कांग्रेस का कौन-कौनसा नेता छोड़ गया साथ? लेकिन उनके जाने से पार्टी को नुकसान होगा?
बीते 24 घंटे के अंतराल में Gourav Vallabh, Sanjay Nirupam और Vijendra Singh ने कांग्रेस छोड़ दी. कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है. लेकिन क्या इससे पार्टी को कुछ नुकसान होगा भी?
दोपहर का समय का था. बॉक्सर विजेंद्र सिंह कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए. शाम हुई. बरसों से मुंबई में कांग्रेस की राजनीति कर रहे संजय निरुपम ने ट्वीट कर ये बता दिया था कि पार्टी में उनका टाइम पूरा हो गया है. ये खबर अभी पकी भी नहीं थी कि संबित पात्रा से ट्रिलियन के जीरो गिनवाने वाले कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया. थोड़ी देर बाद बीजेपी में शामिल भी हो गए. 24 घंटे के भीतर बीजेपी और केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले तीन नेताओं ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया. हालांकि, ये कह कर कि संजय निरुपम ने पार्टी छोड़ी नहीं, उन्हें निकाला गया है, कांग्रेस वाले आत्मसंतुष्ट हो सकते हैं.
पर हालात यही हैं कि कांग्रेस में भगड़द जैसी स्थिति दिखाई दे रही है. जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, एक-एक करके उसके दिग्गज, मजबूत या चर्चित नेता उसका साथ छोड़ते जा रहे हैं. पहले एक नज़र इसी लिस्ट पर डाल लेते हैं.
मिलिंद देवड़ामिलिंद देवड़ा महाराष्ट्र कांग्रेस के वज़नदार नेता थे. 2004 से 2014 तक मुंबई दक्षिण सीट से वो कांग्रेस के सांसद भी रहे. पर 2014 में 'मोदी लहर' का शिकार हो गए. शिवसेना सांसद अरविंद सावंत से हार गए. 2019 में भी कुछ ऐसा ही हुआ. सांवत शिवसेना (UBT) में हैं. और मिलिंद देवड़ा एकनाथ शिंदे की शिवसेना में हैं. उन्होंने 14 जनवरी, 2024 को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और शिवसेना में शामिल हो गए.
14वीं लोकसभा में मिलिंद पहली बार सांसद चुने गए. तब सदन में वो सबसे कम उम्र के सांसद थे. यूपीए के दूसरे कार्यकाल में उन्हें मनमोहन कैबिनेट में मंत्री भी बनाया गया. कई संसदीय कमेटियों में भी जगह दी गई.
अशोक चव्हाणअशोक चव्हाण महाराष्ट्र के बड़े नेताओं में शामिल हैं. पहले पिता शंकरराव चव्हाण, फिर अशोक खुद राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. लेकिन अस्तित्व में आने के बाद से अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही कांग्रेस को अशोक चव्हाण ने 12 फरवरी, 2024 को अलविदा कह दिया. अगले दिन उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ले ली. और उसके अगले दिन बीजेपी ने उनके लिए राज्यसभा सीट का जुगाड़ कर दिया.
नवीन जिंदलजिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के चेयरमैन नवीन जिंदल ने 24 मार्च, 2024 को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. जिंदल तीन दशक से भी ज्यादा समय से कांग्रेस के नेता थे. 2004-14 तक वो हरियाणा के कुरुक्षेत्र से पार्टी के सांसद रहे. बाद में मिलिंद देवड़ा की तरह मोदी लहर का शिकार हो गए. 2014 के चुनाव में जिंदल तीसरे स्थान पर आए.
विजेंद्र सिंहपद्म श्री से सम्मानित विजेंद्र सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ज्वाइन की थी. तब उन्होंने दक्षिणी दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा. हालांकि सफलता नहीं मिली. विजेंद्र कांग्रेस के उन नेताओं में शामिल रहे जो सोशल मीडिया पर बीजेपी और केंद्र सरकार की भरसर आलोचना करते थे. बीजेपी में शामिल होने से कुछ घंटे पहले भी उन्होंने राहुल गांधी के ट्वीट को रीट्वीट किया था. लेकिन 3 अप्रैल, 2024 को उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की.
संजय निरुपमसंजय निरुपम लंबे समय से टीवी पर कांग्रेस का चेहरा थे. वो मजबूती से पार्टी का पक्ष रखते हुए दिखते थे. 2009 में वो मुंबई उत्तर लोकसभा से सांसद बने. इससे पहले कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेजा था. 3 अप्रैल की शाम उन्होंने ट्वीट कर कांग्रेस लीडरशिप पर निशाना साधा. कुछ घंटे बाद कांग्रेस मुख्यालय से उनके निष्कासन का नोटिस जारी हो गया. हालांकि, संजय निरुपम ने कहा कि निष्कासन से पहले ही उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी.
वीडियो: गौरव वल्लभ ने थामा बीजेपी का दामन, 'सनातन विरोधी' होने की बात कह छोड़ी थी कांग्रेस
गौरव वल्लभकांग्रेस के कई प्रवक्ता हैं. जो भी टीवी पर आते हैं उन्हें जनता जान ही जाती है. पर गौरव वल्लभ ने विपक्ष के प्रवक्ता के तौर पर तब पहचान हासिल की जब उन्होंने बीजेपी के फायर ब्रैंड प्रवक्ता संबित पात्रा से पूछ लिया था कि एक ट्रिलियन में कितने जीरो होते हैं. इसके बाद से गौरव की रील वायरल होने लगी. कांग्रेस ने उन्हें राजस्थान चुनाव में उदयपुर विधानसभा से टिकट दिया था. 4 अप्रैल, 2024 को गौरव बीजेपी में शामिल हो गए.
ये सब हालिया मामले हैं. अगर 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने की बात करें तो ये फेहरिस्त लंबी और कांग्रेस के लिए काफी चिंताजनक है. ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, सुष्मिता देव, अमरिंदर सिंह, कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आज़ाद, जयवीर शेरगिल जैसे नेता शामिल हैं. ये सभी नेता अलग-अलग राज्यों से आते हैं. कांग्रेस की अलग-अलग सरकार में अहम पदों पर रह चुके हैं. लेकिन सत्ता से दूर कांग्रेस अपने नेताओं को एकजुट रख पाने में अक्षम नज़र आ रही है.
कांग्रेस में भगदड़ क्यों?
कांग्रेस में मची भगदड़ को लेकर इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई कहते हैं कि इन नेताओं के कांग्रेस छोड़ने के पीछे कोई एक वजह नहीं बताई जा सकती. राजदीप कहते हैं,
- पहला कारण तो ये कि कुछ नेताओं को बीजेपी के साथ जाने में फायदा दिख रहा है. क्योंकि वहां सत्ता है, और सत्ता के साथ संभावनाएं हैं.
- दूसरा कारण ये कि कुछ नेताओं को कांग्रेस में अब भविष्य नहीं दिख रहा है.
- तीसरा कारण ये कि कई ऐसे नेता हैं जिन पर कई तरह के मुकदमे हैं. उन्हें जांच एजेंसियों का डर है. और उन्हें लगता है कि सरकार के साथ जाने पर वो जांच से से बच सकते हैं.
- इसके अलावा एक महत्वपूर्ण कारण ये है कि अगर कोई नेता किसी मुद्दे पर पार्टी की विचारधारा या ओपिनियन से अलग राय रखता है तो उसे अलग-थलग कर दिया जाता है. जैसा कि गौरव वल्लभ के साथ हुआ.
अब सवाल ये उठता है कि चुनाव से ठीक पहले इन नेताओं के पार्टी छोड़ने से चुनाव में प्रदर्शन पर क्या असर पड़ेगा. इस पर राजदीप कहते हैं, "अब तक कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है. लेकिन इनमें से किसी को भी मास लीडर नहीं कहा जा सकता जो अपने दम पर किसी राज्य या एक क्षेत्र का चुनाव पलट दे. ये नेता शरद पवार या ममता बनर्जी सरीखे नहीं है, जिनके पार्टी छोड़ने का खामियाजा कांग्रेस आज तक भुगत रही है. हां, ये बात अलग है कि इससे एक परसेप्शन बनता है कि कांग्रेस एक डूबती हुई नैया है."