एक कविता रोज़ में मैथिली शरण गुप्त की कविता - अर्जुन की प्रतिज्ञा
'साक्षी रहे संसार करता हूं प्रतिज्ञा पार्थ मैं,/पूरा करूंगा कार्य सब कथानुसार यथार्थ मैं.'
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