मोबाइल पर घंटों चैट और कम्प्यूटर पर टिपिर-टिपिर करने के बाद क्या करते हैं आप?अंगड़ाई लेने का मन करता है. हाथ को कितनी तरह से मोड़ा-तोड़ा जा सकता है ये उसीवक़्त पता चलता है. लेकिन ऑफिस या मीटिंग में बैठे हों तो ऐसा करने में थोड़ा अटपटालगता है. तब क्या करते हैं? उंगलियां फोड़ने के बारे में क्या विचार है? हीही. मज़ाआता है न. अब चटकाने न लग जाना. पहले पढ़ लो. मेरी मां बहुत डांटती हैं उंगलियांफोड़ने पर. कहती हैं इससे उंगली मोटी हो जाती हैं और आंख के नीचे काले घेरे बन जातेहैं. हालांकि ये सिर्फ हर मां की तरह की जाने वाली फिक्र और फर्जी डराने वाली बातहै. और ये बात साइंस के मुताबिक गलत भी है. लेकिन मां का मना करना गलत नहीं है.उंगलियों को फोड़ना या चटकाना सेहत के लिए ठीक नहीं है. डॉक्टरों का मानना है किहाथ या पैर की उंगलियां चटकाने से हडि्डयों पर बुरा असर पड़ता है. इससे काम करने कीक्षमता कम होती है. इस आदत को छोड़ देना चाहिए.होता क्या है आखिरउंगलियों के जोड़ और घुटने और कोहनी के जोड़ों में एक खास लिक्विड होता है. इसकानाम होता है synovial fluid. ये लिक्विड हमारी हडि्डयों के जोड़ों में ग्रीस का कामकरता है. साथ ही हडि्डयों को एक दूसरे से रगड़ खाने से रोकता है. ठीक वैसे ही जैसेगाड़ियों में ग्रीस डाला जाता है. उस लिक्विड में मौजूद गैस जैसे कार्बन डाईऑक्साइड नई जगह बनाती है. इससे वहां बुलबुले बन जाते हैं. अब जब हम हड्डीचटकाते हैं तो वही बुलबुले फूट जाते हैं. तभी कुट-कुट की आवाज़ आती है. यही होता हैउंगली फोड़ने पर.एक बार फूटने के बाद क्यों नहीं आती आवाज़जब 1 बार जोड़ों में बने बुलबुले फूट जाते हैं. उसके बाद उस लिक्विड में वापस गैसघुलने में करीब 15 से 30 मिनट लगते हैं. इसीलिए एक बार उंगलियां चटक जाती हैंतो दोबारा चटकाने पर आवाज़ नहीं आती है. चाहे जितनी बार कोशिश कर लो, जब तक बुलबुलेनहीं बनेंगे तब तक कुट-कुट नहीं बोलेगा.हल्के में लेना भारी पड़ सकता हैएक रिपोर्ट के मुताबिक हडि्डयां आपस में लिगामेंट से जुड़ी होती हैं. बार-बारउंगलियां चटकाने से उनके बीच होने वाला लिक्विड कम होने लगता है. अगर ये पूरा ख़त्महो जाए तो गठिया हो सकता है. इसके साथ ही यदि जोड़ों को बार-बार खींचा जाए तो हमारीहडि्डयों की पकड़ भी कम हो सकती है. हालांकि इस पर कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय केसाथ-साथ कई जगह शोध किए गए हैं. लेकिन उंगली फोड़ने से बीमारी होने की बात हर शोधमें साबित नहीं हुई है. हां इससे कुछ दिक्कतें हो सकती हैं.इस वीडियो से समझिए:--------------------------------------------------------------------------------ये भी पढ़ें:फिजेट स्पिनर, जिसे स्ट्रेस की दवा बताकर बेचा जा रहा है जबकि असल काम कुछ और हैये अक्सर पैरों में 'झुनझुनी' क्यों चढ़ जाती है?क्या आप बता सकते हैं कि इस हाथ में क्या गड़बड़ है?