The Lallantop
Advertisement

पाकिस्तान से लड़ते वक्त खोया हाथ, इंडिया के लिए लाए पहला पैरालम्पिक गोल्ड मेडल

आज से शुरू हो रहा है पैरालम्पिक. पढ़िए इस खिलाड़ी की कहानी.

Advertisement
Img The Lallantop
pic
विकास टिनटिन
7 सितंबर 2016 (Updated: 6 सितंबर 2016, 03:52 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
आज यानी 7 सितंबर से पैरालम्पिक शुरू हो रहा है. मालूम है कि ये आपको मालूम है. लेकिन आपको क्या ये मालूम है इंडिया के लिए पैरालम्पिक में पहला गोल्ड मेडल कौन लाया था?

खाशाबा दादासाहेब जाधव कहने जा रहे हैं तो ठहरिए. आगे ब्रॉन्ज मेडल चमक रहा है. 1952 के हेल्सिनकी समर ओलंपिक्स में इंडिया के लिए पहला मेडल जीतने वाले पहलवान दादा साहेब जाधव थे. लेकिन इंडिया के लिए पहला गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ी थे मुरलीकांत पेटकर.

साल था 1972. जर्मनी में पैरालंपिक चल रहे थे. पैरालम्पिक यानी शारीरिक रूप से जो लोग चुनौती पाए हुए हैं, उनका ओलंपिक. एक इंडियन बंदा. जिसने कई खेलों स्वीमिंग, जैवलिन थ्रो में खुद को आजमाया. ये वो वक्त था, जब तक इंडिया के लिए कोई इकला बंदा ओलंपिक या पैरालम्पिक में गोल्ड मेडल नहीं लाया था. इन खेलों में मुरली जाबड़ खेले. ऐसा तैरे कि मछलियां शरमा जाएं. एक हाथ से तैरे मुरली ने 50 मीटर फ्रीस्टाइल रेस को 37.33 सेकेंड में पूरा कर लिया. इंडिया की झोली में पहला इंडिविजुएल गोल्ड मेडल गिर चुका था. आर्मी का बॉक्सर: मुरली मुरलीकांत पेटकर बचपन से खेल-कूद में फांद मचाने वालों में से थे. इंडियन आर्मी की इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग (EME) यूनिट से थे. आर्मी में आने से पहले मुरलीकांत पेटकर बॉक्सर हुआ करते थे. मुरली कहते हैं, 'मेरा सपना बॉक्सिंग है.' मुरली EME सिंकदराबाद के ऑफिशियल बॉक्सर भी थे. डिफेंस की कई प्रतियोगिताओं में शिरकत कर चुके थे, इंडिया के लिए मेडल ला चुके थे. पाकिस्तान से लड़ते वक्त खोया हाथ पाकिस्तान इंडिया के बीच चल रही थी लड़ाई. ये लड़ाई थी 1965 वाली. पाकिस्तानी टैंकर इंडिया की तरफ बढ़ चले थे. इंडिया भी पाकिस्तानी फौज की धांय करे हुए था. इस लड़ाई में मुरलीकांत पेटकर भी थे. पाकिस्तान से लड़ते वक्त मुरली बुरी तरह से घायल हो गए. बीबीसी को दिए इंटरव्यू में मुरलीकांट पेटकर ने कहा,
'हम सियालकोट में तैनात थे. मैं लाइट इंफैंट्री का हिस्सा था. तभी सायरन की आवाज आने लगी. हम लोगों को लगा कि चाय के लिए बुलाया जा रहा है. पर ये पाकिस्तानी एयरफोर्स का हमला था. हर तरफ से गोलियां चल रही थीं. मेरे साथ के 3 हवलदार बाहर की तरह गए. 45 मिनट तक लड़ने के बाद हमें अपनी पोजिशन बदलनी पड़ी. जैसी ही पोजिशन बदली. कई गोलियां मुझे लग गईं. मैं पहाड़ी से नीचे की ओर गिरा. नीचे इंडियन आर्मी के ट्रक चल रहे थे. उन्हीं में से एक ट्रक मुझे कुचलकर आगे बढ़ गया. मुझे अस्पताल ले जाया गया. 17 महीने बाद मैं कोमा से बाहर आया. रीढ़ में गोली लगने की वजह से कमर के नीचे हिस्से को लकवा मार गया. लेकिन बाद में मैं चलने लगा. लेकिन एक गोली मेरी रीढ़ की हड्डी में अब भी बाकी है, जिसे कभी नहीं निकाला जा सकता.'
बाद में मुरलीकांत की जमकर ट्रेनिंग करवाई गई. यूं तो मुरलीकांत बॉक्सिंग लड़ना चाहते थे लेकिन उन्हें मौका मिला, दूजे खेलों में. इस मौके पे चौका मारने में मुरलीकांत ने देर न लगाई. सुशांत सिंह राजपूत अब मुरलीकांत पाटेकर पर फिल्म बना रहे हैं. सुशांत खुद मुरलीकांत का रोल प्ले करेंगे. sushant murlikant

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement