शम्मी कपूर भारतीय सिनेमा के वो नाम हैं, जिनके बिना फिल्म इंडस्ट्री का ज़िक्र औरमहिमामंडन अधूरा रह जाएगा. शम्मी के गर्दनतोड़ डांस मूव्स तो आपने 'याहू', 'बदन पेसितारे लपेटे हुए' और 'तारीफ़ करूं क्या उसकी' जैसे गानों में देखा ही है. वो अपनीजिंदादिली से सबका दिल जीत लेते थे. उनके सेट पर आने से ही सब एनर्जी से भर जातेथे. उनकी अदायगी भी कमाल थी.शम्मी की एक्टिंग का स्टाइल इतना यूनीक था कि उनके लिए रफ़ी साहब को अपने गाने कातरीका बदलना पड़ा. लेकिन उनके फ़िल्मी करियर की शुरुआत इतनी बुरे तरीके से हुई थी किआप सोच भी नहीं सकते. पृथ्वीराज कपूर के बेटे और राज कपूर के छोटे भाई होने केबावजूद उनकी तक़रीबन 25 फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर लगातार फ्लॉप हुईं. लेकिन उनके औरनासिर हुसैन साहब के साथ ने इंडस्ट्री को एक नया सुपरस्टार दिया. यूं तो उनके ढेरोंकिस्से हैं, लेकिन जो सबसे यादगार और खास हैं, वो हम आपके लिए लाए हैं:-एक्टिंग की वजह शम्मी को स्कूल से निकाल दिया गया थाशम्मी कपूर के पापा यानी 'मुग़ल-ए-आज़म' वाले अकबर इतने बड़े एक्टर नहीं थे. पृथ्वीराजकपूर का अपना एक थिएटर था, जिसमें वो काम करते थे. आज वो जगह मुंबई में एक्टिंग काशौक रखने वालों का गढ़ है. 'पृथ्वी थिएटर' कहलाता है. किसी से पता पूछोगे, तो वहांतक छोड़कर आएगा. कपूर खानदान के एक्टर्स अपने करियर की शुरुआत वहीं से करते थे.पृथ्वीराज कपूर, राज कपूर उसके बाद का नंबर शम्मी कपूर का ही आता है.अपने पिता और भाइयों के साथ शम्मी कपूर.शम्मी का जन्म 21 अक्टूबर, 1931 को मुंबई में हुआ था. इनकी एक्टिंग की शुरुआत कुछज़्यादा ही बचपन में हो गई थी. थिएटर में जब भी किसी चाइल्ड एक्टर की जरूरत होती, तोपापा उन्हें साथ लिए जाते. लेकिन जब शम्मी सुबह स्कूल पहुंचते, तो उनकी आंखें लालहोतीं और वो क्लास में ही झपकी लेते नज़र आते. टीचर ने कहा कि 'भइया ऐसे नहीं चलेगा,कल पापा को लेकर स्कूल आओ'. पापा बिजी रहते थे, तो शम्मी के बड़े भाई राज कपूर स्कूलपहुंचे. टीचर से मिलने गए, तो टीचर ने एक्टिंग और थिएटर को बुरा-भला कहना शुरू करदिया. राज कपूर ने कहा कि जिस स्कूल में कला की इज़्ज़त नहीं, वहां उनका भाई नहींपढ़ेगा. उसके बाद शम्मी कपूर का एडमिशन दूसरे स्कूल में करवाया गया.अपने बड़े भाई राज कपूर के साथ शम्मी कपूर.एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनना चाहते थे शम्मीशम्मी का सपना एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनना था, लेकिन जब पढ़ाई की बात आती, तो सिर परसौ घड़े पानी गिर जाता. डिसाइड हुआ कि एक्टिंग ही करेंगे. पृथ्वी थिएटर जॉइन करलिया. थिएटर पापा का ही था, बावजूद इसके 50 रुपए महीने पर काम करना पड़ा.फिर एक्टिंग शुरू की. एक्टिंग में जब आए, तो लोग कहने लगे कि भाई, ये तो राज कपूरकी नक़ल करता है.शम्मी ने कहा कि थिएटर में जो-जो किरदार राज साहब ने निभाए थे, वो सब मैंने भीनिभाए. हो सकता है उनका प्रभाव थोड़ा ज़्यादा हो मुझ पर. लेकिन उसके बाद से शम्मी नेअपनी स्टाइल से लुक तक, सब बदल दिया. फिर जो शम्मी कपूर उभरकर आया, उसने अपनीआइकॉनिक शम्मी कपूर स्टाइल इज़ाद की, जो लोगों को खूब भाई.'तारीफ करूं क्या उसकी' गाने में शम्मी कपूर.स्टाइल मारने के चक्कर में हाथी से घुटने तुड़वा लिए1964 में एक फिल्म आई थी 'राजकुमार'. उस फिल्म में शम्मी के साथ उनके पितापृथ्वीराज, राजेंद्र कुमार और साधना भी थीं. फिल्म के एक गाने 'यहां के हम हैंराजकुमार' की शूटिंग के दौरान हाथी पर खड़े शम्मी के घुटने टूट गए थे. देखिए वोगाना, जिसे फिल्माते हुए शम्मी के घुटने टूट गए थे.शम्मी ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि वो हाथी की गर्दन पर पैर रखकर खड़े शूटिंगकर रहे थे. ठीक उसी समय हाथी ने अपनी गर्दन घुमाना-उठाना शुरू कर दिया. उसकी चपेटमें शम्मी का पांव आ गया और उसने उसे तोड़-मरोड़ दिया. देखने वाले बताते हैं कि शम्मीके पैर से तड़-तड़ की आवाज़ आ रही थी. इसके बाद शम्मी को कई महीनों तक फिल्मों औरशूटिंग से दूर रहना पड़ा.आधी रात को लिपस्टिक से मांग भरके की थी शादीशम्मी कपूर इंडस्ट्री में आ तो गए थे, फ़िल्में मिलती भी खूब थीं, लेकिन कोई फिल्मचल नहीं पाती थी. उनके हिस्से में लगातार 25 फ्लॉप फिल्मों का रिकॉर्ड है. साल 1956में फिल्म 'रंगीन रातें' की शूटिंग के दौरान वो गीता बाली से मिले. गीता उस फिल्ममें कैमियो कर रही थीं. गीता उस समय में शम्मी से बड़ी स्टार थीं. शम्मी को गीता सेप्यार हो गया. चार महीने तक दोनों रिलेशनशिप में रहे, लेकिन शम्मी जैसे ही शादी कीबात छेड़ते, गीता मना कर देतीं.अपनी पत्नी और मशहूर बॉलीवुड एक्ट्रेस गीता बाली के साथ शम्मी कपूर.ऐसे ही एक बार शम्मी गीता से शादी की बात कर रहे थे. आधी रात का वक़्त था. गीता ने'हां' कर दी. लेकिन शर्त रख दी कि शादी होगी, तो अभी होगी वरना नहीं होगी. शम्मीचौंके, लेकिन शादी तो करनी थी. उन्होंने फटाफट मंदिर का रुख़ किया और पंडित कोबुलाया गया. बाकी सब तो हो गया, लेकिन सिंदूर नहीं था. ऐसे में गीता ने अपनीलिपस्टिक निकाली और शम्मी से उससे उनकी मांग भरने को कहा. शम्मी ने भी आव देखा नताव, लिपस्टिक से ही मांग भर दी. गीता से शादी के बाद शम्मी ने कहा था-'पहले तो मैं सिर्फ पृथ्वीराज कपूर का बेटा और राज कपूर का भाई था, लेकिन अब तो मैंगीता बाली का पति भी हूं'.उनके कहने का मतलब था कि उस दौर में उनकी अपनी कोई पहचान नहीं थी.शादी के बाद शम्मी ने लगातार सुपरहिट फ़िल्में देनी शुरू कर दीशम्मी का करियर बहुत बुरा चल रहा था. उनकी कोई भी फिल्म नहीं चल रही थी. ऐसे मेंउनके खेवनहार बने मशहूर फ़िल्ममेकर नासिर हुसैन. नासिर साहब की शम्मी को अपनी फिल्ममें लेने की कोई इच्छा नहीं थी, लेकिन सशधर मुख़र्जी के कहने पर उन्होंने शम्मी कोलेकर एक फिल्म बनाई. फिल्म थी 'तुम सा नहीं देखा'. इस फिल्म ने न सिर्फ ताबड़तोड़कमाई की, बल्कि शम्मी कपूर को स्टार बना दिया. उसके बाद शम्मी ने नासिर साहब के साथकई फ़िल्में कीं और सब सुपरहिट रहीं.फ़िल्म 'तुमसा नहीं देखा' का पोस्टर.साल 1957 से 1971 तक उन्होंने ढेरों हिट फ़िल्में दीं, जिनमे 'तुम सा नहीं देखा','दिल देके देखो', 'जंगली', 'उजाला', 'चाइना गेट', 'ब्लफ़मास्टर', 'कश्मीर की कली','जानवर', 'ब्रह्मचारी', 'तुमसे अच्छा कौन है' और 'ऐन इवनिंग इन पेरिस' आदि ख़ास हैं.1971 में आई उनकी फिल्म 'अंदाज़' लीड रोल में उनकी आखिरी फ़िल्म थी. उसके बादउन्होंने फिल्मों में कैरेक्टर रोल्स करने शुरू किए. आख़िरी बार वो अपने पोते रणबीरकपूर की फ़िल्म 'रॉकस्टार' में शहनाई वादक के किरदार में नज़र आए थे. वो रणबीर केकिरदार के बारे में पीयूष मिश्रा से कहते हैं, 'ये बड़ा जानवर है. तुम्हारे पिंजड़ेमें नहीं आएगा'.अपनी आख़िरी फिल्म 'रॉकस्टार' में शम्मी कपूर.इंटरनेट में पारंगत होने वाले पहले सेलेब्रिटी थेजब भारत में इंटरनेट नया-नया आया था, तब तक शम्मी साहब एक तरह से फ़िल्मों से रिटायरहो चुके थे. उनको इस नई चीज़ ने बहुत लुभाया. खाली समय में वो इंटरनेट सीखने मेंकाफी वक़्त बिताते थे. इसकी वजह से उन्हें इंटरनेट की अच्छी जानकारी हो गई थी. वोइंटरनेट यूजर्स कम्युनिटी ऑफ़ इंडिया के फाउंडर और चेयरमैन थे. वो अपने खानदान केलिए अलग से एक वेबसाइट मेन्टेन करते थे, जिसे वो समय-समय पर अपडेट करते रहते थे. उसवेबसाइट में उनके परिवार के बड़े से छोटे सब लोगों की जानकारी थी. वो अपने फैंस सेभी इस साइट की मदद से संपर्क में रहते थे.अपने बेटे आदित्य के साथ शम्मी.शम्मी कपूर के पांव की उंगलियां काटनी पड़ी थींशम्मी कपूर को बुढ़ापे में डायबिटीज की बीमारी हो गई थी. इस बीमारी के कारण उन्हेंहफ़्ते में तीन दिन डायलिसिस पर रहना पड़ता था. लेकिन बाकी के दिन वो अपनेदोस्त-साथियों के साथ ताश खेलते, किताबें पढ़ते हुए गुजारते थे. आख़िर में डायबिटीजने उनकी हालत इतनी खराब कर दी कि उनके पांव की अंगुलियां काटनी पड़ी थीं.अपने आखिरी समय में व्हील चेयर पर शम्मी कपूर.इतनी तकलीफें झेलने के बावजूद शम्मी हमेशा खुशमिजाज़ ही रहे. उनकी इस अदा काइंडस्ट्री के तमाम लोग जिक्र करते हैं कि बीमारी और उम्र का शम्मी पर कोई असर नहींपड़ा. वो अलग बात है कि साल 2011 में इसी बीमारी ने उनकी जान ले ली. 14 अगस्त कोउनकी बरसी होती है.--------------------------------------------------------------------------------ये भी पढ़ें:26 फिल्में जो पहलाज निहलानी और CBFC की बदनाम विरासत लिखेंगी'चक दे! इंडिया' की 12 मज़ेदार बातें: कैसे सलमान हॉकी कोच बनते-बनते रह गएसंजय दत्त 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