पीएम बेंजामिन नेतन्याहू का बेटा अमेरिका में छुट्टियां काट रहा है, इजरायल की सेना भड़क गई
यायर नेतन्याहू की बीच वाली फोटो वायरल होने पर इजरायली सैनिक कह रहे हैं कि उनका देश के नेता पर से भरोसा उठ गया है.
हमास के हमले के बाद इजरायल लगातार गाज़ा पट्टी पर हमले कर रहा है. एक के बाद एक एयरस्ट्राइक. और इस एयरस्ट्राइक में उसने गाज़ा में रहने वाले लगभग 700 लोगों की लाश बस एक दिन के भीतर गिराई है. 24 अक्टूबर के दिन. इन मौतों का दावा किया है गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने. असोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ये इस युद्ध के दरम्यान एक दिन में मारे गए लोगों का सबसे बड़ा आंकड़ा है.
लेकिन इजरायल की एक्टिविटी में कोई कमी नहीं है. हमलों में अलबत्ता बढ़ोतरी ही है. 23 अक्टूबर को उसने गाज़ा पट्टी में 320 प्वाइंट्स पर बम बरसाए थे. अगले दिन यानी 24 अक्टूबर को 400 प्वाइंट्स पर बम गिराए. इजरायल ने ये दावा भी किया कि इन हमलों में उसने हमास के उन कमांडर्स और उग्रवादियों को मार गिराया, जो इजरायल में मिसाइल हमलों की तैयारी कर रहे थे.
लेकिन इजरायल ने बस गाज़ा पर ही हमले नहीं किये. उसने सीरिया में दो एयरपोर्ट पर बम बरसाए और लेबनान में मौजूद हिजबुल्ला के ठिकानों पर भी. इजरायल का तर्क है कि वो अपनी उत्तरी सीमा पर किसी किस्म की मोर्चेबंदी को स्वीकार नहीं कर सकता है.
इजरायल की उत्तरी सीमा पर सीरिया और लेबनान मौजूद हैं. और इन दोनों ही देशों ने इस लड़ाई में हमास को अपना समर्थन दिया है. लिहाजा ये दोनों कूटनीतिक रूप से इजरायल के लिए खतरा हैं, और इसीलिए मिसाइल के निशाने पर हैं.
यानी इजरायल चौतरफा बमबारी कर रहा है. लेकिन उसे इसके परिणाम भी देखने पड़ रहे हैं. विरोध है संयुक्त राष्ट्र का. 24 अक्टूबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की बैठक हो रही थी. इस बैठक में UN के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गाजा पट्टी के लोगों की दिक्कत को खत्म करने के लिए तुरंत युद्धविराम करने की अपील की थी. कहा,
"गाजा पर बमबारी और नाकेबंदी करना फिलिस्तीनी लोगों को सामूहिक सजा देने के बराबर है. ये अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है. गाजा पट्टी के लोगों की पीड़ा को खत्म करने के लिए मैं मदद पहुंचाने को आसान और सुरक्षित बनाने की अपील करता हूं. साथ ही बंधकों की रिहाई के लिए भी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं. मैं तुरंत मानवीय युद्धविराम के लिए दोबारा अपील करता हूं."
उन्होंने आगे कहा -
"हमास के 7 अक्टूबर को किए हमले भयानक थे. लेकिन ये अचानक नहीं हुआ. फिलिस्तीनी लोग 56 सालों से दमघोंटू कब्जे में जीने के लिए मजबूर हैं. फिलिस्तीनी लोगों ने अपनी जमीन को लगातार कब्जे में जाते देखा है. हर तरफ हिंसा देखी है. उनकी अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. उनके लोग विस्थापित हुए हैं. उनके घर बर्बाद हुए हैं. उनकी दुर्दशा के लिए राजनीतिक हल निकालने की उनकी उम्मीदें खत्म होती जा रही हैं"
बस इस हिस्से पर बवाल शुरु हुआ. गुटेरेस के बयान का ऐसा अनुवाद किया गया, गोया वो हमास के हमले के पीछे एक वाजिब कारण ढूंढ रहे हों. इजरायल ने इस पर प्रोटेस्ट किया. और महासचिव से कहा कि इस बयान के लिए माफी मांगिए और अपने कागज जमा कर दीजिए. यानी इस्तीफा दे दीजिए. UN में इजरायली राजदूत गिलाद एर्दान ने एक्स पर बहुत कुछ लिखा-बोला. जैसे -
"UN चीफ ने बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की सामूहिक हत्या को लेकर जो समझ दिखाई है, उसके बाद वो संयुक्त राष्ट्र का नेतृत्व करने के लिए उपयुक्त नहीं हैं. मैं उनसे तुरंत इस्तीफा देने की मांग करता हूं. ऐसे लोगों से बात करने का कोई औचित्य नहीं है, जो इजरायलियों और यहूदी लोगों के खिलाफ सबसे भयावह अत्याचारों पर भी संवेदना जताते हैं. मेरे पास शब्द नहीं हैं."
इस बयान से इजरायल इतना नाराज हुआ कि उसने गुटेरेस से मीटिंग भी कैंसिल कर दी. इजरायल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने X पर जानकारी दी,
"मैं UN के महासचिव से नहीं मिलूंगा. 7 अक्टूबर के नरसंहार के बाद किसी भी तरह के संतुलित दृष्टिकोण के लिए कोई जगह नहीं है. हमास को दुनिया से खत्म करना ही चाहिए."
लेकिन इजरायल के नेता इतना गुस्सा दिखा रहे हैं. लेकिन इन नेताओं को उनके देश के सैनिक भी गुस्सा दिखा रहे है. दरअसल जब युद्ध शुरू हुआ तो हजारों इजरायली रिजर्व सैनिकों को सरकार ने वापस बुला लिया. हजारों की संख्या में इजरायली सैनिकों ने अपने देश की रक्षा के लिए बंदूक उठा लिए. जो विदेश में थे, वो भी अपने देश लौट गए. एक्टर्स और पूर्व मंत्रियों प्रधानमंत्रियों ने भी हथियार उठाया. 3 लाख 60 हजार रिजर्व सैनिक तुरंत मुस्तैद हो गए. सब आ गए लेकिन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का बेटा गायब था. सैनिकों को पता चला कि उनका 32 साला बेटा यायर नेतन्याहू विदेश में मौज काट रहा है. एक फ़ोटो भी वायरल होने लगी कि यायर अमरीका के मायामी बीच पर बॉक्सर पहनकर धूप सेक रहा है. चिल कर रहा है. सैनिक भयानक भड़क गए. नेतन्याहू से पूछने लगे कि बेटे को लड़ाई में क्यों नहीं लगाया.
द टाइम्स से बात करते हुए बॉर्डर पर तैनात सैनिक ने कहा,
"मैं फ्रंट लाइन पर तैनात हूं और यायर मियामी बीच में जिंदगी के मज़े ले रहा है, हम अपना काम, परिवार, बच्चे छोड़कर अपने देश की रक्षा के लिए वापस आए हैं. हमारे भाई, पिता, बेटे हर कोई फ्रंट लाइन पर है, लेकिन यायर अभी तक यहां नही है. ऐसे में देश की लीडरशिप पर भरोसा कायम नहीं होता है."
जाहिर है कि जब जंग में ऑर्डर देने वाले नेता और नेता के लोग ही लड़ाई के फ्रन्ट से गायब हों, तो फौज का भरोसा डिग जाता है.
लेकिन इस युद्ध में एक बहस हमारे देश में भी हो रही है. विवाद ये कि फिलिस्तीन को भारत मदद और राहत सामग्री भेज रहा है. और देश में फिलिसतीन का समर्थन करने पर पुलिस की डायरी में नाम चढ़ जा रहा है. केस हो जा रहा है. बानगी देखिए -
9 अक्टूबर 2023 - अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों ने फिलिस्तीन के समर्थन में मार्च निकाला. पुलिस ने इन छात्रों के खिलाफ FIR दर्ज की. छात्रों को हिरासत में ले लिया गया.
13 अक्टूबर 2023 - इंडियन एक्सप्रेस की खबर बताती है कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में अधिकारियों को आदेश दिया कि इस युद्ध में भारत सरकार के स्टैंड से अलग कोई भी स्टैंड स्वीकार नहीं किया जाएगा. इस समय तक भारत सरकार ने इजरायल को समर्थन दिया था और हमास के आतंकी हमलों की निंदा की थी. इस मीटिंग में अधिकारियों को ये भी आदेश दिए गए कि वो सख्त से सख्त कदम उठाएं.
16 अक्टूबर 2023 - यूपी के हमीरपुर में इमाम सुहैल अंसारी ने फिलिस्तीन के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखी. पुलिस ने भावनाओं को भड़काने की धाराओं में FIR लिखकर हिरासत में ले लिया.
16 अक्टूबर 2023 - लेफ्ट छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन यानी AISA ने दिल्ली में मौजूद इजरायल दूतावास के बाहर फिलिस्तीन के समर्थन में प्रोटेस्ट किया. पुलिस ने 60 छात्रों को हिरासत में ले लिया. पुलिस ने कहा कि ये लोग बिना परमिशन के प्रोटेस्ट कर रहे थे.
20 अक्टूबर 2023 - डेक्कन क्रॉनिकल की खबर बताती है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने श्रीनगर में मौजूद जामिया मस्जिद को बंद कर दिया. कारण बताया गया कि फिलिस्तीन के समर्थन में कोई मार्च या रैली न निकाली जाए, इसलिए मस्जिद को बंद किया गया.
23 अक्टूबर 2023 - एक और वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) ने भी फिलिस्तीन के समर्थन में प्रोटेस्ट मार्च निकाला. दिल्ली पुलिस ने बड़ी संख्या में छात्रों को हिरासत में लिया. कारण वही बताया - परमिशन नहीं ली थी.
ये कुछ ही खबरें हैं. सोशल मीडिया पर जो हो रहा है, वो भी आपने देखा ही है. लेकिन आपको इसी मौके पर मालूम होना चाहिए कि फिलिस्तीन को लेकर भारत का स्टैंड क्या है?
22 अक्टूबर 2023 - इस दिन भारत ने लगभग साढ़े 6 टन चिकित्सीय सहायता और 32 टन आपदा राहत सामग्री फिलिस्तीन भेजा. इस सामान में दवाइयों, सर्जिकल सामान के अलावा, तंबू, स्लीपिंग बैग, तिरपाल, पानी साफ़ करने की दवाइयां जैसी जरूरी चीजें शामिल थीं. भारतीय वायु सेना का C-17 विमान मिस्त्र के ई-अरिश एयरपोर्ट पहुंचा. वहां से ट्रकों से ये सामान गाज़ा पहुंचा.
इसके अलावा 24 अक्टूबर को UN सुरक्षा परिषद की जो बैठक हुई थी, उसमें भारत भी था. भारत के राजदूत आर रवींद्र ने इस मीटिंग में साफ कर दिया कि भारत गाज़ा को मदद भेजना जारी रखेगा. उन्होंने कहा,
"हम, हमारे बीच की बाईलैटरल डेवलपमेंट पार्टनरशिप के तहत, फिलिस्तीनी लोगों की मदद करना जारी रखेंगे. इस द्विपक्षीय साझेदारी में, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, ओन्त्रप्रेंयोरशिप और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सहित कई सेक्टर शामिल हैं. इस मुश्किल वक़्त में भारत, फिलिस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता भेजना जारी रखेगा."
फिलिस्तीन के समर्थन में आवाज उठाने पर क्या हो रहा है, वो आपको पता है. और आपको ये भी पता है कि देश की सरकार का पक्ष क्या है. पक्ष ये कि हम आधिकारिक रूप से किसी देश के खिलाफ नहीं खड़े हैं. न किसी आतंकी-उग्रवादी संगठन के साथ खड़े हैं. उम्मीद है कि ये रिफलेक्शन जमीन पर भी दिखाई दे. हम और सरकारें अपने संविधान और अपने नागरिक अधिकारों के साथ खड़े रहें, ये ज्यादा जरूरी है.