लेबनान में हुए पेजर ब्लास्ट की पूरी कहानी!
पेजर ब्लास्ट में सारे संकेत इज़रायल की तरफ़ इशारा कर रहे हैं. हिज़बुल्लाह ने सीधे तौर पर इज़रायल का नाम लिया है. जवाबी हमले की चेतावनी दी है. 19 सितंबर को हसन नसरल्लाह का संबोधन होने वाला है. उधर, इज़रायल में भी इमरजेंसी मीटिंग्स हो रहीं है. हालांकि, इज़रायल अभी तक चुप है. जो उसका पुराना तरीक़ा रहा है. पिछले 11 महीनों से हिज़बुल्लाह के साथ हिंसक झड़प हो रही है. क्या इज़रायल, लेबनान में जंग शुरू करने की फ़िराक़ में है?
एक आदमी सब्ज़ियां चुन रहा था. खरीदने के लिए. दूसरा चुनी हुई सब्ज़ियों को बांध रहा था. तीसरा व्यक्ति झाड़ू लगाने में व्यस्त था. 17 सितंबर को लेबनान की राजधानी बेरुत में जीवन अपनी गति से चल रहा था. तभी कुछ ऐसा हुआ, जिसने पूरी दुनिया को हैरानी में डाल दिया. लेबनान में सिलसिलेवार ढंग से धमाके शुरू हुए. किसी की जेब में, तो किसी के हाथ में रखे पेजर अपने आप फटने लगे. जब तक सिलसिला थमता, तब तक नौ लोगों की मौत हो चुकी थी. जबकि तीन हज़ार से ज़्यादा लोग अस्पताल पहुंच चुके थे. घायलों में लेबनान में ईरान के राजदूत मोज्तबा अमानी भी हैं. उनको इलाज के लिए ईरान ले जाया गया है.
पेजर एक किस्म का कम्युनिकेशन डिवाइस है. मोबाइल के ज़माने से पहले का. वॉयस और टेक्स्ट मेसेज भेजने के लिए इसका इस्तेमाल होता है. अगर आपको गैंग्स ऑफ़ वासेपुर में नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी का किरदार याद हो. उसके पास काले रंग का मोबाइल जैसा एक डिवाइस रहता है. वही पेजर है.
पेजर के साथ सबसे अलहदा चीज़ ये है कि इसको ट्रैक करना काफ़ी मुश्किल होता है. अबके ज़माने में गिने-चुने लोगों के पास पेजर मिलता है. सबसे ज़्यादा हिज़बुल्लाह के पास. हिज़बुल्लाह लेबनान का चरमपंथी संगठन है. उसकी इज़रायल से पुश्तैनी अदावत चलती है. गाज़ा जंग के बीच हिज़बुल्लाह ने कई छिटपुट हमले किए हैं. इज़रायल समय-समय पर जवाब देता रहता है. अबकी दफ़ा भी आरोपी उसी पर लगा है. मगर इज़रायल कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है. आइए समझते हैं पेजर विस्फोट की पूरी कहानी. क्या ये धमाका मोसाद ने करवाया? और, मिडिल-ईस्ट में अब क्या होने वाला है?
इज़रायल वेस्ट एशिया के पश्चिमी छोर पर बसा है. इसका पश्चिमी किनारा भूमध्यसागर से मिलता है. दक्षिणी सीमा ईजिप्ट और पूर्वी सीमा जॉर्डन से लगी है. उत्तरी सीमा दो देशों से मिलती है. लेबनान और सीरिया. इज़रायल के जितने भी पड़ोसी हैं, उनके साथ उनकी तनातनी या तो चल रही है या अतीत में हो चुकी है. ईजिप्ट और जॉर्डन डिप्लोमेटिक संबंध स्थापित कर चुके हैं. लेकिन लेबनान और सीरिया से दुश्मनी बनी हुई है.
लेबनान भी वेस्ट एशिया के अंतिम छोर पर है. दो देशों से सीमा मिलती है - इज़रायल और सीरिया. आबादी 52 लाख है. लेबनान की राजधानी बेरुत है. एक समय इस शहर को ‘मिडिल-ईस्ट का पेरिस’ कहा जाता था. लेबनान में एक स्थायी सरकार है. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद, सेना और पूरा सरकारी तंत्र, जैसा कि आम देशों में होता है.
लेकिन इसके पैरलल एक और तंत्र है. हिज़बुल्लाह का. इसकी शुरुआत एक सशस्त्र संगठन के तौर पर हुई थी. 1980 के दशक में. लेबनान के सिविल वॉर के दौरान. सिविल वॉर खत्म होने के बाद हिज़बुल्लाह पॉलिटिक्स में भी शामिल हुआ. हालांकि, उसका हिंसक चरित्र बरकरार रहा. समय के साथ वो और ताक़तवर होता गया. आज के समय में हिज़बुल्लाह की फ़ौज लेबनान की रेगुलर आर्मी से ज़्यादा ताक़तवर है.
हिज़बुल्लाह की शक्ति का स्रोत क्या है?एक शब्द का जवाब है, ईरान. दरअसल, इस गुट की स्थापना ईरान की मदद से हुई थी. हिज़बुल्लाह एक शिया इस्लामी संगठन है. ईरान में भी शिया इस्लाम का वर्चस्व है. ईरान की सरकार हिज़बुल्लाह को हर तरह का सपोर्ट देती है. बदले में अपने हिसाब से उसका इस्तेमाल भी करती है. जहां-जहां पर ईरान के हित जुड़े हैं, वहां आपको हिज़बुल्लाह का दखल मिल जाएगा. जैसे, सीरिया के सिविल वॉर में ईरान बशर अल-असद का समर्थन करता है. वहां हिज़बुल्लाह के लड़ाके असद की तरफ़ से लड़ने गए.
दूसरा उदाहरण गाज़ा वॉर का है. अक्टूबर 2023 में जंग शुरू हुई. इसमें ईरान ने हमास का समर्थन किया. हालांकि, सीधी जंग से बचता रहा. उसकी जगह हिज़बुल्लाह ने इज़रायल पर हमले किए. उसने अटैक को इतना सीमित रखा है कि जंग की नौबत ना आए. इन सबके बीच इज़रायल जवाबी हमले करता रहा. हिज़बुल्लाह के कमांडर्स को निशाना बनाता रहा. हाल के दिनों में जिस सबसे बड़े कमांडर को मारा, उसका नाम फ़ुआद शुक्र था. वो हिज़बुल्लाह के सरगना हसन नसरल्लाह का क़रीबी था. नसरल्लाह ने पब्लिकली बदला लेने की धमकी दी थी. उसी दौरान ईरान में हमास के पॉलिटिकल लीडर इस्माइल हानिया की हत्या हो गई. ईरान ने इज़रायल पर संप्रभुता के उल्लंघन का आरोप लगाया. उसने भी बदले की चेतावनी दी.
तभी से इज़रायल पर ईरान और हिज़बुल्लाह के बड़े हमले की आशंका जताई जा रही थी. इसी क्रम में 15 और 16 सितंबर को दो अपडेट्स आए. नंबर एक, इज़रायल की घरेलू ख़ुफ़िया एजेंसी शिन बेत ने एक दिलचस्प खुलासा किया. उन्होंने दावा किया कि हिज़बुल्लाह इज़रायल आर्मी के एक रिटायर्ड अफ़सर को मारने की साज़िश रच रहा था. साज़िश पूरी हो पाती, उससे पहले ही पर्दाफाश हो गया. नंबर दो, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व में कैबिनेट की मीटिंग हुई. वहां गाज़ा वॉर में एक नया मकसद जोड़ा गया. उत्तरी इज़रायल के नागरिकों की सुरक्षित घर-वापसी. वहां के लोगों ने हिज़बुल्लाह के डर से ही घर छोड़ा है. 16 सितंबर की शाम इज़रायल के रक्षा मंत्री योआव गलांत ने कहा कि ये मकसद सैन्य कार्रवाई के बिना पूरा नहीं हो सकता. जानकारों ने कहा, गलांत हिज़बुल्लाह के साथ जंग का संकेत दे रहे हैं.
फिर 17 सितंबर की घटना ने आग में घी डाल दिया है. भले ही इज़रायल ने चुप्पी साध रखी हो, मगर मीडिया रिपोर्ट्स और पुराना इतिहास उसकी संलिप्तता की तरफ़ इशारा कर रहे हैं. अमेरिकी मीडिया ने अज्ञात अमेरिकी और इज़रायली अधिकारियों के हवाले से पूरा घटनाक्रम बताया है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, हिज़बुल्लाह ने पेजर्स ताइवान की कंपनी गोल्ड अपोलो से खरीदे थे. ये कब और कैसे मंगवाए गए थे, इसकी जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है. गोल्ड अपोलो का कहना है कि उन्होंने पेजर बनाने का कॉन्ट्रैक्ट हंगरी की कंपनी BAC कंसल्टिंग को दिया था. सिर्फ़ ब्रैंडिंग उनकी थी.
कहा जा रहा है कि पेजर्स के साथ खेल हंगरी में ही हुआ. इज़रायली एजेंट्स ने हरेक पेजर में एक से तीन ग्राम तक बारुद भरे. अलग से स्विच इंस्टॉल किया. जिससे उनको दूर से डेटॉनेट किया जा सके. इरादा ये था कि फ़ुल-फ़्लेज़्ड वॉर की स्थिति में हिज़बुल्लाह को झटका दिया जा सके.
हिज़बुल्लाह को अंतिम समय तक इसका पता नहीं चला. उन्होंने ऐसे कम से कम तीन हज़ार पेजर्स अपने लोगों में बांटे. कुछ सीरिया और ईरान तक भी पहुंचे. सितंबर 2024 में हिज़बुल्लाह के दो कमांडर्स को पेजर पर संदेह हुआ. वे जांच कराने पर ज़ोर देने लगे. उनमें से एक की हत्या हो गई. अब इज़रायल को भंडाफोड़ का डर सताने लगा था. इसलिए, उसने समय से पहले धमाका कर दिया. फिर 16 सितंबर को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के विशेष दूत अमोस होचस्टीन इज़रायल पहुंचे. इज़रायल ने उनको भनक तक नहीं लगने दी. एक्सियोस की रिपोर्ट के मुताबिक़, 17 सितंबर को धमाके से कुछ मिनट पहले योआव गलांत ने अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन को फ़ोन मिलाया. उनको बताया कि हम लेबनान में एक ऑपरेशन चलाने जा रहे है. जब अमेरिका के विदेश मंत्रालय से इस बाबत सवाल पूछा गया, उन्होंने कहा कि हमें पहले से कोई जानकारी नहीं थी.
अब दूसरे पहलू की तरफ़ चलते हैं. पेजर धमाके का मिडिल-ईस्ट की राजनीति पर क्या असर हो सकता है? और, हिज़बुल्लाह का अगला क़दम क्या होने वाला है? वॉशिंगटन इंस्टिट्यूट फ़ॉर नियर ईस्ट पॉलिसी में सीनियर फ़ेलो हनीन ग़दार से समझते हैं. उन्होंने कहा,
इज़रायल ने हिज़्बुल्लाह के ख़िलाफ़ बहुत बड़े पैमाने पर घुसपैठ की है. हिज़्बुल्लाह ने अपने पहले बयान में इज़रायल को दोषी नहीं ठहराया. लेकिन एक घंटे से भी कम समय में, अपने दूसरे बयान में इज़रायल को दोषी ठहराया. इसका मतलब है कि हिज़्बुल्लाह को जवाब देना होगा. अब उनके पास पेजर नहीं हैं और पेजर फटने वाले हैं तो वो उनका इस्तेमाल नहीं करेंगे. और सेलफोन का इस्तेमाल हिज़बुल्लाह के लिए ख़तरनाक होगा. इसलिए हिज़्बुल्लाह का कम्युनिकेशन सिस्टम खत्म हो चुका है. इसका मतलब है कि उन्हें एक दूसरे से बात-चीत करने में काफ़ी मुश्किलें आएंगीं. कम्युनिकेशन सिस्टम को नष्ट करना तो महज़ शुरुआत है. ये लेबनान में एक बड़े ऑपरेशन की पहल हो सकती है. अगर हिज़्बुल्लाह के मेम्बर्स आपस में बातचीत नहीं कर सकेंगे. तो इज़रायल को बड़े पैमाने में ऑपरेशन करने में आसानी होगी और वो जीत जाएंगे.
ये हमला हिज़बुल्लाह के लिए कितना बड़ा झटका है? क्या इसको इज़रायल की बढ़त के तौर पर देखा जा सकता है? मिडिल-ईस्ट इंस्टिट्यूट में सीनियर फ़ेलो चार्ल्स लीस्टर से समझते हैं. उन्होंने कहा,
पेजर ब्लास्ट पर आए रिएक्शनइतने बड़े पैमाने पर हमला करके इज़रायल या तो हिज़्बुल्लाह को जंग के लिए उकसा रहा है, या ख़ुद जंग शुरू कर रहा है. बड़ी जंग शुरू करने का इससे बेहतर तरीक़ा और क्या हो सकता है. हिज़्बुल्लाह की पूरी सेना के दस-बीस प्रतिशत हिस्से पर हमला करना और कम्युनिकेशन को पूरी तरह ठप्प कर देना. ऐसा हमला पहले कभी नहीं हुआ है, न ही इस स्केल पर और न ही इस तरीके से. इससे पता चलता है कि इज़रायल अपने पड़ोस के इलाक़ों में दुश्मनों के बीच कितनी गहरी घुसपैठ रखता है. अगर हम जंग के बिल्कुल क़रीब हैं तो एक बात समझ लेनी चाहिए कि पिछले कुछ घंटों में जो हुआ है उसके बाद हिज़्बुल्लाह को अपने मेंबर्स से बात चीत करने में बहुत मुश्किल आने वाली है.
- ईरान ने इज़रायल को दोषी ठहराया है. कहा, ये ज़ायनिस्ट शासन का आतंकवाद है.
- ताइवान ने कहा, हम लेबनान को इस तरह का कोई भी डिवाइस नहीं बेचते हैं. हम जांच में पूरा साथ देंगे.
- तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिकाती से फ़ोन पर बात की. अर्दोआन ने घटना पर दुख जताया है.
- रूस ने घटना की निंदा की. कहा, ये मिडिल ईस्ट में युद्ध को भड़काने के लिए किया गया है. हम इसकी निंदा करते हैं.
- बेल्जियम की उप प्रधानमंत्री पेत्रा डी सटर ने X पर लिखा, ये एक बड़ा आतंकी हमला है. इसकी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा जांच की जानी चाहिए.
- अब तक इस घटना में 12 लोगों की मौत पुष्टि हो चुकी है. मरनेवालों में चार मेडिकल स्टाफ़ और दो बच्चे भी शामिल हैं. इसके अलावा, हिज़बुल्लाह के दो लड़ाकों और एक सांसद के बेटे की मौत की भी ख़बर है.
- अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पेजर ब्लास्ट की जानकारी से इनकार किया है. उनका कहना है कि अमेरिका को इसके बारे में पहले से कुछ भी मालूम नहीं था.
- 18 सितंबर को बेंजामिन नेतन्याहू ने इज़रायल के राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग से मुलाक़ात की. नेतन्याहू ने राष्ट्रपति को सिक्योरिटी के मसले पर ब्रीफ़ किया है.
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