राज्य में दस सालों बाद सत्ता का सूखा खत्म करने का अवसर है.

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Haryana Nayab Singh Saini Bhupinder Singh Hooda
हरियाणा में 1 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होंगे. (इंडिया टुडे)
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आनंद कुमार
23 अगस्त 2024 (Updated: 23 अगस्त 2024, 17:58 IST)
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विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक्स से भारत आती हैं. लौटते वक्त दिल्ली से हरियाणा तक उनका भव्य स्वागत हुआ. विनेश खुली जीप से अपने गांव तक पहुंचीं. इस जीप में उनके साथ एक नेता भी थे. जो दिल्ली एयरपोर्ट से उनके गांव बलाली तक साए की तरह साथ रहे. नेता का नाम हैं दीपेंद्र हुड्डा. रोहतक से सांसद और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे. सफर लंबा था तो कारवां कई जगह रुका. जहां जहां रुका जबरदस्त स्वागत हुआ. और स्वागत करने वालों में कांग्रेस के तमाम टिकटार्थी भी थे. यात्रा तो विनेश के गांव तक पहंच कर खत्म हो गई. लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई. इसके बाद कई मीडिया रिपोर्ट्स में एक खबर छपी. विनेश के चुनाव लड़ने की खबर. कांग्रेस के टिकट पर. इसकी आधिकारिक पुष्टि तो नहीं हुई. लेकिन इस घटनाक्रम ने ये साफ कर दिया कि हरियाणा (Haryana Assembly Election 2024) का चुनावी टेम्पो सेट हो गया है. 

ये सब जब हो रहा था उसके ठीक एक दिन पहले चुनाव आयोग ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों का भी एलान किया था. जिसके बाद से ही सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों को धार देने में जुट गईं. राजनीतिक पार्टियों की तैयारियों के बीच कुछ अहम सवाल हैं- हरियाणा का सामाजिक गणित क्या है? और इस चुनाव में कौन से मुद्दे हावी रहेंगे? लेख में इसको समझने की कोशिश करेंगे. शुरुआत 2019 हरियाणा विधानसभा चुनाव की तस्वीर से करते हैं. 

2019 के विधानसभा चुनाव में क्या हुआ था?

हरियाणा में विधानसभा की 90 सीट है. यहां पिछला चुनाव अक्तूबर 2019 में हुआ था. उस वक्त राज्य में बीजेवी की सरकार थी. और मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री थे. इस चुनाव में बीजेपी को 40, कांग्रेस को 31 और जेजेपी को 10 सीटें मिली. 1 सीट HLP नेता गोपाल कांडा ने जीती. और बाकी बची सीट निर्दलीय के खाते में गई.

बीजेपी इस चुनाव में बहुमत के आंकड़े से 6 सीट दूर रह गई. जिसके चलते उसने JJP के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई. मनोहर लाल खट्टर को दोबारा से मुख्यमंत्री बनाया गया. और JJP के नेता दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. खैर इसके बाद बहुत कुछ हुआ जिसका जिक्र हम आगे करेंगे. 

राजनीतिक विश्लेषक मोटे तौर पर हरियाणा को राजनीतिक रूप से तीन भागों में बांटते हैं- अहीरवाल, जाटलैंड और उत्तरी हरियाणा. 

अहीरवाल: अहीरवाल क्षेत्र में गुड़गांव, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिले आते हैं. इन जिलों में अहीरों (यादवों) का प्रभाव है. संख्याबल और राजनीति, दोनों के लिहाज से. इसके अलावा दक्षिण हरियाणा के झज्जर और भिवानी में भी अहीर  समुदाय की आबादी ठीक-ठाक है. रही बात संख्याबल की तो जाटों और दलितों के बाद हरियाणा में तीसरे नंबर पर यादव हैं, जिनकी आबादी लगभग 10-12 प्रतिशत है. हरियाणा विधानसभा में तकरीबन 20 सीटें दक्षिण हरियाणा से आती हैं. विधानसभा चुनावों में अहीरवाल क्षेत्र की भी अपनी खास भूमिका है. मौजूदा राजनीति के हिसाब से इस क्षेत्र में बीजेपी की अच्छी पकड़ है. जानकारों का दावा रहा है कि इस क्षेत्र के किसानों का किसान आंदोलन से कोई खास सरोकार नहीं रहा है. केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह इसी क्षेत्र से आते हैं. इनके अलावा, क्षेत्र में कांग्रेस के कैप्टन अजय यादव, बीजेपी सरकार के पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा,  कांग्रेस नेता राव दान सिंह का भी ठीक-ठाक प्रभाव है.

जाटलैंड: हरियाणा में रोहतक, सोनीपत, पानीपत, जींद, कैथल, सिरसा, झज्जर, फतेहाबाद, हिसार और भिवानी जिले की करीब 30 विधानसभा सीटों पर जाटों का अच्छा प्रभाव है. इस कारण ही इलाके को जाटलैंड भी कहा जाता है. यहां चौधर का नारा चलता है. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा इसी इलाके से आते हैं. और चौधर के नारे के दम पर दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इसके अलावा जाटलैंड में चौटाला परिवार का भी ठीक ठाक प्रभाव है. इलाके से ताल्लुक कैप्टन अभिमन्यु का भी है जो बीजेपी के बड़े चेहरे हैं. ये इलाका बीजेपी के लिए कभी भी आसान नहीं रहा. क्योंकि बीजेपी पर हमेशा ही एंटी जाट पॉलिटिक्स करने के आरोप लगते रहे हैं. 

उत्तरी हरियाणा : पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, पानीपत ये पंजाबी भाषी इलाके माने जाते हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के बाद से यह क्षेत्र बीजेपी के लिए अनूकूल रहा. लेकिन मौजूदा परिस्थिति बिल्कुल अलग है. जानकार बताते हैं कि किसान आंदोलन का असर और सरकार के खिलाफ एंटी इन्कंबेंसी इस इलाके में सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है. वो भी तब जब सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और मौजूदा सीएम नायब सिंह सैनी इसी इलाके से आते हैं. 

ये तो बात हुई सामाजिक ताने बाने की, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले और उसके बाद सूबे में बहुत कुछ बदला. 

दुष्यंत चौटाला साथ आए फिर अलग हुए

2019 में दुष्यंत चौटाला ने अपनी पारिवारिक पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल से बाहर आकर खुद की पार्टी बनाई थी. और नई पार्टी के जरिए अपनी पहचान स्थापित करने की कोशिश में लगे थे. विधानसभा चुनावों में उनको 10 सीटें मिलीं जिसके बाद गठबंधन सरकार में उनको उप-मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. हालांकि उनके कई समर्थकों को ये फैसला पसंद नहीं आया था. क्योंकि उन्होंने विधानसभा चुनावों में बीजेपी के खिलाफ जमकर कैंपेन चलाया था. चुनाव के नतीजों से भी यही साफ हुआ कि जाट वोटरों की नाराजगी बीजेपी के खिलाफ केंद्रित तो थी, लेकिन फायदा दुष्यंत की पार्टी और कांग्रेस के बीच बंट गया था. मार्च 2024 में इस गठबंधन सरकार के साढ़े चार साल पूरे होने के बाद बीजेपी ने JJP के साथ अपने रास्ते अलग कर लिए. इस बीच पिछले कुछ दिनों में JJP के चार विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं. इस चुनाव में जेजेपी और दुष्यंत चौटाला की राजनीतिक संभावनाओं के बारे में वरिष्ठ पत्रकार धर्मेंद्र कंवारी बताते हैं, 

दुष्यंत चौटाला इस चुनाव में सबसे कमजोर स्थिति में दिख रहे हैं. राज्य की 90 सीटों में से एक पर भी उनकी पार्टी आज की तारीख में विनिंग पोजिशन में नहीं है. उनसे बेहतर स्थिति उनकी पुरानी पार्टी INLD की है.

मनोहर लाल खट्टर का इस्तीफा

बीजेपी-जेजेपी गठबंधन के टूटने के बाद मनोहर लाल खट्टर ने लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद उनके करीबी माने जाने वाले कुरुक्षेत्र से तत्कालीन सांसद नायब सिंह सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया. नायब सिंह सैनी खट्टर की खाली की गई करनाल विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीते. वहीं मनोहर लाल खट्टर ने 2024 मेें करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. सैनी को जहां राज्य का जिम्मा मिला वहीं मनोहर लाल खट्टर केंद्र में मंत्री बन गए. 

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क्रेडिट -इंडिया टुडे
कौन-कौन सी पार्टियां ताल ठोक रही हैं?

हरियाणा विधानसभा में कई पार्टियां चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी और कांग्रेस अकेले मैदान में हैं. वहीं इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन बनाकर हिस्सा ले रही हैं. JJP ने अभी अपना स्टैंड क्लियर नहीं किया है कि वो किसी पार्टी के गठबंधन करेगी या अकेले चुनाव लड़ेगी. दूसरी तरफ AAP को भी लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है. खबरें तो ऐसी भी आईं कि जेजेपी और आप साथ आएंगे. पर पुष्टि नहीं हुई है. हालांकि एक पुष्टि हो गई है. बीजेपी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी. वहीं कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के लिए किसी नाम की घोषणा नहीं की है.

कांग्रेस का 'हरियाणा मांगे हिसाब' कैंपेन

जुलाई में कांग्रेस पार्टी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में बीजेपी सरकार के खिलाफ एक चार्जशीट लॉन्च की. जिसमें बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरा गया. साथ ही 15 जुलाई से पार्टी ने एक राज्यव्यापी कैंपेन भी शुरू किया. जिसका नाम रखा गया - ‘हरियाणा मांगे हिसाब’. इस अभियान के तहत कांग्रेस के नेता दो महीने में राज्य की सभी 90 सीटों का दौरा करेंगे. और सरकार की कमियों के बारे में लोगों को बताएंगे. 

हरियाणा चुनाव में कांग्रेस के दो बड़े चेहरे हैं- कुमारी शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा. चुनावी तैयारियों की बात करें तो भूपेंद्र हुड्डा अब तक 50 से 55 विधानसभा क्षेत्रों की यात्रा कर चुके हैं. वहीं कुमारी शैलजा भी हरियाणा में लगातार एक्टिव हैं. राज्य में कांग्रेस की मौजूदा स्थिति के बारे में धर्मेंद्र कंवारी बताते हैं, 

कांग्रेस की स्थिति की बात करें तो अभी लोकसभा चुनाव हुए थे. जिसमें बीजेपी 10 सीट से सिमट कर 5 पर आ गई. और कांग्रेस 0 से 5 सीट पर आ गई. तो एक मनोवैज्ञानिक बढ़त आज के समय में कांग्रेस के साथ है. अगर आप कांग्रेस से टिकट चाहने वालों की स्थिति देखें तो 90 सीटों के लिए 2500 लोगों ने आवेदन किया है. वहीं बीजेपी में यह स्थिति है कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को सेफ सीट ढूंढनी पड़ रही है. कांग्रेस के लिए एक दिक्कत यह है कि जिन 2500 लोगों ने टिकट के लिए आवेदन किया है उनमें 90 लोगों को ही टिकट मिलेगा. और ये लोग पार्टी के खिलाफ जाते हैं तो मुश्किल खड़ी हो सकती है.

 बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग

बीजेपी अपनी सोशल इंजीनियरिंग के जरिए विपक्ष के नैरेटिव का काउंटर करने की तैयारी में है. जातीय समीकरण साधने के लिए बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया. प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर ब्राह्मण चेहरे मोहन लाल बडौली को बैठाया. और जाट वोट में सेंधमारी करने के लिए कांग्रेस की बागी और हरियाणा के पूर्व सीएम बंसी लाल की बहू किरण चौधरी को पार्टी में शामिल करवाया. और अब उन्हें राज्यसभा भेजने का निर्णय भी किया है. 

इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी की मुश्किलों के बारे में इंडिया टुडे से जु़डे मंजीत सहगल ने बताया, 

बीजेपी की डगर इतनी आसान नहीं होगी क्योंकि एक तो दस साल की एंटी इंकम्बेंसी है. और लोकसभा चुनावों के ठीक कुछ महीने पहले नेतृत्व परिवर्तन कर दिया गया. जिसका खराब मैसेज गया है. और समाज के कई वर्ग हैं जिनकी सरकार से नाराजगी है. किसान वर्ग और जाट समुदाय लगातार सरकार से नाराज चल रहा है. और पिछले दस सालों में सरकार की ओर से इनको मनाने का कोई प्रयास नहीं किया गया. और कहीं न कहीं मनोहर लाल खट्टर के कुछ बयानों से ब्राह्मण समुदाय भी नाराज है. लोकसभा चुनाव में प्रो बीजेपी माने जाने वाले ओबीसी समुदाय भी कई जगह बीजेपी से दूर जाता दिखा है. वहीं कांग्रेस जाट वोटर्स को अपने पाले में करने में सफल रही है.

आंतरिक गुटबाजी से हलकान बीजेपी

कांग्रेस और भाजपा दोनों ही आंतरिक कलह से जूझ रहे हैं. कांग्रेस के दो बड़े चेहरे भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच की सियासी खींचतान जगजाहिर है. लेकिन राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद से दोनों एक दूसरे पर हमला करने से परहेज कर रहे हैं. वहीं बीजेपी के लिए आंतरिक गुटबाजी सिरदर्द पैदा कर रही है. अहीरवाल क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखने वाले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत कैबिनेट रैंक नहीं मिलने से नाराज बताए जा रहे हैं. राव इंद्रजीत के करीबी धर्मबीर सिंह ने घोषणा कर दी है कि 2024 का लोकसभा चुनाव उनका आखिरी चुनाव था. वहीं उनके छोटे भाई राजबीर सिंह लाला ने तोशाम विधानसभा सीट से कांग्रेस से टिकट मांगा है. नाराज नेताओं की सूची में पूर्व मंत्री अनिल विज का भी नाम है. इस साल मार्च में मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद से नाराज चल रहे हैं.

किसानों के लिए MSP की गारंटी

तीनों कृषि कानून भले ही रद्द हो गए हैं. लेकिन हरियाणा और पंजाब के किसान अब भी एमएसपी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. हरियाणा- पंजाब बॉर्डर पर कई महीनों से किसान बैठे हुए हैं. कुछ दिन पहले ही संसद में किसानों के एक गुट ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी. राहुल ने किसानों को एमएसपी पर कानूनी गारंटी दिलाने का वादा किया था. ऐसे में हरियाणा विधानसभा चुनावों में भी एमएसपी का मुद्दा छाए रहने की उम्मीद है. हाल ही में नायब सिंह सैनी सरकार ने  सभी 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदने का एलान किया था. हालांकि किसान संगठनों ने उनके इस कदम को राजनीतिक स्टंट बताया.

अग्निवीर योजना का असर

कांग्रेस ने हरियाणा में अग्निवीर योजना का जोरदार विरोध किया है. लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने वादा किया था कि इंडिया गठबंधन सत्ता में आई तो इस योजना को खत्म कर दिया जाएगा. कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का मानना है कि अग्निवीर योजना की वजह से हरियाणा के युवा सेना में शामिल नहीं हो पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले हरियाणा से सालाना करीब 5500 युवा सेना में भर्ती होते थे. लेकिन अग्निवीर की वजह से यह संख्या गिरकर 900 रह गई है. और इसमें से भी सिर्फ 200 युवा ही 4 साल के बाद सेवा में स्थाई रूप से रह पाएंगे.

हुड्डा सवाल उठाते हैं कि बाकी बचे हुए जवान कहां जाएंगे. और उनकी गिनती भी हजारों बेरोजगार युवाओं में होगी. हरियाणा में अग्निवीर योजना को लेकर बढ़ते विरोध के बाद नायब सिंह सैनी सरकार ने अग्निवीरों को राज्य सरकार की चुनिंदा नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया था. इसमें सरकारी कॉन्स्टेबल, माइनिंग गार्ड, फॉरेस्ट गार्ड, जेल वार्डन और स्पेशल पुलिस ऑफिसर के पद शामिल हैं.

महिला पहलवानों का मुद्दा 

हरियाणा की महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए. इसको लेकर पहलवानों ने हरियाणा से लेकर दिल्ली के जंतर मंतर तक बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रोटेस्ट किया. केंद्र सरकार ने जिस तरह से इस प्रोटेस्ट को हैंडल किया. उसको लेकर हरियाणा में बीजेपी के खिलाफ खासा नाराजगी देखने को मिली है.

जातीय जनगणना 

हरियाणा विधानसभा चुनाव में जाति जनगणना भी एक बड़ा मुद्दा होगा. कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने इस मुद्दे पर कहा है कि अगर प्रदेश में उनकी सरकार आएगी तो वो जाति जनगणना कराएंगे. और उसके हिसाब से ओबीसी समुदाय के लिए आरक्षण बढ़ाने का काम करेंगे. जातीय जनगणना के दांव से कांग्रेस ओबीसी और एससी वोट बैंक साधने की कोशिश में है.

बेरोजगारी भी मुद्दा बनेगा 

लोकसभा चुनावों की तरह ही विधानसभा चुनावों में भी बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा बनने की उम्मीद है. कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल रोजगार को लेकर लगातार सरकार पर हमलावर हैं. राज्य सरकार ने हाल ही में हरियाणा कौशल रोजगार निगम के माध्यम से 'रोजगार गारंटी' सहित कई भर्ती अभियान चलाए हैं. 

ये मुद्दे और समीकरण किस करवट बैठेंगे ये साफ नहीं है. लेकिन यह पता है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन 12 सितंबर तक दाखिल किए जा सकते हैं जबकि मतदान की तारीख 1 अक्टूबर है. वहीं मतगणना 4 अक्टूबर को होगी. चुनाव आयोग के मुताबिक, हरियाणा में मतदाताओं की कुल संख्या 2.03 करोड़ मतदाता है. इसमें 1,08,19,021 पुरुष मतदाता हैं जबकि 95,08,155 मतदाता महिला हैं. थर्ड जेंडर मतदाताओं की कुल संख्या 455 है. हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं जिसमें से 17 सीटें आरक्षित हैं. 

वीडियो: हरियाणा, जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की एक-एक अपडेट यहां जान लीजिए

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