The Lallantop
Advertisement

भारत का सबसे बड़ा रेल हादसा, जब सैकड़ों लाशों का पता ही नहीं चला

ट्रेन नदी में समा गई. लाशें बह गईं, सैकड़ों की कोई खबर नहीं मिली. सेना चाहती थी नदी उड़ाकर लाशें निकालना.

Advertisement
Img The Lallantop
pic
अविनाश जानू
6 जून 2019 (Updated: 5 जून 2019, 05:12 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
ट्रेन एक पुल के ऊपर से गुजर रही थी. बाहर तेज बारिश हो रही थी. लोग अपने-अपने कामों में बिजी थे. कोई बतिया रहा था. कोई मूंगफली खा रहा था. कोई अपने रोते बच्चों को शांत करा रहा था. इसी वक्त ड्राइवर ने अचानक ब्रेक लगाया. ट्रेन फिसली, पुल तोड़कर, लबालब भरी नदी में जलविलीन हो गई. कहते हैं ड्राइवर ने ब्रेक इसलिए मारा था कि सामने भैंस आ गई थी. एक भैंस की जान बचाने में हजारों लोगों की जान चली गई. सुनकर लगता है कि यह फिल्मी कहानी है. पर यह सच है. यह था भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेन एक्सीडेंट.
तारीख थी 6 जून 1981. मनसी से सहरसा की तरफ बागमती नदी के पुल पर ट्रेन दौड़ी चली जा रही थी. मानसून चल रहा था. जबरदस्त बारिश हुई थी. पटरियों पर फिसलन थी. बागमती नदी भी लबालब भरी हुई थी. 9 डिब्बे की ट्रेन में हजारों लोग सफर कर रहे थे. अचानक ड्राइवर ने ब्रेक मारा. 9 में से 7 डिब्बे ट्रेन से अलग हुए और पुल तोड़ते हुए नदी में समा गए. लोग मदद के लिए गुहार करते रहे. पर मदद के लिए घंटों तक कोई नहीं आया. जब लोग बचाने आए, तब तक सैकड़ों लोग काल के गाल में जा चुके थे.
1981-image-1_022411122552 नदी में पड़ी ट्रेन

1981 वो साल था जब भारत में ट्रेन में चढ़ते ही मौत लोगों का पीछा करने लगती थी. जनवरी से सितम्बर के बीच 8 महीनों में ही 526 ट्रेन एक्सीडेंट हो चुके थे. रेल मंत्री केदारनाथ पांडे की जान सांसत में फंसी हुई थी. खचाखच भरी 416 डाउन ट्रेन 6 जून को नदी में समा गई. भारत में तो वैसे भी ट्रेन जितने लोगों के लिए बनाई गई होती है, उससे तीन गुना ज्यादा लोग उसमें सफर करते हैं. बहुत सारे लोग बिना टिकट के भी सफर करते हैं. इसलिए कहा नहीं जा सकता कि ट्रेन में कितने लोग रहे होंगे.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक करीब 500 लोग ही ट्रेन में थे. लेकिन बाद में रेलवे के दो अधिकारियों ने पीटीआई से बात के दौरान कहा था कि मरने वालों की संख्या 1000 से 3000 के बीच हो सकती है. यानी एक्सीडेंट के वक्त ट्रेन में हजारों लोग थे.
हर गोताखोर को एक लाश निकालने पर कुछ पैसे देने को कहा गया था. पर गोतोखोरों ने लाश निकालने के बदले में पैसे लेने से मना कर दिया. भारतीय नौसेना ने तो पानी के अंदर विस्फोटकों का इस्तेमाल करके 500 लाशें निकालने की योजना बनाई थी. पर ऐसा हुआ नहीं.
गोताखोरों ने लाशें ढूंढने के लिए हफ्तों गोते लगाए. 286 लाशें निकाल पाए. 300 से ज्यादा लोगों का आज तक कोई पता नहीं चला. आंकड़ों के हिसाब से इस रेल दुर्घटना में करीब 800 लोगों की मौत हुई. सैकड़ों लोग नदी में बह गए. ये भारत का अब तक का सबसे बड़ा ट्रेन एक्सीडेंट है. दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा.
दुनिया का सबसे बड़ा रेल एक्सीडेंट श्रीलंका में हुआ था. जब 2004 की सुनामी में ओसियन क्वीन एक्सप्रेस को लहरें बहा ले गई थीं. इस एक्सीडेंट में  1,700 लोगों की मौत हो गई थी.


कैसे हुआ था एक्सीडेंट?

ये एक्सीडेंट कैसे हुआ? उसकी असली वजह का आज तक पता नहीं चला है. इसके लिए दो थ्योरी दी गईं. पहली ये थी कि ट्रैक पर आगे भैंस खड़ी थी. (कुछ लोग गाय भी कहते हैं.) उसे बचाने के लिए ड्राइवर ने ब्रेक मारी. पटरियों पर फिसलन थी. गाड़ी पटरी से उतरी, पुल तोड़ते हुए 7 डिब्बे नदी में चले गए.
दूसरी थ्योरी ये थी कि तूफान आ गया. तेज हवा के झोंके और साथ में पानी भी. पानी खिड़कियों से अंदर जाने लगा तो सबने खिड़कियां बंद कर लीं. तो जब पुल पर से ट्रेन गुजर रही थी तो उस पर सीधी तूफानी हवा लग रही थी. हवा क्रॉस करने के सारे रास्ते बंद थे. भारी दबाव के चलते ट्रेन पलट कर पुल तोड़ते हुए नीचे चली गई.


ये भी पढ़ें:
आए दिन हो रहे रेल हादसों की असली वजह ये है

मुज़फ्फरनगर ट्रेन हादसा : इस वजह से एक दूसरे पर चढ़ गए डिब्बे

महज 10 मिनट में दो ट्रेनों का हो गया था ये हाल

रेलवे का तत्काल टिकट कैंसल करने पर मिलेगा पूरा पैसा***

वीडियो: स्टरलाइट के खिलाफ जिस लड़ाई में 11 जानें गईं, वो 24 साल से चल रही है

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement