इंदिरा गांधी की रिहाई के लिए दो लड़कों ने प्लेन हाईजैक किया, सजा नहीं विधायकी मिली थी
पुलिस, प्रशासन और सीएम ने हाईजैकर्स को सरेंडर करवाने के लिए एक अनोखा तरीका सोचा, इमोशनल कार्ड. एक हाईजैकर के पिता को एयरपोर्ट पर बुलाया गया. पिता की आवाज़ सुनते ही दोनों लोगों ने हाईजैक का इरादा छोड़ दिया.
जब-जब भारत में प्लेन हाईजैक का ज़िक्र आता है, सबसे पहले नाम आता है 1999 के IC 814 हाईजैक का. इस घटना में इंडियन एयरलाइन्स की फ्लाइट को हाईजैक कर लाहौर, दुबई और अंततः अफ़ग़ानिस्तान के कंधार ले जाया गया. प्लेन को छोड़ने के बदले में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मौलाना मसूद अज़हर के साथ 2 और खूंखार आतंकियों की रिहाई हुई. पर IC 814 से पहले भारत में हाईजैक की एक और घटना हुई थी. और ये हाईजैक किसी आतंकी ने नहीं, बल्कि भारत के ही दो लड़के ने किया था. उनकी मांग थी कि जेल में बंद इंदिरा गांधी को रिहा किया जाए. इन लड़कों का नाम था - भोलानाथ पांडे और देवेंद्र पांडे. दोनों यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता थे और जिगरी दोस्त भी. तीन दिन पहले, 23 अगस्त, 2024 को 71 साल की उम्र में भोलानाथ पांडे का निधन हो गया.
इससे पहले हम हाईजैक या भोलानाथ पांडे की कहानी जानें, कहानी को थोड़ा सा रिवाइंड करते हैं. जून 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई. दो साल विपक्षी नेताओं के खिलाफ जमकर ज्यादतियां हुईं. 1977 में इमरजेंसी हटने के बाद चुनाव हुए. इंदिरा के खिलाफ एकजुट विपक्षी मोर्चा, जिसे ‘जनता पार्टी’ नाम दिया गया, ने इस चुनाव में जीत हासिल की. मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने और चौधरी चरण सिंह गृहमंत्री. इन दोनों नेताओं के अंदर इमरजेंसी की कड़वाहट भरी हुई थी.
दिसंबर 1977 में, बार-बार सदन की अवमानना मामले में इंदिरा गांधी को जेल भेजा गया था. कांग्रेस कार्यकर्ताओं के अंदर इस बात को लेकर काफी गुस्सा था. और इन्हीं कार्यकर्ताओं में से एक थे बलिया के रहने वाले भोलानाथ पांडे. तब 27 साल की उम्र थी. यूथ कांग्रेस के सदस्य थे. वाराणसी के बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से हिंदी में पीएचडी की थी. छात्र जीवन के दौरान ही राजनीति की ओर झुकाव हुआ. और भोलानाथ पांडे बन गए यूथ कांग्रेस के मेंबर. इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी से वे भी नाराज हुए. लिहाजा उन्होंने उनकी रिहाई के लिए एक बड़ा कदम उठाया.
स्काईजैकतारीख थी 20 दिसंबर, 1978. शाम के 5 बजकर 45 मिनट पर लखनऊ एयरपोर्ट से इंडियन एयरलाइन्स के एक विमान बोइंग 737 ने उड़ान भरी. विमान में 132 लोग सवार थे. जहाज दिल्ली पहुंचने को था, तभी सीटों की पंद्रहवीं लाइन से 2 नौजवान निकले. ये दोनों वही यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता - भोलानाथ पांडे और देवेंद्र पांडे थे. दोनों ने कॉकपिट की ओर कदम बढ़ाया और फ्लाइट अटेंडेंट जीवी डे से आहिस्ता से कहा,
"हम कॉकपिट में जाना चाहते हैं. आप इंतजाम कर देंगे?"
जीवी डे ने जवाब दिया कि रुको एक मिनट, आपकी रिक्वेस्ट कैप्टन एम.एन. बट्टीवाला तक पहुंचा देते हैं.
डे साहब आगे बढ़े, कॉकपिट की तरफ. इतने में वहां एयर होस्टेस इंदिरा ठकुरी आ गईं. तो एक ने उनका हाथ पकड़कर किनारे कर दिया. उधर डे ने दरवाजा खोला और उनको धक्का देकर दोनों कांग्रेस कार्यकर्ता अंदर चले गए. कॉकपिट का दरवाजा ऑटोमेटिक होता है, सो बंद हो गया.
इधर, प्लेन में यात्रियों को कुछ समझ नहीं आ रहा था. थोड़ी देर बाद कॉकपिट से एक घोषणा हुई,
“प्लेन हाईजैक हो चुका है. हम पटना जा रहे हैं.”
पहले तो उन्होंने डिमांड की कि इसको उड़ाकर नेपाल ले चलो. कैप्टन ने उनको बताया कि इत्ता फ्यूल नहीं है कि काठमांडू पहुंच जाएं. तो कहने लगे कि फिर बांग्लादेश चलो. पर पायलट ने उन्हें समझाया कि ये मुमकिन नहीं है. इसके बाद भोलानाथ पांडे यात्रियों के सामने आए और एक स्पीच दी. कहा,
"हम यूथ इंदिरा कांग्रेस के मेंबर हैं. इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करके जनता पार्टी ने बदला लेने की कोशिश की है. हम गांधीवादी हैं. अहिंसा के रास्ते पर चलने वाले हम पैसेंजर्स को बिल्कुल नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. बस हमारी मांगें पूरी होनी चाहिए. इंदिरा गांधी को रिहा करो. इंदिरा गांधी जिंदाबाद. जिंदाबाद, जिंदाबाद."
इंदिरा और संजय गांधी जिंदाबाद पर नारेबाजी थमी. कुछ पैसेंजर्स ने तालियां भी बजाईं. पैसेंजर्स के साथ किसी तरह की मारपीट नहीं हुई थी. सीरियस मामला ये था कि किसी को टॉयलेट यूज नहीं करने दिया जा रहा था. किसी को अपनी जगह से उठने नहीं दिया जा रहा था. फ्लाइट में पूर्व कांग्रेस सरकार के लॉ मिनिस्टर एके सेन भी थे. वे इतना गुस्सा हो गए कि चिल्लाने लगे, कि वे जा रहा हैं, तुम्हारी मर्जी हो तो गोली मार दो.
पर गोली होती तब तो मारते. दरअसल, भोलानाथ और देवेंद्र पांडे जो पिस्टल लेकर आए थे, वो नकली थी. खैर इस कश्मकश में फ्लाइट बनारस पहुंच गई.
अभी डरे-सहमे यात्री कुछ समझ पाते तभी दोबारा फ्लाइट का स्पीकर बजा,
"हम बनारस लैंड कर रहे हैं."
बनारस एयरपोर्ट पर लैंड करते ही दोनों ने डिमांड रखी कि उनकी बात यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री राम नरेश यादव से कराई जाए. सीएम पहले तो टालते रहे, पर हालात की नज़ाकत को समझते हुए बात करने को राजी हो गए. जब तक सीएम बनारस पहुंचे, भोलानाथ और देवेंद्र पांडे ने बनारस के अधिकारियों को अपनी मांगें समझा दीं. मुख्य मांग यही थी कि इंदिरा गांधी को बिना शर्त रिहा किया जाए.
सीएम राम नरेश यादव ने बातचीत शुरू की. पहली मांग की कि कम से कम विदेशी मेहमानों, बच्चों और महिलाओं को छोड़ दिया जाए. इधर, जब सीएम के आने की खबर यात्रियों को लगी तो उनमें एक अलग किस्म की हिम्मत आ गई. एसके मोदी नाम के एक यात्री ने पीछे का गेट खोला और नीचे कूद गए.
इसके बाद पुलिस, प्रशासन और सीएम ने हाईजैकर्स को सरेंडर करवाने के लिए एक अनोखा तरीका सोचा, इमोशनल कार्ड. एक हाईजैकर के पिता को एयरपोर्ट पर बुलाया गया. पिता की आवाज़ सुनते ही दोनों लोगों ने हाईजैक का इरादा छोड़ दिया और 'इंदिरा गांधी ज़िंदाबाद' के नारे लगाते हुए प्लेन से उतर आए.
जब ये पूरा वाकया बीत गया, तब लोगों को पता चला कि जिस बंदूक को दिखाकर इन दोनों लोगों प्लेन हाईजैक लिया, वो नकली थी.
सज़ा नहीं, विधायकी मिलीदो साल बाद सन 1980 में पार्टी की तरफ से दोनों नेताओं को 'हाईजैक' का इनाम मिला, टिकट की शक्ल में. दोनों विधायक बन गए.
भोलानाथ पांडे बलिया के द्वाबा से दो बार विधायक रहे. एक बार सन 1980 से 1985 तक और दूसरी बार 1989 से 1991 तक. अब इस विधानसभा को बैरिया कहा जाता है. बलिया के रहने वाले भोला इंडियन यूथ कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्री रहे. सन 91, 96, 99, 2004, 2009 और 2014 में भोलानाथ पांडे ने सलेमपुर से किस्मत आजमाई, पर कामयाबी नहीं मिली.
देवेंद्र पांडे भी कांग्रेस की वापसी के बाद ‘निष्ठावान’ कांग्रेसी गिने जाने लगे. राजीव गांधी के करीबी रहे. 24 सितंबर 2017 को उनकी मृत्यु हो गई थी.
एक इंटरव्यू में भोलानाथ पांडे ने कहा था कि प्लेन को हाईजैक करना एक प्रोटेस्ट था. उनका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं था. इस हाईजैकिंग का मकसद बस श्रीमती गांधी को रिहा करवाना था. कांग्रेस नेता ने 23 अगस्त, 2024 को अंतिम सांस ली. बनारस से लेकर बलिया तक पुराने कांग्रेसी नेता आज भी उनका जिक्र आने पर कहते हैं,
“अरे, उ त जवन काम कई देहन, केहू ना कर सकत रहे.”
यानी उन्होंने जो काम कर दिया, वो कोई नहीं कर सकता है.
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