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अगर डॉनल्ड ट्रंप चुनाव जीते तो भारत पर क्या असर होगा? क्या है प्रोजेक्ट 2025?

‘प्रोजेक्ट 25’ एक पॉलिसी ब्लूप्रिंट है. इसमें बताया गया है कि किन विषयों पर सरकार की कैसी नीति होनी चाहिए. इसको हेरिटेज फ़ाउंडेशन ने बनाया है.

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डॉनल्ड ट्रंप ने प्रोजेक्ट 2025 से पल्ला झाड़ लिया है (फोटो - एपी)
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12 जुलाई 2024 (Published: 21:23 IST)
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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन. उनकी बाईं तरफ़ यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की खड़े हैं. मंच है, वॉशिंगटन में नेटो समिट का. मंच पर माइक बाइडन के पास है. उन्हें ज़ेलेन्स्की को पोडियम पर बुलाना है. मगर वो एक गफ़लत कर देते हैं. 


तो, बाइडन ने ये किया कि वो ज़ेलेन्स्की के बदले पुतिन का नाम पुकारने लगे. बाद में ग़लती सुधारी भी. लेकिन तब तक खेल हो चुका था. ये पहली बार नहीं है, जब बाइडन ने नामों में हेरफेर किया हो या बोलते-बोलते कहीं और निकल गए हों. जब-जब वो ऐसा करते हैं, उनकी उम्र और फ़िटनेस पर बहस तेज़ हो जाती है. 27 जून की डिबेट के बाद बाइडन की उम्र राष्ट्रपति चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बन चुकी है. नेटो समिट में उनके पास अपनी इमेज सुधारने का मौका था. मगर ज़ेलेन्स्की वाली क्लिप के बाद रही-सही कसर भी जाती रही. जिस तेज़ी से बाइडन की पकड़ घटी है, डॉनल्ड ट्रंप की वापसी का ग्राफ़ ऊपर गया है. ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार हैं. 15 जुलाई से विस्कॉन्सिन में पार्टी का नेशनल कन्वेंशन शुरू हो रहा है. उसमें उनके नाम पर औपचारिक मुहर लगेगी.

जैसे-जैसे ट्रंप की वापसी की ज़मीन तैयार हो रही है, वैसे-वैसे एक दस्तावेज भी घूमने लगा है. 922 पन्नों के इस दस्तावेज को ट्रंप सरकार का घोषणा-पत्र माना जा रहा है. इसमें अमरीका के अंदरूनी मसलों से लेकर विदेश नीति तक का फ़्यूचर प्लान लिखा है. मसलन, राष्ट्रपति को निरंकुश शक्तियां, शिक्षा मंत्रालय पर ताला, पॉर्न पर बैन, अबॉर्शन पिल पर पाबंदी, 50 हज़ार से अधिक सरकारी अधिकारियों की बर्खास्तगी, एफ़बीआई को खत्म करना, होमलैंड सिक्योरिटी में आमूलचूल बदलाव आदि. इस दस्तावेज का नाम है - प्रोजेक्ट 2025. ट्रंप ने इससे किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार किया है. मगर अंदर की कहानी कुछ और कहती है. दस्तावेज तैयार करने वालों में से अधिकतर ट्रंप के क़रीबी लोग हैं. पहले कार्यकाल में उनके साथ काम कर चुके हैं. अगर ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बने, तब उनकी सरकार में वापसी हो सकती है. इन दैट केस, ट्रंप 2.0 में प्रोजेक्ट 2025 के असर से इनकार नहीं किया जा सकता.

तो, जानते हैं,
- प्रोजेक्ट 2025 क्या है और कहां से आया?
- क्या अमरीका में तानाशाही व्यवस्था आने वाली है?
- और, प्रोजेक्ट 2025 में भारत के बारे में क्या लिखा है?

प्रोजेक्ट 25 के बेसिक्स

‘प्रोजेक्ट 25’ एक पॉलिसी ब्लूप्रिंट है. इसमें बताया गया है कि किन विषयों पर सरकार की कैसी नीति होनी चाहिए. इसको हेरिटेज फ़ाउंडेशन ने बनाया है. ये अमेरिका का एक थिंक-टैंक है. 1973 में बना था. 1980 के दशक से नीतियां बना रहा है. उनका फ़ोकस रिपब्लिकन पार्टी पर रहता है. कई सरकारों ने उनकी नीतियों को लागू भी किया है. 2015 में हेरिटेज फ़ाउंडेशन ने ‘मेनडेट फ़ॉर लीडरशिप’ नाम से डॉक्यूमेंट बनाया था. जनवरी 2017 में ट्रंप राष्ट्रपति बने. 2018 में फ़ाउंडेशन ने दावा किया था कि ट्रंप सरकार उनके 64 फीसदी सुझावों को लागू कर चुकी है. जैसे, पेरिस क्लाइमेट डील छोड़ना और फ़ौज पर खर्च बढ़ाना. जुलाई 2020 में हेरिटेज फ़ाउंडेशन ने ट्रंप के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ मार्क मीडोज़ को अपडेटेड डॉक्यूमेंट सौंपा था. उसी बरस अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव था. ट्रंप के अगले कार्यकाल में उन नीतियों को लागू किया जा सकता था. मगर ट्रंप चुनाव हार गए. ये हेरिटेज फ़ाउंडेशन के लिए बड़ा झटका था.

जैसे ही ट्रंप ने वाइट हाउस छोड़ा, उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई शुरू हुई. सीक्रेट दस्तावेज चुराने और चुनावी नतीजा पलटने की साज़िश रचने जैसे आरोप लगे. ट्रंप को अदालत के चक्कर लगाने पड़े. इसका असर रिपब्लिकन पार्टी की छवि पर भी पड़ रहा था. उस वक़्त ऐसा लग रहा था कि ये पार्टी अगले कई बरसों तक सत्ता में नहीं आ पाएगी. मगर बाइडन सरकार की ग़लतियों ने उनको उबरने का मौका दे दिया. इसकी शुरुआत अगस्त 2021 में अफ़ग़ानिस्तान से हुई. जब तालिबान के क़ब्ज़े के बाद अमेरिका को आनन-फानन में बाहर निकलना पड़ा. वो एयरलिफ़्ट कैंपेन बेहद बेतरतीब था. जिसके चलते कई लोग भगदड़ में मारे गए. बीच में काबुल एयरपोर्ट पर एक आतंकी हमला भी हुए. जिसमें 13 अमरीकी सैनिकों की मौत हो गई. इसने बाइडन को कमज़ोर साबित किया. फिर फ़रवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. अमरीका की चेतावनी के बावजूद जंग शुरू की.घरेलू मोर्चे पर भी बाइडन सख़्त नहीं दिखे. बाकी का काम उनकी भूलने की आदत और ख़राब फ़िटनेस ने कर दिया. इन सबके बीच पर्दे के पीछे दो चीज़ें एक साथ हो रहीं थीं,

- ट्रंप 2024 का राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे.

- हेरिटेज फ़ाउंडेशन ने एक महत्वाकांक्षी पॉलिसी डॉक्यूमेंट पर काम शुरू कर दिया था. इसमें सौ से ज़्यादा दक्षिणपंथी संगठन उसकी मदद कर रहे थे. उनका काम अप्रैल 2023 में पूरा हो गया. ये प्रोजेक्ट 25 था. ट्रंप इससे पांच महीने पहले ही राष्ट्रपति चुनाव के लिए दावेदारी पेश कर चुके थे.

प्रोजेक्ट 25 में क्या लिखा है?

अलग-अलग विषयों पर संभावित नीतियों के बारे में लिखा है. मसलन, फ़ॉरेन पॉलिसी कैसी होनी चाहिए. किस देश के साथ कैसे रिश्ते होने चाहिए. कहां ज़्यादा, कहां कम खर्च करना है. कौन सी नौकरी बचानी है, किसपर ताला लगाना है. शरणार्थियों के साथ क्या करना है आदि. एक-एक कर समझते हैं. पॉइंट्स में.
 > सरकार पर.
- जितनी भी स्वतंत्र एजेंसियां हैं, उन सबको राष्ट्रपति के नियंत्रण में रखा जाए.

- FBI क़ानून के ख़िलाफ़ काम करने लगी है. उसमें बड़े बदलाव की ज़रूरत है.

- होमलैंड सिक्योरिटी को भंग कर देना चाहिए. उसकी एजेंसियो को दूसरे डिपार्टमेंट के अंदर रखा जाए. होमलैंड सिक्योरिटी को आप गृह मंत्रालय समझ लीजिए. अमरीका में इसकी स्थापना 2002 में हुई थी.

- प्रोजेक्ट 25 में एजुकेशन डिपार्टमेंट को खत्म करने का प्रस्ताव है.

- इसके अलावा, सरकारी कर्मचारियों की जगह वफ़ादार लोगों की भर्ती की बात भी लिखी है. हेरिटेज फ़ाउंडेशन ने कहा है कि डेटाबेस बनना शुरू हो चुका है.
 > अबॉर्शन और दूसरे सामाजिक विषयों पर.

- अबॉर्शन की गोली मिफ़प्रिस्टोन का अप्रूवल वापस लिया जाए. विशेष स्थिति में अबॉर्शन पिल्स की होम डेलिवरी की जाए. लोग मेडिकल स्टोर्स से सीधे नहीं खरीद सकते.

- एक प्रो-लाइफ़ टास्क फ़ोर्स बनाई जाए. ये गर्भपात रोकने के लिए बनी एजेंसियों पर नज़र रखेगी.

- इस बात को बढ़ावा दिया जाए कि सिर्फ़ दो जेंडर होते हैं - महिला और पुरुष.

- फ़ौज में ट्रांसजेंडर्स को शामिल नहीं किया जाए. ट्रंप ने पहले कार्यकाल में मिलिटरी में ट्रांसजेंडर्स की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी. बाइडन ने उस फ़ैसले को पलट दिया था. प्रोजेक्ट 25 में बैन वापस लाने का प्रस्ताव है.

> इमिग्रेशन पर.

- मेक्सिको बॉर्डर पर दीवार बनाने का प्रोजेक्ट पूरा किया जाए.
- बॉर्डर पर फ़ौज की तैनाती होनी चाहिए. आप्रवासियों को गिरफ़्तार करने और वापस भेजने की व्यवस्था में तेज़ी लाई जाए.
- आप्रवासियों के लिए एप्लिकेशन की फ़ीस बढ़ा जाए. जो लोग ज़्यादा पैसा देंगे, उनका एप्लिकेशन तेज़ी से आगे बढ़े.

> तकनीक और शिक्षा पर.

- पॉर्न पर प्रतिबंध लगाया जाए. पॉर्न कंटेंट चलाने वाली कंपनियों को बंद किया जाए.
- स्कूलों के कामकाज पर अभिभावकों का नियंत्रण हो.
- सेक्शुअल ओरिएंटेशन, जेंडर इक्वैलिटी, अबॉर्शन और रेप्रॉडक्टिव राइट्स जैसे टर्म को क़ानून की किताब से बाहर किया जाए.
- स्कूलों और सरकारी डिपार्टमेंट्स में विविधता, समानता और समावेशी प्रोग्राम्स को खत्म किया जाए.

> विदेश नीति 

- प्रोजेक्ट 25 में चीन को सबसे बड़ा ख़तरा बताया गया है. चीन का ज़िक्र कम से कम पांच सौ बार आया है.  लिखा है कि चीन अपनी सेना मज़बूत कर रहा है. वो ऐसी न्युक्लियर फ़ोर्स बना रहा है जो अमरीका को भी पीछे छोड़ सकता है. ताइवान, फ़िलीपींस, जापान या साउथ कोरिया पर दादागिरी दिखाने से चीन को रोकने की ज़रूरत है.
- चीन के साथ आर्थिक गठजोड़ खत्म करना चाहिए. चीनी संस्थानों, टिकटॉक, चीनी प्रोपेगैंडा और जासूसी को ग़ैर-क़ानूनी घोषित कर देना चाहिए. जो भी कॉलेज चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) से पैसा ले रहे हैं, उनकी मान्यता छीन लेनी चाहिए. और, उनकी सरकारी फ़ंडिंग बंद होनी चाहिए.
- अमरीका को अपने न्युक्लियर स्टॉक को आधुनिक बनाने की दिशा में काम करना चाहिए. अमरीका के परमाणु हथियार कोल्ड वॉर के दौर के हैं. उनको तत्काल प्रभाव से बदलने की ज़रूरत है.
- इज़रायल की मदद बरकरार रखनी होगी. जबकि ईरान को न्युक्लियर हथियार हासिल करने से किसी भी कीमत पर रोकना होगा.
- नई सरकार का कार्यकाल शुरू होते ही दुनियाभऱ में मौजूद अमरीकी राजदूतों को इस्तीफ़ा देना होगा. नए राष्ट्रपति अपने हिसाब से राजदूतों की नियुक्ति करेंगे. जो उनके एजेंडे को आगे बढ़ाएंगे.

भारत के बारे में क्या लिखा है?

दस्तावेज में भारत का ज़िक्र लगभग 25 बार आया है. क्या लिखा है, इसे कुछ पॉइंट्स में समझिए.

- इज़रायल, ईजिप्ट, खाड़ी देशों और संभवत: भारत को मिलाकर एक सुरक्षा संगठन बनाना चाहिए. ये अमरीका के हित में होगा. इसको सेकंड क़्वाड बताया गया है.
- भारत के साथ द्विपक्षीय संबंध बढ़ाना अमरीका की विदेश नीति का अहम मकसद होना चाहिए. भारत, चीन के ख़तरे को कम करने और इंडो-पैसिफ़िक को आज़ाद रखने में अहम भूमिका निभाता है. भारत ईस्ट और वेस्ट को जोड़ने वाले अहम समुद्री और हवाई मार्गों को चलायमान बनाए रखने की गारंटी देता है. वो अमरीका का उभरता हुआ आर्थिक सहयोगी भी है.
- रिपोर्ट में भारत-पाकिस्तान की दुश्मनी के बारे में भी लिखा है. इसके अलावा, पाकिस्तान से उपजे आतंकवाद पर ज़ोर दिया गया है. लिखा है कि अमरीका को पाकिस्तान में सैन्य-राजनीतिक सरकार और अफ़ग़ानिस्तान में तालिबानी शासन को लेकर सतर्क रहने चाहिए. दोनों के साथ सामान्य रिश्तों की उम्मीद नहीं की जा सकती.
- क़्वाड के संदर्भ में भारत-अमरीका संबंधों को विस्तार देना चाहिए. क़्वाड में अमरीका और भारत के अलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया हैं.
- प्रोजेक्ट 25 ने भारत को वैक्सीन उत्पादन में ग्लोबल लीडर बताया है. लिखा है कि इस संबंध को बढ़ाने की ज़रूरत है.

कितना गंभीर है प्रोजेक्ट 25?

कुछ दिनों पहले हेरिटेज फ़ाउंडेशन के सीईओ केविन रॉबर्ट्स का एक बयान चर्चा में था. रॉबर्ट्स ने कहा था, हम दूसरी अमरीकी क्रांति के गवाह बनने वाले हैं. अगर लेफ़्ट पार्टियों ने कोई गड़बड़ नहीं की तो ये रक्तहीन क्रांति होगी. रॉबर्ट्स ‘प्रोजेक्ट 25’ के मास्टरमाइंड माने जाते हैं.

NYT
हेरिटेज फाउंडेशन पर न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट (फोटो- न्यू यॉर्क टाइम्स)


इस प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों का कहना है कि अंतिम फ़ैसला लेने का हक़ राष्ट्रपति के पास है. ये ट्रंप के ऊपर होगा कि राष्ट्रपति बनने के बाद वो किन सुझावों पर अमल करते हैं.
 

ट्रंप ने क्या कहा?

ट्रंप ने प्रोजेक्ट 25 से पल्ला झाड़ लिया है. बोले, हमको कुछ नहीं पता. 05 जुलाई को ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर लिखा,
 

“मैं प्रोजेक्ट 25 के बारे में कुछ भी नहीं जानता. इसके पीछे कौन लोग हैं, मुझे उसके बारे में कुछ भी नहीं पता. मैं उनकी कुछ बातों से असहमत हूं. उनकी कुछ बातें तो बेहद अजीब और घटिया हैं. वे जो कर रहे हैं, मैं उनको शुभकामनाएं देता हूं. लेकिन उनसे मेरा कोई लेना-देना नहीं है.”

ट्रंप के दावे में कितना दम?

अमरीकी न्यूज़ चैनल CNN ने प्रोजेक्ट 25 में शामिल लोगों की पड़ताल की है. CNN की रिपोर्ट के मुताबिक़, प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे कम से कम 140 लोगों के साथ ट्रंप के पहले कार्यकाल में अहम पदों पर काम कर चुके हैं. उनमें से छह लोग ट्रंप की कैबिनेट में मंत्री रहे. चार को ट्रंप ने राजदूत नियुक्त किया था. जबकि कम से कम 20 पन्ने उस शख़्स ने लिखे, जो ट्रंप का पहला डिप्टी चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ था.
CNN का दावा है ट्रंप और प्रोजेक्ट 25, दोनों से जुड़े लोगों की असल संख्या कहीं ज़्यादा हो सकती है. अगर ट्रंप सत्ता में आते हैं तो इनमें से कई उनकी सरकार का हिस्सा भी बन सकते हैं. इसलिए, वो इतनी आसानी से पल्ला नहीं झाड़ सकते. एक बात और, प्रोजेक्ट 25 में लिखी बहुत सारी बातें ट्रंप अपने भाषणों में दोहराते रहे हैं.

हमने अमरीका में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार रोहित शर्मा से पूछा, प्रोजेक्ट 25 में लिखी बहुत सारी चीज़ें ट्रंप के विचारों से मेल खातीं है. इसमें शामिल कई लोग उनके क़रीबी रहे हैं. फिर भी वे इससे पीछा छुड़ाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? उनका लालच क्या है? इसपर वरिष्ठ पत्रकार रोहित शर्मा कहते हैं-

“ट्रम्प प्रोजेक्ट 25 से एक सेफ दूरी बनाए हुए हैं. वजह है वहां के आम चुनाव जिसमें उन्हें इंडिपेंडेंट वोट्स चाहिए. कुछ वोटर्स ऐसे होते हैं जो परिस्थितियों के हिसाब से वोट करते हैं. अगर ट्रंप किसी ऐसी एक्सट्रीम चीज़ को सपोर्ट करते हैं तो ये इंडिपेंडेंट वोटर्स उनसे दूर हो सकते हैं. उनके विज़न की झलक तो इसमें दिखती है, पर इससे एकदम से जुड़ना इंडिपेंडेंट वोटर्स को उनसे दूर कर सकता है.”

जो बाइडन नवंबर 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के संभावित उम्मीदवार हैं. उनकी दावेदारी सबसे ज़्यादा पुष्ट है. प्राइमरी इलेक्शन में सबसे ज़्यादा डेलिगेट्स ने उनका समर्थन किया है. अगर बाइडन ख़ुद दावेदारी नहीं छोड़ते तो उनको हटाना बेहद मुश्किल है. हालांकि, बंद दरवाज़े के पीछे डेमोक्रेटिक पार्टी के दिग्गज रास्ता ज़रूर तलाश रहे हैं. 11 जुलाई की न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, बाइडन के क़रीबी उनको मनाने की कोशिश कर रहे हैं.
 

New York Times
जो बाइडन पर न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट (फोटो- न्यू यॉर्क टाइम्स वेबसाइट)

अगर बाइडन रेस से नहीं हटे तो डेमोक्रेटिक पार्टी ‘प्रोजेक्ट 25’ पर सबसे ज़्यादा ज़ोर देगी. ऐसा दिखाया जाएगा कि ट्रंप अमरीका को बर्बाद कर देंगे. इससे बचना है तो बाइडन को वोट दो. क्या ‘प्रोजेक्ट 25’ का विरोध कर डेमोक्रेटिक पार्टी ख़ुद को रिवाइव कर सकती है? और, क्या इससे बाइडन की उम्र और फ़िटनेस का मुद्दा पीछे चला जाएगा? इसके जवाब में वरिष्ठ पत्रकार रोहित शर्मा कहते हैं-

“जो बाइडन के सालाहकारों के मानना है कि अगर बाइडन को ट्रम्प के आगे बने रहना है तो प्रोजेक्ट 2025 को जितना हो सके उतना पब्लिक के सामने रखना होगा. इसमें मौजूद एक्सट्रीम पॉलिसीज़ अमेरिका के कल्चर के लिए किस तरह ख़तरनाक है, ये दिखाकर ही बाइडन की उम्र का मुद्दा दबाया जा सकता है.”

हेरिटेज फ़ाउंडेशन 1980 के दशक से पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स बना रहा है. पहली बार उनके डॉक्यूमेंट पर इतनी बड़ी बहस छिड़ी है. एक तरह से इस बार का राष्ट्रपति चुनाव ‘प्रोजेक्ट 25 बनाम अनफ़िट बाइडन’ बनता जा रहा है. ये दस्तावेज इतना बड़ा मुद्दा कैसे बन गया? अमरीका में लोग इसको कैसे देख रहे हैं?  इसके जवाब में वरिष्ठ पत्रकार रोहित शर्मा ने कहा-

“आप इतिहास देखेंगे तो अमेरिका में अक्सर ऐसा होता है कि रिपब्लिकन या डेमोक्रेट्स, जब वो हारते हैं तो अक्सर ऐसे थिंक टैंक में जाते हैं. वहां वो पॉलिसी बनाते हैं और जब वो जीतते हैं तो उन नीतियों को लागू भी करते हैं. रही बात अमेरिकी नागरिकों की तो मैंने इसपर पहले ही लल्लनटॉप से ही कहा था कि अगर मुद्दा बाइडन की उम्र या मेंटल हेल्थ का हुआ तो ट्रम्प जीतेंगे. पर अगर मुद्दा ट्रम्प की आक्रामक पॉलिसीज़, उनके बिहेवियर का हुआ तो बाइडन जीतेंगे. पूरी बात इसी नैरेटिव पर डिपेंड करती है.”

प्रोजेक्ट 25 में कई ऐसी चीज़ें है, जो पहली नज़र में अजीबोग़रीब लगती हैं. जैसे, FBI को भंग करना, होमलैंड सिक्योरिटी में बड़ा बदलाव लाना, वफ़ादार सरकारी स्टाफ़्स की नियुक्ति, एजुकेशन डिपार्टमेंट पर ताला लगाना आदि. अमरीका में किसी सरकार के लिए ऐसा करना कितना मुश्किल है? क्या प्रोजेक्ट 25 में लिखे प्रावधानों को आसानी से लागू किया जा सकता है? इसपर रोहित शर्मा ने कहा-

 "FBI, होमलैंड सिक्योरिटी, इमिग्रेशन को लेकर जो नियम लिखे हैं, उनमें उतनी स्पष्टता नहीं है. लिहाज़ा कोई भी आने वाला प्रशासन उसमें चेंज कर सकता है. कई चीज़ें ऐसी हैं जिसमें उन्हें कांग्रेस की मंज़ूरी चाहिए. पर जहां तक बात है FBI की, वो उसकी ज़िम्मेदारियों में बदलाव तो कर सकते हैं, पर पूरी तरह से उसे भंग करना, ये अतिश्योक्ति है."

अगर प्रोजेक्ट 25 के सारे प्रावधान लागू हो गए, फिर क्या होगा? ये अमरीका के मूल स्वरूप को कैसे बदल सकता है?

"अगर ये लागू हुआ तो भी इसका असर बहुत थोड़े समय के लिए रहेगा. लेकिन अमेरिका में प्रावधान है कि पॉलिसीज़ की लेकर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. और मिड टर्म इलेक्शन भी होंगे तो ट्रम्प के लिए उसमें मुश्किल हो सकती है. पर फिलहाल किसी भी तरह का अंदाज़ा लगाना ठीक नहीं होगा क्योंकि नवम्बर में चुनाव होने हैं और प्रोजेक्ट 2025 के लागू होने के लिए ज़रूरी है कि ट्रम्प उसमें जीतें."

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