G20 के देश: कश्मीर पर भारत के खिलाफ बोलने वाले तुर्किए की कहानी
पंडित नेहरू 1960 में तुर्किए के दौरे पर जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे. मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल में सिर्फ एक बार गए. दूसरी बार जाने की योजना बन रही थी. लेकिन किस वजह से विचार छोड़ दिया?
भारत (India) में 09 और 10 सितंबर को होने वाली G20 Leaders Summit की लल्लनटॉप कवरेज शुरू हो चुकी है. इस सीरीज़ में हम G20 के 20 सदस्य देशों के बारे में सब कुछ बताएंगे. आज कहानी तुर्की (Turkey) या यूनाइटेड नेशंस के हिसाब से कहें तो तुर्किए (Turkiye) की.
कहानी बताएं, उससे पहले नक़्शा जान लीजिए.
तुर्किए, वेस्ट एशिया में बसा है. इसका एक छोटा सा हिस्सा यूरोप महाद्वीप में भी पड़ता है. ये दो तरफ़ से समंदर से घिरा है. उत्तर की तरफ़ ब्लैक सी, दक्षिण में भूमध्यसागर है. ज़मीनी सीमा 08 देशों से लगती है. इराक़, ईरान, सीरिया, अज़रबैजान, आर्मीनिया, जॉर्जिया, ग्रीस और बुल्गारिया.
आबादी 08 करोड़ 62 लाख है.
तुर्किए का समय भारत से ढाई घंटा पीछे है. जह वहां 12 बजते हैं तो अपने यहां ढाई बजते हैं.
तुर्किए की राजधानी अंकारा है. यहीं से मुल्क की सरकार चलती है. नई दिल्ली से अंकारा की दूरी लगभग 42 सौ किलोमीटर है.
हिस्ट्री का क़िस्साअंकारा राजधानी तो है, लेकिन सबसे बड़ा और सबसे ऐतिहासिक शहर है इस्तांबुल. अपने बाज़ारों और खान-पान के लिए मशहूर. ये शहर 1453 से 1922 तक ऑटोमन साम्राज्य की राजधानी रहा. यहीं से ख़िलाफ़त यानी ख़लीफ़ा का राज चलता था. ख़लीफ़ा पूरी दुनिया के मुसलमानों के नेता माने जाते थे.
पहले विश्वयुद्ध में ऑटोमन साम्राज्य की हार हुई. 1923 में आधुनिक तुर्की की स्थापना हुई. अतातुर्क पहले राष्ट्रपति बने. उन्होंने तुर्किए को सेकुलर घोषित किया. आधुनिकता को बढ़ावा दिया. वो ताउम्र राष्ट्रपति रहे और आधुनिक तुर्किए के सबसे महान नेताओं में गिने गए. 1938 में उनकी मौत हो गई.
1939 में दूसरा वर्ल्ड वॉर शुरू हुआ. तुर्किए अधिकांश समय तक न्यूट्रल रहा. फिर फ़रवरी 1945 में जर्मनी और जापान के ख़िलाफ़ जंग छेड़ी. मगर उसके सैनिक लड़ने नहीं गए. कुछ समय बाद ही युद्ध खत्म हो गया. उसी बरस अक्टूबर में यूनाइटेड नेशंस (UN) की स्थापना हुई. तुर्किए इसके संस्थापक सदस्यों में से था. 1952 में वो नेटो का सदस्य बन गया.
1996 में वेलफ़ेयर पार्टी की सरकार बनी. 1922 के बाद ये मुल्क की पहली प्रो-मुस्लिम सरकार थी. वे इस्लाम को राजकीय धर्म बनाना चाहते थे. मगर उससे पहले ही उन पर बैन लगा दिया गया. तुर्किए के मौजूदा राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन इसी पार्टी के टिकट पर 1994 में इस्तांबुल के मेयर बने थे.
पैसे वाली बाततुर्किए की करेंसी का नाम लीरा है.
इंटरनैशनल मॉनिटरी फ़ंड (IMF) के मुताबिक, यहां की जीडीपी 01 ट्रिलियन डॉलर से थोड़ी ज़्यादा है. भारतीय करेंसी में लगभग 83 लाख करोड़ रुपये. प्रति व्यक्ति आय लगभग 10 लाख रुपये है. भारते से चार गुना से भी ज़्यादा.
निर्यात -
2021-22 में लगभग 72 हज़ार करोड़ रुपये.
आयात -
2021-22 में लगभग 16 हज़ार करोड़ रुपये.
भारत क्या निर्यात करता है?
पेट्रोलियम उत्पाद, खनिज तेल, लोहा, इस्पात आदि.
तुर्किए से क्या-क्या आयात करता है?
क्रूड पेट्रोलियम, इलेक्ट्रिक मशीनरी, कीमती पत्थर, आभूषण, न्यक्लियर रिएक्टर्स, बॉयलर्स के पार्ट्स आदि.
सामरिक रिश्ते1948 में डिप्लोमेटिक संबंध स्थापित हुए.
तुर्किए में भारत का दूतावास अंकारा में है.
पंडित नेहरू 1960 में तुर्किए के दौरे पर जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने.
मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बस एक बार गए हैं. 2015 में तुर्किए में G20 समिट में गए थे. अक्टूबर 2019 में दूसरी बार जाने की योजना बन रही थी.. लेकिन आर्टिकल 370 पर अर्दोआन के बयान के बाद विचार त्याग दिया गया.
अक्टूबर 2019 में भारत ने तुर्किए की अनादोलू शिपयार्ड के साथ नेवल सपोर्ट शिप बनाने का प्लान भी कैंसिल कर दिया.
जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर तुर्किए, पाकिस्तान को सपोर्ट करता है. इस वजह से भारत के साथ तनाव बना रहता है.
पोलिटिकल सिस्टमतुर्किए में प्रेसिडेंशियल सिस्टम चलता है. अमेरिका की तरह. यानी, राष्ट्रपति, सरकार और राष्ट्र दोनों के मुखिया होते हैं.
राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? डायरेक्ट वोटिंग के जरिए. यानी, जनता सीधे वोट डालती है.
विधायिका की शक्ति संसद के पास है. संसद का नाम ग्रैंड नेशनल असेंबली है.
न्यायपालिका कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र है. मगर उस पर सरकारी दबाव के आरोप लगते रहते हैं.
सरकार की कमानतुर्किए के मौजूदा राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन हैं. उनकी कहानी क्या है?
- फ़रवरी 1954 में पैदा हुए. पिता कोस्टगार्ड थे. अर्दोआन ने खर्च चलाने के लिए जूस और पावरोटी बेचा. इस्लामी स्कूल में दाखिला लिया. कॉलेज के दिनों में एक यूथ पार्टी के अध्यक्ष बने. मेनेजमेंट की डिग्री ली है.
- 1980 के दशक में वेलफ़ेयर पार्टी जॉइन की. उनके टिकट पर इस्तांबुल के मेयर बने. 1996 में वेलफ़ेयर पार्टी ने सरकार बनाई. 1998 में पार्टी बैन हो गई.
इस बीच में एक दिलचस्प वाकया हुआ.
दिसंबर 1997 की एक सभा में अर्दोआन ने राष्ट्रवादी कवि ज़िया गोल्प की कविता पढ़ी. बोल थे,
‘मस्जिद हमारी बैरक हैं, गुंबद हमारे हेलमेट, मीनारें हमारा भाला हैं और मज़हब में विश्वास रखने वाले लोग हमारे सैनिक.’
उन पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगा. जेल भेज दिया गया. मेयर का पद छोड़ना पड़ा. जेल से बाहर आए तो वेलफ़ेयर पार्टी बंद हो चुकी थी. तब वर्च्यु पार्टी जॉइन की. कुछ समय बाद ये भी बैन हो गई. फिर जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी (AK या आक पार्टी) बनाई.
- 2002 में आक पार्टी ने संसदीय चुनाव जीत लिया. 14 मई 2003 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. अगले दो चुनाव और जीते.
- फिर आया 2014 का साल. वो पीएम के तौर पर चौथा टर्म नहीं ले सकते थे. इसलिए, राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया. जीत भी गए.
- जुलाई 2016 में अर्दोआन छुट्टियां मनाने गए. पीठ पीछे सेना के एक धड़े ने तख़्तापलट की साज़िश रची. आनन-फानन में देश को संबोधित किया. लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए कहा. जनता उतरी. तख़्तापलट नाकाम रहा. अर्दोआन निरंकुश हो गए.
- फिर उन्होंने पूरा सिस्टम बदल दिया. प्रधानमंत्री का पद खत्म कर दिया. इसके बाद राष्ट्रपति सरकार और राष्ट्र, दोनों का मुखिया बन गया. 2018 में नई व्यवस्था में पहला राष्ट्रपति चुनाव हुआ. इसमें अर्दोआन ने आसानी से जीत दर्ज कर ली.
- 2023 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें केमाल कोरडोग्लू नामक नेता से टक्कर मिली. केमाल महंगाई कम करने, शरणार्थियों को वापस भेजने, लोकतंत्र की तरफ़ लौटने जैसे वादों के साथ पॉपुलर हो रहे थे. उन्होंने छह पार्टियों के साथ गठबंधन भी किया था. गठबंधन के नेता के तौर पर उनकी जीत तय मानी जा रही थी. मगर दूसरे राउंड की वोटिंग में अर्दोआन ने केमाल को आसानी से हरा दिया.
- अर्दोआन मई 2003 से सत्ता में हैं.
- उनकी विचारधारा कट्टरपंथी इस्लाम की है.
- अर्दोआन ख़ुद को मुसलमानों का सबसे बड़ा नेता साबित करना चाहते हैं.
- नेटो में होने के बावजूद उन्होंने व्लादिमीर पुतिन से दोस्ती बना रखी है. ब्लैक सी ग्रेन डील में उन्होंने मध्यस्थ की भूमिका निभाई.
- जम्मू-कश्मीर के मसले पर अर्दोआन भारत के ख़िलाफ़ बोलते रहे हैं. आर्टिकल 370 हटाने का विरोध किया था.
- सितंबर 2022 में समरकंद में SCO समिट के दौरान अर्दोआन और पीएम मोदी की मुलाक़ात हुई थी. तब से दोनों नेता आमने-सामने नहीं बैठे हैं.
- फ़रवरी 2023 में तुर्किए में आए भूकंप में भारत ने बढ़-चढ़कर मदद की थी. ऑपरेशन दोस्त के तहत. फिर भी मार्च 2023 में यूएन में तुर्किए ने पाकिस्तान के समर्थन में जम्मू-कश्मीर का मसला उठाया था.
- G20 लीडर्स समिट में अर्दोआन का आना तय माना जा रहा है.
- तुर्किए, इज़रायल को मान्यता देने वाला पहला मुस्लिम बहुल देश था.
- तुर्किए की 99 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है. मगर मुल्क संवैधानिक तौर पर धर्मनिरपेक्ष है.
- अर्दोआन मुस्लिम उम्मा का लीडर बनने की तमन्ना रखते हैं.
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