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जब सुप्रीम कोर्ट में कहा गया - गुरु नानक ने राम जन्मभूमि के दर्शन किए थे

अदालत ने गुरु नानक की अयोध्या यात्रा को हिंदुओं की आस्था और विश्वास के पक्ष में बताया.

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रामलला विराजमान और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी.
रामलला विराजमान और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी.
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लालिमा
9 नवंबर 2019 (Updated: 9 नवंबर 2019, 15:51 IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या ज़मीन विवाद पर फैसला सुना दिया है. पांच जजों की बेंच ने विवादित ज़मीन पर रामलला का दावा माना है. साथ ही कहा है कि केंद्र सरकार अगले तीन महीने में एक ट्रस्ट बनाकर मंदिर बनाने की रूपरेखा तैयार करे. इसके अलावा सुन्नी पक्ष को अयोध्या में ही अलग से 5 एकड़ ज़मीन मिलेगी. कोर्ट ने इस केस में 16 अक्टूबर, 2019 के दिन सुनवाई पूरी की थी. 9 नवंबर के दिन फैसला सुनाया.

पूरा फैसला 1045 पन्नों का है. किस पक्ष ने कब-क्या दलील दी, सबकी जानकारी दी गई है. 1045 पन्ने के फैसले में एक विटनेस ने ये बताया है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी भी राम जन्म भूमि के दर्शन करने गए थे. फैसले की कॉपी के परिशिष्ट के पॉइंट नंबर 69 में ये बात बताई गई है.

69 पॉइंट के मुताबिक, राजिंदर सिंह नाम के विटनेस ने ये बात बताई थी. राजिंदर सूट नंबर 4 में बचाव पक्ष नंबर 2 के विटनेस के तौर पर पेश हुए थे. उन्होंने खुद को सिख धर्म की किताबों, संस्कृति और इतिहास के जानकार के तौर पर पेश किया था. गुरु नानक से संबंधित बातें राजिंदर ने अपने 'एग्जामिनेशन-इन-चीफ' में आई थीं. एग्जामिनेशन-इन-चीफ में गवाह को बोलने का मौका दिया जाता है, उससे प्रतिप्रश्न नहीं किए जाते. राजिंदर ने ये अपने बयान में कहा बताया था कि गुरु नानक देवजी ने अयोध्या में ''श्री राम जन्म भूमि मंदिर'' के दर्शन किए थे. और इस दर्शन का वक्त साल 1510-1511 था.

राजिंदर ने अपने 'एग्जामिनेशन-इन-चीफ' के पैराग्राफ 11 में बताया,

'भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान के दर्शन होने के बाद गुरु नानक देवजी ने साल 1507 में तीर्थ यात्रा पर जाने की तैयारी की. फिर वो दिल्ली, हरिद्वार, सुल्तानपुर होकर अयोध्या गए. इस पूरे सफर में 3-4 साल निकल गए. गुरु नानक देव तीर्थयात्रा में श्री राम जन्म भूमि मंदिर के दर्शन करने गए. साल 1510-1511 में. यहां ये बता दें कि तब तक बाबर ने भारत पर आक्रमण नहीं किया था.'

अपने बयान के साथ ही राजिंदर ने कई सारी जन्म साखियों का भी ज़िक्र किया. साखियां माने सिख धर्म में गुरुओं से जड़ी हुई कथाएं. इन्हीं साखियों में गुरु नानक देव जी के अयोध्या जाकर राम जन्म भूमि के दर्शन करने की बात कही गई है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2010 में भूमि विवाद पर फैसला सुनाया था. इस फैसले को लिखने वाले जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने भी अपने जजमेंट में कुछ जन्म साखियों की बात कही थी, जिन्हें गवाहों द्वारा उल्लिखित किया गया था. सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए राजिंदर सिंह ने अपने 'एग्जामिनेशन-इन-चीफ' में जन्म साखियों की जानकारी भी विस्तार से दी है. पैराग्राफ 5 के मुताबिक, उन्होंने कहा,

'मैंने सिख धर्म और इतिहास से जुड़ी हुई कई सारी पब्लिश्ड और एडिटेड किताबें पढ़ी हैं. इन सभी किताबों से मिली जानकारी से ये पता चलता है कि विवादित ज़मीन श्री राम चंद्र जी का जन्म स्थान है. और गुरु नानक देव जी ने अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि मंदिर के दर्शन किए थे. साथ ही ये भी जानकारी मिलती है कि समय बीतने के साथ गुरु तेग बहादुर और उनके बेटे श्री गुरु गोविंद सिंह ने भी अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि मंदिर के दर्शन किए थे.'

राजिंदर सिंह ने अपने 'एग्जामिनेशन-इन-चीफ' में जिन किताबों को मेंशन किया है, उनमें शामिल कुछ जरूरी किताबों की लिस्ट ये रही-

- पुरातन जन्म साखी गुरु नानक देवजी की. (1734 साल में लिखी गई) - भाई मणि सिंह की रचना- पोथी जन्मसाखी और ज्ञान रत्नावली. (भाई मणि सिंह का जन्म साल 1644 में हुआ था. मृत्यु 1734 में हुई थी. यानी ये किताबें इन्हीं 78 सालों के बीच लिखी गई हैं.) - भाई बाले वाली जन्म साखी. - सोधी मनोहरदास मेहरबान की रचना- पोथी सचखंड: जन्मसाखी श्री गुरु नानक देवजी. (सोधी मेहरबान का जन्म साल 1580 में हुआ था, मृत्यु 1640 में हुई.) - बाबू सुखबासी लक्ष्मी वेदी की रचना- गुरु नानक वंश प्रकाश. - श्री तारा हरी नरोतम की रचना- श्री गुरु तीरथ संग्रही. (तारा हरी का जन्म 1822 में हुआ था, मृत्यु 1891 में हुई.) - ज्ञानी ज्ञान सिंह की फेमस रचना- तवारीख गुरु खैरा पार्ट-1.

कोर्ट ने परिशिष्ट के पॉइंट नंबर 71 में लिखा,

'जो जन्म साखियां रिकॉर्ड में लाई गई थीं, उनमें गुरु नानक देवजी के अयोध्या जाकर भगवान राम के जन्म स्थान के दर्शन करने के बारे में जानकारी थी. ये सच है कि रिकॉर्ड में लाई गईं जन्म साखियों के निचोड़ से ऐसा कोई मटेरियल नहीं मिला है, जो राम जन्म भूमि की एकदम सटीक जगह की जानकारी दे सके. लेकिन गुरु नानक देवजी के अयोध्या जाकर राम जन्म भूमि के दर्शन करने की जानकारी से ये पता चल रहा है कि श्रद्धालु साल 1528 के पहले भी अयोध्या जाकर जन्म भूमि के दर्शन करते थे. गुरु नानक देवजी का साल 1510-11 में अयोध्या जाना और वहां राम जन्म भूमि के दर्शन करना, हिंदुओं की विश्वास और आस्था को सपोर्ट करता है.'


वीडियो देखें:

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