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अमेजन के जंगलों के ऊपर है 'उड़ती नदी', जिसमें दुनिया में सबसे ज्यादा ताजा पानी है

कैसे Amazon rain forest समंदर से 3000 किलोमीटर दूर होकर भी उसकी नमी लेते हैं? पेड़ इसमें कैसे मदद करते हैं? जंगल यहां के पूरे मौसम का मिजाज कैसे बदल देते हैं? इस सब के बारे में डॉ. नोबरे बताते हैं

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amazon rain forest flying river
इस उड़ती नदी में अमेजन नदी से भी ज्यादा पानी है (सांकेतिक तस्वीर)
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राजविक्रम
17 जून 2024 (Updated: 18 जून 2024, 10:16 IST)
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सबसे बड़े बर्षा वन यानी अमेजन के जंगलों (Amazon rain forest) के बारे में तो आप जानते ही हैं. यहां बह रही अमेजन नदी के बारे में भी आपने सुना होगा. जो दुनिया की सबसे बड़ी नदी मानी जाती है (Biggest river). पर ठहरिए जरा, क्या सच में ये दुनिया की सबसे बड़ी नदी है? काहे कि इसी अमेजन जंगल के ऊपर है, ‘उड़ती नदी’ (Flying river). जिसमें अमेजन नदी से भी ज्यादा पानी है. 

ब्राजील के एक साइंटिस्ट हैं. नाम है एंटोनियो डी नोबरे. ये साउथ अमेरिका के बादलों का अध्ययन करते हैं. ना जाने ऐसा क्यों लगता है? साउथ अमेरिका में बादलों का अध्ययन करने वाले ब्राजीलियन साइंटिस्ट का नाम एंटोनियो ही होना चाहिए.

खैर करीब बीस एक साल पहले, इनका ध्यान दक्षिण अमेरिका के एक अजूबे पर गया. जिसे इन्होंने नाम दिया फ्लाइंग रिवर, अपनी भाषा में कहें तो ‘उड़ती नदी’. चौंकिए मत, जब बॉलीवुड में फ्लाइंग जट हो सकता है. तो फ्लाइंग नदी क्यों नहीं. ये भी है, बाकी क्यों और कैसे है सब बताते हैं.

बचपन में जल चक्र के बारे में हम सब ने पढ़ा है. पानी की ‘बल्टि’ (बाल्टी) छत में रखी रहती है. प्यासा कौवा आता है, उसमें पत्थर डालता है. अरे! कौवे वाली दूसरी कहानी है. इस वाली में तो पानी भाप बनकर उड़ता है. जिससे बादल बनते हैं. भाप ठंडी होती है और फिर पानी बन बरसती है. इसे कहते हैं जल चक्र. पर ये जल चक्र तो समूची धरती में चलता है, फिर ये उड़ती नदी दक्षिण अमेरिका में कैसे बनी?

इसके लिए पहले समझते हैं, क्या कुछ हवाएं एक ही दिशा में चलती हैं?

हवाओं का चक्कर बाबू भइया!

हमारी धरती घूम रही है. साथ में घूम रहा है हमारा वायुमंडल. लेकिन हवा पत्थर की तो है नहीं. कि घूमते समय हिले-डुले न. ऐसे में वायुमंडल में हवा के तमाम पैटर्न देखने को मिलते हैं. कहीं हवाएं पश्चिम से पूरब की तरफ चलती हैं, जैसे वेस्टर्ली. 

तो कहीं पूरब से पश्चिम की तरफ, जैसे ट्रेड विंड्स. इनका नाम ट्रेड विंड्स इसलिए पड़ा, क्योंकि यूरोप वगैरह के व्यापारी इन्हीं की मदद से समुद्री यात्रा करते थे. भारत वगैरह से व्यापार कर पाते थे. नीचे चस्पा फोटो से आप इनकी दशा-दिशा समझिए, फिर आगे बात करते हैं. 

नीली वाली वेस्टरली पीली वाली ट्रेड विंड

एक बात और बताते चलें कि ये हवाएं हमेशा एक ही दिशा में चलती हैं. वहीं धरती के घूमने के साथ-साथ कुछ और भी चीजें हैं, जो इन हवाओं की दिशा निर्धारित करती हैं. जैसे ध्रुवों में जमीं बर्फ और ठंडा तापमान. वहीं भूमध्य रेखा के पास तपती धरती. ये सब भी इन हवाओं की दिशा तय करने के अहम हैं. 

माने हम समझ गए कि भले हमारे घर में हवा कभी इधर, कभी उधर चलती है. लेकिन दुनिया में बड़े पैमाने पर कुछ हवाएं एक तयशुदा रास्ते पर चलना पसंद करती हैं. इतना समझकर…

अब चलते हैं वापस हमारी उड़ती नदी पर 

अब हम आ गए हैं धरती के फेफड़ों पर, यानी अमेजन के जंगलों में. जो दुनियाभर में सबसे जीव समृद्ध इलाकों में से एक है. ये हमारे देश से लगभग दोगुने आकार का है. वहीं दुनिया के जीव-जंतुओं की 10% प्रजातियां यहां रहती हैं. माने हर दस तरह के जीवों में से एक आपको यहां दिख जाएगा.

वहीं दुनियाभर के समुद्रों में रोजाना जितना ताजा पानी गिरता है, उसका करीब 15% अमेजन नदी से आता है. ये करीब 6,600 किलोमीटर लंबी है. माने जंगल अपने आप में एक छोटा सा संसार है. तमाम जीवों का घरौंधा. 

इस घरौंधे में एक और काम होता है. अदृश्य उड़ने वाली नदी को पानी सप्लाई करने का. अब ‘मिस्टर इंडिया’ और ‘फ्लाइंट जट’ दोनों का क्रासओवर हो गया. दरअसल यहां के जंगल करते हैं खेला. खेला यहां के क्लाइमेट को बदलने का. समझते हैं. 

ये भी पढ़ें: हाथी भी अपने बच्चों का अंतिम संस्कार करते हैं? तरीका इंसानों से थोड़ा अलग है

कैसे ये जंगल समंदर से 3000 किलोमीटर दूर होकर भी उसकी नमी लेते हैं? 

पेड़ इसमें कैसे मदद करते हैं?

और इससे यहां की जलवायु में कैसे बदलाव होते हैं?

इस बारे में डॉ. नोबरे बताते हैं,

दुनिया में दूसरे भी जंगल हैं. लेकिन जो बात अमेजन को अलग करती है, वो है यहां के पेड़, जिनकी जड़ें जमीन की गहराई से पानी निकालती हैं. ऐसे कि ये दिन में 1000 लीटर तक पानी वातावरण में छोड़ सकते हैं. ऐसे करोड़ों पेड़ मिलकर दिन का 20 बिलियन टन (माने बहुत ज्यादा) पानी उड़ा देते हैं. वहीं अमेजन नदी दिन में 17 बिलियन टन पानी लेकर जाती हैं. (एक बिलियन माने सौ करोड़)

जब समंदर की ओर से पानी, भाप बनकर जमीन की तरफ बढ़ता है. तो रास्ते में नमी खोता जाता है. पर अमेजन जंगल से सप्लाई हो रही जलवाष्प की वजह से, यहां के बादलों के बराबर नमी बनी रहती है. वहीं वातावरण में स्थित धूल वगैरह के कण जब इस नमी के साथ मिलते हैं, तो उनके चारों तरफ पानी चिपक जाता है.

फिर कण बूंद में बदल जाता है. ऐसी लाखों बूंदे मिलकर अमेजन में बारिश करती हैं. जिससे यहां के जंगल समृद्ध होते हैं. माने ये खुद के लिए खुद ही बारिश का इंतजाम कर लेते हैं. 

इसे समझने के लिए डॉ नोबरे ने दो रशियन भौतिक वैज्ञानिकों की बॉयोपंप थ्योरी की मदद ली. जिसके मुताबिक जंगलों की वजह से निगेटिव प्रेशन बनता है. जो नमी को बेहतर तरीके से खींच सकता है. जिससे ज्यादा बारिश होती है. 

माने इससे यहां के जंगलों में भी नमी बनी रहती है. और इनके ऊपर भी. अब जैसा हमने आपको बताया कि कुछ हवाएं एक तय दिशा में चलती हैं. अब हवा जिस दिशा में चलती है उसी दिशा में इसकी नमी और बादल चलते हैं. 

ये नमी हवाओं के साथ मिलकर पूर्व से पश्चिम की ओर चलती है. फिर एंडिज पहाडों से टकराकर बारिश करते हुए, उत्तर से दक्षिण की तरफ बढ़ती है. फिर दक्षिण में पहुंचकर और बारिश करती हैं.

माने ये नमी यहां के जंगलों के ऊपर एक तय पथ पर चलती रहती है. जैसे कोई अदृश्य और उड़ती नदी हो.

वीडियो: नदियों की धरती से पीने का पानी गायब! ऐसे बदलेगा Punjab?

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