The Lallantop
Advertisement

इस जनजाति ने अपने बच्चों को सेक्स की आजादी दी, लेकिन समाज भड़क गया

इसी भारत में ऐसी खुली सोच भी पाई जाती है.

Advertisement
Img The Lallantop
मुरिया ट्राइब
pic
ऋषभ
12 अप्रैल 2017 (Updated: 12 अप्रैल 2017, 08:22 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
इंडिया में अविवाहित लोगों के लिए सेक्स कैसा शब्द है?
आप मन में चाहे जो सोचते हों, किसी के सामने कहना मुश्किल है. कह दें तो आप बहुत सारे लोगो के लिए 'बुरे आदमी' बन सकते हैं.
भारत में 'सेक्स' शब्द ही एक समाज के तौर पर हमें असहज कर देता है. पर इसी भारत में एक जगह ऐसी है जहां जवान लड़के-लड़कियों में सेक्स की आजादी को बढ़ावा दिया जाता है. ये जगह छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में है. नारायणपुर और कोंडागांव के आस-पास.
यहां 'मुरिया' नाम की एक सबट्राइब (उप जनजाति) है, जो गोंड जनजाति में ही आती है. इसके लोग अपने बच्चों को सेक्स करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. सीएनएन वेबसाइट की 2011 की रिपोर्ट के मुताबिक, इनकी परंपरा में 'घोटुल' नाम की संस्था है, जिसमें मुरिया नौजवान डांस सीखते हैं, गाने गाते हैं और खुद को खोजते हैं. हर रात लड़की एक अलग सेक्स पार्टनर खोजती है. प्रेग्नेंसी से बचने के लिए वो एक हर्बल कॉन्ट्रासेप्टिव पीती है. पर अगर इससे काम नहीं हुआ और बच्चा पैदा हो गया, साथ ही अगर बाप का पता क्लियर नहीं चल पाता तो पूरा गांव बच्चे को अपना लेता है.
muria 1
मुरिया ट्राइब की पुरानी तस्वीर

ये पूरा सिस्टम बहुत खुला है, पर उम्र को लेकर विवादित भी है. 10-12 की उम्र से ही बच्चे सेक्शुअल हो जाते हैं कहीं-कहीं तो ये भी लिखा है कि 6 साल की उम्र से सेक्शुअल हो जाते हैं.
muria 3 मुरिया ट्राइब का एक जोड़ा

क्या होता है ये घोटुल सिस्टम?
घोटुल में आने के बाद लड़के लड़कियों को उनकी पसंद के कंघे देते हैं. ये कंघे लड़के खुद बनाते हैं. लड़के जो कंघे पहनते हैं वो ज्यादा बड़े होते हैं. पर आपस में कंघों की बदली नहीं होती है. लड़की सारे लड़कों से मिले कंघे इस्तेमाल करती है. पर अगर किसी से शादी कर ली, तो बाकी के कंघे बाकी प्रेमियों को वापस करने पड़ते हैं. बस अपने पति का छोड़ के.
muria 4 मुरिया ट्राइब की लड़कियां

बाहरी लोगों को मुरिया ट्राइब के लोग साधारण ही लगते हैं. खाना-पीना, खुशियां मनाना सब कुछ सामान्य है. पर घोटुल का सिस्टम ही अलग है. इस सिस्टम के चलते ही इन लोगों के पास वो हर्बल चीजें भी होती हैं, जो सेक्स की बीमारियों को ठीक कर देती हैं.
muria 5 मुरिया ट्राइब का एक जोड़ा

वेरियर एल्विन ने 1948 में इंडिया की ट्राइब्स पर स्टडी की थी. इसके बाद ही ज्यादातर लोगों को घोटुल सिस्टम के बारे में पता चला था. लेकिन इस पर अटैक होने लगे थे. लोग कहते कि ये पिछड़ी प्रथा है. मुरिया औरतें टॉपलेस रहती थीं. उनको फोर्स किया जाने लगा कि टॉप पहनकर रहें, छाती ढंककर रहें. धीरे-धीरे दबाव में आकर घोटुल सिस्टम बंद होने लगा.
muria 6 मुरिया ट्राइब के लोग

लेकिन 1997 में इंडिया टुडे ने रिपोर्ट किया कि बस्तर जिले में चार लाख की आबादी वाली मुरिया ट्राइब ने इस परंपरा को खत्म नहीं होने दिया है. हालांकि आस-पास के लोग कह रहे थे कि नाचने-गाने से हमको समस्या नहीं है, लेकिन एक-दूसरे के साथ सोने वाली चीज नहीं होने देंगे. इंडिया टुडे ने पाया कि मुरिया ट्राइब के यूथ तैयार होकर रंग-बिरंगे कपड़े और आभूषण पहनकर धुआंधार डांस कर रहे थे. बीच-बीच में कुछ पी भी लेते. बढ़िया खाना बना था. उस दिन सोयाबीन की सब्जी बनी थी.
muria 7 मुरिया ट्राइब की औरतें

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एक लड़की अपने पार्टनर को धीरे-धीरे मसाज करने लगी. उसके बालों को सहलाती बड़े प्रेम से देखती. ये सेंशुअल लग रहा था, पर बड़ा ही निर्दोष किस्म का था. उसमें कोई वहशीपना नहीं था. उनके घरवाले भी इस चीज को देख रहे थे. उस दिन 12 जोड़े थे. इनको तीन कमरों के घोटुल में रुकना था. चार-चार जोड़े एक-एक कमरे में रुकते.
क्या कहते हैं इनके नियम और समाज ने क्या किया इनके साथ?
घोटुल सिस्टम के नियम भी थे. मर्द को स्थानीय भाषा में चेलिक और लड़की को मोतियारी कहा जाता है. वे घोटुल में जाते वक्त अपना एक नाम चुनते हैं. वो अपना पार्टनर चुनने के लिए फ्री हैं. बल्कि सात दिनों तक मैक्सिमम एक पार्टनर रह सकता है, उसके बाद बदलना पड़ेगा. घोटुल में एक लड़के को हेड बनाते हैं जिसे सिरदार कहते हैं. हेड लड़की को बेलोसा कहते हैं. हर सदस्य को झाड़ू-पोंछा और खाना बनाने की जिम्मेदारी दी जाती है.
वेरियर एल्विन ने अपनी किताब The Muria And Their Ghotul में लिखा है कि घोटुल मुरिया ट्राइब के सामाजिक और धार्मिक जीवन का केंद्र है. इसका ओरिजिन इनके हीरो 'लिंगो पेन' से आता है. सारे अविवाहित लोगों को घोटुल में आना ही पड़ता है.
लिंगो पेन फैलिक देवता माने जाते हैं और इनको मुरिया ट्राइब का फाउंडर भी माना जाता है. कहानी ऐसी है कि लिंगो एक बढ़िया म्यूजिशियन थे. उन्होंने ही ट्राइबल लोगों को ड्रम बजाना सिखाया था. मुरिया ट्राइब में बढ़िया ड्रम बजाने वाले को बढ़िया प्रेमी माना जाता है. एक मुरिया कहावत भी है कि जो बढ़िया ड्रम बजा सकता है, वो लड़की को प्रेम में हरा सकता है.
आपत्ति क्यों हुई?
पर लोगों के विरोध के बाद ये कम होने लगा. लोग ये कहते थे कि जिस कमरे में भाई किसी लड़की के साथ सेक्स कर रहा है, उसी कमरे में बहन किसी लड़के के साथ सेक्स कर रही है. ये कैसे संभव है. ये नहीं होने दिया जाएगा. बाहरी लोगों ने इतना विरोध किया कि मुरिया ट्राइब को लगने लगा कि कुछ गलत कर रहे हैं. लोगों ने ये कहना भी शुरू किया कि घोटुल तो शिक्षा के लिए था. इन लोगों ने इसे सेक्स के लिए बना दिया. बाद में कई जगह ऐसा होने लगा कि सुबह-सुबह घोटुल में गायत्री मंत्र का जाप होने लगा.
हालांकि मुरिया ट्राइब के लोगों का मानना था कि घोटुल सिस्टम से सेक्स को लेकर आपसी ईर्ष्या खत्म हो जाती है. लोग नॉर्मल जीवन जीने लगते हैं. ये एक अच्छा जवाब है. क्योंकि जीवन में शादी और सेक्स को लेकर कई समस्याएं आती हैं. पर इसमें एक चीज और भी थी. इस सिस्टम में बच्चों की उम्र विवादास्पद थी. फिर कई पार्टनर होने से सेक्शुअल बीमारियां होने का भी खतरा था. एक तरफ ये सिस्टम कुछ मॉडर्न चीजों को दिखाता था जिसमें लोगों को सेक्स को लेकर फ्रीडम थी, वहीं दूसरी तरफ कुछ कमियों को भी दिखाता था. पर एक चीज तो तय थी कि सेक्स को लेकर इंडिया कभी बंद नहीं था. इतिहास से लेकर ट्राइब्स की परंपराओं तक में खुलापन का जिक्र होता है. पर हमारा आज का समाज इस खुलापन के ना होने से व्यथित है. कई जगह तो लोगों की सेक्शुअलिटी कंट्रोल करने के लिए तरह-तरह के तिकड़म भी लगाए जाते हैं.
ये भी पढ़ें:

कब्र से निकालकर रेप की खबर की सच्चाई न बताई गई, तो यूपी में भयंकर दंगे हो सकते हैं

दुनिया जिसे 73 इंच की छाती के लिए याद रखती है, उस लड़की की कहानी अद्भुत है

नरेंद्रस मोदुस को पीएम बनाने वाला नास्त्रेदमस सबसे बड़ा फ्रॉड था

दिल्ली के मालचा महल में रहती है एक राजकुमारी, जहां भूत के डर से कोई नहीं जाता

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement