ये बाजू में दिख रही फोटो नितिन ठाकुर की है. इनका मानना है कि आज-कल के ज़माने मेंआप मनचाहा खा सकते हैं, मनचाहा गा सकते हैं, मनचाहा बजा सकते हैं और तो और अब तोमनचाहा ब्याह भी सकते हैं. लेकिन सबसे मुश्किल जो हो चला है, वो है - ना मनचाहा लिखसकते हैं और ना मनचाहा बोल सकते हैं. तो नितिन को हमने लल्लनटॉप का एक कोना अलॉट करदिया है, 'अलख निरंजन' नाम से. इसमें नितिन हर हफ्ते मनचाहा लिखेंगे - कोई कहानी,कोई किस्सा या कभी-कभी बस ‘मन की बात.’ --------------------------------------------------------------------------------कई चीज़ें आपको पढ़ते-लिखते ही समझ आती हैं. जैसे मैं तब चौंका जब मैंने इकबाल याजिन्ना के बारे में पढ़ा. पाकिस्तान की अवधारणा को आगे बढ़ाने वाले मोहम्मद इकबालके दादा कश्मीर के सप्रू ब्राह्मण थे. इकबाल ने हमेशा खुलकर माना कि वो हिंदू मूलसे हैं. उन्होंने तो लिखा भी- ''मैं अस्ल का ख़ास सोमनाती, आबा मेरे लातियो-मनातीहै फलसफा मेरी आबो गिल में, पेशीदा है मेरे रेशहाए दिल में'' मतलब यही कि मैंसोमनाथ का असली अनुयायी हूं. मेरे पुरखे मूर्ति पूजते थे. दर्शन मेरे शरीर केमिट्टी-पानी में बसा है. वो मेरे अंतर के नस-नस में है.ठीक इसी तरह पाकिस्तान को हकीकत में तब्दील करने वाले जिन्ना के पुरखे गुजरात केकाठियावाड़ इलाके में राजकोट ज़िले से थे. वो बाहर से आकर वहीं एक गांव पानेली मेंबस गए. गांधी के पोरबंदर से पानेली 30 किलोमीटर दूर ही है. जिन्ना के एक जीवनीकारअज़ीज़ बेग के मुताबिक एक बार जिन्ना ने ही बताया था कि उनके पूर्वज पंजाब केशाहीवाल राजपूत थे जिन्होंने इस्माइली खोजा परिवार में शादी कर ली थी. हालांकि उनकीअपनी सगी बहन अपने पुरखों का मूल ईरान में बताती थीं.मोहम्मद अली जिन्ना और महात्मा गांधीवैसे जिन्ना के सबसे पहले जीवनीकार बोलिथो ने काफी मशक्कत करके मालूम किया था किजिन्ना के पूर्वज मुल्तान के हिंदू थे. वो वैश्य समाज की लोहाना जाति से थे. इतिहासबताता है कि लेन-देन करने वाली इस जाति का एक बड़ा हिस्सा सत्रहवीं सदी के अंत औरअठाहरवीं सदी की शुरूआत में सिंध से काठियावाड़ आ बसा था. उनमें से कई परिवारों नेअठारहवीं सदी के पहले या दूसरे दशक में इस्लाम कबूल लिया. जिन्ना के दादा पुंजाभाईका परिवार भी उनमें एक था.वीरेंद्र कुमार बरनवाल जी की किताब बताती है कि उद्योगपति अज़ीम प्रेमजी के पूर्वजभी काठियावाड़ के लोहाना जाति के हिंदू ही थे और ठीक उसी दौरान उनके पुरखे भीमुसलमान बन गए थे. आखिर में एक और दिलचस्प जानकारी दे दूं.. जिन्ना के पिता का नामजिण्णाभाई पुंजाभाई था. जिण्णा का मतलब गुजराती में नन्हा होता है और ये नामगुजराती हिंदुओं में भी खूब प्रचलित रहा है. जिन्ना और इकबाल आम हिंदुस्तानी के लिएविलेन हैं लेकिन मेरा मानना है कि मेकिंग ऑफ नायक से ज़रूरी मेकिंग ऑफ खलनायक समझना है.जिण्णाभाई पुंजाभाई, मोहम्मद अली जिन्ना के पिता (फोटोःविकीमीडिया कॉमन्सअब जिन्ना का एक और किस्सा... पाकिस्तान के नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रांत केशिक्षामंत्री रहे मोहम्मद याहिया जान ने 26 नवंबर 1982 को फ्रंटियर पोस्ट अखबार मेंएक सनसनीखेज़ लेख लिखा. लेख का नाम था- 'कायदे आज़म के डॉक्टर ने मुझे बताया.'इसमें जिन्ना के अंतिम दिनों के चिकित्सक रहे कर्नल डॉ इलाहीब्श के हवाले से बतायागया कि जब जिन्ना की तबीयत बेहद खराब थी तब उन्हें देखने पीएम लियाकत अली खांपहुंचे. उन्हें देखते ही जिन्ना को गुस्सा चढ़ गया. उन्होंने कहा, ''तुम अपने कोबहुत बड़ा आदमी समझने लगे हो. तुम एक नाचीज़ हो. मैंने तुम्हें पाकिस्तान काप्रधानमंत्री बनाया. तुम सोचते हो कि तुमने पाकिस्तान बनाया. मैंने इसे बनाया है परअब मुझे पूरा यकीन है कि मैंने इसे बनाकर ज़िंदगी की सबसे बड़ी भूल की है.'' लेख केमुताबिक जिन्ना ने कहा था कि अगर उन्हें मौका मिला तो वो दिल्ली जाकर जवाहरलालनेहरू से कहेंगे, ''वो बीते दिनों की बेवकूफियों को भूल जाएं और एक बार फिर सेदोस्त बन जाएं...!!" ऐसी बहुत सी बातें हैं, बहुत सी घटनाएं हैं जो पढ़ने के बादपुरानी धारणाएं टूटती हैं या फिर नई धारणाएं बनती हैं. एक के बाद दूसरी और दूसरी केबाद तीसरी इतिहास की किताब उठाते जाइए और परस्पर विरोधी बातें गुनते जाइए. अच्छेविद्यार्थी की यही पहचान होती है कि वो इतिहास दिल से नहीं दिमाग से पढ़ता है.--------------------------------------------------------------------------------ये भी पढ़ेंःइकबाल के सामने जमीन पर क्यों बैठे नेहरू?गांधी ने मुसलमान से इश्क के लिए लड़की को बहुत डांटा था!बेनजीर भुट्टो की भतीजी ने कहा इंडिया की गलती नहीं, इतिहास मत झुठलाओपहला भारतीय नेता, जिसने सदन से वॉक आउट किया थावो आदमी जिसने दूसरा गांधी कहलाने के लिए गोली खाईवीडियो देखें: