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हमास के हमले की तीन बड़ी वजहें, क्यों फेल हो गया मोसाद?

ऐसे चूका इजराइल!

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Hamas attacks Israel, Hamas kidnaps Israelis
7 अक्टूबर को इजराइल पर हुए हमास के हमले में अबतक लगभग 300 लोग मारे जा चुके हैं और 2000 घायल हुए हैं (तस्वीर- Getty)
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कमल
8 अक्तूबर 2023 (Updated: 10 अक्तूबर 2023, 15:03 IST)
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दुनिया में इजरायल का नाम जब-जब लिया जाता है. एक नाम उसके साथ हमेशा नत्थी होकर आता है. इजरायल की ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद के कारनामे लेजेंडरी हैं. इसे दुनिया की सबसे खतरनाक और ताकतवर ख़ुफ़िया एजेंसी माना जाता है. दावा किया जाता है कि मोसाद के पास पास जासूसी की ऐसी उन्नत तकनीकें हैं कि कोई ख़ुफ़िया बात उनसे छिपी नहीं रह सकती. इनके अलावा इज़रायल की सुरक्षा फ़ोर्सेस, जिन्हें इज़रायल डिफ़ेंस फ़ोर्सेस के नाम से जाना जाता है, वो भी काफ़ी ताकतवर हैं. इज़रायली सुरक्षा उपक्रम के पास दुनिया के सबसे उन्नत हथियार हैं. इसलिए हमास द्वारा इज़रायल पर हमले के बीच जो सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है, वो ये है कि इज़रायल को इस हमले की भनक कैसे नहीं लगी. ये इंटेलिजेन्स फ़ेलियर कैसे हुआ, क्या रही इसकी वजहें? आइए जानते हैं. (Hamas attacks Israel)

नक़्शे में नजर डालेंगे तो आपको इजरायल और गाजापट्टी का बॉर्डर दिखाई देगा. हमास का हमला इसी गाज़ा पट्टी से शुरु हुआ था. यहां से मिसाइल दागी गई. फिर जमीनी हवाई और समुद्री रास्तों से हमास लड़ाकों ने इजरायल में घुसपैठ की. गाज़ा पट्टी से हमास पहले भी हमले की कोशिश करता रहा है. रॉकेट और मिसाइल दागने की घटनाएं लगभग रोजमर्रा की हैं. इनसे बचने के लिए इजरायल ने आयरन डोम नाम का एक रक्षा कवच बना रखा है. जो मिसाइल हमलों को इजरायल में घुसने से रोक देता है. इसके अलावा गाज़ा पट्टी पर इजरायल ने तारबाड़ की हुई है. जिसकी सुरक्षा में लगातार पेट्रोलिंग होती है. यहां सेंसर और कैमरे लगे हुए हैं, ताकि किसी भी तरह की घुसपैठ पर नज़र रखी जा सके. रिपोर्ट्स के अनुसार हमास के लड़ाके इस तारबाड़ को तोड़कर इजरायल में दाखिल हुए. (Mossad news)

इजरायल के इतिहास में ये दूसरा मौका है जब सुरक्षा तंत्र इतने बड़े पैमाने पर फेल हुआ है. इससे पहले साल 1973 में ख़ुफ़िया तंत्र फेल रहा था. जब योम किप्पुर के दिन अरब देशों ने अचानक हमला किया, और ख़ुफ़िया एजेंसियों को कोई भनक नहीं थीं. योम किप्पुर यहूदियों का सबसे बड़ा त्योहार है. इस बार भी हमला योम किप्पुर के ठीक एक दिन बाद हुआ. जिससे अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि ये हमला पूरी प्लानिंग का तहत हुआ था. सबसे बड़ा सवाल ये कि इस बार इजरायली ख़ुफ़िया एजेंसियों से चूक कहां हुई. तमाम विशेषज्ञ और रिपोर्ट्स जो बता रही हैं, उनके अनुसार इजरायली तंत्र कुछ संकेतों को भांपने में नाकाम रहा. हमास के हमले के तीन कारण मुख्य तौर पर नज़र आते हैं. ( Israel Hamas War)

पहला - इजरायल का वेस्ट बैंक पर फोकस

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू धुर दक्षिणपंथी नेता बेन ग्विर की पार्टी के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं. बेन ग्विर इजरायल के रक्षा मंत्री हैं. और वेस्ट बैंक में मौजूद फिलिस्तीन क्षेत्रों पर कब्ज़े के हिमायती रहे हैं. . बेन ग्विर पर आरोप हैं कि उनके कार्यकाल में वेस्ट बैंक में तनाव बड़ा है. वेस्ट बैंक पर जमीन कब्ज़ाने और फिलिस्तीनी नागरिकों को बेदखल करने की घटनाएं बड़ी हैं. इजरायल की सुरक्षा फोर्सेस का एक बड़ा हिस्सा वेस्ट बैंक में तैनात किया गया है. वेस्ट बैंक पर ज्यादा फोकस के चलते गाज़ा में सुरक्षा फोर्सेस की संख्या में कमी आई. हजारों लोग रोज़ गाजा से इजरायल में दाखिल होते हैं. काम के सिलसिले में. इन लोगों से हमास को पैसा मिलता है. 2021 में इजरायल ने गाजा पट्टी में एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया था. जिसके बाद बहुत हद तक शांति बनी रही. पिछले दो साल में कोई बड़ी घटना नहीं हुई. जिसके कारण शायद सुरक्षा एजंसियां हमास की प्लानिंग को भांपने में नाकाम रहीं. (Gaza bombing)

Hamas attack on israel
हमास के हमले के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया है (तस्वीर- AP)
दूसरा कारण- अल अक्सा विवाद

इसी साल अप्रैल महीने में इज़रायली पुलिस अल-अक्सा मस्जिद के अंदर घुस गई थी. मस्जिद के अंदर तोड़-फोड़ हुई और लोगों पर स्टन गन और रबर की गोलियों से हमला किया गया. जिसमें क़रीब 40 लोग घायल हुए. पुलिस की सफ़ाई थी कि कुछ उपद्रवी लोग मास्क लगाकर मस्जिद में छिपे हुए थे. उनके पास लाठियां, पटाखे और पत्थर थे. इसलिए उन्हें मजबूरन परिसर में घुसना पड़ा. इस घटना के बाद इजरायल और फिलिस्तीन के बीच तनाव बढ़ने लगा था. तब से लेकर अक्टूबर के महीने तक ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं, जब इजरायल के लोगों ने अल-अक्सा मस्जिद में दखअंदाज़ी की कोशिश की है. जानकारों का मानना है कि इन घटनाओं के चलते हमास लम्बे समय से इजरायल को सबक सिखाने की तैयारी कर रहा था. हमास ने इस हमले को नाम भी अल अक्सा फ्लड्स दिया है . और हमास के बयान में ये भी कहा गया है की ये हमला अल अक्सा की रक्षा के लिए किया गया है. अल अक्सा मस्जिद चूंकि वेस्ट बैंक के ज्यादा नजदीक है. इसलिए वेस्ट बैंक इलाके में सुरक्षा का अतिरिक्त ख्याल रखा गया. लेकिन इजरायली सुरक्षा फोर्सेस को ये इल्हाम नहीं था की गाजा से इस मामले पर इतना बड़ा रिएक्शन आ सकता है.

तीसरा कारण- इजरायल-सऊदी अरब समझौता

इजरायल और अरब देशों के बीच पिछले कुछ सालों में संबंधों में सुधार हुआ है. अमेरिकी पहल पर पहले अब्राहम एकॉर्ड साइन हुए. जिसके चलते बहरीन मोरक्को और UAE ने इजरायल को मान्यता दी. अब सऊदी अरब और इजरायल के बीच समझौते की बात चल रही है. सूत्रों के अनुसार इस समझौते के तहत हो सकता है इजरायल फिलिस्तीन अथॉरिटी (PA) को रियायात दे. फिलिस्तीन अथॉरिटी वो ग्रुप है जिसका वेस्ट बैंक पर नियंत्रण है. 2006 से पहले ये गाज़ा पट्टी पर भी कंट्रोल करता था. लेकिन 2006 के बाद हमास के साथ लड़ाई में गाज़ा पट्टी फिलिस्तीन अथॉरिटी के हाथ से निकल गई. फिलिस्तीन अथॉरिटी और हमास दोनों फिलिस्तीनियों के असली लीडर होने का दावा करते हैं. हमास नहीं चाहता कि इजरायली सरकार और PA के बीच कोई समझौता हो. हमास को बैक करता है ईरान. दोनों अरब देशों और इजरायल के सुधरते संबंधों को आगे बढ़ने से रोकना चाहते हैं. जानकारों का मानना है कि ताजा हमला अरब देशों और इजरायल के बीच चल रही शांति वार्ता को पटरी से उतारने की एक कोशिश है. जिसका अंदाज़ा इजरायली सरकार को पहले ही हो जाना चाहिए था.

इन सब कारणों के अलावा कुछ और बड़े सवाल भी हैं, जो बने हुए हैं. मसलन मोसाद गाजा पट्टी में अपने जासूसों को तैनात रखता है. द गार्जियन अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 में इजरायली सूत्रों ने गाजा पट्टी में इंटेलिजेंस नेटवर्क पूरी तरह स्थापित होने का दावा किया था. ऐसे में मोसाद को हथियारों के इतने बड़े जखीरे के तैनात होने की भनक न लगना, सवाल पैदा करता है. इजरायल की जनता और मीडिया अब ये सवाल उठा रही है. फिलहाल फौरी तौर पर विपक्ष भी सरकार के साथ आकर खड़ा हो गया है. लेकिन आने वाले वक्त में इस इंटेलिजेंस फेलियर पर एक गहन जांच होगी. जिसके बाद शायद पूरी कहानी साफ़ हो पाए. फिलहाल ये खबर यहीं तक.

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