The Lallantop
X
Advertisement

सीता के ये सत्य मुझे चौंकाते हुए खुश कर गए

सीता की ये बातें न महर्षि वाल्मीकि बताते हैं और न गोस्वामी तुलसीदास.

Advertisement
Img The Lallantop
रामानंद सागर के सीरियल 'रामायण' के एक दृश्य में सीता और राम
pic
सौरभ द्विवेदी
5 जून 2017 (Updated: 7 जून 2017, 11:29 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति सुव्रतअभ्युत्थानमधर्मस्य तदा प्रकृतिसंभव

हे, अपने वचनों और कर्तव्यों का पालन करने वाले (सुव्रत), जब भी धर्म का इंडेक्स गिरता है, अधर्म का ऊपर जंप मारता है, तब एक स्त्री शक्ति आती है. और सब दुरुस्त कर देती है. - अद्भुत रामायण, महर्षि वाल्मीकि



इस श्लोक के साथ अमीष की नई किताब शुरू होती है. 'सीता- वॉरियर ऑफ मिथिला'. ये उनकी रामचंद्र सीरीज की दूसरी किताब है. पहली किताब 'सायन ऑफ इक्ष्वाकु' (इक्ष्वाकु के वंशज) में राम के नजरिए से कथा कही गई. सीता-हरण तक की. दूसरी किताब में सीता केंद्र में हैं. यहां भी कहानी हऱण पर खत्म होती है. अमीष ने इस किताब में पूरी सीरीज का स्ट्रक्चर भी समझाया है. इसके तहत राम और सीता की कहानी एक बिंदु तक पहुंच गई है. तीसरी किताब 'रावण- ऑर्फन ऑफ आर्यावर्त' (आर्यावर्त का अनाथ) में लंकापति की कहानी होगी. यह कहानी भी सीता-हरण पर खत्म होगी. और फिर तीनों की कहानी एक साथ आगे बढ़ेगी. एक ऐसे बिंदु पर, जहां सब शुरुआतों को सार्थकता मिलेगी.


किताब 'सीता- वॉरियर ऑफ मिथिला' का कवर (बाएं) और इसके लेखक अमीष (दाएं)
किताब 'सीता- वॉरियर ऑफ मिथिला' का कवर (बाएं) और इसके लेखक अमीष (दाएं)

'सीता- मिथिला की योद्धा' में सबसे नया क्या है. यह प्रस्तावना कि सीता विष्णु का अवतार थीं. विष्णु यानी कि एक पद, जो हमारी अब तक की समझ के मुताबिक राम को मिला था. मगर ये किताब एक बेहद दिलचस्प और मजबूत थ्योरी लाती है. इसके मुताबिक मलयपुत्र (विष्णु को निर्धारित करने वाली ट्राइब) सीता को विष्णु निर्धारित करती है. वहीं वायुपुत्र (महादेव को निर्धारित करने वाली ट्राइब) राम के समर्थन में है. सीता और राम का विचार है कि अब दो विष्णु के एक साथ होने और एक साथ काम करने के विचार का समय आ चुका है. मगर इस समय में एक रोड़ा है. सीता को समर्थ बनाने वाले गुरु विश्वामित्र, जो राम के गुरु वशिष्ठ से चिढ़ते हैं. दोनों का लगाव-दुराव उनके लौंडपने तक जाता है. जब वे आश्रम में दोस्त थे और फिर नंदिनी नाम की महिला के फेर में दुश्मन हो गए.


अमीष
अमीष

हमने पूर्ववर्ती शास्त्रों में पढ़ा कि नंदिनी गाय थी, जिसके अधिपति वशिष्ठ थे और जिस पर राजा विश्वामित्र कब्जा करना चाहते थे. ये पहले का पढ़ा ही मुझे अमीष को पढ़ने के लिए प्रेरित करता है. पौराणिक कथाओं का बिल्कुल नया एंगल. कई बार पुराने डॉट्स जोड़ता. कई बार सिरे से तोड़ता. 'सीता- मिथिला की योद्धा' में भी यही क्रम बदस्तूर जारी है.

यह किताब पढ़ने के बाद सीता के बारे में धारणा बदल जाती है. अब तक सीता आदर्श स्त्री थी, मगर उसके आदर्श क्या थे. पतिव्रता होना. सतीत्व से भरपूर होना. पति के साथ वन जाना. रावण की लंका में भी राम को जपना. लौटकर आने पर अग्निपरीक्षा देना. राम को उत्तराधिकारी दे धरती में समा जाना. ये पारंपरिक कथा सूत्र हैं. अमीष इसे शीर्षासन करा देते हैं. उनकी किरदार सीता वीरांगना है. मगर सिर्फ बाहुबली ही नहीं, ज्ञानबली भी है. वह प्रधानमंत्री के रूप में अपने दार्शनिक पिता जनक के कमजोर साम्राज्य मिथिला को दुरुस्त करती है. स्वयंवर के सब विधान खुद रचती है. राम को इस विचार पर सहज करती है और बेहद प्रतिकूल स्थितियों में भी साहस और संयम नहीं खोती.

ये बिल्कुल नए किस्म की सीता है. राम के साथ बराबरी से खड़ी. सिर्फ तस्वीरों में भी नहीं. हर घटना और उसमें भागीदारी के स्तर पर भी. हम अक्सर पढ़ते हैं, वाल्मीकि की रामायण अलग थी और तुलसी की रामायण (रामचरित मानस) अलग. सब देशकाल के हिसाब से मूल्यों को प्रतिष्ठित करती. अमीष उस परंपरा को आगे बढ़ाते हैं. वो अधुनातन मूल्यों को रोचक और तार्किक ढंग से अपने कथा सूत्र में प्रतिष्ठित करते हैं. उनकी सीता फेमिनिस्ट है, मगर टेक्स्टबुक वाली नहीं. वो रिवर्स सेक्सिज्म से सनी नहीं है. और जब एक किरदार समिचि ऐसा करती नजर आती है, तो सीता उसे दुरुस्त भी करती है.

यही खूबी 'सायन ऑफ इक्ष्वाकु' में भी थी. उसके राम और उनके बाकी तीन भाई ज्यादा मानवीय थे.


'सायन ऑफ इक्ष्वाकु' किताब का कवर
'सायन ऑफ इक्ष्वाकु' किताब का कवर

रामचंद्र सीरीज की एक और खासियत है, जो इसे अमीष की पिछली सीरीज 'शिवा ट्रिलिजी' से अलग भी करती है. वह है भारत वर्ष के मौजूदा मुद्दों को ज्यादा सीधे ढंग से पुरातन कहानी में प्रतिष्ठित करना. रामचंद्र सीरीज की पहली किताब में दिल्ली गैंगरेप सा प्रसंग आता है, जब अयोध्या की सबसे अमीर कारोबारी मिथिला की बेटी और राम की मुंहबोली बहन रौशनी का गैंगरेप होता है. नाम पर गौर करिए. रौशनी. क्या आपको इसका निर्भया से संबंध पता है. पता ही होगा.


अमीष की शिवा ट्रिलिजी
अमीष की शिवा ट्रिलिजी

यहीं पर वो रोचक बहस भी होती है कि नाबालिग अपराधी, जो हिंसा के दौरान सबसे सक्रिय था, उसका क्या हो. कानून पालन के लिए निबद्ध राम कहते हैं, विधि का पालन हो. भरत कहते हैं, विधि से ज्यादा जनमत के लिए न्याय का बोध जरूरी है. और उसी क्रम में एक छिपे हुए ऑपरेशन में भरत अपने तईं न्याय करते हैं. उस नाबालिग अपराधी को दंडित कर.


इसी तरह से सीता, य़ानी सीरीज की दूसरी किताब में प्रसंग हैं. एक जगह जल्लीकट्टू आता है. एक मुद्दा, जिस पर एक हफ्ते तक एक स्टेट और पूरा मीडिया जूझता रहा. केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट भी पार्टी बन गए. अमीष इस प्रसंग का इस्तेमाल अपने एक किरदार बाली को इंट्रोड्यूस करने में करते हैं. इतना ही नहीं, इसके बहाने वह जलीकट्टू के समर्थन में अपने तर्क भी पेश करते हैं.

वैसे ही मिथिला पर हमले का एक प्रसंग है, जहां कई स्वार्थी कायरतावश युद्ध के खिलाफ अपने तर्क पेश कर रहे हैं. ऐसा लगा कि एक टीवी विंडो खुल गई, जहां पाकिस्तान और कश्मीर के मसले पर शांति और संयम का राग अलाप रहे बुद्धिजीवियों की खिंचाई की जा रही हो.

किताब में कोई कमी लगी क्या? मुझे लगी. शायद आगे दुरुस्त हो जाए. किताब सीता-हरण पर खत्म हो गई. यानी अब तक राम और सीता की कहानी सुनाई जा चुकी है. इस कहानी के इस बिंदु तक कुछ बहुत रोचक चीजें हुईं, जो अमीष के कथा-विस्तार में नहीं आ पाई हैं. ये बातें थीं सीता का ऋषियों के साथ संवाद. मसलन, अत्रि ऋषि के आश्रम में अनुसुइया के साथ सीता की बातचीत. ये स्त्रीत्व को समझने-समझाने का एक अच्छा बाइस हो सकता था.

sita-amish

किताब में कई जगह कुछ दोहराव आ जाता है. शायद ये इसलिए जरूरी था कि पिछली किताब के प्रसंग याद आ जाएं. ये मानकर न चला जाए कि पाठक अभी-अभी पिछली किताब खत्म कर इसे पढ़ना शुरू कर रहा है.

अमीष की ये किताब आपको पढ़नी चाहिए. भारतीय चिंतन और दर्शन को नई रौशनी में रोचक ढंग से देखने समझने का बढ़िया मौका देती हैं उनकी नॉवेल. अस्तु.

किताब- सीता: वॉरियर ऑफ मिथिला राइटर- अमीष पब्लिशर- वेस्टलैंड पब्लिकेशन कीमत- 240 रुपए (ऐमजॉन पर)




 
दी लल्लनटॉप ने ढेर सारी किताबों के रीव्यू किए हैं, पढ़िए:
कश्मीर में पत्थर क्यों फेंके जा रहे हैं, ये सफीना की कहानी बताती है

बॉलीवुड के प्यारे लड़के करण जौहर की 6 खूबसूरत बातें

'इस रेशम की थान को पढ़ोगे तो Quotes गिराने लगोगे'

'जब उसका पांचवां पति भी मानसिक रोगी निकलता है, तो वो उसे छोड़ देती है'

क्या खुलासे किए हैं कन्हैया कुमार ने अपनी किताब 'बिहार से तिहाड़ तक' में

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement