अपने यहां से दूर, बहुत दूर अमरीका के नक्शे पर देखोगे तो ज़मीन की एक पुच्छी सीनिकलती है, जिसे फ्लोरिडा कहते हैं. फ्लोरिडा से समंदर में थोड़ा आगे क्यूबा है, औरथोड़ा और आगे जाओ तो एक छोटू सा आइलैंड है बारबाडुआ. 6 सितंबर, 2017 को यहां इतनाज़ोरदार हरिकेन (चक्रवात) आया कि यहां की लगभग पूरी ज़मीन (95%) पानी में डूब गई.हरिकेन का नाम था 'इरमा'. सुनने में निरमा जैसा सुनाई देता है. निरमा दाग की सफाईकरता है, इराम आइलैंड ही साफ कर दे रहा है.बच्चे होते हैं तो मां-बाप, चाचा-चाची, बुआ-फूफा इत्यादि नाम रखते हैं. लेकिनहरिकेन (या तायफून) का नाम कौन रखता है? इरमा के बहाने आज आपको यही बताने जा रहेहैं.चक्रवात बनता कैसे है?दूर समंदर में इक्वेटर के पास जब सूरज चेटता है, तो उसका पानी गर्म होने लगता है.जब समंदर 27 डिग्री से ऊपर गर्म हो जाता है, तो खूब सारी भाप उठती है. ये भाप औरगर्म होती हवा आसमान में उपर उठती है. जैसे रोडवेज़ की बस में किस के जगह छोड़ते हीआजू-बाजू खड़े रहने वाले लोग वो जगह लेने दौड़े चले आते हैं, वैसे ही ऊपर उठती गर्महवा की जगह लेने आस-पास की हवा में भसड़ मच जाता है. हरिकेन, सायक्लोन और तायफून तीनों चक्रवातों के ही नाम हैं. भारत में आने वालेचक्रवात सायक्लोन कहलाते हैं. अब ये गर्म हवा ऊपर उठकर ठंडी होने लगती है और बनते हैं नमी से भरे बड़े-बड़े बादल.आसमान में ऊपर उठते बादल कोरियोलिस फोर्स (धरती के घूमने से पैदा होने वाला एक बल)के चलते गोल-गोल घूमने लगते हैं. हवा के इधर-उधर होने और बादल बनने का सिस्टम जबलगातार चलता है तो बात सीरियस हो जाती है और एक तूफान का जन्म होता है. जितनी गर्मीऔर नमी होगी, तूफान उतना ही ज़ोर का होगा. ये जानिए कि इक्वेटर के ऊपर (माने उत्तरीगोलार्ध में) तूफान बाईं तरफ घूमते हैं और नीचे (माने दक्षिणी गोलार्ध में) तूफानदाईं तरफ घूमते हैं. नाम कैसे देते हैं?इंसान के बच्चे की तरह चक्रवात भी पैदा होने के कुछ दिन तक गुमनाम रहता है. नामदेने की शुरूआत होती है हवा की स्पीड के आधार पर. जब हवा लगभग 63 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गोल-गोल चक्कर काटने लगती है, तब उसे ट्रॉपिकल स्टॉर्म (तूफान)कहते हैं. स्पीड जब बढ़ते-बढ़ते 119 किलोमीटर प्रति घंटे से ऊपर पहुंचती है, तो उसेट्रापिकल हरिकेन कहते हैं. स्पीड ज्यों-ज्यों बढ़ती है, हरिकेन की कैटेगरी बदलती 1से 5 की स्केल पर बढ़ती जाती है. चक्रवातों को नाम देना सबसे पहले अटलांटिक देशों ने शुरू किया था. इरमा अटलांटिकक्षेत्र में आया है इसीलिए इसे हरिकेन कहा जा रहा है. ये इस सदी से सबसे ताकतवरतूफानों में से एक है. (फोटोःरॉयटर्स) चक्रवातों को नाम देना सबसे पहले अटलांटिक सागर के इर्द गिर्द बसे देशों ने शुरूकिया. अंकल सैम का अमरीका ऐसा ही एक देश है. इन्होंने चक्रवातों को नाम दे दियाजाता है ताकी उसका रिकॉर्ड रखा जा सके. इससे वैज्ञानिकों, समंदर में चल रहे जहाज़ोंके स्टाफ और हरिकेन से बचने की तैयारी कर रहे प्रशासन को सहूलियत होती. कैरिबियनआइलैंड्स के लोग एक समय कैथलिक संतों के नाम के पर चक्रवातों के नाम रखते थे. दूसरेविश्वयुद्ध के दौरान अमरीकी फौज चक्रवातों को औरतों के नाम देने लगी. ये तरीका पसंदखूब पसंद किया गया और स्टैंडर्ड बन गया. लेकिन कुछ वक्त बाद औरतों ने सवाल किए किजब वो आबादी का आधा ही हिस्सा हैं तो तबाही लाने वाले पूरे चक्रवातों को उन्हीं केनाम क्यों दिए जाएं. फिर 1978 में आधे चक्रवातों को मर्दो के नाम दिए जाने लगे. इरमा जब प्यूटो रीको पहुंचा तो मदद के लिए सिविल डिफेंस बुलानी पड़ी. ज़्यादा तबाहीमचाने वाले तूफानों के नाम रिटायर कर दिए जाते हैं. (फोटोःरॉयटर्स) यूएस वेदर सर्विस हर साल के लिए 21 नामों की लिस्ट तैयार की जाती है. हर अल्फाबेटसे एक नाम. Q,U,X,Y,Z से नाम नहीं रखे जाते. अगर साल में 21 से ज़्यादा तूफान आजाएं तो फिर ग्रीक अल्फाबेट जैसे अल्फा, बीटा, गामा इस्तेमाल किए जाते हैं. दिल्लीके ट्रैफिक की तरह ही यहां भी ऑड-ईवन सिस्टम है. ईवन साल (जैसे 2004, 2014, 2018)में पहले चक्रवात को आदमी का नाम दिया जाता है. ऑड सालों में (2001, 2003, 2007)पहले चक्रवात को औरत का नाम दिया जाता है. एक नाम छह साल के अंदर दोबारा इस्तेमालनहीं किया जाता. ज़्यादा तबाही मचाने वाले तूफानों के नाम रिटार कर दिए जाते हैं,उदाहरण के लिए कटरीना.अपने यहां क्या सिस्टम है?भारत हिंद महासागर में नाक दिए हुए है, इसलिए हमारे यहां भी ढेर सारे चक्रवात आतेहैं. हिंद महासागर में आने वाले तूफानों को नाम देने का चलन 2004 में शुरू हुआ. इससे पहले के चार सालों में भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान,श्रीलंका और थाइलैंड ने मिल कर नाम देने का एक फॉर्मूला बनाया. चक्रवातों के चलते तेज़ हवा के साथ मूसलाधार बारिश आती है और बाढ़ से काफी नुकसानहोता है. (फोटोःरॉयटर्स) इसके मुताबिक सभी देशों ने अपनी ओर से नामों की एक लिस्ट वर्ल्ड मीटियोरोलॉजिकलऑर्गनाइज़ेशन को दी है. भारत की लिस्ट में 'अग्नि', 'आकाश', 'बिजली', 'मेघ' और'सागर' जैसे नाम हैं. पाकिस्तान की भेजी लिस्ट में 'निलोफर', 'तितली' और 'बुलबुल'जैसे नाम हैं. नाम देने लायक चक्रवात आने पर आठ देशों के भेजे नामों में सेबारी-बारी एक नाम चुना जाता है.अपने यहां के सिस्टम में 10 साल तक एक नाम दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता. ज़्यादातबाही मचाने वाले चक्रवातों के नाम को रिटायर कर दिया जाता है.-------------------------------------------------------------------------------- और पढ़ेंःमौसम ने अपने सबसे विनाशक हथियार 'इरमा' को कैरेबियन तबाह करने भेजा हैब्लू मार्बल : कहानी 'दुनिया' की सबसे मशहूर तस्वीर कीबाढ़ रोकने का राज़ हमारे पुरखों ने किस्से कहानियों में छुपा रखा हैइस दफे लगा कि मजरूह और गुलज़ार ने गलत लिखा मुंबई के बारे मेंबिहार में बाढ़ है, सरकारी तैयारी फरार है