अयोध्या में बाबरी मस्जिद बाबर ने बनवाई भी थी या नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान वकील पीएन मिश्रा दलील दे रहे थे कि मस्जिद बाबर ने बनवाई ही नहीं.
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला सुनाया. हिंदू-मुस्लिम पक्ष को अपने-अपने धार्मिक स्थल बनाने के लिए जमीनें मिलीं. इस ऐतिहासिक फैसले से पहले कोर्ट में एक बहस इस बात पर भी हुई थी कि बाबरी मस्जिद, बाबर ने बनवाई भी थी या नहीं. ये आलेख तब लिखा गया था, जब बाबरी मस्जिद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही थी. आज हम इस आलेख को फिर से इसलिए प्रस्तुत कर रहे हैं क्योंकि आज 6 दिसंबर का दिन है. 6 दिसंबर 1992 के दिन ही बाबरी मस्जिद गिराई गई थी. पढ़िए पूरी बहस-
बुधवार यानी 28 अगस्त, 2019 को 14वें दिन की सुनवाई के दौरान बाबरी मस्जिद के निर्माण, बनाने के समय और बनाने वाले के नाम पर ही बहस हो रही थी. बहस में श्रीराम जन्मभूमि पुनरुत्थान समिति के वकील पीएन मिश्रा दलील दे रहे थे. कह दिया कि मस्जिद बाबर ने बनवाई ही नहीं. उन्होंने कहा बाबर नहीं, बल्कि राम मंदिर तोड़कर, औरंगज़ेब ने मस्जिद बनवाई थी. क्योंकि साल 1770 से पहले जिसने भी अयोध्या की यात्रा की, उसने वहां मस्जिद होने का कोई ज़िक्र तक नहीं किया था. साल 1770 में भारत घूमने आए लेखक पर्यटक ट्रैफन थेलर की वाली किताब का हवाला कोर्ट में आ गया. बकौल मिश्रा, थेलर ने वहां बमुश्किल 30-40 वर्ष पहले बनी इमारत का उल्लेख किया है, जिसे तब के अयोध्यावासी मस्जिद जन्मभूमि के नाम से जानते थे.
पीएन मिश्रा ने सुनवाई की शुरुआत में बाबरनामा के अंश पढ़े. कहा कि किसी भी ऐतिहासिक दस्तावेज़ ने ये नहीं जो बताए कि जन्मभूमि पर विवादित ढांचा (बाबरी मस्जिद) 520वें वर्ष में बनाया गया.
मिश्रा ने बाबरनामा यानी बाबर की रोजनामचा डायरी का हवाला देते हुए कहा कि उसमें मीर बाकी के बारे में ज़िक्र तक नही है. बाकी बेग तशकन्दी और बाकी बेग का ज़िक्र है. बाकी तशकन्दी 1529 में ताशकन्द से (अयोध्या) बाबर से मिलने आया था. मिश्रा ने तर्क देते हुए कहा कि मंदिर बाबर ने नहीं, औरंगजेब ने तोड़ा था. मीर बाक़ी जैसा कोई शख्स़ उस समय था ही नहीं.
ऐसे में सवाल उठता है कि बाबर का नाम क्यों लिया जाता है? इस बारे में बाबर इस ज़मीन का सिर्फ़ वाकिफ़ था, यानी उसने सिर्फ ज़मीन वक़्फ़ की थी. और बकौल मिश्रा और चंद किताब, यही है बाबरी मस्जिद और बाबर का आपसी संबंध.
पीएन मिश्रा अब तक ये बताने पर तुले हुए थे कि बाबरी मस्जिद बाबर ने नहीं बल्कि औरंगज़ेब ने बनायी थी. और अपने दावे के बारे में कोई राय-सबूत-दलील नहीं पेश कर रहे थे.
इस पर जस्टिस बोबड़े ने पूछ दिया,
“आपका इससे क्या लेना देना है? क्योंकि विषय ये है कि जन्म स्थान पर आपका हक कैसे है? ये स्पष्ट करें.”
इस पर मिश्रा ने कहा कि अगर अदालत इस दावे को स्वीकार करती है कि औरंगज़ेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी, तो सुन्नी वक्फ़ बोर्ड का दावा गलत साबित होता है. वकील मिश्रा का कहना था कि अगर सुन्नी वक्फ बोर्ड के तर्क ही गलत तथ्य पर आधारित हैं, तो फिर इनका जमीन पर दावा कैसे हो सकता है?
पीएन मिश्रा ने तीन किताबों - बाबरनामा, तुजुके जहांगीरी और आईने अकबरी - का ज़िक्र किया और कहा कि आईने अकबरी और बाबरनामा में बाबर द्वारा बाबरी मस्जिद बनाने की बात कहीं नहीं है. तुजुके जहांगीरी में भी बाबरी मस्जिद का नाम तक नहीं.
अदालत को अयोध्या का एक नक्शा भी दिया गया. इसमें रामजन्म स्थान और जन्मस्थान मन्दिर का उल्लेख है. याचिकाकर्ता ने कहा कि ये नक्शा दो सौ साल से भी पहले हेन्स बेकर नामक अंग्रेज ने स्कंदपुराण में दिए गए वर्णन और अयोध्या की मौजूदा स्थिति का मिलान और आकलन करके बनाया था.
क्या औरंगज़ेब का सेनापति इटालियन था?बाबर-औरंगज़ेब के बाद अदालत में ये बात सामने आ गयी कि औरंगजेब क्या इटालियन कमांडर के साथ काम कर रहा था? ऐसा इसलिए कि अपनी दलील को समर्थन देने के लिए पीएन मिश्रा ने एक नाम लिया. निकोलो मनूची का. औरंगज़ेब का कमांडर यानी सेनापति. कहा कि निकोलो की किताब में भी यही कहा गया है कि बाबर ने नहीं बल्कि औरंगज़ेब ने बनाया था बाबरी मस्जिद को.
संभवतः जस्टिस बोबड़े को अचरज हुआ होगा. उन्होंने पूछा कि क्या औरंगज़ेब का कमांडर इतालवी था? मिश्रा जी ने कहा, जी हां.
मिश्रा ने कहा कि बाबरनामा में भी कहीं बाबर के अयोध्या प्रवास, किसी मन्दिर को तोड़े जाने या वहां मस्जिद बनाने का फरमान देने का कोई ज़िक्र नहीं है. कहीं-कहीं मीर खान का नाम मस्जिद बनवाने वाले के तौर पर ज़रूर मिलता है, ऐसा कहा मिश्रा ने.
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