The Lallantop
Advertisement

एक कविता रोज़ में अतुल की कविता - दस के पांच नोट

'दूसरा नोट गलने को है/इसमें गांधी की आंखे ओझल हैं/ हो न हो यह किसी मजदूर का नोट है!'

pic
मयंक
23 जुलाई 2021 (Updated: 23 जुलाई 2021, 10:46 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
Advertisement

दी लल्लनटॉप का कविताओं से जुड़ा कार्यक्रम 'एक कविता रोज़'. आज के एपिसोड में हम आपको अतुल तिवारी की कविता सुनाने जा रहे हैं. अतुल का घर गोरखपुर है पर रहते कानपुर हैं. कानपुर में अतुल का काम वैसे तो फार्मासिस्ट का है पर इसके साथ-साथ अतुल लिखते भी हैं. एक कविता रोज़ में आज सुनिए अतुल की कविता -  दस के पांच नोट. देखिए वीडियो.

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement