चिट्ठी-पार्सल का ना के बराबर यूज, फिर 10 हजार एक्स्ट्रा पोस्ट ऑफिस खोलने का ऐलान क्यों हुआ है?
इन अतिरिक्त डाकघरों के लिए 5,200 करोड़ रुपये के फंड का प्रावधान किया गया है.

देखो एक डाकिया आया
थैला एक हाथ में लाया
पहने है वो खाकी कपड़े
चिट्ठी कई हाथ में पकड़े...
स्कूल के दिनों की इस कविता ने हमारे मन में डाकियों, खाकी वर्दी, डाकघरों वगैरह की छवि बनाई. हालांकि, इसमें बताई गई बातें गलत नहीं, लेकिन डाकघरों और डाकियों को केवल चिट्ठियों और मनी ऑर्डर से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है. हम ये बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि देश में डाकघरों की संख्या बढ़ने वाली है.
क्यों और कैसे? दरअसल, भारतीय डाक (India Post) अपनी सेवाओं के विस्तार के लिए इस साल देशभर में 10 हजार नए डाकघर (Post Office) खोलने वाला है. साथ ही, सरकार ने पोस्ट ऑफिसों के मॉडर्न बनाने के लिए 5,200 करोड़ रुपये के फंड का भी प्रावधान किया है. डाक विभाग सरकारी सर्विस प्रदान करने के लिए टेक्नोलॉजी और प्रोडक्ट्स पर काम कर रहा है.
क्यों लिया गया ऐसा फैसला?उद्देश्य है पोस्ट ऑफिसों का मॉडर्न बनाकर डिलीवरी सिस्टम को बेहतर और पॉवरफुल बनाना. और बड़ा उद्देश्य ये है कि आने वाले समय में ड्रोन्स की मदद से डिलीवरी की जा सके. डिलीवरी किसकी? चिट्ठियों, टेलीग्राम, पार्सल, मनी आर्डर इत्यादि की.

इससे फायदा ये होगा कि अलग-अलग तरह की डाक और सरकारी सेवाएं आने वाले दिनों में लोगों को घर पर ही मिल जाएंगी. टेक्नोलॉजी की मदद से डाकघरों को हाईटेक बनाया जाएगा, जिससे वहां आने वाले लोगों को भी सहूलियत होगी.
क्या बोले डाक विभाग के सचिव?डाक विभाग के सचिव अमन शर्मा ने भारतीय प्रतिस्पर्धा सम्मेलन में डॉकघरों को मॉडर्न बनाने के प्लान के बारे में बताया,
“हमने हाल ही में गुजरात में ड्रोन से डिलीवरी की है. सरकार ने हमें आईटी प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने के लिए कहा है, जिसकी शुरुआत हमने 2012 में की थी. लोगों को डाक और विभिन्न सरकारी सेवाएं आने वाले दिनों में घर पर मिलेंगीं.”
उन्होंने आगे बताया कि आने वाले समय में लोगों को डाकघर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. डाक विभाग का उद्देश्य है कि टेक्नोलॉजी के जरिए मदद और सेवाएं लोगों के दरवाजे पर पहुंचाई जाएं. उन्होंने आगे बताया,
अभी क्यों लिया गया फैसला?‘सरकार ने हमें अपनी पहुंच को बढ़ाने के लिए नए डाकघर खोलने को कहा है. हमें अभी 10 हजार और डाकघर खोलने की मंजूरी मिली है.’
आप सोच रहे होंगे कि आज के समय में चिट्ठी, टेलीग्राम या सरकारी पार्सल वगैरह बिरले ही डाक द्वारा भेजे जाते हैं. बहुत लोग ये भी सोच रहे होंगे कि भाई आज के समय में डाकघरों का यूज क्या है?
दरअसल, डाकघर आज भी एक अहम भूमिका निभाते हैं. ये केवल वो जगहें नहीं हैं, जहां चिट्ठियां भेजी और हासिल की जाती हैं. डाकघर या पोस्ट ऑफिसों में और भी बहुत सारे काम किए जाते हैं. इसी वजह से इनकी कम्युनिकेशन और डिलीवरी स्पेस में खास जगह है. यही वजह है कि डाकघरों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया गया है. इनका बहुत महत्व हैं. आइए, जरा समझते हैं.

भारतीय डाक, डिलीवरी सेवाओं के अलावा कई तरह की सेविंग स्कीम भी चलाता है. इसके अलावा सरकार की तमाम स्कीमों का फायदा भी पोस्ट ऑफिस से लिया जा सकता है. इंडिया पोस्ट की वेबसाइट के अनुसार डाकघरों में ये सेवाएं मिलती हैं-
-रेकरिंग डिपॉजिट (recurring deposit)
-किसान विकास पत्र
-टाइम डिपॉजिट्स (time deposits)
-पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
-सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana)
-नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट्स
-पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन स्कीम (PM CARES for Children Scheme)
-पोस्ट ऑफिस सेविंग्स
-मासिक बचत आय खाता (MIS)
-सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम
हर चार महीने में सरकार इन स्कीमों के तहत दी जाने वालीं ब्याज दरों का रिव्यू करती है. इनके अलावा ग्रामीण डाक जीवन बीमा, बिल कलेक्शन, फॉर्म की बिक्री और डाक जीवन बीमा (PLI) जैसी सेवाएं भी डाक विभाग द्वारा दी जाती हैं. आम लोग पोस्ट ऑफिस में नेशनल मंथली सेविंग स्कीम, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना और सुकन्या समृद्धि योजना आदि के लिए खाता खुलवा सकते हैं.
इससे पहले ऐसा कुछ हुआ था?साल 2020 में, डाक विभाग (संचार मंत्रालय) ने एक योजना शुरू की. फाइव स्टार विलेज नाम से. इस योजना का उद्देश्य था लोगों को जागरूक करना. साथ ही डाक सेवाओं और उत्पादों को लोगों तक पहुंचाना. खासकर दूर दराज के इलाकों में.

इस साल बजट सत्र में एनीटाइम-एनीवेयर पोस्ट ऑफिस सेविंग्स स्कीम (Anytime-Anywhere Post Office Savings Scheme) की घोषणा की गई थी. इसका उद्देश्य है सभी डाकघरों को कोर बैंकिंग सिस्टम से कवर करना. फाइनेंशियल इन्क्लूजन की तरफ एक और कदम.
फाइनेंशियल इन्क्लूजन को शुद्ध हिंदी में कहते हैं- वित्तीय समावेशन. इसका मतलब होता है लोगों और अलग-अलग बिजनेसेज तक ज़रूरी और किफायती फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स और सेवाओं को पहुंचाना, ताकि उनकी लेनदेन, भुगतान, बचत, क्रेडिट, बीमा आदि जैसी जरूरतों को सही तरीके से पूरा किया जा सके.
कहा जा सकता है कि डाकघरों की अहमियत आज भी है. ये लोगों को अहम सरकारी योजनाओं से जोड़ते हैं. खाता खोलने, पैसा सेव करने, डिलीवरी करने में मददगार साबित होते हैं. इनकी संख्या बढ़ाना फायदे का सौदा होगा, ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं. और चिट्ठी, पत्र, पार्सल इत्यादि वाले काम तो आलरेडी हैं ही.
तारीख़: कहानी पोस्ट ऑफिस की, जो वॉट्सएप के इस दौर में चिट्ठी के जज़्बात फील करा देगा

.webp?width=60)

