उसैन बोल्ट से 2 लाख गुना तेज भागता है मुटल्ला सैंटा क्लॉज!
मजाक ना कर रहे. इसके पीछे साइंस है.
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क्या सांता एक दिन में दुनिया के सारे बच्चों को गिफ्ट दे सकता है? इतने भारी-भरकम शरीर का इंसान कितना ट्रेवल करेगा एक दिन में?
कोई भी ये कह देगा कि ये कपोल-कल्पना है. सांता दादा-दादी के अलावा कोई बन ही नहीं सकता. बाकी लोग बच्चों का मन रखने के लिए बन जाते हैं. कुछ लोग अपना मन रखने के लिए ही बन जाते हैं. ज्यादा मत सोचो. कोई संता-वंता कहीं किसी को कुछ नहीं बांटने वाला. कौन उड़ेगा इतनी ठंड में पूरी दुनिया में.
फिर लोग ये भी कहते हैं कि सांता आयेगा भी तो पकड़ा जायेगा. लोगों के घरों में मोटा इंसान छुपेगा कैसे. गिफ्ट देगा और धर लिया जाएगा. अनसाइंटिफिक कॉन्सेप्ट है संता. और उड़ता भी होगा तो सैकड़ों सालों में बुड्ढा हो के लुजलुज हो जाना चाहिए. अभी तक वैसा ही दिखता है. जैसा शेक्सपियर के जमाने में दिखता होगा.
पर सोचिए कि अगर ऐसा हो जाये तो क्या होगा. कितना मजा आयेगा. अगर दिसंबर के महीने में पता चले कि सांता ने दुनिया के सारे बच्चों को गिफ्ट दे दिया है.
इस काम को संभव बनाने में हमारी स्कूल की पढ़ाई का हाथ हो सकता है. हमने स्कूल में दो थ्योरीज पढ़ी थीं. थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी और डॉप्लर इफेक्ट. यही दोनों यहां भी काम आएंगे. सांता एकदम सांइटिफिक है.
डॉप्लर इफेक्ट
यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर की जियोफिजिसिस्ट डॉक्टर केटी शीन ने कैलकुलेट किया इस बाबत. पता चला कि दुनिया में कुल 70 करोड़ बच्चे इस लायक हैं कि उनको गिफ्ट दिया जाये. करना बस ये है कि सांता को 1 करोड़ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भागना होगा. 31 घंटा लगेगा. टाइम जोन वगैरह की समस्या मिला के. पर ये किसी को पता नहीं चलेगा. उसैन बोल्ट की मैक्सिमम स्पीड रही है 44 किलोमीटर प्रति घंटा. इस हिसाब से अपने मुटल्ले सैंटा को उसैन बोल्ट से 2 लाख 23 हजार गुना तेज भागना होगा. बाप रे!
डॉप्लर इफेक्ट के मुताबिक सांता की इस स्पीड पर लाइट और साउंड वेब्स देखने वाले को अफेक्ट करेंगी. सांता दिखेगा ही नहीं. इंसानों के सुनने की क्षमता से बाहर रहेगी इस स्पीड पर निकलने वाली आवाज.
अब क्या होगा कि इस स्पीड पर सांता सिकुड़ जाएगा. स्पेशल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी के मुताबिक. पर अगर सांता कहीं पर भी केक खाने के इंतजार में रुका तो फंस जाएगा. क्योंकि पूरा आकार सामने आ जाएगा. धर लिया जाएगा.
इंडियन एक्सप्रेस को शीन ने लैटर लिखा था. कहा कि कल्पना करिये कि आप एयरोप्लेन में एक बॉल उछालते हैं. आपके लिए बॉल वैसी ही दिखेगी जैसी धरती पर उछालते हुए दिखती है. पर जो इंसान नीचे से देखेगा, उसे तो बॉल प्लेन की स्पीड से जाती दिखेगी. तो सबको अलग-अलग दिखाई देता है. डिपेंड करता है कि किस सिस्टम में खड़े हैं आप.
अब अगर बॉल की जगह लाइट रख दें, तो मामला बदल जाएगा. क्योंकि लाइट किसी भी माध्यम में एक ही स्पीड से चलती है. स्टील, प्लास्टिक, लकड़ी, पानी सबमें बराबर. जबकि आवाज की स्पीड बदल जाती है. तो लाइट के केस में सबको स्पीड बराबर ही दिखेगी. अब इसके सच होने के लिए टाइम या स्पेस में कोई बदलाव आयेगा. तो लाइट की स्पीड पर समय स्लो हो जाता है. स्पेस सिकुड़ जाता है.
सांता के लिए प्रपोज्ड एक करोड़ किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड लाइट की स्पीड का दसवां हिस्सा ही है. हालांकि अगर धरती के सबसे तेज दौड़ने वाले मानव उसैन बोल्ट की बात करें तो उनसे दो लाख गुना ज्यादा स्पीड है ये.
डॉक्टर शीन ने एक और बात बताई. सांता बूढ़ा नहीं होता. इसकी वजह भी स्पेशल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी है. क्योंकि समय स्लो हो जाता है.
शीन के मुताबिक एक और चीज है. सांता दिखने में आइंस्टीन जैसा ही है. अगर लाल कपड़े पहना दें आइंस्टीन को तो, वो सांता ही दिखेंगे.
कुल मिला के कहने का मतलब ये है कि फिजिक्स बहुत ही रोचक चीज है. इसके नजरिये से चीजों को देखने का मजा ही कुछ अलग है. विज्ञान में सारी संभावनायें होती हैं. कुछ भी इंकार नहीं किया जाता. क्योंकि इंकार करने के लिए भी जवाब देना पड़ता है. समीकरण में.
(ये स्टोरी इंडियन एक्सप्रेस से ली गई है.)
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