'भगवान नहीं दिखते तब तक... ' श्रीराम की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज की कहानी तो अद्भुत निकली
Arun Yogiraj कर्नाटक के मशहूर शिल्पकार हैं, कम उम्र में न जाने कितनी नामी मूर्तियां बना दी हैं, लेकिन, एक समय था जब शिल्पकार का काम नहीं करना चाहते थे, फिर क्या हुआ? कैसे इनकी जिंदगी ने टर्न लिया और देश के चर्चित मूर्तिकार बन गए?
कर्नाटक का मैसूर इलाका. तकरीबन 37 साल पहले की बात है. एक बड़े राज घराने के एक नामी शिल्पकार के घर एक बच्चे का जन्म हुआ. दो पीढ़ियां शिल्पकार का काम कर चुकी थीं. तीसरी और चौथी पीढ़ी काम में लगी हुई थी. दादा ने पोते का चेहरा देखा और कहा ये संभालेगा मेरी गद्दी, मतलब साफ़ था कि इस नवजात को शिल्पकार बनाएंगे. बच्चा बड़ा होने लगा, अपने दादा और पिता को घर में मूर्ति तराशते देख वो भी इसी काम में लग गया. एक दिन उसने खुद एक मूर्ति बनाई. दादा ने पोते की बनाई मूर्ति को देखा और देखते ही रह गए. ऐसे कि मानो दादा को पूत के पांव पालने में ही नजर आ गए हों. तुरंत दादा के मुंह से एक भविष्यवाणी निकली बोले- ‘ये लड़का एक दिन देश का बहुत बड़ा शिल्पकार बनेगा.’(Arun Yogiraj Sculptor Artist).
जब लड़का थोड़ा और बड़ा हुआ, तो उसने दुनिया देखी, देखा कि यहां तो रास्ते और भी हैं. उसका मन बदलने लगा. उसने जीवन में कुछ और करने का मन बना लिया. ग्रेजुएशन के बाद MBA किया और एक कंपनी में नौकरी करने लगा. लेकिन, कहानी यहीं खत्म नहीं होनी थी. क्योंकि उसके भविष्य के शिल्पी ने उसे लेकर कुछ और ही तराश रखा था. और वो नजर आना ही था.
नौकरी करते-करते कुछ महीने ही हुए थे कि पुश्तैनी काम अपनी तरफ खींचने लगा. अचानक एक दिन लड़का घर पहुंच गया. एक मूर्ति बनाने बैठ गया. माता-पिता ने पूछा तो बोला- अब यही करूंगा. लड़का शिल्प के काम में फिर ऐसे लगा कि जल्द ही पूरे देश में छा गया. उसकी बनाई मूर्तियों की तारीफ करते देश के प्रधानमंत्री नहीं थकते. लड़के का नाम है अरुण योगीराज(Arun Yogiraj). अब आपके मन में सवाल आया होगा कि अचानक आज हम इनकी चर्चा क्यों कर रहे हैं? वो इसलिए क्योंकि अरुण योगीराज एक बार फिर सुर्खियों में हैं, उनकी बनाई श्री राम की मूर्ति का चयन अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए हुआ है.
वाडियार घराने से पुराना नाताअरुण योगीराज कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज शिल्पी के बेटे हैं. अरुण के दादा बसवन्ना शिल्पी को वाडियार घराने के महलों में खूबसूरती देने के लिए जाना जाता है. दादा मैसूर के राजा के बेहद प्रिय शिल्पकारों में से एक थे. उन्हें राजा का पूरा संरक्षण हासिल था.
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Arun Yogiraj ने PM मोदी की इच्छा पूरी कीदिल्ली में इंडिया गेट पर 30 फीट ऊंची नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक मूर्ति लगी है. इसे अरुण योगीराज ने ही तैयार किया है. नेताजी की 125वीं जयंती से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने आजादी की लड़ाई में उनके योगदान के लिए इंडिया गेट पर मूर्ति लगवाने की इच्छा जताई थी. पीएम मोदी की इस इच्छा को पूरा किया अरुण योगीराज ने. उन्होंने पीएम मोदी को भी दो फीट ऊंची सुभाष चंद्र बोस की एक प्रतिमा सौंपी थी, जिसके लिए पीएम ने उनका आभार जताया था.
अरुण योगीराज का नाम यूंही मशहूर नहीं है. उनके नाम चर्चित मूर्तियों का अम्बार लगा है. उन्होंने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई थी. मैसूर जिले के चुंचनकट्टे में 21 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा, डॉ. भीमराव आंबेडकर की 15 फीट ऊंची प्रतिमा, मैसूर में स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद अमृत शिला प्रतिमा, नंदी की छह फीट ऊंची अखंड प्रतिमा, बनशंकरी देवी की 6 फीट ऊंची मूर्ति, मैसूर के राजा की 14.5 फीट ऊंची सफेद अमृत शिला प्रतिमा, जयचामाराजेंद्र वाडियार और न जाने कितनी ही मूर्तियां अरुण योगीराज के हाथों से ही तराशी गई हैं.
'जब तक खुद भगवान नहीं दिखते'अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए अरुण की बनाई भगवान श्री राम की मूर्ति के चयन के बाद उनके घरवाले बेहद खुश हैं. केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी द्वारा दी गई जानकारी सुनकर उनकी मां सरस्वती अपने खुशी के आंसू रोक नहीं पा रही हैं. मीडिया वाले पहुंचे तो बोलीं- 'मुझे बहुत-बहुत खुशी हो रही है, काश आज अरुण के पिता भी जीवित होते, तो वे और भी खुश होते.'
लेकिन, पत्नी विजेता ने जो कहा, ऐसा लगा कि मानो उन्होंने अरुण की सफलता के पीछे छिपी मेहनत और पसीने को किसी गहराई से निकालकर एक झटके में दुनिया को बता दिया हो. जवाब अद्भुत है आप भी सुनिए. विजेता बोलीं-
'अरुण ने काम से कभी समझौता नहीं किया. हमेशा अपना 100 फीसदी देते हैं, बहुत सारी रिसर्च करते हैं दिन-रात. बहुत ही समर्पित होकर लगे रहते हैं तब तक, जब तक उन्हें शिला पर स्वयं भगवान नजर नहीं आ जाते... '
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